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"मैं बदनामी नहीं सह सकती", उपद्रवियों ने लव जिहाद का झूठा आरोप लगा युवक को पीटा

पुलिस ने कैफे में तोड़फोड़ और हंगामा करने वाले 5 अभियुक्त को गिरफ्तार किया है.

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"मेरे बर्थडे पर हम 10-11 लोग एक कैफे में पार्टी कर रहे थे, केक कट कर रहे थे तब ही अचानक 20 से 25 लोग जय श्री राम का नारे लगाते हुए अंदर घुस आए. भीड़ में लोग चिल्ला रहे थे कौन कटुआ है, कौन हिंदू है. फिर बजरंग दल के लोगों ने कैफे में मौजूद लोगों से उनका धर्म पूछा और हिंदुओं को बाहर कर दिया. इसके बाद पार्टी में आए मेरे दो मुस्लिम क्लासमेट को बजरंग दल वालों ने पीटना शुरू कर दिया, उनकी कोई बात नहीं सुनी. उन्हें लात-घूसों से मारा. मेरा एक क्लासमेट जो मुस्लिम है उसकी उंगली टूट गई है और कान में चोट आई है."

बरेली में बीएससी नर्सिंग फाइनल ईयर की छात्रा शिवांगी का जन्मदिन उनके लिए दर्दनाक दिन बन गया. 27 दिसंबर को शिवांगी बरेली के एक कैफे में क्लास के दोस्तों के साथ अपना बर्थडे सेलिब्रेट कर रही थीं, तब ही पार्टी में हिंदुत्ववादी संगठन से जुड़े कुछ लोग आ धमके और 'लव जिहाद' का आरोप लगाते हुए दो मुस्लिम युवकों के साथ मारपीट करने लगे.

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द क्विंट से बात करते हुए शिवांगी ने बताया कि वो उस हादसे के बाद से मानसिक तनाव में हैं.

"मेरे साथ मेरी दो महिला दोस्त थी जो शादीशुदा थी, उनसे भी बजरंग दल वाले बदतमीजी कर रहे थे, उनका हाथ पकड़कर पूछ रहे थे कि तुम हिंदू या मुसलमान. मुझसे भीड़ में मौजूद लोगों ने पूछा कि तू हिंदू होकर मुस्लिम के साथ घूम रही है, लव जिहाद कर रही है. मुझपर आरोप लगाने लगे. मैंने कहा ऐसा कुछ नहीं है. मुझसे धक्का मुक्की करने लगे.

शिवांगी कहती हैं, "मेरी क्लास में 40 के करीब स्टूडेंट हैं, और मैंने अपने बर्थडे पर सबको बुलाया था. दोस्तों के ग्रुप में एक इनविटेशन भी भेजा था. मेरे घर वालों को भी पता था कि हम बर्थडे पर पार्टी कर रहे हैं."

शिवांगी आगे कहती हैं, "भीड़ में मौजूद लोगों ने मुझसे कहा, तुम मुसलमानों को बचा रही हो, तुम जैसे लोग फ्रिज में कटे हुए मिलते हो. उन्होंने कहा मुसलमान दोस्त नहीं होते हैं. फिर मुझे धक्का दिया और मेरा फोन छीनने की कोशिश की. मैंने छिपकर जल्दी से अपने भाई को कॉल करके सब बात बताई."

बता दें कि 'फ्रिज में मिलोगी' जैसी लाइन सोशल मीडिया पर राइट विंग ग्रुप के लोग इंटरफेथ रिश्तों से चिढ़कर, हिंदू महिलाओं को डराने और मुस्लिम विरोधी नफरत फैलाने के लिए करते हैं. यह लाइन 2022 के “श्रद्धा वॉकर हत्याकांड” के बाद ज्यादा प्रचलन में आई. उस मामले में आरोपी आफताब ने श्रद्धा की हत्या कर शव के टुकड़े किए और उन्हें फ्रिज में रखा था. हालांकि ऐसी घटनाएं अलग-अलग धर्म के मानने वाले लोगों ने भी अंजाम दिए हैं. लेकिन सांप्रदायिक नैरेटिव के लिए इसका इस्तेमाल मुसलमानों से जोड़कर किया जाता है.

