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असम यूनिवर्सिटी और हरिदेव जोशी विश्वविद्यालय में होली मिलन लेकिन इफ्तार पर रोक

होली को इजाजत, इफ्तार पर रोक—क्या विश्वविद्यालयों में धार्मिक भेदभाव बढ़ रहा है?

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"14 मार्च को होली थी, उससे पहले 10 मार्च को यूनिवर्सिटी में होली मिलन समारोह था. तब सबने मिलकर यूनिवर्सिटी में होली खेली. डीजे पर गाने भी बजे, एक दूसरे को रंग लगाए गए. लेकिन जैसे ही हम लोगों ने इफ्तार पार्टी के लिए इजाजत मांगी, तो हमें मना कर दिया गया. कहा गया कि खासा कोठी परिसर जहां यूनिवर्सिटी कैंपस है अभी उसमें अकादमिक कार्यक्रम के अलावा किसी भी तरह के आयोजन की इजाजत नहीं है."

ये कहना है जयपुर स्थित हरिदेव जोशी पत्रकारिता और जनसंचार विश्‍वविद्यालय के एमए के फाइल ईयर के एक छात्र का.

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ठीक इसी तरह इफ्तार पार्टी के लिए इजाजत नहीं देने का एक और मामला असम यूनिवर्सिटी के सिल्चर कैंपस से भी आया है. छात्रों ने 22 मार्च को इफ्तार का कार्यक्रम रखा था, जिसके लिए 10 मार्च को रजिस्ट्रार को आवेदन दिया, लेकिन रजिस्ट्रार ने इजाजत देने से इनकार कर दिया.

विश्वविद्यालय का कहना है कि परिसर में किसी भी तरह के धार्मिक कार्यक्रमों की इजाजत नहीं दी जाती, ताकि संस्थान की धर्मनिरपेक्ष छवि बरकरार रखी जा सके. हालांकि कैंपस इसी महीने छात्रों ने होली खेली. खास बात ये है कि 13 मार्च को आरएसएस से जुड़े छात्र संगठन एबीवीपी के प्री होली सेलिब्रेशन 'फगवाह 3.0' में वीसी खुद स्टेज पर रंग लगाए शामिल होते हैं.

हरिदेव जोशी यूनिवर्सिटी में क्यों नहीं हुआ इफ्तार?

जब हमने हरिदेव जोशी यूनिवर्सिटी में इफ्तार पार्टी के आयोजनकर्ताओं से बात करने की कोशिश की तो उन्होंने कहा कि हमें डर है कि मीडिया से बात करने पर हमें निशाना बनाया जा सकता है, या कोई एक्शन हो सकता है. हालांकि कुछ छात्रों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि उन्होंने 17 मार्च को डिप्टी कॉर्डिनेटर को एक आवेदन दिया था. एमए (इलेक्ट्रॉनिक मीडिया) के एक छात्र ने कहा, "हमें लगा कि किसी को कोई आपत्ति नहीं होगी, यही सोचकर हम लोगों ने इफ्तार की तैयारी शुरू कर दी. लेकिन इफ्तार पार्टी से एक दिन पहले 20 मार्च को एक आदेश निकला कि कैंपस में अकादमिक कार्यक्रम छोड़कर कुछ और कार्यक्रम नहीं हो सकता है."

छात्रो ने आवेदन में लिखा था, "हमारे यहां परिसर में त्यौहारों पर सभी धर्मों/ समुदायों के छात्र आपस में मिलकर खुशियां बांटते हैं, उसी क्रम में दिनांक 21 मार्च 2025 को शाम 5 बजे एक छोटा सा आयोजन इफ्तार पार्टी के रूप में करवा सकेंगे . आप हमें आशिर्वाद स्वरूप अनुमति देने की कृपा करें."

अब इसके जवाब में यूनिवर्सिटी ने खासा कोठी होटल की आपत्ति का हवाला देते हुए इफ्तार के लिए इजाजत देने से इनकार कर दिया. जब हमने यूनिवर्सिटी प्रशासन से संपर्क किया तो हमारी बात कोऑर्डिनेटर रत्न सिंह शेखावत से हुई. रतन सिंह ने कहा, "जहां यूनिवर्सिटी का कैंपस है वो टेंपोरेरी कैंपस है, यहां एक खासा कोठी होटल है, जिसें 20-25 रूम किराए पर लिए गए हैं. इसमें जब बच्चों ने इफ्तार के मैसेज शेयर किए तो ये मैसेज वहां पहुंचा होगा, तो होटल खासा कोठी वालों ने हमें लेटर लिखकर मना कर दिया कि आप एकैडमिक इवेंट के अलावा कोई भी ईवेंट की इजाजत नहीं देंगे यहां पर. इसलिए हमें बच्चों को मना करना पड़ा."

