एशिया कप में सबसे ज्यादा चर्चा का विषय न बल्लेबाजी है, न गेंदबाजी और न ही फील्डिंग. जिसकी चर्चा हो रही है वह है हैंडशेक. 14 सितंबर को भारत और पाकिस्तान की भिड़ंत के बाद से ही हैंडशेक बहस, मतभेद और चर्चाओं का मुख्य कारण बना हुआ है. बहिष्कार की जबरदस्त और जोशीली मांगों के बीच भारत मैदान में उतरा. रन बनाए, विकेट चटकाए और अंत में मैच भी जीत लिया. लेकिन जो उन्होंने नहीं किया, वह था पाकिस्तानी खिलाड़ियों से हाथ मिलाना — न तो टॉस के वक्त और न ही मैच खत्म होने के बाद.
हैंडशेक को लेकर कई सवाल उठने लगे. जैसे- भारतीय टीम ने हाथ क्यों नहीं मिलाया? अब क्या होगा? क्या भारत को इसके नतीजे भुगतने पड़ेंगे? आइए, इन सबको एक-एक करके समझते हैं.
भारत ने पाकिस्तान से हाथ क्यों नहीं मिलाया?
यह मामला पाकिस्तान की कथित भूमिका से जुड़ा है — जैसा कि भारत का दावा है — 22 अप्रैल को पहलगाम हमले में 26 निर्दोष लोगों की जान गई थी. इसके जवाब में भारत ने ऑपरेशन सिंदूर चलाया, जिसके जवाब में पाकिस्तान ने भी कदम उठाए और दोनों पड़ोसियों के बीच दुश्मनी और गहरी हो गई.
हालात को और भड़काने का काम कई पूर्व पाकिस्तानी क्रिकेटरों ने किया, जिनमें शाहिद अफरीदी भी शामिल थे. उन्होंने हमले के बाद भड़काऊ बयान दिए. इसके अलावा, मौजूदा टीम के सदस्य फहीम अशरफ ने इंस्टाग्राम पर एक आपत्तिजनक तस्वीर शेयर की, जिससे विवाद और गहरा गया. फहीम 14 सितंबर के मैच में भी खेले थे.
टूर्नामेंट से पहले हुई कप्तानों की प्रेस कॉन्फ्रेंस में पाकिस्तान के कैप्टन सलमान अली आगा से हाथ मिलाने को लेकर सूर्यकुमार यादव की पहले ही आलोचना हुई थी. हालांकि, उन्होंने सिर्फ आगा की पहल पर प्रतिक्रिया दी थी. इसलिए इस मैच को उन्होंने सिर्फ एक पेशेवर जिम्मेदारी की तरह लिया. उसी सोच के तहत उन्होंने औपचारिकताओं (जैसे हाथ मिलाना) को दरकिनार करने का फैसला किया, और पूरी टीम ने भी यही किया.
जब उनसे पूछा गया कि क्या उन्होंने खेल भावना (Spirit of the Game) का उल्लंघन किया है, तो उन्होंने कहा:
“हमने यहां आने से पहले ही तय कर लिया था कि हम सिर्फ खेलने आए हैं. हमने सही जवाब दिया. कुछ बातें खेल भावना से भी ऊपर होती हैं. हम पहलगाम आतंकी हमले के सभी पीड़ितों के साथ खड़े हैं और इस जीत को उन सशस्त्र बलों को समर्पित करते हैं जिन्होंने ऑपरेशन सिंदूर में हिस्सा लिया.”सूर्यकुमार यादव
क्या भारत का यह कदम खेल भावना के खिलाफ था?
इसका कोई पक्का जवाब नहीं है. क्यों? क्योंकि ‘स्पिरिट ऑफ क्रिकेट’ की कोई एकदम साफ-सुथरी या सर्वमान्य परिभाषा मौजूद नहीं है.
आईसीसी के Playing Conditions में इस पर एक प्रस्तावना (preamble) जरूर दी गई है, जिसमें खास तौर पर सम्मान (Respect) को इसका बुनियाद बताया गया है.
