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बिहार: 18 सीटों पर महागठबंधन की हार का मार्जिन, जन सुराज को मिले वोटों से कम

बिहार विधानसभा चुनाव 2025: प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी ने 238 सीटों पर चुनाव लड़ा, पार्टी को 3.34% वोट मिले.

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बिहार विधानसभा चुनाव में प्रशांत किशोर की पार्टी जन सुराज खाता न खोल पाई हो, लेकिन कई सीटों पर तीसरे नंबर पर रहकर एनडीए और महागठबंधन की हार-जीत को प्रभावित किया है. इसे समझेंगे और बताएंगे कि सियासी पिच पर चुनावी रणनीतिकार से नेता बने प्रशांत किशोर का पॉलिटिकल डेब्यू कितना सफल रहा?

बता दें कि प्रदेश में दो साल की पदयात्रा के बाद प्रशांत किशोर ने साल 2024 में गाधी जयंती के अवसर पर आधिकारिक तौर पर जन सुराज पार्टी के गठन की घोषणा की थी. करीब एक साल बाद हुए चुनाव में जन सुराज ने 243 में से 238 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे.

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जन सुराज: 1 सीट पर नंबर दो पर रही

बिहार विधानसभा चुनाव में जन सुराज पार्टी को पोस्टल बैलेट के जरिए 12,378 और ईवीएम के जरिए 16,65205 वोट मिले. दोनों को मिलाकर कुल 16,77,583 वोट प्रशांत किशोर की पार्टी को मिले हैं.

अगर प्रतिशत में देखें तो जन सुराज को 3.34% वोट मिले हैं.

सारण जिले की मढ़ौरा सीट पर जन सुराज दूसरे नबंर पर रही. यहां आरजेडी के जितेंद्र कुमार राय को 86,811 वोट मिले. वहीं दूसरे नंबर पर रहे जेएसपी के नवीन कुमार सिंह उर्फ अभय सिंह को 58,190 वोट मिले. जीत-हार का अंतर 27,928 वोट का रहा. यहां उम्मीदवार के नामांकन खारिज होने से एनडीए पहले ही रेस से बाहर हो गया था.

जन सुराज 115 सीटों पर तीसरे नंबर पर रही. इन 115 सीटों में से 102 पर NDA की जीत हुई है. इन 102 में से 101 सीटों पर महागठबंधन दूसरे नंबर पर था.

जन सुराज ने कुल 35 सीटों पर NDA और महागठबंधन को प्रभावित किया है. क्योंकि इन सीटों पर जीत-हार का मार्जिन, जन सुराज को मिले वोटों से कम है.

18 सीटों पर महागठबंधन को डेंट?

ऊपर बताई गई 35 सीटों में से 18 विधानसभा सीटें ऐसी हैं, जहां महागठबंधन दूसरे स्थान पर रहा, और इन सीटों पर जीत-हार का अंतर जन सुराज के उम्मीदवारों को मिले वोटों से कम रहा.

उदाहरण के तौर पर:

  • संदेश विधानसभा सीट- जेडीयू उम्मीदवार राधा चरण साह ने आरजेडी के दीपू सिंह को सिर्फ 27 वोटों से हराया. राधा चरण साह को 80,598 वोट मिले, जबकि दीपू सिंह को 80,571 वोट मिले. वहीं तीसरे स्थान पर जन सुराज के राजीव रंज राज रहे, जिन्हें 6,040 वोट मिले.

  • अगिआंव- बीजेपी और सीपीआई (एमएल) के बीच इस सीट पर कड़ा मुकाबला हुआ. बीजेपी के महेश पासवान ने 95 वोटों के अंतर से जीत दर्ज की. सीपीआई (एमएल) के शिव प्रकाश रंजन दूसरे स्थान पर रहे. जन सुराज के रमेश कुमार को 3,882 वोट मिले. 

  • बख्तियारपुर- इस सीट पर जीत-हार का अंतर 981 वोट का रहा. एलजेपी (आर) प्रत्याशी अरुण कुमार ने जीत दर्ज. दूसरे नंबर पर आरजेडी प्रत्याशी अनिरुद्ध कुमार रहे. तीसरे नंबर रहे जन सुराज प्रत्याशी वाल्मीकि सिंह को 6,581 वोट मिले.

