उत्तर प्रदेश के पर्यटक रोहित कुमार सिंह 22 अप्रैल, मंगलवार को दक्षिण कश्मीर के पहलगाम में हुए घातक हमले की जगह से सिर्फ 20 फीट की दूरी पर थे.
उन्होंने क्विंट को बताया, "हमने पीछे मुड़कर भी नहीं देखा कि क्या हो रहा है. हम बस गेट की ओर भागे जो सिर्फ चार फीट चौड़ा था- और वहां से निकलने के लिए लोग एक-दूसरे को धक्का दे रहे थे."
दक्षिणी कश्मीर के प्रसिद्ध पहलगाम रिसॉर्ट में हिमालयी चीड़ (Pine Tree) के पेड़ों से घिरे खूबसूरत बैसरन घाटी में लगभग दो दर्जन पर्यटकों की हत्या ने इस क्षेत्र में मानव जीवन की अनिश्चितता की भयावह याद दिला दी है.
सुरक्षा अधिकारियों के मुताबिक, बैसरन के खुले मैदान में सैकड़ों पर्यटक मौजूद थे. घास के मैदान तक जाने वाला रास्ता कठिन है, इसलिए पर्यटक आमतौर पर घुड़सवारी कर यहां तक पहुंचते हैं.
तभी आतंकवादी जंगल के रास्ते से आए और पर्यटकों पर लगातार गोलियां चलाने लगे, जिससे कम से कम 26 पर्यटकों की मौत हो गई.
'एक के बाद एक खून से लथपथ लाशें आ रही थी'
घटनास्थल पर मौजूद निजी सुरक्षाकर्मी वसीम खान ने द क्विंट को बताया कि गोलीबारी के समय घटनास्थल पर करीब 2,000 पर्यटक थे. गोलियां 10 मिनट तक चलती रही.
"शुरू में हमें लगा कि किसी ने पटाखे फोड़े हैं या शायद लोगों के बीच झगड़ा हुआ है. लेकिन बाद में हमने धुआं उठते देखा और अफरा-तफरी मच गई. हम दौड़कर वहां पहुंचे और देखा कि लाशें पड़ी हुई थी और कई लोग घायल थे.वसीम खान
मृतक 11 राज्यों- महाराष्ट्र, गुजरात, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, केरल, बिहार, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, उत्तराखंड, पश्चिम बंगाल और मध्य प्रदेश से हैं.
मृतकों में एक नेपाली नागरिक भी शामिल हैं, जो बटवाली रोपंडी के रहने वाले थे. पहले एक यूएई नागरिक की मौत की भी खबर आई थी. हालांकि, वरिष्ठ सुरक्षा अधिकारियों ने द क्विंट को बताया कि वह जीवित हैं.
मृतकों में हैदराबाद में पोस्टेड इंटेलिजेंस ब्यूरो (आईबी) अधिकारी मनीष रंजन भी शामिल हैं, जो एलटीसी (Leave Travel Concession) पर कश्मीर घुमने आए थे. उनके अलावा हरियाणा के भारतीय नौसेना अधिकारी लेफ्टिनेंट विनय नरवाल और अरुणाचल प्रदेश के भारतीय वायु सेना कर्मचारी तागेहलिंग का भी इस लिस्ट में नाम है.
हमले के बाद पीड़ितों को अनंतनाग सरकारी मेडिकल कॉलेज और संबद्ध अस्पताल लाया गया. अधिकारियों ने बताया कि अस्पताल में मंगलवार शाम को अफरा-तफरी का माहौल था.
"सब कुछ अस्त-व्यस्त था. एक के बाद एक खून से लथपथ शव आ रहे थे. किसी के पेट में गोली लगी थी, तो किसी के कंधे में. कम से कम एक मरीज को हर्ट अटैक भी आया था. बाद में उसका ऑपरेशन किया गया. लेकिन उसकी हालत बहुत गंभीर है."वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारी
अनंतनाग अस्पताल के बाहर कई स्थानीय कश्मीरी लोग मौजूद थे, जिन्होंने घायलों को अस्पताल पहुंचाने में मदद की. स्थानीय लोगों का एक समूह पीड़ितों के लिए रक्तदान करने के लिए भी अस्पताल के बाहर खड़ा था.