पीड़ित युवक ने क्या कहा?

इस पूरी घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर मौजूद है. जिसमें देखा जा सकता है कि कैसे भगवा गमछा लगाए कुछ लोग कैफे में घुसते हैं और दो लड़के को पीटने लगते हैं. क्विंट ने एक पीड़ित युवक वाकिफ से बात की. वाकिफ ने बताया,

मैं इस मामले पर कोई बात नहीं करना चाहता. हमारी तरफ से कोई शिकायत नहीं दर्ज कराई है. मैं बस इस मामले पर कोई बात नहीं करना चाहता.

हालांकि क्विंट के पूछने पर वाकिफ ने बताया कि पार्टी में 10 लोग थे, जिसमें से 8 हिंदू और दो मुसलमान थे. सब क्लासमेट हैं. जब हमने पूछा कि क्या हमला करने वाले हिंदुत्ववादी संगठन के लोगों को वो पहले से पहचानते थे, तो वाकिफ ने कहा- "नहीं हमला करने वालों को मैं नहीं जानता था. न ही शिवानी उन्हें पहचानती है. उन लोगों को किसने जानकारी दी और किसने बुलाया ये मैं नहीं जानता."

पुलिस ने क्या कहा?

वहीं इस मामले पर सोशल मीडिया पर लोगों की कड़े विरोध और कैफे मालिक की शिकायत पर पुलिस ने उपद्रवियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर लिया है.

कैफे में तोड़फोड़ और हंगामा करने वाले 05 अभियुक्त को गिरफ्तार किया है और एक बाल अपचारी को पुलिस संरक्षता में लिया गया है.

पुलिस ने अपने बयान में कहा है, "दिनांक 28.12.2025 को वादी की तहरीर के आधार पर वादी के कैफे में घुसकर स्टाफ व ग्राहकों के साथ हमलावर होकर गाली-गलौच कर मारपीट करना व कैफे में तोड़ फोड़ करना व मना करने पर जान से मारने की धमकी देना व हंगामा करने के सम्बन्ध में बीएनएस की धारा 333/115 (2), 352, 351(3), 324(4), 131, 191(2) के तहत ऋषभ ठाकुर, दीपक पाठक के खिलाफ नामजद एफआईआर दर्ज किया है." इसके अलावा पुलिस ने बताया कि प्रिन्स सिंह, आकाश, आशीष उर्फ पारस, मृदुल उर्फ मनीष दुबे और दीपक को गिरफ्तार किया गया है.

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वहीं 27 दिसंबर को हंगामे के बाद पुलिस ने दो मुस्लिम छात्रों और कैफे के एक स्टाफ पर कथित 'शांति भंग' के लिए मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया था और उनका चालान हुआ था. जिसे लेकर सोशल मीडिया पर पुलिस की काफी आलोचना हुई थी.

द क्विंट ने पूरे मामले को समझने के लिए प्रेमनगर थाने के इंस्पेक्टर राजबली सिंह से बात की. उन्होंने बताया कि अब तक कुल 6 लोगों के खिलाफ कार्रवाई हुई है. इनमें से 5 लोगों की गिरफ्तारी की गई है और एक 'बाल अचारी' (नाबालिग) के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की गई है.

जब द क्विंट ने राजबली सिंह से पीड़ित और कैफे के खिलाफ चालान को लेकर सवाल किया तो उन्होंने कहा, "लड़कों की कोई पिटाई नहीं हुई थी, केवल हंगामा हुआ था, किसी को चोट नहीं थी." जब द क्विंट ने प्रेम नगर के इंस्पेक्टर से कहा कि वीडियो में साफ पिटाई होते दिख रहा है तो वो हिचकते हुए कहते हैं कि किसी को चोट नहीं थी. मेडिकल के लिए कहा गया तो लड़कों ने मना कर दिया. कोई सामने नहीं आ रहा है. वीडियो में तो क्या क्या कैसे कैसे चलता रहता है.