क्रिकेट की लोकप्रियता और आनंद का बड़ा कारण यह है कि इसे केवल नियमों (जो इन खेल परिस्थितियों में शामिल हैं) के अनुसार ही नहीं, बल्कि क्रिकेट की भावना के अनुरूप भी खेला जाना चाहिए. निष्पक्ष खेल सुनिश्चित करने की सबसे बड़ी जिम्मेदारी कप्तानों पर होती है, लेकिन यह दायरा सभी खिलाड़ियों, मैच अधिकारियों और खासकर जूनियर क्रिकेट में शिक्षकों, कोचों और अभिभावकों पर भी लागू होता है. सम्मान क्रिकेट की आत्मा का मूल है.अपने कप्तान, टीम के साथियों, विरोधियों और अंपायरों के अधिकार का सम्मान करें. पूरी लगन और निष्पक्षता से खेलें. अंपायर के फैसले को स्वीकार करें. अपने आचरण से सकारात्मक माहौल बनाएं और दूसरों को भी ऐसा करने के लिए प्रोत्साहित करें. आत्म-अनुशासन बनाए रखें, तब भी जब परिस्थितियां आपके खिलाफ हों. विपक्षी टीम को उनकी सफलताओं पर बधाई दें और अपनी टीम की सफलताओं का आनंद लें. मैच के अंत में, परिणाम चाहे जो भी हो, अधिकारियों और अपने विपक्षी टीम का धन्यवाद करें. क्रिकेट एक रोमांचक खेल है जो नेतृत्व, मित्रता और टीम वर्क को प्रोत्साहित करता है, जो विभिन्न राष्ट्रीयताओं, संस्कृतियों और धर्मों के लोगों को एक साथ लाता है, खासकर जब इसे क्रिकेट की भावना के साथ खेला जाए.ICC's Playing Conditions
इसके अलावा, T20I खेल शर्तों के अनुच्छेद 1.4 में स्पष्ट रूप से कहा गया है:
कप्तान हमेशा यह सुनिश्चित करने के लिए जिम्मेदार होते हैं कि खेल न केवल क्रिकेट की भावना के तहत हो, बल्कि इन Playing Conditions के अनुसार भी चले.
फिर भी, हाथ न मिलाने पर भारत पर प्रतिबंध लगने या फटकार लगने की संभावना लगभग न के बराबर है.
ICC की नियमावली में सौहार्दपूर्ण व्यवहार के महत्व पर जोर दिया गया है, लेकिन इसमें कहीं भी मैच से पहले या बाद में हाथ मिलाने की अनिवार्यता का जिक्र नहीं है. हाथ मिलाना परंपरा हो सकती है, लेकिन परंपरा कोई कानून नहीं है. यह सौहार्द का प्रतीक हो सकता है, लेकिन सौहार्द एक अनिवार्यता नहीं बन सकता.
तो फिर किस आधार पर किसी टीम को दंडित किया जा सकता है?
आईसीसी के Code of Conduct के अनुच्छेद 2 में कई आधार बताए गए हैं जिन पर किसी टीम को दंडित किया जा सकता है. ये हैं:
2.1: अत्यधिक अपील करना
2.2: अंतर्राष्ट्रीय मैच के दौरान क्रिकेट उपकरण या कपड़ों, मैदानी उपकरणों या फिक्सचर और फिटिंग का दुरुपयोग करना
2.3: अंतर्राष्ट्रीय मैच में शोरगुल के साथ गाली देना
2.4: अंतर्राष्ट्रीय मैच के दौरान अंपायर के निर्देशों का पालन न करना
2.5: ऐसी भाषा, क्रियाएं या इशारे इस्तेमाल करना जो बल्लेबाज को उसके आउट होने पर अपमानित करे या आक्रामक प्रतिक्रिया भड़का सकती हो.
2.6: अंतर्राष्ट्रीय मैच में कोई अश्लील, अपमानजनक या अनादरपूर्ण इशारा करना.
