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बिहार में स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन के बाद चुनाव आयोग ने ड्राफ्ट लिस्ट जारी कर दी. 'SIR' डाटा के मुताबिक, लालू प्रसाद यादव के गृह जिले गोपालगंज की वोटर संख्या में सबसे ज्यादा बदलाव हुआ. यहां 15% वोटर (3,10,363) घटे हैं. ये वो वोटर हैं जो मृत या विस्थापित पाए गए. इनके नाम तो कटने लगभग तय हैं. लेकिन गोपालगंज की कुल 6 विधानसभा सीटों को मिलाकर करीब 50% मतदाता ऐसे हैं जिन्होंने बिना किसी डॉक्यूमेंट एन्यूमरेशन फॉर्म जमा किए हैं. दूसरे फेज में अगर इन्होंने डॉक्यूमेंट जमा नहीं किए तो इनके भी नाम काटे जा सकते हैं. एक-एक कर गोपालगंज की 6 विधानसभा सीटों पर हुए 'SIR' का पूरा विश्लेषण करते हैं.
24 जून 2025 (SIR शुरू होने के ठीक पहले) तक गोपालगंज की 6 विधानसभा सीटों पर कुल 20 लाख (20,55,845) मतदाता थे. चुनाव आयोग ने सभी को एन्यूमरेशन फॉर्म दिए, लेकिन 25 जुलाई 2025 तक 17 लाख (17,45,482) फॉर्म ही मतदाताओं द्वारा भरकर वापस मिले. इनमें से भी सिर्फ 7 लाख मतदाताओं ने ही एन्यूमरेशन फॉर्म के साथ कोई न कोई डॉक्यूमेंट दिए हैं. इन 7 लाख में से 54,944 वोटर तो ऐसे हैं जिन्होंने तय 11 डॉक्यूमेंट की बजाय कुछ न कुछ (जैसे- आधार, ड्राइविंग लाइसेंस, पैन कार्ड) डॉक्यूमेंट जमा किए.
गोपालगंज लालू प्रसाद यादव का गृह जिला है. यहां 34% लोगों ने ही डॉक्यूमेंट जमा किए.
द क्विंट/ अवनीश कुमार
बिहार के गोपालगंज जिले में बैकुंठपुर, बरौली, गोपालगंज, कुचायकोट, भोरे (रि) और हथुआ विधानसभा सीटें हैं. 24 जून 2025 तक (जब स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन नहीं हुआ था) कुल 6 विधानसभा को मिलाकर 20.55 लाख मतदाता थे. लेकिन 'SIR' के बाद करीब आधे यानी 10,43,709 मतदाता ऐसे मिले जिन्होंने चुनाव आयोग द्वारा तय किए गए 11 में से एक भी डॉक्यूमेंट जमा नहीं किए.
चुनाव आयोग द्वारा 24 जून को जारी नोटिफिकेशन में कहा गया था कि पहले फेज में ही फॉर्म के साथ जरूरी डॉक्यूमेंट लेने हैं, लेकिन कुछ दिनों बाद 6 जुलाई को अखबारों में एक विज्ञापन दिखा, जिसमें कहा गया कि बिना डॉक्यूमेंट के भी फॉर्म ले सकते हैं.
अब सिर्फ गोपालगंज जिले की बात करें तो 50% यानी आधे लोगों ने डॉक्यूमेंट जमा नहीं किए हैं. अब दूसरे फेज में बीएलओ को फिर से डॉक्यूमेंट के लिए लोगों तक जाना होगा या फिर लोग अपने नाम चेक कर बीएलओ तक पहुंचे और फॉर्म जमा करें.
बिहार: स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन के दौरान गोपालगंज में 50% लोगों ने बिना डॉक्यूमेंट फॉर्म जमा कर दिए.
द क्विंट/अवनीश कुमार
गोपालगंज की 6 विधानसभा को मिलाकर कुल 50% लोगों से डॉक्यूमेंट जमा कराना है. लेकिन क्या इन लोगों ने डॉक्यूमेंट जमा नहीं किए तो फाइनल लिस्ट से नाम काटे जाएंगे. इस सवाल पर द क्विंट ने गोपालगंज के डीएम पवन कुमार सिन्हा से बात की. उन्होंने कहा,
जब डीएम पवन कुमार सिन्हा से पूछा गया कि अमेन्डमेन्ट को कोई ऑफिशियत नोटिफिकेशन आया था, इसके जवाब में उन्होंने कहा कि वीसी (वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग) के दौरान ये किया गया. ऐसा सिर्फ गोपालगंज ही नहीं बल्कि पूरे बिहार में किया गया था.
डीएम पवन कुमार सिन्हा ने कहा, 50 फीसदी में अधिकतर वो लोग होंगे जिनके माता या पिता का नाम साल 2003 की वोटर लिस्ट में होगा. ऐसे में उन्हें सिर्फ इतना करना है कि आयोग को कोई ऐसा डॉक्यूमेंट दे दें जिससे एस्टेब्लिश हो जाए कि वह इनके माता-पिता हैं.
गोपालगंज की कुल 6 विधानसभा सीटों में भोरे सीट अनुसचित जातियों के लिए आरक्षित है. सबसे ज्यादा हथुआ विधानसभा सीट से 3.26 लाख में से 2.17 लाख (66.61%) लोगों ने बिना किसी डॉक्यूमेंट एन्यूमरेशन फॉर्म जमा कर दिया. इसके बाद दूसरे नंबर पर भोरे विधानसभा सीट आती है, जहां 2.11 लाख (57.39%) लोगों ने कोई भी डॉक्यूमेंट नहीं जमा किया.
चुनाव आयोग के मुताबिक, गोपालगंज के कुल 20.55 लाख मतदाताओं को एन्यूमरेशन फॉर्म दिए गए थे, लेकिन 17.45 लाख ही एन्यूमरेशन फॉर्म वापस मिले. करीब 3.10 लाख (15%) एन्यूमरेशन फॉर्म वापस नहीं मिले. चुनाव आयोग के मुताबिक, ये 3.10 लाख वही मतदाता हैं जो मृत, गायब या माइग्रेट पाए गए. इनके नाम फाइनल मतदाता सूची से काटे जाएंगे.
गोपालगंज की 6 विधानसभा सीटें. मृत, विस्थापन की वजह से काटे जाने वाले मतदाताओं की संख्या
द क्विंट/ अवनीश
गोपालगंज की कुल 6 विधानसभा सीटों को मिलाकर कुल 20.55 लाख में से 17.45 लाख मतदाताओं को SIR ड्राफ्ट लिस्ट में शामिल किया गया है. 3.10 लाख (15%) मतदाता इस लिस्ट से बाहर हैं. 6 विधानसभा सीटों में से गोपालगंज सदर से सबसे ज्यादा करीब 19% मतदाताओं को ड्राफ्ट लिस्ट से बाहर किया गया. फिर कुचायकोट से 18%, बरौली से 15%, हथुआ से 14%, बैकुंठपुर से 13% और भोरे (रि.) से 12% मतदाताओं को लिस्ट से बाहर किए गए हैं.