निजी सुरक्षाकर्मी खान ने खुद कम से कम एक पर्यटक को अनंतनाग अस्पातल पहुंचाया. उन्होंने कहा, "वे लोग इस घटना से बहुत डरे हुए थे और चिल्ला रहे थे. अस्पताल घटनास्थल से 5 किलोमीटर दूर है. बाद में एक हेलिकॉप्टर से उन सभी को आगे के इलाज के लिए श्रीनगर ले जाया गया."
पहलगाम के स्थानीय किसान बशीर अहमद ने कहा कि कश्मीर में लोग इन हत्याओं से "काफी दुखी" हैं.
"हम इस हत्याकांड की कड़े शब्दों में निंदा करते हैं. हम चाहते हैं कि इसकी जांच न केवल राष्ट्रीय अधिकारी करें, बल्कि अंतरराष्ट्रीय एजेंसियां भी इसकी तहकीकात करें. पिछले पांच सालों में कश्मीर में ऐसी कोई घटना नहीं हुई है. हम इस बात से परेशान हैं कि यह सब अचानक कैसे हो गया. हमें नहीं पता कि इसके पीछे कौन है."बशीर अहमद, स्थानीय किसान
टारगेट किलिंग और सांप्रदायिक तनाव
सुरक्षा अधिकारियों ने बताया कि हमलावरों ने पहले लोगों का धर्म पूछा, फिर गोलियां चलाई. मरने वालों में सभी पुरुष हैं. घटनास्थल के एक वीडियो से इसकी पुष्टि होती है, जिसमें एक मृतक की पत्नी मदद के लिए गुहार लगा रही है. वीडियो में महिला कहती हैं कि आतंकवादियों ने पहले यह सुनिश्चित किया कि उनके पति "गैर-मुस्लिम" हैं.
वीडियो में महिला कहती हैं, “मैं भेलपुरी खा रही थी. मेरे पति साइड में थे. एक इंसान आया और उसने उनको गोली मार दी. उसने बोला की शायद मुस्लिम नहीं है और उसने उनको गोली मार दी.”
इसी क्लिप में गुलाबी रंग का कुर्ता और नीली जींस पहने एक और महिला स्थानीय घोड़ेवालों से अपने पति की जान बचाने की गुहार लगाती दिख रही हैं. उनके बगल में पक्के रास्ते पर एक आदमी मृत पड़ा है, उसके कपड़े उतरे हुए हैं- यह दर्शाता है कि आतंकवादियों ने धार्मिक पहचान की पुष्टि करने के लिए उस आदमी को कपड़े उतारने के लिए मजबूर किया होगा.
कश्मीर में सुरक्षा एजेंसियों के बीच यह धारणा हमेशा से रही है कि आतंकवादी पर्यटकों पर हमला नहीं करते हैं. लेकिन अब यह धारणा टूट गई है. हाल के सालों में कुछ छोटे हमले हुए हैं, लेकिन 22 अप्रैल को हुए हमले जितना गंभीर कोई नहीं था.
पहलगाम में पिछले साल मई के महीने में आतंकवादियों ने जयपुर से आये एक मुस्लिम जोड़े- तबरेज असलम खान और उनकी पत्नी फराह पर फायरिंग की थी.
22 अप्रैल की घटना एक परिवर्तनकारी घटना साबित हो सकती है. इसे अक्टूबर 2001 में जम्मू-कश्मीर विधानसभा के बाहर हुए बम विस्फोट के बाद कश्मीर में सबसे घातक हमला माना जा रहा है. 2001 की घटना में 38 लोग मारे गए थे. लेकिन 2000 के दशक की शुरुआत में ऐसे हमले जैश-ए-मुहम्मद द्वारा प्रायोजित फिदायीन मॉड्यूल के नेतृत्व में पुनरुत्थान का हिस्सा थे.
इसके विपरीत, 22 अप्रैल की हत्याएं पर्यटन सीजन और काफी हद तक शांतिपूर्ण राजनीतिक माहौल के दौरान हुई है. जम्मू-कश्मीर में मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला की सरकार का यह छठा महीना है.
सुरक्षा-व्यवस्था बढ़ाई गई
बुधवार, 23 अप्रैल को पूरी कश्मीर घाटी में पूरी तरह से बंद का माहौल रहा. श्रीनगर में पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) जैसी राजनीतिक पार्टियों ने लाल चौक पर विरोध मार्च निकाला. कश्मीर घाटी में इस तरह के दृश्य पहले कभी नहीं देखे गए थे. इससे पहले, केवल आतंकवादी नेताओं या सुरक्षा बलों द्वारा निशाना बनाए गए आम नागरिकों की हत्या पर ही इतनी व्यापक प्रतिक्रिया देखने को मिलती थी.