2.7: किसी अंतर्राष्ट्रीय मैच में हुई किसी घटना, खिलाड़ी, सपोर्ट स्टाफ, मैच अधिकारी या टीम पर सार्वजनिक आलोचना या अनुचित टिप्पणी करना, चाहे यह टिप्पणी किसी भी समय की गई हो.
2.8: अंतर्राष्ट्रीय मैच में अंपायर के फैसले पर असहमति दिखाना.
2.9: अंतर्राष्ट्रीय मैच के दौरान खिलाड़ी, सपोर्ट स्टाफ, अंपायर, मैच रेफरी या किसी तीसरे व्यक्ति पर या उनके पास क्रिकेट उपकरण (जैसे गेंद, पानी की बोतल आदि) फेंकना, जो अनुचित और/या खतरनाक हो.
2.10: अनुचित खेल
2.11: किसी अंतर्राष्ट्रीय मैच को अनुचित रणनीतिक या टैक्टिकल कारणों से प्रभावित करने का प्रयास
2.12: अंतर्राष्ट्रीय मैच के दौरान किसी खिलाड़ी, सपोर्ट स्टाफ, अंपायर, मैच रेफरी या किसी अन्य व्यक्ति (दर्शक सहित) के साथ अनुचित शारीरिक संपर्क
2.13: अंतर्राष्ट्रीय मैच में किसी खिलाड़ी, सपोर्ट स्टाफ, अंपायर या मैच रेफरी का व्यक्तिगत अपमान
2.14: ICC Standard Test, ODI और T20I Playing Conditions की धारा 41.3 का उल्लंघन करते हुए गेंद की स्थिति बदलना
2.15: अंतर्राष्ट्रीय मैच के दौरान अनुचित लाभ प्राप्त करने का प्रयास
2.16: अंपायर या मैच रेफरी को भाषा या व्यवहार (इशारों सहित) द्वारा डराना
2.17: किसी अन्य खिलाड़ी, सपोर्ट स्टाफ, अंपायर, मैच रेफरी या किसी अन्य व्यक्ति (दर्शक सहित) पर हमला करने की धमकी
2.18: किसी अन्य खिलाड़ी, सपोर्ट स्टाफ, अंपायर, मैच रेफरी या किसी अन्य व्यक्ति (दर्शक सहित) पर शारीरिक हमला
2.19: अंतर्राष्ट्रीय मैच के दौरान मैदान पर किसी भी प्रकार का हिंसक व्यवहार
2.20: खेल की भावना के खिलाफ व्यवहार
2.21: खेल की प्रतिष्ठा को धूमिल करने वाला व्यवहार
हालांकि अनुच्छेद 2.20 खेल भावना के विपरीत आचरण के प्रति आगाह करता है, लेकिन यह हाथ मिलाने को अनिवार्य नहीं बनाता. अनुच्छेद 2.21 खेल को बदनाम करने से संबंधित है, लेकिन एक बार फिर, हाथ मिलाने से इनकार करना अपराध की श्रेणी में नहीं आता. आईसीसी की भाषा में, कदाचार का अर्थ सार्वजनिक रूप से दुर्व्यवहार, अभद्र व्यवहार और अनुचित टिप्पणियां हैं.
क्या ICC के Unfair Play नियमों के तहत भारत को दंडित किया जा सकता है? बिल्कुल नहीं, क्योंकि इस नियम में केवल गेंद से छेड़छाड़, जानबूझकर स्ट्राइकर का ध्यान भटकाना, जानबूझकर बल्लेबाज के काम में बाधा डालना, जानबूझकर खतरनाक और अनुचित शॉर्ट गेंदें फेंकना, जानबूझकर खतरनाक और अनुचित नॉन-पिचिंग गेंदें फेंकना, जानबूझकर फ्रंट-फुट नो बॉल फेंकना, फील्डिंग के दौरान समय बर्बाद करना, बल्लेबाज द्वारा समय बर्बाद करना, बल्लेबाज द्वारा पिच को नुकसान पहुंचाना, फील्डर द्वारा पिच को नुकसान पहुंचाना शामिल है.