द क्विंट ने फिर से पीड़ितों के चालान को लेकर इंस्पेक्टर से सवाल पूछा जिसपर उन्होंने कहा, "कैफे मालिक और जन्मदिन मनाने वाले पक्ष के बीच इस बात को लेकर तनाव था कि उनकी वजह से कैफे की स्थिति और छवि खराब हुई. इन दोनों पक्षों का आपराधिक 'चालान' (जिसमें चार्जशीट लगती है) नहीं किया गया, बल्कि उन्हें मजिस्ट्रेट के सामने 'पाबंद' (Bound over) किया गया. पाबंद करने का अर्थ है कि उन्हें भविष्य में झगड़ा न करने की चेतावनी दी गई है. यदि वे दोबारा ऐसा करते हैं, तो उन पर 1 लाख से सवा लाख रुपये तक का 'मुचलका' (रिकवरी) लगाया जा सकता है. यह राशि मजिस्ट्रेट तय करते हैं."

पीड़िता का पुलिस पर आरोप

पीड़िता शिवांगी ने उपद्रवियों के खिलाफ मौके पर एक्शन न लेने को लेकर सवाल उठाया है. शिवांगी ने कहा,

"पुलिस मुझे ही मुजरिम समझ रही थी. मेरे दोस्त जिन्हें चोट लगी, जिनकी पिटाई हुई, जो परेशान थे, पुलिस उनको ही परेशान कर रही थी. जिन लोगों ने हमला किया उन्हें कुछ नहीं कह रही थी, उन्हें कंट्रोल भी नहीं कर रहे थे. पुलिस वालों के सामने मेरे दोस्तों की वीडियो शूट कर रहे थे और पूछ रहे थे कि कहां से है, तेरा नाम क्या है. पुलिस वालों ने उन लोगों को कुछ नहीं कहा. कैफे में 2-3 पुलिस वाले आए थे. लेडीज पुलिस ने मुझे बैठाया और कहा कि कुछ मत बोलो. मुझे और मेरे दोस्तों को जबरदस्ती थाने ले जाया गया. मैंने कहा कि मैं नहीं जाऊंगी, मेरी गलती नहीं है. मेरी फैमली जबतक नहीं आएगी मैं नहीं जाऊंगी. उन्होंने मेरी फैमली का भी इंतजार नहीं किया.

शिवांगी ने पुलिस पर आरोप लगाते हुए कहा, "हमें थाने ले जाया गया लेकिन हमला करने वाले जो लोग थे उनके खिलाफ कोई एक्शन नहीं लिया गया. जिन लोगों ने हमें परेशान किया उन्हें पुलिस नहीं ले गई, बल्कि वो लोग खुद अपनी बाइक से थाने पहुंचे. वो लोग ये देखने आए कि हमारे साथ क्या हो रहा है. थाने के बाहर भी भीड़ लगी हुई थी. पुलिस ने उन्हें कुछ नहीं कहा, उन्हें भगा दिया और कहा कि जाओ हम देख लेंगे."

द क्विंट ने शिवांगी के आरोप पर इंस्पेक्टर राजबली सिंह से जवाब मांगा. उन्होंने कहा, "पुलिस ही उन लोगों को बचाकर थाने लेकर आई थी. पुलिस का काम ही बचाना है. कोई कुछ भी कहता रहे. लेकिन पुलिस का काम बचाना है.

हालांकि इंस्पेक्टर ने स्वीकार किया कि अगर हमलावर 20-25 आदमी हों और पुलिसकर्मी केवल दो या चार हों, तो स्थिति को पूरी तरह नियंत्रित करने में "थोड़ा सा फर्क पड़ जाता है."

