बिहार में चुनाव के ऐलान से लेकर वोटिंग के बीच बढ़े मतदाताओं की संख्या को लेकर सवाल उठ रहे हैं. बिहार चुनाव की काउंटिंग के अगले दिन कांग्रेस ने सोशल मीडिया प्लटेफॉर्म X पर सवाल किया, "बिहार चुनाव के बीच कैसे बढ़े 3 लाख वोट?"
बिहार में 6 अक्टूबर को 243 सीटों के लिए विधानसभा चुनाव का ऐलान हुआ था. चुनाव आयोग की ओर से जारी प्रेस रिलीज में बताया गया था कि 30 सितंबर, 2025 तक बिहार में आम मतदाताओं की संख्या 7,41,92,357 है. लेकिन, प्रदेश में वोटिंग खत्म होने के बाद ये संख्या 7,45,26,858 बताई गई. बता दें कि इसमें NRI वोटर्स शामिल हैं. जबकि सर्विस वोटर्स को नहीं जोड़ा गया है. बढ़े मतदाताओं पर चुनाव आयोग का कहना है कि नामांकन के 10 दिन पहले तक मतदाता नाम कटवा और जुड़वा सकते हैं.
इस स्टोरी में हम आपको बताएंगे कि बिहार के किन जिलों में सबसे ज्यादा मतदाता बढ़े और वहां एनडीए और महागठबंधन का परफॉर्मेंस कैसा रहा?
बिहार में चुनाव के दौरान 3.34 लाख वोटर्स बढ़े
चुनाव का ऐलान करते वक्त मतदाताओं की संख्या- 7,41,92,357 (NRI मतदाता शामिल)
मतदान खत्म होने के बाद मतदाताओं की संख्या- 7,45,26,858 (NRI मतदाता शामिल)
चुनाव आयोग के आंकड़ों के विश्लेषण के बाद पता चलता है कि बिहार में चुनाव के ऐलान से लेकर वोटिंग के बीच सभी जिलों को मिलाकर कुल 3,34,501 मतदाताओं की संख्या में इजाफा हुआ है. इसमें NRI वोटर्स शामिल हैं.
बिहार में मतदान प्रक्रिया खत्म होने बाद चुनाव आयोग की ओर से 11 नवंबर को जारी प्रेस रिलीज में कहा गया, "बिहार विधानसभा चुनाव 66.91% के रिकॉर्ड मतदान के साथ संपन्न हुआ. यह 1951 के बाद राज्य में दर्ज सबसे अधिक वोटिंग है. पुरुषों में मतदान प्रतिशत 62.8% रहा, जबकि महिलाओं में यह बढ़कर 71.6% तक पहुंच गया."
चुनाव आयोग की ओर से जारी ये डाटा प्रोविजनल है.
मुख्य चुनाव आयुक्त ने बिहार चुनाव की तारीखों का ऐलान करते हुए भी कहा था, "अगर किसी का नाम वोटर लिस्ट में छूट गया है तो नॉमिनेशन से 10 दिन पहले तक जोड़ा जा सकता है."
टॉप 5 जिले जहां सबसे ज्यादा मतदाता बढ़े?
आंकड़ों के विश्लेषण से पता चलता है कि चुनाव के दौरान गया जिले में सबसे ज्यादा 20,456 मतदाता बढ़े हैं. इस लिस्ट में रोहतास दूसरे नंबर पर है, जहां 20,030 वोटर्स की बढ़ोतरी हुई. 17,930 बढ़े हुए वोटर्स की संख्या के साथ भोजपुर जिला तीसरे नंबर पर है. पश्चिम चंपारण और पूर्णिया में क्रमशः 16,649 और 15,639 वोटर्स बढ़े हैं.
इन पांच जिलों में 40 विधानसभा सीटें आती हैं, जिसमें से एनडीए ने 34 सीटों पर जीत दर्ज की है. जबकि महागठबंधन को सिर्फ 4 सीटों पर ही कामयाबी मिली. दो सीटों पर ओवैसी की पार्टी AIMIM ने कब्जा जमाया है.
गया जिले की 10 विधानसभा सीटें में से एनडीए ने 9 पर जीत दर्ज की, जबकि महागठबंधन को सिर्फ एक सीट पर सफलता मिली.
रोहतास जिले की 7 विधानसभा सीटों में से 6 सीटों पर एनडीए और एक पर महागठबंधन ने जीत दर्ज की है.
भोजपुर की 7 विधानसभा में से सातों सीट एनडीए के खाते में गई है.
पश्चिम चंपारण की 9 विधानसभा सीटों में से एनडीए को 7 और महागठबंधन को 2 पर जीत मिली.
पूर्णिया की 7 विधानसभा सीटों में से महागठबंधन एक भी सीट नहीं जीत पाई. एनडीए को 5 और AIMIM को 2 पर जीत मिली.
इन 5 जिले जहां सबसे कम मतदाता बढ़े?
आंकड़ों के मुताबिक, चुनाव के ऐलान से लेकर वोटिंग के बीच अरवल जिले में सबसे कम 1,490 वोटर्स बढ़े. लखीसराय में 1,830 मतदाताओं की बढ़ोतरी देखने को मिली है. शेखपूरा नीचे से तीसरे नंबर पर है, यहां 1,861 वोटर्स बढ़े हैं. सुपौल और जहानाबाद में क्रमशः 2,253 और 2,497 वोटर्स का इजाफा हुआ है.
इन पांच जिलों में मतदाताओं की संख्या में सबसे कम बढ़ोतरी हुई है. यहां की 14 विधानसभा सीटों में से 11 पर एनडीए ने जीत दर्ज की है, जबकि 3 सीटों पर महागठबंधन को सफलता मिली है.
अरवल की 2 विधानसभा सीटों में एक-एक पर एनडीए और महागठबंधन ने जीत दर्ज की है.
लखीसराय जिले की दोनों सीटें एनडीए के खाते में गई हैं.
शेखपुरा की भी दो सीटों पर एनडीए ने जीत दर्ज की है.
सुपौल जिले की पांचों विधानसभा सीटें एनडीए के खाते में गई हैं
जहानाबाद की तीन सीटों में से दो पर महागठबंधन और एक पर एनडीए ने जीत दर्ज की है.
इस बार के चुनाव में NDA को प्रचंड बहुमत मिला है. राज्य की 243 सीटों में से सबसे ज्यादा बीजेपी ने 89 सीटें जीती है. वहीं सहयोगी जेडीयू को 85 सीटें मिली हैं. चिराग पासवान की लोकजनशक्ति पार्टी (रामविलास ) ने 19 सीटों पर जीत दर्ज की है. जीतनराम मांझी की हिन्दुस्तानी अवाम मोर्चा (सेक्युलर) और उपेंद्र कुशवाहा की राष्ट्रीय लोक मोर्चा क्रमश: पांच और चार सीटें जीतने में सफल रही.
महागठबंधन का प्रदर्शन काफी निराशाजनक रहा. तेजस्वी यादव की आरजेडी को सिर्फ 25 सीटों से संतोष करना पड़ा. वहीं सहयोगी दल कांग्रेस के खाते में छह सीटें आई हैं. सीपीआई (एमएल) को 2, सीपीएम और आईआईपी को एक-एक सीट मिली है.
असदुद्दीन औवेसी की पार्टी AIMIM पांच सीटें जीतने में कामयाब रही. बहुजन समाज पार्टी को भी एक सीट मिली है.
