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बिहार SIR: 'नागरिकता' पर सीमांचल में सिर्फ 106 आपत्तियां, जिनमें 59 ने दिए प्रूफ

बिहार- Deletion Applications: सीमांचल में सबसे कम आपत्ति नागरिकता को लेकर और सबसे ज्यादा माइग्रेशन को लेकर दर्ज.

विकास कुमार
न्यूज
Published:
<div class="paragraphs"><p>बिहार में हुए स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन में नागरिकता के नाम पर वोटर लिस्ट से कितने नाम काटे गए?</p></div>
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बिहार में हुए स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन में नागरिकता के नाम पर वोटर लिस्ट से कितने नाम काटे गए?

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"घुसपैठियों को चुन-चुनकर बाहर निकालेंगे"

"यह चुनाव बिहार से घुसपैठियों को बाहर निकालने का चुनाव हैं"

अमित शाह ने ये बयान अररिया में दिया था. उसी अररिया में जो बिहार के मुस्लिम बहुल सीमांचल के 4 जिलों में से एक है. अब सीमांचल सहित पूरे बिहार में विशेष गहन पुनरीक्षण प्रक्रिया खत्म होने के बाद 'घुसपैठियों' पर तस्वीर साफ हो चुकी है. सीमांचल के कुल 4 जिलों अररिया, कटिहार, किशनगंज और पूर्णिया में नागरिता को लेकर सिर्फ 106 आपत्तियां दर्ज कराई गईं. ये आपत्तियां चुनाव आयोग के फॉर्म-7 के जरिए दर्ज हुईं. वोटर लिस्ट से किसी व्यक्ति का नाम कटवाने के लिए फॉर्म-7 का इस्तेमाल किया जाता है. आगे के विश्लेषण में बताएंगे कि सीमांचल में 'घुसपैठिए' और नागरिकता को लेकर बिहार SIR के दौरान किए गए तमाम दावों का सच क्या निकला? सीमांचल में मुस्लिम कम्युनिटी से ज्यादा हिंदू समुदाय से जुड़े लोगों के नाम नागरिकता की वजह से काटे गए.

'भारतीय नागरिक नहीं' को लेकर अररिया जिले में कुल 84 आपत्तियां

बिहार का सीमांचल, मुस्लिम बहुल इलाका माना जाता है. यहां किशनगंज में मुस्लिम आबादी 68%, कटिहार में 44%, अररिया में 43% और पूर्णिया में 38% है. कुल 24 विधानसभा सीटें हैं.

विशेष गहन पुनरीक्षण प्रक्रिया के दौरान 'भारत के नागरिक नहीं' का तर्क देकर किशनगंज में महज 2 आपत्तियां (फॉर्म-7 के जरिए वोटर लिस्ट से नाम काटने के लिए) दर्ज हुईं. वहीं अररिया में 84, पूर्णिया में 12 और कटिहार में 8 आपत्तियां नागरिकता को लेकर दर्ज हुईं.

Bihar- special intensive revision: बिहार के सीमांचल के जिलों किशनगंज, अररिया, पूर्णिया और कटिहार में नागरिकता की वजह से वोटर लिस्ट से नाम काटने के लिए दर्ज आपत्तियां

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अगर सीमांचल की 24 विधानसभा सीटों पर नागरिकता को लेकर SIR में दर्ज आपत्तियों को देखा जाए तो अररिया विधानसभा सीट पर 29 आपत्तियां दर्ज कराई गईं.

