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"महाकुंभ हादसे में मां की मौत हो गई. 19 मार्च को लखनऊ से कुछ अधिकारी, लोकल थाने के एसओ और पुलिसवाले मेरे घर आए. उन्होंने बैग से 5 लाख रुपए की गड्डी निकाली और मुझे दिया. एक कागज पर साइन भी कराया. मुझे ये समझ नहीं आया कि आखिर सरकार कैश क्यों दे रही है? मुआवजा तो सीधे खाते में आता है. सरकार ने 25 लाख रुपए देने का ऐलान किया था फिर 5 लाख ही क्यों?"
ये सवाल गोरखपुर के सिकंदर निषाद के हैं. 29 जनवरी को महाकुंभ हादसे में उनकी मां नगीना देवी की मौत हो गई. अभी तक डेथ सर्टिफिकेट नहीं मिला, लेकिन मुआवजे के नाम पर 5 लाख रुपए नकदी यानी नोटों की गड्डियां दी गईं. सिकंदर निषाद के अलावा शैलेश सहानी, कृष्णा गुप्ता, सुषमा चौहान जैसे कई मृतकों के परिजनों को 5-5 लाख रुपए कैश दिए गए हैं. द क्विंट ने मुआवजा न मिलने को लेकर स्टोरी की थी. जिसके कुछ दिनों के बाद परिजनों को ये पैसे दिए गए. हालांकि पैसे देने के तरीके पर कई सवाल उठते हैं? मुआवजा है तो चेक या फिर सीधे अकाउंट में क्यों नहीं ट्रांसफर किया गया. कैश में क्यों? परिजनों को कैश के अलावा कोई डॉक्यूमेंट क्यों नहीं दिया जा रहा, जिससे उनके पास 5 लाख रुपए मिलने का कोई प्रूफ रहे? इन्हीं सवालों पर द क्विंट की ये रिपोर्ट.
"एक बंडल में 500 रुपए के नोटों की 10 गड्डियां थीं"
गोरखपुर के प्रभुनाथ गुप्ता की मौत महाकुंभ हादसे में हुई थी. उनके बेटे कृष्णा गुप्ता ने द क्विंट को बताया, 19 मार्च को एसडीएम साहब, एसओ साहब और 5-6 पुलिसवाले आए थे. उन्होंने 500 रुपए के नोटों की 10 गड्डियां दीं. एक गड्डी में 50 नोट थे. पहले तो हम लोग डर गए कि ये लोग कैश क्यों दे रहे हैं. कैश देने के साथ ही वह लोग वीडियो भी बना रहे थे.
"कैश के अलावा और कोई कागज नहीं दिया. हमारे पास कोई प्रूफ नहीं है कि ये 5 लाख रुपए कहां से मिले. पुलिसवाले और अधिकारियों के पास एक कागज था जिसपर लिखा था कि 5 लाख रुपए दिए. मुझे तो इसमें झोल लग रहा है. 25 लाख का ऐलान किया था लेकिन 5 लाख ही दिया. वह भी कैश."कृष्णा गुप्ता, मृतक प्रभुनाथ गुप्ता के बेटे
कैश देने को लेकर द क्विंट ने मेला अधिकारी रहे विजय किरण आनंद से बात की. उन्होंने कहा कि उन्हें इस बारे में कोई जानकारी नहीं है. किसने कैश दिया और किसको कैश दिया उन्हें नहीं पता.
मृतक प्रभुनाथ गुप्ता की पत्नी उषा देवी ने बताया, जो लोग आए थे वह वीडियो भी बना रहे थे. उन लोगों ने हमसे कहा, "बोलो ये 5 लाख रुपए आपातकाल के हैं. तुम्हारे पति की मौत हो गई है. मृतक प्रभुनाथ गुप्ता के शव पर चोट का कोई निशान नहीं था. गले पर कोई निशान नहीं था. चोट नहीं लगी थी."
"बताइए बिना चोट के कोई मरेगा. कंधे पर चोट लगी थी लेकिन हम नहीं बोले. जैसा उन लोगों ने कहा वैसे हम लोग कह दिए. हादसे के वक्त हमने तो पोस्टमार्टम के लिए भी कहा था. तब वहां के लोगों ने कहा कि ले जाओ, पोस्टमार्टम नहीं होगा."उषा देवी, मृतक प्रभुनाथ गुप्ता की पत्नी
"बैंक वाले पूछ रहे थे इतना कैश कहां से आया"
मृतक प्रभुनाथ गुप्ता के बेटे कृष्णा ने बताया, "जब मैं 5 लाख रुपए कैश बैंक में जमा कराने के लिए गया तो उन्होंने पूछा कि ये पैसे कहां से मिले. तब हमने बताया कि महाकुंभ में आपदा का पैसा मिला है. तब बैंक वालों ने बोला कि कैश क्यों दे रहे हो चेक होना चाहिए. फिर उन लोगों ने कुछ देर विचार किया और बोले कि ठीक है. नोटों की गड्डियों पर मोहर वगैरह लगी थी."
