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बिहार: वाल्मिकी नगर- 2 साल में बने 30000 नए वोटर, SIR में 3000 लोग 'गायब' मिले

बिहार: वाल्मिकी नगर में 2 साल में जितने नए वोटर जोड़े गए उनमें से हर चौथे वोटर की उम्र 30 साल से ज्यादा है.

विकास कुमार
न्यूज
Published:
<div class="paragraphs"><p>विशेष गहन पुनरीक्षण: जो वोटर कुछ महीनों पहले जोड़े गए वह स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन में बाहर</p></div>
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विशेष गहन पुनरीक्षण: जो वोटर कुछ महीनों पहले जोड़े गए वह स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन में बाहर

The Quint

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डाटा इनपुट- नमन शाह

बिहार में विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision) चल रहा है. इस दौरान फॉर्म-6 को लेकर चर्चा जोरों पर है. राहुल गांधी ने भी फॉर्म को लेकर कई सवाल उठाए हैं. ऐसे में द क्विंट ने बिहार की एक विधानसभा (वाल्मिकी नगर) में फॉर्म-6 के इस्तेमाल की पड़ताल की. करीब 2 साल के डेटा को खंगाला. तब पता चला कि लोकसभा चुनाव 2024 से पहले बड़ी संख्या में नए वोटर जोड़े गए, लेकिन अब जब SIR हुआ तो ड्राफ्ट लिस्ट में कुछ मतदाताओं के नाम गायब मिले. इसके अलावा जिन 'नए वोटर' को जोड़ा गया उनमें 22% ऐसे हैं जिनकी उम्र 30 साल से ज्यादा है. इस एक्सक्लूसिव रिसर्च रिपोर्ट में फॉर्म-6, नए मतदाता और विशेष गहन पुनरीक्षण में 'गायब वोटर', एक-एक कर सबका विश्लेषण करते हैं.

2 साल में जोड़े गए 29 हजार नए मतदाता

पश्चिम चंपारण में वाल्मिकी नगर पड़ता है. इस विधानसभा क्षेत्र में जून 2023 से लेकर मई 2025 तक के डेटा का एनालिसिस किया गया. इन 24 महीनों में वाल्मिकी नगर में फॉर्म-6 के जरिए 29,556 नए मतदाताओं को जोड़ा गया.

इनमें वह मतदाता भी शामिल हैं जिन्हें विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision) के शुरू होने के ठीक एक महीने पहले तक भी जोड़ा गया. बिहार में 25 जून से SIR की शुरुआत हुई थी. नए मतदाताओं को जोड़ने का ये डेटा मई 2025 तक का है.

10% मतदाता SIR ड्राफ्ट से बाहर

जून 2023 से मई 2025 के बीच जिन 29,556 नए मतदाताओं को जोड़ा गया, उनमें से करीब 3000 (10%) मतदाताओं को विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision) की ड्राफ्ट लिस्ट से बाहर कर दिया गया. यानी डोर-टू-डोर सर्वे के दौरान ये 3000 मतदाता बीएलओ को नहीं मिले होंगे. इलेक्शन कमीशन के मुताबिक, SIR ड्राफ्ट लिस्ट में उन लोगों के नाम नहीं हैं जिनकी मृत्यु हो चुकी, विस्थापित हो गए हैं या फिर पहले से ही एनरोल्ड हैं.

SIR ड्राफ्ट लिस्ट से बाहर 3 हजार में कुछ ऐसे भी मतदाता होंगे, जिन्होंने साल 2024 के लोकसभा चुनाव में वोट भी किया होगा. वह मई 2025 तक वोटर थे. लेकिन विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision) के बाद उनके नाम वोटर लिस्ट से गायब है.

सबसे ज्यादा वह लोग गायब, जो लोकसभा चुनाव से पहले बने नए वोटर

विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision) में जो 3000 गायब वोटर हैं, उनमें सबसे ज्यादा संख्या उन मतदाताओं की है जिन्हें लोकसभा चुनाव 2024 से पहले दिसंबर 2023 के महीने में जोड़ा गया था. दिसंबर 2023 में सबसे ज्यादा 12,690 नए वोटर बनाए गए थे, जिनमें से 996 लोगों को विशेष गहन पुनरीक्षण की ड्राफ्ट लिस्ट से बाहर कर दिया गया.

अगर कुछ महीनों को जोड़ लें तो लोकसभा चुनाव 2024 से 10 महीने पहले वाल्मिकी नगर विधानसभा पर 18 हजार नए मतदाता जोड़े गए, जिनमें से 1667 मतदाता विशेष गहन पुनरीक्षण में गायब मिले. ये आंकड़ा सिर्फ एक विधानसभा सीट का है.