पीडीपी के युवा विधायक वहीदुर्रहमान पारा ने द क्विंट को बताया कि यह हमला कश्मीरियों के खिलाफ एक युद्ध जैसा कदम है.
"यह पर्यटकों से ज्यादा हमारे लिए दुखदायी है. यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि ऐसे समय में जब कश्मीर में हालात सामान्य हो रहे थे, इस तरह का हमला हुआ और अब इससे सारी उपलब्धियां खत्म होने का खतरा है. इससे अब इस जगह की राजनीतिक गतिशीलता में काफी बदलाव आएगा."वहीद-उर-रहमान पारा, पीडीपी विधायक
23 अप्रैल को यूटी प्रशासन ने पूरे इलाके में सुरक्षा बढ़ा दी. रिपोर्टर को पुलिस ने अनंतनाग के संगम इलाके में रोक दिया और बैसरन की ओर जाने नहीं दिया, जहां नरसंहार हुआ है. अधिकारियों ने कहा कि उन्हें मीडिया की आवाजाही रोकने के सख्त निर्देश दिए गए हैं.
रातों-रात पर्यटन ध्वस्त
दक्षिण कश्मीर के एक अन्य अशांत क्षेत्र अवंतीपोरा में जम्मू-कश्मीर पुलिस के विशेष अभियान समूह (एसओजी) की मदद से पर्यटकों को निकाला जा रहा है.
चेरसू इलाके में द क्विंट ने गुजरात से आए एक पर्यटक परिवार को देखा, जो आधा दर्जन एसओजी कर्मियों से घिरे थे और कड़ी सुरक्षा के बीच एक मिनीवैन से श्रीनगर एयरपोर्ट जा रहे थे.
मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा कि वह कश्मीर से पर्यटकों के अचानक वापस चले जाने से बहुत दुखी हैं.
मैंने प्रशासन को निर्देश दिया है कि वह श्रीनगर और जम्मू के बीच यातायात को सुगम बनाए और पर्यटकों के वाहनों को जाने की अनुमति दें. यह नियंत्रित और संगठित तरीके से करना होगा क्योंकि सड़क अभी भी कई जगहों पर खराब है और हम सभी फंसे हुए वाहनों को निकालने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं. हम इस समय वाहनों की पूरी तरह से मुक्त आवाजाही की अनुमति नहीं दे पाएंगे और हमें उम्मीद है कि हर कोई हमारा सहयोग करेगा.मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला
फ्लाइट बुकिंग में तेजी के बीच, एयरलाइंस ने टिकट की कीमतों में नाटकीय रूप से बढ़ोतरी की है. बुधवार दोपहर तक, श्रीनगर-दिल्ली फ्लाइट का औसत किराया 38,000 रुपये तक पहुंच गया था. इस बीच नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने मुंबई, दिल्ली और श्रीनगर के बीच अतिरिक्त फ्लाइट्स शेड्यूल की है.
कुछ स्थानीय होटल व्यवसायियों और टूर ऑपरेटरों ने कहा कि उन्होंने पर्यटकों को मुफ्त में रुकने की पेशकश की है, ताकि वे कश्मीर घाटी से निकलने की व्यवस्था होने तक वहां रुक सकें.
श्रीनगर में डल झील के पास मशहूर बुलेवार्ड रोड पर स्थित होटल न्यू पार्क के मालिक अब्दुल वाहिद मलिक ने कहा, "मैंने फंसे हुए पर्यटकों के लिए चार कमरों का इंतजाम किया है. कल ऐशमुकाम इलाके में एक परिवार फंसा हुआ था और हमने उन्हें यहां रहने के लिए कहा."
हिंसा के बाद के हालात से जूझ रहे कश्मीर के सामने सबसे बड़ा सवाल यह नहीं है कि नरसंहार की साजिश किसने रची, बल्कि यह है कि शांति की चाहत रखने वाले इस क्षेत्र का भविष्य क्या होगा?
(शाकिर मीर एक स्वतंत्र पत्रकार हैं, जिनका काम जम्मू-कश्मीर में संघर्ष, राजनीति, इतिहास और स्मृति के बीच के संबंध पर केंद्रित है. उनका एक्स आईडी @shakirmir है. फैजान मीर एक स्वतंत्र मल्टीमीडिया पत्रकार हैं. उनका एक्स आईडी @faizanmirtweetsहैं.)