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मुरादाबाद SIR: 1 लाख वोटर अनट्रेसेबल, कट सकते हैं 3.72 लाख मतदाताओं के नाम

Moradabad SIR: प्रोविजनल आंकड़ों के अनुसार, वोटर लिस्ट से नाम कटने का सबसे बड़ा कारण स्थायी रूप से शिफ्ट होना है.

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उत्तर प्रदेश में विशेष गहन पुनरीक्षण यानी SIR का काम जारी है. SIR के तहत मुरादाबाद जिले की 6 विधानसभा सीटों से कुल 3,72,001 वोटरों के नाम मतदाता सूची से हटाए जा सकते हैं, जो कि जिले के कुल वोटर्स का 15.48% है. इलेक्शन कमीशन के प्रोविजनल आंकड़ों के अनुसार, डिलीशन का सबसे बड़ा कारण स्थायी रूप से शिफ्ट होना है, जबकि अनट्रेसेबल/अनुपस्थित वोटरों की संख्या भी ज्यादा है. बता दें कि ये प्रोविजनल आंकड़े हैं, जिसमें बदलाव हो सकता है.

आपको जिले की सभी छह विधानसभा सीट का हाल बताते हैं और SIR के प्रोविजनल आंकड़ों के बाद क्या तस्वीर निकलकर सामने आ रही है?

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डिलीशन का सबसे बड़ा कारण: 'स्थायी रूप से शिफ्ट'

मुरादाबाद में 1,63,692 वोटरों को Permanently Shifted यानी स्थायी रूप से शिफ्ट बताकर सूची से हटाया जा सकता है.

मुरादाबाद (ग्रामीण) विधानसभा क्षेत्र में ऐसे वोटर्स की संख्या सबसे से ज्यादा 39,737 हैं, जिन्हें प्रोविजनल आंकड़ों में स्थायी रूप से शिफ्ट बताया गया है. जबकि, मुरादाबाद (शहर) विधानसभा क्षेत्र में ऐसे लोगों की संख्या 38,324 है. वहीं कांठ सीट पर 25,295 वोटर्स को स्थायी रूप से शिफ्ट बताया गया है.

कुंदरकी में सबसे कम 17, 757 वोटर्स हैं, जो कहीं दूसरी जगह पर स्थायी रूप से शिफ्ट हो गए हैं. जिसकी वजह से अब उनका नाम वोटर लिस्ट से कट सकता है.

मुरादाबाद (ग्रामीण) में सबसे ज्यादा 23.18% डिलीशन

ग्रामीण इलाकों में भारी कटौती हो सकती है. मुरादाबाद (ग्रामीण) विधानसभा क्षेत्र में सबसे ज्यादा 23.18% यानी 90,988 वोटर के नाम मतदाता सूची से हटाए जा सकते हैं. यहां करीब 3.92 लाख वोटर्स हैं.

आंकड़ों के मुताबिक, मुरादाबाद (नगर) विधानसभा सीट में 1,11,610 वोटरों के नाम हटाए जा सकते हैं. जिले में सबसे ज्यादा वोटर्स की संख्या इस सीट पर करीब 5.43 लाख है. यहां 20.52 फीसदी डिलीशन हो सकता है.

1.03 लाख वोटर ‘अनट्रेसेबल/अनुपस्थित’

जिले में 1,03,419 लाख वोटर ऐसे हैं, जिनका पता नहीं चला या फिर वे अनुपस्थित हैं. मुरादाबाद (नगर) विधानसभा सीट पर सबसे ज्यादा 41,623 वोटर्स के नाम अनट्रेसेबल/अनुपस्थित बता कर काटे जा सकते हैं. वहीं मुरादाबाद (ग्रामीण) क्षेत्र में प्रोविजनल आंकड़े के मुताबिक, अनट्रेसेबल/अनुपस्थित वोटर्स की संख्या 27,962 है. बिलारी सीट पर ऐसे लोगों की संख्या 11,155 है.

‘मृत घोषित’ वोटर: 51 हजार से ज्यादा

SIR प्रक्रिया के दौरान जिले में 51,014 वोटरों को मृत घोषित किया गया है. मुरादाबाद नगर और ग्रामीण विधानसभा सीट पर क्रमशः करीब 15 हजार और करीब साढ़े 10 हजार वोटर्स को मृत घोषित किया गया है.

2020 में समाजवादी पार्टी ने 5 सीटों पर जमाया था कब्जा

मुरादाबाद (ग्रामीण) सीट पर सबसे ज्यादा वोटर्स हटाए जा सकते हैं. यहां समाजवादी पार्टी का दबदबा है. 1993 के बाद से बीजेपी ने यहां कभी चुनाव नहीं जीता. 2007 से एसपी लगातार जीतती आई है. 2020 विधानसभा चुनाव की बात करें तो समाजवादी पार्टी के हाजी नासिर कुरैशी ने बीजेपी के कृष्णकांत मिश्रा को 56,820 वोटों से हराया था. यहां 90,988 नाम कट सकते हैं.

डिलीशन के मामले में दूसरे नंबर पर मुरादाबाद (नगर) सीट है. पिछले चुनाव में यहां बीजेपी और समाजवादी पार्टी के बीच कड़ी टक्कर देखने को मिली थी. बीजेपी के रितेश कुमार गुप्ता ने समाजवादी पार्टी के मोहम्मद यूसुफ अंसारी को महज 782 वोटों से हराया था.

कुंदरकी और बिलारी जैसी अपेक्षाकृत छोटी सीटों में भी 40 हजार से ज्यादा वोटरों के नाम हटाए जा सकते हैं, जो चुनावी समीकरणों को प्रभावित कर सकते हैं.

2022 विधानसभा चुनाव में कुंदरकी सीट पर समाजवादी पार्टी ने 43,162 वोटों से जीत दर्ज की थी. प्रोविजनल आंकड़ों के मुताबिक, यहां 41,117 वोटर्स के नाम मतदाता सूची से हटाए जा सकते हैं. जो कि यहां के 3.88 लाख वोटर्स का 10.58 फीसदी है. हालांकि, इस सीट पर 2024 में हुए उपचुनाव में बीजेपी ने 1,44,791 वोटों के अंतर से जीत हासिल की थी.

दूसरी तरफ बिलारी में कुल 3.07 लाख वोटर्स हैं. SIR प्रक्रिया के तहत 40,989 यानी 13.33 फीसदी वोटर्स के नाम हटाए जा सकते हैं. पिछली बार इस सीट पर हार-जीत का अंतर मात्र 7,610 वोट था. समाजवादी पार्टी के मोहम्मद फहीम इरफान ने बीजेपी के परमेश्वर लाल सैनी को हराया था. इस सीट पर भी समाजवादी पार्टी का दबदबा रहा है.

कांठ सीट पर 48,315 (12.32%) वोटर्स के नाम मतदाता सूची से काटे जा सकते हैं. 2023 में यहां हार-जीत का मार्जिन 43,178 वोट रहा था. इस सीट पर भी एसपी ने जीत दर्ज की थी. वहीं ठाकुरद्वारा सीट की बात करें तो यहां 38,982 (10.27%) नाम काटे जा सकते है. पिछली बार यहां मार्जिन 19,684 वोट रहा था. 2014 से यहां समाजवादी पार्टी का कब्जा है.

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