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अब आते हैं तीसरे और महत्वपूर्ण प्वॉइंट पर. फॉर्म-6 नए मतदाताओं को जोड़ने के लिए होता है. इस फॉर्म का इस्तेमाल सबसे ज्यादा 18 साल की उम्र पूरी करने वाले युवा मतदाताओं के लिए होता है. फॉर्म भरने के साथ डिक्लेरेशन देना होता है कि,

"मैं पहली बार मतदाता सूची में शामिल होने के लिए आवेदन कर रहा हूं और मेरा नाम किसी भी विधानसभा क्षेत्र/संसदीय क्षेत्र में शामिल नहीं है."

फॉर्म-6 के इस्तेमाल को लेकर हमारी पड़ताल में सामने आया कि वाल्मिकी नगर विधानसभा क्षेत्र में 2 साल के अंदर जितने नए मतदाता बने उनमें 18 से 19 साल के कुल 3 हजार मतदाता थे.

हर चौथे 'नए मतदाता' की उम्र 30 साल से ज्यादा

वाल्मिकी नगर में 2 साल में 29,564 नए मतदाता जोड़े गए, जिनमें 26,675 को विशेष गहन पुनरीक्षण के ड्राफ्ट रोल में शामिल किया गया. इन 26,675 में से 5,694 मतदाता ऐसे हैं जिनकी उम्र 30 साल से ज्यादा है. यानी करीब हर चौथे मतदाता की उम्र 30 साल से ज्यादा पाई गई.

इतना ही नहीं, 50 साल से ज्यादा उम्र के 'नए मतदाताओं' की संख्या 829 है. ये आंकड़ा बिहार की एक विधानसभा का है. इनमें से कई मतदाता तो 70, 80 और 95 साल के भी हैं, जिन्हें फॉर्म-6 के जरिए वोटर लिस्ट में जोड़ा गया.

ज्यादा उम्र के 'नए मदाताओं' के सवाल पर द क्विंट ने पश्चिमी चंपारण में उप निर्वाचन अधिकारी सुमित कुमार से बात की. उन्होंने बताया कि ऐसा संभव है कि ज्यादा उम्र के लोगों ने भी फॉर्म-6 भरे हो. पहली वजह हो सकती है कि कोई पूरा का पूरा परिवार किसी दूसरे राज्य से यहां (वाल्मिकी नगर) पर स्थायी रूप से आ गया हो. ऐसे में उस परिवार के लोग फॉर्म-6 भरकर यहां के नए वोटर बने हो.

"विस्थापन की स्थिति में एपिक नंबर शिफ्ट करने का भी विकल्प होता है. लेकिन राज्य के अंदर विस्थापित होने पर लोग एपिक नंबर शिफ्ट कराने का विकल्प चुनते हैं. उस स्थिति में फॉर्म-6 नहीं भरना पड़ता है."

"दूसरी वजह हो सकती है कि SIR से पहले हाउस टू हाउस सर्वे हुआ था. ये पता लगाने के लिए कि कितने नाम मतदाता सूची में नहीं है. खासकर युवा मतदाता. उसी दौरान ये सभी नाम जुड़े होंगे. वाल्मिकी नगर का अधिकतर इलाका बाढ़ प्रभावित है. हो सकता है कि उनका वोटर कार्ड नहीं बना रहा हो. हाउस टू हाउस सर्वे के बाद लोग जोड़े गए हो. "

नए मतदाताओं को SIR ड्राफ्ट लिस्ट से बाहर किए जाने के सवाल पर उन्होंने कहा कि,

"हो सकता है कि वो लोग यूपी या अन्य जगहों पर माइग्रेट गए हो. SIR में इंटेंसिव प्रोसेस हुआ है इसलिए ऐसे आंकड़े निकलकर आए हैं."

3,000 नाम गायब होने के पीछे क्या कारण?

बिहार की एक विधानसभा क्षेत्र के डेटा से कुछ सवाल उठते हैं. आखिर जिन 3000 लोगों को कुछ महीनों पहले ही नए मतदाता बताकर वोटर लिस्ट में जोड़ा गया, वह स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन में कहां गायब हो गए? SIR शुरू होने से ठीक एक महीने पहले मई 2025 में 994 नए वोटर बनाए गए और उनमें से 71 के नाम ड्राफ्ट से गायब हैं.

क्या एक विधानसभा क्षेत्र में कुछ महीनों में 3 हजार लोगों की मृत्यु हो जाना या विस्थापित हो जाना संभव है? आखिर वह 3000 हजार लोग कौन थे और अब कहां गायब हो गए?

क्या जोड़े गए नए वोटर ने इससे पहले कभी वोट नहीं किया? या ये लोग किसी अन्य राज्य से विस्थापित होकर वाल्मिकी नगर आए थे, और अब फिर से कहीं और चले गए. जिसकी वजह से उन्हें स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन की ड्राफ्ट लिस्ट से बाहर कर दिया गया?

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