दरअसल, हरिदेव जोशी यूनिवर्सिटी के पास अपना कोई कैंपस नहीं है, ऐसे में यूनिवर्सिटी अभी एक सरकारी होटल खासा कोठी में संचालित है. खासा कोठी होटल, राजस्थान सरकार के पर्यटन विभाग के अंदर आता है.

जब हमने कॉर्डिनेटर से यूनिवर्सिटी में सांस्कृतिक कार्यक्रम कराने को लेकर सवाल पूछा तो उन्होंने कहा कि क्लास के समय के अलावा कोई भी कार्यक्रम कराने से मना कर दिया गया है.

रतन सिंह कहते हैं,

एक बार एक कार्यक्रम के दौरान बच्चों में झगड़ा हो गया था. जिसके बाद होटल प्रशासन ने मना कर दिया कि हम रिस्क नहीं ले सकते हैं, हमारे गेस्ट आते हैं. तो आगे से कोई भी आयोजन शाम 4 बजे के बाद यानि क्लास के समय के बाद नहीं रखेंगे. उस समय भी लेटर लिखा था. उसके बाद कल फिर होटल ने लेटर लिखा कि हमारे संज्ञान में आया है कि ऐसा कोई कार्यक्रम है, आप (यूनिवर्सिटी) लिखित में जवाब दें कि आप ऐसा कोई आयोजन नहीं करेंगे, क्योंकि हमने होटल आपको क्लासेस के लिए दिए हैं, तो किसी भी तरह का गैर अकादमिक काम न करें."

रतन सिंह के इस जवाब पर हमने होली से जुड़े कार्यक्रम को लेकर जब सवाल पूछा तो उन्होंने कहा कि होली के बाद लेटर आया है, लेकिन हमारा मानना है कि क्लास के समय में बच्चे कोई कार्यक्रम करें, या आयोजन करें तो उसे कर लें. लेकिन अब उन्होंने बाद में यही लिखा है कि क्लास के अलावा कोई भी गैर अकादमिक काम नहीं करने देंगे."

रतन कहते हैं कि अब हमारा कैंपस बन ही गया है, कुछ दिन में हम लोग वहां शिफ्ट हो जाएंगे.

इस पूरे विवाद पर हरिदेव जोशी पत्रकारिता और जनसंचार विश्वविद्यालय की वाइस चांसलर डॉ. सुधी राजीव ने द क्विंट से बात करते हुए कहा कि कोऑर्डिनेटर रतन सिंह ने जो स्टेटमेंट दिया है, वही मेरा भी स्टेटमेंट है. हालांकि जब हमने उनसे ये पूछना चाहा कि यूनिवर्सिटी के कार्यक्रम को कोई और कैसे रोक सकता है तो उन्होंने कहा कि हम किसी के किराएदार हैं, तो अगर मकान मालिक कह दे कि आप ये काम नहीं कर सकते हैं, तो आप ये काम कैसे कर सकते हैं?

जब हमने दोबारा उनसे कहा कि ये कैसी बात है कि कोई मकान मालिक किसी यूनिवर्सिटी को उसके यहां कार्यक्रम करने से रोक सकता है तब उन्होंने फिर वहीं जवाब दिया कि "हम कहीं किराएदार हैं, तो हमें मकान मालिक जो कहते हैं उनकी इज्जत करनी होगी."

प्राइवेट स्पेस में छात्रों ने किया इफ्तार

बता दें कि जब छात्रों को कैंपस में इफ्तार पार्टी करने की इजाजत नहीं मिली तब उन्होंने एक प्राइवेट स्पेस में पार्टी का आयोजन किया. इफ्तार पार्टी में छात्रों ने हिस्सा लिया.