"कागज पर लिखा था- बीमारी के कारण मौत हो गई"
महाकुंभ हादसे में गोरखपुर के सिकंदर निषाद की मां नगीना देवी की भी मौत हुई थी. 19 मार्च को उनके घर भी कुछ अधिकारी और पुलिसवाले पहुंचे थे. कैश में 5 लाख रुपए दिए. लेकिन पैसा मिलने के बाद भी सिकंदर निषाद खुश होने की बजाय चिंता में पड़ गए. उन्होंने द क्विंट से बताया, 5 लाख रुपए मिले हैं. कुछ समझ नहीं आया कि किस कोटे से दिया गया. उन लोगों ने कहा कि मुख्यमंत्री का आदेश हुआ है. मुख्यमंत्री के द्वारा आया है.
"उन लोगों के पास एक रिपोर्ट थी, जिसमें लिखा था कि मेरी मां नहा कर वापस आ रही थीं. बीमारी के कारण उनका निधन हो गया. अधिकारियों ने कहा कि इसे पढ़ लीजिए और साइन कर दीजिए. जब मैंने पढ़ा तो दंग रह गया. मैंने पूछा कि यहां गलत क्यों लिखे हैं. अगर वो बीमार होती तो क्या जरूरत थी कुंभ भेजने की. नहाने क्यों भेजते. 25 किलोमीटर पैदल चलकर गईं थीं. अगर बीमार होती तो चल पातीं? तब उन लोगों ने उस बात को काट कर सादे कागज पर लिखा कि मेरी मां स्नान करके आ रही थीं. उसी दौरान भगदड़ हुई और दबकर मौत हो गई."
सिकंदर आगे कहते हैं, "जहां मैंने साइन किया उसकी फोटो ले रहा था तब उन लोगों ने मना कर दिया. साइन कराए और बोले कि अभी और पैसा आएगा. बता रहे थे कि लखनऊ से आए थे. लोकल पुलिस भी थी. जब वो लोग आए थे तो लिस्ट दिखा रहे थे. कह रहे थे कि इन लोगों को दे दिया है अब आप के घर आए हैं. लेकिन मुझे तो नहीं लग रहा है कि 5 लाख के अलावा और पैसा मिलेगा. पता नहीं पूरा मुआवजा मिलेगा या नहीं."
सिकंदर निषाद ने कहा, जिस दिन पैसा मिला था उस दिन उनवल चौकी प्रभारी राजीव तिवारी ने कॉल किया था. वो (राजीव तिवारी) उन अधिकारियों के साथ घर भी आए थे. द क्विंट ने राजीव तिवारी से बात की. उन्होंने कहा, हमें कैश देने की कोई जानकारी नहीं है. करीब एक हफ्ते पहले उनके घर (म़तकों के घर) गए थे. सत्यापन के लिए. उस दिन हम लोग घर के बाहर ही थे. साथ में कौन अधिकारी थे. इस सवाल पर राजीव तिवारी ने कहा कि हमें इस बात की कोई जानकारी नहीं है.
बिना डेथ सर्टिफिकेट दिए जा रहे 5-5 लाख रु कैश
सिकंदर निषाद ने बताया, डेथ सर्टिफिकेट के लिए दो-दो बार प्रयागराज गए. लेकिन अभी तक डेथ सर्टिफिकेट नहीं मिला. जो अधिकारी आए तो उनसे पूछा कि सर्टिफिकेट कब मिलेगा. तब उन्होंने कहा कि ये हम लोगों का डिपार्टमेंट नहीं है. हम लोगों को जो देने के लिए भेजा गया है वह हम लोग दे रहे हैं.
सिकंदर निषाद की तरह ही शैलेश सहानी को भी उनके पिता पन्नेलाल सहानी का डेथ सर्टिफिकेट नहीं मिला है. लेकिन कैश में 5 लाख रुपए मिले. शैलेश सहानी ने बताया, 19 मार्च को पुलिस के साथ में एसओ और अधिकारी थे. एसओ खजनी अर्चना सिंह थीं. मैं सिर्फ उन्हें ही पहचान रहा था. उन लोगों ने नाम पता पूछा फिर 5 लाख रुपए दिए और साइन करा लिया. मैंने पूछा कि 25 लाख का मुआवजा मिलना है तो 5 लाख ही क्यों? तब उन्होंने कहा कि बाद में और पैसा मिलेगा.