एक और सेक्शन है जिसे खिलाड़ियों का आचरण (Players’ Conduct) कहा जाता है. इस मामले में भारत ने भी कोई नियम का उल्लंघन नहीं किया, क्योंकि दुराचार (misconduct) का मतलब होता है— किसी खिलाड़ी पर शारीरिक हमला करना, किसी भी प्रकार का हिंसक व्यवहार करना, किसी खिलाड़ी को मौखिक रूप से गाली देना, या अंपायर को हमला करने की धमकी देना.
भारतीय टीम अगर अपने व्यवहार या फिर शब्दों से हिंसक होती तो उसे को दंड का सामना करना पड़ सकता था. अगर टीम ने किसी भी तरह से दूसरी टीम को डराया होता, तो उन पर जुर्माना लगाया जा सकता था.
लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया. सूर्यकुमार यादव और उनके साथियों ने पेशेवर तरीके से काम किया, और चाहे हाथ मिलाने से इनकार करना गैर-पेशेवर हो या नहीं, इसके लिए उन्हें कोई फटकार नहीं लगेगी.
पाकिस्तान क्यों नाराज हुआ?
इसके कुछ कारण हैं.
सबसे पहले, पाकिस्तान को मैच रेफरी एंडी पाइक्रॉफ्ट के माध्यम से यह जानकारी दी गई कि भारत टॉस के दौरान हाथ नहीं मिलाएगा और टीम शीट का आदान-प्रदान नहीं करेगा. इसे पाइक्रॉफ्ट की ओर से अस्वीकार्य कृत्य मानते हुए, उन्होंने औपचारिक विरोध दर्ज किया और अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (ICC) से इस जिम्बाब्वेयन को एशिया कप से हटाने का अनुरोध किया.
मैनेजर नवीद अकरम चीमा ने मैच रेफरी के व्यवहार पर औपचारिक विरोध दर्ज कराया है. मैच रेफरी ने कप्तानों से टॉस के दौरान हाथ न मिलाने का अनुरोध किया था.पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड
हालांकि, क्रिकबज की एक रिपोर्ट के अनुसार, आईसीसी ने पाकिस्तान की याचिका पहले ही खारिज कर दी है, क्योंकि पाइक्रॉफ्ट ने केवल वही बताया जो उन्हें बताया गया था, और भारत के फैसले में उनकी कोई भूमिका नहीं थी.
इसके अलावा, यह भी बताया गया है कि पाकिस्तान को भारत के इस फैसले की जानकारी थी कि वह केवल टॉस के दौरान ही हाथ नहीं मिलाएगा. उन्होंने मैच के बाद औपचारिकताएं निभाने की कोशिश की, लेकिन जीत सुनिश्चित होते ही भारत का ड्रेसिंग रूम बंद कर दिया गया.
हम हाथ मिलाना चाहते थे, लेकिन निराश थे कि विपक्षी टीम ने ऐसा नहीं किया. हम हाथ मिलाने वहां गए, और वे पहले ही चेंजिंग रूम में जा चुके थे.माइक हेसन, पाकिस्तान के कोच
क्या क्रिकेट में हाथ मिलाने को लेकर पहले कभी विवाद हुआ है?
यह विवाद नया नहीं है. 2023 में स्कॉटलैंड ने ICC मेन्स क्रिकेट वर्ल्ड कप लीग 2 के दौरान नेपाल के स्पिनर संदीप लामिछाने के साथ हाथ नहीं मिलाया था. उस समय, लामिछाने पर बलात्कार का आरोप था और वह जमानत पर बाहर थे. स्कॉटलैंड ने अपने रुख को जायज ठहराते हुए एक बयान जारी किया, जिसमें कहा कि वे किसी भी प्रकार के हमले और हिंसा के खिलाफ हैं.
भारत में भी इसी तरह का विवाद हुआ था, हालांकि घरेलू क्रिकेट में. 2013 में रेलवे और बंगाल के बीच रणजी ट्रॉफी मैच में, रेलवे के स्पिनर मुरली कार्तिक ने बंगाल के संदीपन दास को नॉन-स्ट्राइकर एंड पर रनआउट कर दिया था. इससे नाराज होकर—खासकर, कई लोगों का मानना है कि नॉन-स्ट्राइकर एंड पर रनआउट होना भी खेल भावना के खिलाफ है—बंगाल के खिलाड़ियों ने मैच के बाद रेलवे टीम से हाथ मिलाने से इनकार कर दिया.