  • नरकटिया- इस सीट पर जीत-हार का अंतर 1,443 वोट का रहा. तीसरे नंबर रहे जन सुराज उम्मीदवार लाल बाबू प्रसाद को 7,002 वोट मिले. जेडीयू ने इस सीट पर जीत दर्ज की थी.

  • अमनौर- बीजेपी ने आरजेडी को 3,808 वोट से हराया. यहां जन सुराज को 6,031 वोट मिले.

जिन 18 सीटों जीत-हार का मार्जिन जन सुराज को मिले वोटों से कम था, उनमें से जेडीयू ने 10 और बीजेपी ने 5 सीटें जीतीं. एलजेपी (आर) को दो और आरएलएम को एक सीट पर सफलता मिली.

कटिहार जिले की बलरामपुर सीट पर जनसुराज 7वें नंबर पर रही. यहां एलजेपी(आर) ने जीत दर्ज की. AIMIM और सीपीआई (एमएल) क्रमशः दूसरे और तीसरे पायदान पर रही.

जन सुराज से NDA को भी 15 सीटों पर नुकसान

ऊपर बताई गईं 35 सीटों से 15 सीटें ऐसी रही, जहां एनडीए दूसरे नंबर रही और जीत-हार का मार्जिन जन सुराज को मिले वोटों से कम है.

एक सीट पर AIMIM को जीत मिली है, वहां जेडीयू प्रत्याशी को हार का सामना करना पड़ा. वहीं एक सीट पर खुद जन सुराज दूसरे नंबर पर है.

उदाहरण के तौर पर:

  • ढाका- इस सीट 178 वोटों से जीत-हार तय हुई. आरजेडी के फैसल रहमान ने बीजेपी के पवन कुमार जायसवाल को शिकस्त दी. वहीं तीसरे नंबर पर रहे जन सुराज के डॉ. एलवी प्रसाद को 8,347 वोट मिले.

  • चनपटिया- यूट्यूबर से नेता बने मनीष कश्यप ने इस सीट से जन सुराज के टिकट पर चुनाव लड़ा. वे 37,172 वोटों के साथ तीसरे स्थान पर रहे. हालांकि, यहां कड़े मुकाबले में कांग्रेस के अभिषेक रंजन ने बीजेपी के उमाकांत सिंह को 602 वोटों से हराया.

  • जहानाबाद- आरजेडी प्रत्याशी राहुल कुमार ने 793 वोटों से जेडीयू प्रत्याशी चंद्रेश्वर प्रसाद को मात दी. तीसरे स्थान पर रहे जन सुराज उम्मीदवार अभिराम सिंह को 5,760 वोट मिले.

कुल सदस्यों की संख्या से भी कम वोट मिले

चुनाव से पहले प्रशांत किशोर लगातार अपनी पार्टी की जीत का दावा कर रहे थे. उनकी यात्राओं और रैलियों में भारी भीड़ देखने को मिलती थी. लेकिन नतीजों से साफ है कि प्रशांत उस भीड़ को वोट में तब्दील नहीं कर पाए.

चौंकाने वाली बात ये है कि पार्टी को कुल सदस्यों की संख्या से भी कम वोट मिले हैं. जन सुराज की आधिकारिक वेबसाइट के मुताबिक, अब तक कुल सदस्यों की संख्या 1 करोड़ है. लेकिन विधानसभा चुनाव में पार्टी को सिर्फ 16.77 लाख वोट ही मिले. इसका मतलब है कि पार्टी सदस्यों ने भी जन सुराज को वोट नहीं किया.

चुनाव में पार्टी की करारी हार के बाद मंगलवार को प्रशांत किशोर ने प्रेस कॉन्फ्रेस कर हार की जिम्मेदारी लेते हुए कहा, "जीत तो जन सुराज की होगी. आज जरूर धक्का लगा है, जो भी कमी है उसको सुधारा जाएगा और उतनी ही ताकत से फिर खड़े होंगे."

इसके साथ ही उन्होंने कहा, "कुछ लोग सोच रहे हैं कि मैं बिहार छोड़ दूंगा. तो ये आपका भ्रम है. प्रशांत किशोर की और जन सुराज में मेरे साथ जुड़े हुए साथियों की, बिहार सुधारने की जो जिद्द है, उस जिद्द के सामने इस जीवन में दूसरा कुछ भी नहीं है. उस जिद्द से पीछे हटने वाले नहीं हैं. पूरी ताकत और ईमानदारी से और मेहनत करेंगे. पीछे हटने का सवाल नहीं है."

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