मुआवजे के सवाल पर द क्विंट ने खजनी (गोरखपुर) की एसओ अर्चना सिंह से बात की. उन्होंने कहा,
"मुझे इस बारे में कोई जानकारी नहीं है. भले ही मैं मौके पर गई होऊंगी लेकिन मुझे नहीं पता की अंदर क्या बात हुई. हम घर का रास्ता तक दिखाए थे. हम सब जगह नहीं गए थे. हम तो कई बार उसके घर जा चुके हैं लेकिन मुआवजे की कोई जानकारी नहीं है."
महाकुंभ में गोरखपुर के मृतकों के परिजनों को मिले कैश के सवाल को लेकर द क्विंट ने गोरखपुर के डीएम से बात करने की कोशिश की. उनके सीयूजी नंबर पर कॉल किया. लेकिन कॉल रीसीव नहीं हुई. द क्विंट ने गोरखपुर डीएम को मेल भी किया है. मेल का रिप्लाई आने पर कॉपी को अपडेट किया जाएगा.
"सास की मौत रात 2 बजे की भगदड़ में हुई, डेथ सर्टिफिकेट में झूंसी लिखा है"
आजमगढ़ की सुषमा चौहान अपनी सास कमलावती के साथ महाकुंभ में स्नान करने गई थीं. लेकिन भगदड़ में सास की मौत हो गई. उन्हें भी 5 लाख रुपए कैश मिले हैं. सुषमा ने द क्विंट को बताया,
"उन लोगों ने कैश देने के बाद एक पेपर पर साइन कराया. हम लोगों ने कहा कि एक बार फोटो खींच ले, तो उन्होंने मना कर दिया और कागज फोल्ड करके रख लिया. वो लोग न फोटो लेने दे रहे थे न वीडियो. सब लोग अपना मोबाइल रख दिए थे. कागज की भी फोटो नहीं लेने दिए."
सुषमा ने बताया कि आजमगढ़ में 3 परिवारों को कैश मिला है. लेकिन अब कैश को लेकर उनके मन में कई सवाल हैं. सुषमा चौहान को सास का डेथ सर्टिफिकेट तो मिला है, लेकिन उसमें मौत की जगह झूंसी लिखी है. सुषमा चौहान ने कहा,
"मुझे नहीं पता कि भगदड़ के वक्त हम झूंसी में थे या फिर संगम नोज पर. लेकिन भगदड़ रात में 2 बजे हुई थी. जहां हादसा हुआ वहां 16-17 शव पड़े थे."सुषमा चौहान, मृतक के परिजन
अब सवाल उठता है कि क्या सुषमा की सास की मौत संगम नोज पर हुई थी? दरअसर, सुषमा हादसे का जो समय बता रही हैं और सरकार के भी मुताबिक, रात 2 बजे के करीब संगम नोज पर भगदड़ मची थी. सरकार ने माना है कि संगम नोज पर 30 लोगों की मौत हुई थी. सुषमा का भी कहना है कि जहां उनकी सास की मौत हुई, वहां 16-17 शव पड़े थे. क्या ये महज संयोग है या फिर कुछ और? वहीं सरकार का कहना था कि संगम के अलावा अन्य जगहों पर 7 लोगों की मौत हुई थी. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, झूंसी में हादसा सुबह के वक्त हुआ था.
सरकार के मुताबिक, कुंभ में 37 लोगों की मौत हुई थी
ऐसे में सवाल उठता है कि अगर 35 लोगों को ऑनलाइन पैसा ट्रांसफर किया गया तो फिर बाकी मृतकों के परिजनों को 5 लाख रुपए कैश में क्यों? अगर ये रकम सरकार दे रही है तो किस योजना या खाते से दे रही है? पीड़ित परिवारों को रकम का कोई डॉक्यूमेंट क्यों नहीं दिया जा रहा है? 30 मृतकों के परिजनों को 25 लाख रुपए का मुआवजा मिल चुका है फिर बाकी पीड़ितों को मुआवजे की पूरी रकम एक साथ क्यों नहीं दी जा रही? ऐसे तमाम सवाल हैं जिसका जवाब मिलना अभी बाकी है.