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आरोपी ऋषभ चोरी, रंगदारी के मामले में जा चुका है जेल, अब धर्म के नाम पर मांग रहा समर्थन

बता दें कि इस मामले का मुख्य आरोपी ऋषभ ठाकुर तीन साल पहले जेल जा चुका है. उस पर एक घर में चोरी और बाद में रंगदारी मांगने का आरोप था. बरेली के एसएसपी अनुराग आर्य ने बताया कि आरोपी की गिरफ्तारी के लिए एसओजी की दो टीमें लगाई गई हैं. एसएसपी के मुताबिक, आरोपी का आपराधिक इतिहास निकलवाया गया है, पूर्व में उस पर गुंडा एक्ट की कार्रवाई हो चुकी है. और अब उस पर कठोर कार्रवाई भी की जाएगी.

अब इस मामले के मुख्य आरोपी ऋषभ ठाकुर ने धर्म के नाम पर लोगों से समर्थन की मांग की है. ऋषभ ठाकुर ने वीडियो जारी करते हुए कहा, "वह सनातन की रक्षा के लिए सड़क पर उतरा था. वीडियो में वह कह रहा है, "उस कैफे को मुस्लिम समाज के एक लड़के ने हिंदू लड़की के बर्थडे के लिए बुक किया था. पार्टी में उस लड़के ने वहां अपने पांच मुस्लिम दोस्त बुला रखे थे और लड़कियां भी 6 थीं, जो सभी हिंदू थी. ऐसे में हम लोग अगर वहां गए और कहासुनी में एक-दो थप्पड़ मार दिए तो क्या गलत किया? क्या ये लव जिहाद का मामला नहीं था?"

ऋषभ के आरोप पर शिवांगी ने साफ कहा कि लव जिहाद की बात बिल्कुल झूठी है. शिवांगी ने कहा, मैं 22 साल की हूं, मुझे पता है दुनिया में क्या चल रहा है. मैं घर में बताकर गई थी, मैं चार साल से यहां रह रही हूं, लेकिन कुछ नहीं हुआ लेकिन इन लोगों ने आतंक मचा दिया.

"मेरे साथ वालों की गलती इतनी ही थी कि वो मुस्लिम हैं और मेरे दोस्त हैं. मेरे मुस्लिम भी दोस्त हैं और हिंदू भी दोस्त हैं. कॉलेज में मुस्लिम भी पढ़ते हैं और हिंदू भी. अलग-अलग धर्म के लोग होते हैं, तो क्या उनसे बात नहीं की जाएगी? दोस्ती धर्म देखकर करेंगे क्या? मेरे घर वालों ने तो सिखाया नहीं है कि दोस्ती धर्म देखकर करो. लेकिन भीड़ ने कुछ नहीं सुना और पीटने लगी. लव जिहाद की बात तो बिल्कुल ही झूठ है. मैं बजरंग दल वालों को जानती भी नहीं हूं."
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कैफे का बिजनेस ठप

द डेन कैफे एंड रेस्टोरेंट के मालिक शैलेंद्र गंगवार की तहरीर पर ऋषभ ठाकुर, दीपक पाठक और 20-25 अन्य अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है. अब शैलेंद्र का कहना है कि इस घटना के बाद से उनका कारोबार ठप है. हमारे कैफे में लोग आने से डर रहे हैं. कोई बिजनस नहीं हो रहा."

वहीं इस घटना के बाद शिवांगी मानसिक तनाव में है. दैनिक भास्‍कर से बातचीत में शिवांगी ने कहा, "मैं दो दिन से डिप्रेशन में हूं, ऐसे वीडियो वायरल चल रहे हैं कि दो मुस्लिम और एक लड़की कैफे में पकड़े गए. यह सरासर झूठ है. मैं यह ट्रॉमा बर्दाश्‍त नहीं कर सकती. अभी तो मैं कॉलेज नहीं जा रही कि लोग कहीं रास्‍ते में घेर न लें. पर कॉलेज मैं किस मुंह से जाऊंगी. कॉलेज वाले मुझसे पूछेंगे तुमने क्‍या किया तो उनको मैं क्‍या सफाई दूंगी. जब कॉलेज वाले ही भरोसा नहीं करेंगे तो मैं आखिर में सुसाइड ही करूंगी. अगर मैं सुसाइड करती हूं तो इसकी सारी जिम्‍मेदारी बजरंगदल वालों की होगी."

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