हाल ही में, इंग्लैंड के खिलाफ मैनचेस्टर टेस्ट के दौरान भारत एक बार फिर हाथ मिलाने से इनकार करने के विवाद में शामिल रहा. हालांकि, यह पूरी तरह से क्रिकेट की तकनीकी बातों से जुड़ा था, इसलिए इसे इस लेख में उल्लेखित नहीं किया गया है.
क्या इस विवाद को नहीं टाला जा सकता था?
हां, इस विवाद को पूरी तरह टाला जा सकता था, बीसीसीआई एशिया कप से हटकर इस हंगामे से पूरी तरह बच सकता था—जैसा कि भारत ने 1986 में किया था जब श्रीलंका के साथ राजनीतिक तनाव चरम पर था. लेकिन इस बार, सरकार ने बहुराष्ट्रीय टूर्नामेंटों में "अंतर्राष्ट्रीय खेल संस्थाओं की कार्यप्रणाली और हमारे अपने खिलाड़ियों की रुचि" का हवाला देते हुए भागीदारी पर जोर दिया.
भारत 2030 में राष्ट्रमंडल खेलों और उसके बाद 2036 में ओलंपिक खेलों की मेजबानी करने की योजना बना रहा है. मेजबानी के अधिकार को जोखिम में डालकर राजनीतिक उलझन में पड़ना एक ऐसा जुआ है. ओलंपिक चार्टर स्पष्ट है: मेजबान राष्ट्रीयता, राजनीति, नस्ल, धर्म या लिंग के आधार पर एथलीटों के साथ भेदभाव नहीं कर सकते, और उन्हें यह सुनिश्चित करना होगा कि हर देश बिना किसी बाधा के भाग ले सकें.
क्या किसी देश को उसके राजनीतिक रुख के कारण ओलंपिक से प्रतिबंधित किया गया है?
हां, इसकी भी एक मिसाल है.
1962 के एशियाई खेलों में, इंडोनेशिया ने इजराइली और ताइवानी प्रतिनिधिमंडलों को वीजा देने से इनकार कर दिया था. ऐसा चीन जनवादी गणराज्य और मध्य पूर्व के मुस्लिम बहुल देशों के साथ एकजुटता दिखाने के लिए किया गया था.
हालांकि, यह नियमों का पूर्ण उल्लंघन था और परिणामस्वरूप, अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक समिति (IOC) ने इंडोनेशिया को 1964 के ओलंपिक में भाग लेने से निलंबित कर दिया.
अब आगे क्या होगा?
सवाल यह है कि क्या यह सिलसिला जारी रहेगा? भारत और पाकिस्तान के इस एशिया कप में और बाद में कोलंबो में होने वाले आईसीसी महिला विश्व कप में फिर से आमने-सामने होने की पूरी संभावना है. क्रिकेट के अलावा, भारत के भाला फेंक स्टार नीरज चोपड़ा टोक्यो में 2025 विश्व एथलेटिक्स चैंपियनशिप में पाकिस्तान के अरशद नदीम से भिड़ेंगे. क्या इन मंचों पर भी हाथ नहीं मिलाया जाएगा?
इसके अलावा, अगर भारत एशिया कप जीतता है, तो उसे यह खिताब एसीसी अध्यक्ष मोहसिन नकवी द्वारा प्रदान किया जाएगा, जो पाकिस्तान के राजनेता और पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड के अध्यक्ष भी हैं.
नकवी पहले ही भारत के रुख पर अपनी असहमति जाहिर कर चुके हैं. उन्होंने कहा, आज खेल भावना की कमी देखकर बेहद निराशा हुई. खेल में राजनीति को घसीटना खेल भावना के खिलाफ है. उम्मीद है कि आगे की जीत का जश्न सभी टीमें शालीनता से मनाएंगी.