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बिहार में विशेष गहन पुनरीक्षण प्रक्रिया के बाद मतदाताओं की फाइनल लिस्ट आ चुकी है, जिसके मुताबिक राज्य में कुल 7.42 करोड़ मतदाता है. SIR प्रक्रिया के दौरान कुल 47.77 लाख मतदाताओं के नाम कटे हैं, जिसमें सबसे ज्यादा नाम कटने की दर गोपालगंज जिले से है. यहां 12% लोगों के नाम पुरानी मतदाता सूची से कटे हैं. सबसे कम अरवल जिले से 3.38% नाम कटे हैं. अब बिहार में जिलेवार कुल 38 जिलों में विशेष गहन पुनरीक्षण प्रक्रिया के पहले और बाद में मतदाताओं की संख्या का विश्लेषण करते हैं और बताते हैं कि क्या किसी विशेष क्षेत्र से ज्यादा नाम कटे हैं?
बिहार में 24 जून 2025 तक कुल 7,89,69,844 वोटर थे. 25 जून 2025 से विशेष गहन पुनरीक्षण की प्रक्रिया शुरू हुई. करीब 3 महीने तक दो चरणों में चले SIR के बाद 30 सितंबर को मतदाताओं की फाइनल लिस्ट जारी की गई, जिसमें करीब 47.77 लाख मतदाताओं के नाम काट दिए गए. प्रतिशत में देखें तो कटे नाम 6.05% हैं. आगे जो विश्लेषण करेंगे उसमें 6.05% को कटे नामों का औसत प्रतिशत मानकर चलेंगे.
अब सवाल उठता है कि ये नाम सबसे ज्यादा कहां से कटे और उसका कोई पैटर्न भी नजर आता है क्या? जवाब है हां. बताते हैं पहले मैप के जरिए जिले-वार फाइनल मतदाता संख्या देख लीजिए.
बिहार में विशेष गहन पुनरीक्षण के बाद जारी मतदाताओं की संख्या देखने पर पता चलता है कि साल 2011 जनगणना के मुताबिक जिन जिलों में मुस्लिम आबादी ज्यादा है वहां औसत यानी 6.05% से ज्यादा मतदाताओं के नाम कटे हैं.
Special Intensive Revision Final Electoral Rolls: बिहार में विशेष गहन पुनरीक्षण प्रक्रिया के दौरान किशनगंज में करीब 10% लोगों के नाम कटे हैं.
अविनाश कुमार/विकास कुमार
बिहार में चार जिलों किशनगंज, पूर्णिया, कटिहार और अररिया को सीमांचल का क्षेत्र माना जाता है. यहां अन्य जिलों की तुलना में मुस्लिम आबादी ज्यादा है. सीमांचल में मतदाताओं के नाम कटने की दर अन्य जिलों की तुलना में ज्यादा है. SIR से पहले इन चारों जिलों में कुल 78,11,890 मतदाता थे जो SIR के बाद घटकर 72,27,172 हो गए. यानी 5,84,718 मतदाताओं के नाम कट गए.
बिहार में अगर टॉप-10 हिंदू आबादी वाले जिलों को देखा जाए तो 9 जिले ऐसे हैं जहां विशेष गहन पुनरीक्षण प्रक्रिया में औसत यानी 6.05% से कम मतदाताओं के नाम कटे हैं. सिर्फ एक जिला भोजपुर हैं जहां 6.36% मतदाताओं के नाम बिहार की पुरानी मतदाता सूची से कटा है.
Special Intensive Revision Final Electoral Rolls full list: साल 2011 की जनगणना के मुताबिक, बिहार के टॉप 10 जिले जहां हिंदू आबादी ज्यादा है उनमें से 9 जिले ऐसे हैं जहां मतदाताओं के नाम कटने की दर औसत यानी 6.05% से कम है.
अविनाश कुमार/विकास कुमार
बिहार के दो प्रमुख नेताओं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव के गृह जिलों को देखें तो लालू प्रसाद यादव का गृह जिला गोपालगंज है. यहां नाम कटने की दर सबसे ज्यादा 12.13% है. नीतीश कुमार के गृह जिला नालंदा में नाम कटने की दर 3.54% हैं.
बिहार: SIR के बाद किस जिले में कितने वोटर्स के नाम कटे?