बिहार के सीमांचल में 4 जिलों में कुल 24 विधानसभा सीटें हैं. विधानसभा सीटों के हिसाब से नागरिकता को लेकर दर्ज आपत्तियां

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कुल 106 आपत्तियों में से 59 मामलों में साबित हुई भारतीय नागरिकता

सीमांचल के चारों जिलों में नागरिकता को लेकर कुल 106 आपत्तियां दर्ज हुईं, जिनमें 59 लोगों के नाम फाइनल मतदाता सूची में शामिल किया गया. यानी इन 59 लोगों ने कागज दिखाकर अपनी नागरिकता साबित की. हालांकि 59 में से 35 नाम ही इलेक्शन कमीशन की साइट पर सर्च करने पर दिख रहे हैं. 24 नाम इलेक्शन कमीशन की साइट पर नहीं दिख रहे हैं, लेकिन मतदाता सूची में इन 24 लोगों के नाम दिख रहे हैं. जबकि दोनों जगहों पर एपिक नंबर एक है. उदाहरण के लिए नीचे स्क्रीन शॉट दिया जा रहा है.

'गैर नागरिक' की वजह से 28 हिंदू और 19 मुस्लिम के नाम कटे

सीमांचल में नागरिकता को लेकर कुल 106 आपत्तियां दर्ज कराई गईं, जिसमें 59 लोगों ने अपनी नागरिकता साबित कर दी और फाइनल वोटर लिस्ट में जगह बना ली, लेकिन 47 नाम ऐसे थे, जिनके नाम वोटर लिस्ट से काट दिए गए. इसमें से 28 हिंदू और 19 मुस्लिम हैं.

काटे गए 47 नामों में भी 7 की मृत्यु हो चुकी है, जिनमें 3 हिंदू और 4 मुस्लिम हैं. यानी अगर जिंदा ऐसे व्यक्तियों की संख्या पता लगानी हो, जो सीमांचल के वोटर थे और SIR के दौरान नागरिकता न साबित कर पाने की वजह से फाइनल वोटर लिस्ट में शामिल नहीं हो सके तो ऐसे लोगों में 25 हिंदू और 15 मुस्लिम हैं.

सीमांचल में सबसे ज्यादा आपत्तियां माइग्रेशन को लेकर

सीमांचल में विशेष गहन पुनरीक्षण प्रक्रिया के दौरान वोटर लिस्ट से नाम काटने/कटवाने के लिए कुल 64,050 आपत्तियां दर्ज कराई गईं. जिसमें माइग्रेशन (स्थायी रूप से स्थानांतरित) को लेकर 26993 (42%) हैं. इसके अलावा 0.17% आपत्तियां 'भारतीय नागरिक नहीं' होने की वजह देकर दर्ज कराई गई. मृत्यु को लेकर 20% आपत्तियां दर्ज कराई गईं.

Election Commission Data on Non Indian Citizens in Bihar: सीमांचल के जिलों अररिया, कटिहार, पूर्णिया और किशनगंज में मतदाता सूची से नाम काटने की दर्ज आपत्तियां.

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सीमांचल में नाम काटने के लिए 14% आपत्तियों में वजह का जिक्र क्यों नहीं?

ऊपर जहां-जहां भी आपत्तियों का जिक्र किया गया है वह सभी फॉर्म-7 के जरिए वोटर लिस्ट से नाम कटवाने के लिए दर्ज कराई गई हैं.

चुनाव आयोग के फॉर्म-7 में नाम काटने की वजह बतानी होती है, लेकिन सीमांचल में दर्ज कुल आपत्तियों में से 9567 यानी 14% आपत्तियां तो ऐसी हैं जिनमें नाम काटने की वजह का जिक्र ही नहीं है. कहीं-कहीं तो नाम कटवाने वाले और किसका नाम काटना है उसका भी जिक्र नहीं है, सिर्फ 'undefined(Other)' लिखकर छोड़ दिया गया है.

अररिया में बिना वजहों की 6692 आपत्तियां दर्ज हैं. इसके अलावा पूर्णिया और कटिहार में भी कुछ जगहों पर बिना वजह बताए फॉर्म-7 भरकर आपत्ति दर्ज कराई गई है. ऐसे में सवाल उठता है कि जब अन्य जगहों पर वजहों का जिक्र है तो इन 14% आपत्तियों में क्यों नहीं?

बिहार में हुए विशेष गहन पुनरीक्षण पर एक्सक्लूसिव डेटा स्टोरी की लिस्ट

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