हरिदेव जोशी यूनिवर्सिटी के एक छात्र ने इफ्तार को लेकर लिखा, "विद्यार्थियों के साथ विश्वविद्यालय प्रशासन का दोहरा रवैया सामने आया है, उनकी तानाशाही सामने आई है, विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों के साथ भेदभाव किया जा रहा है. विश्वविद्यालय में सभी विद्यार्थी आपस में मिलजुल कर सभी त्योहार, उत्सव महोत्सव व जयंती आदि कार्यक्रम हमेशा से प्यार, मोहब्बत, भाईचारे के साथ मनाते आ रहे हैं. पिछले दिनों विश्वविद्यालय में होली मिलन समारोह हुआ, पतंग महोत्सव (डोर) हुआ, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की एचजेयू कार्यकारिणी गठन का कार्यक्रम हुआ. लेकिन इफ्तार पर रोक लगा दी गई वो भी खासा कोठी के नाम पर. लेकिन हम लोगों ने एकता की मिसाल पेश करते हुए इफ्तार पार्टी की जिसमें हिंदू-मुस्लिम सब छात्र शामिल हुए."

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असम यूनिवर्सिटी का क्या मामला है?

"असम यूनिवर्सिटी के सिलचर कैंपस में हम लोग पिछले दो सालों से इफ्तार दावत का आयोजन कर रहे हैं. इस बार हमारा तीसरा साल था. हमने 10 मार्च को रजिस्ट्रार को आवेदन दिया था, लेकिन उनकी तरफ से लिखित रूप में मना कर दिया गया. हालांकि, उसके बाद 13 मार्च को यूनिवर्सिटी कैंपस में एबीवीपी द्वारा प्री-होली सेलिब्रेशन 'फगवाह 3.0' का आयोजन किया गया, जिसमें वीसी सर खुद शामिल हुए थे." नाम न लिखने की शर्त पर यूनिवर्सिटी में पढ़ रहे पोस्ट- ग्रेजुएशन के एक छात्र ने द क्विंट को बताया.

  • एबीवीपी के प्री होली सेलिब्रेशन 'फगवाह 3.0' में शामिल वीसी (हाथ में माइक लिए हुए)

    फोटो: द क्विंट द्वारा प्राप्त

छात्रों की तरफ से रजिस्ट्रार को लिखे गए पत्र में कहा गया था, "छात्र-छात्राओं के बीच एकता और सद्भाव को बढ़ावा देने वाले वार्षिक इफ्तार कार्यक्रम 'दावत-ए-इफ्तार 2025' के आयोजन के लिए आपकी अनुमति चाहते हैं. कार्यक्रम का उद्देश्य विभिन्न पृष्ठभूमि के छात्रों को एक साथ लाना है, जिससे विश्वविद्यालय के भीतर भाईचारे और सांप्रदायिक सद्भाव की भावना को बढ़ावा मिलेगा."

लेकिन रजिस्ट्रार ने यह लिखकर मना कर दिया कि, "यह कार्यालय सीधे तौर पर धार्मिक मामलों में शामिल नहीं है और इसलिए आधिकारिक रूप से किसी भी धार्मिक गतिविधि की अनुमति नहीं दे सकता है."

दावत-ए-इफ्तार आयोजक समिति के एक छात्र सदस्य ने द क्विंट को बताया कि इफ्तार दावत के लिए पहले भी औपचारिक अनुमति नहीं मिलती थी, बल्कि रजिस्ट्रार की तरफ से अनौपचारिक नोट मिलता था. लेकिन इस बार की तरह मना नहीं किया जाता था. यहां तक कि उनकी तरफ से ही पानी और हाउसकीपिंग स्टाफ की मदद भी की जाती थी.

छात्र ने बताया कि लिखित रूप में मना करने के बाद हम लोगों ने रजिस्ट्रार से मिलकर अनौपचारिक अनुमति के लिए भी अनुरोध किया, लेकिन उन्होंने यह कहते हुए मना कर दिया कि अनुमति चाहिए तो वीसी सर (वाइस चांसलर) के पास जाइए. हम लोगों ने वीसी से भी मिलने की कोशिश की, कई दिनों तक इंतजार किया, लेकिन उनसे मुलाकात नहीं हो पाई. फिर अंत में जाकर कार्यक्रम रद्द करना पड़ा. क्योंकि छात्र अपने पैसे जुटाकर ही आयोजन करते हैं. तो ऐसे में हमारे पास आगे समय नहीं बचता.

इस मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए असम यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार प्रदोष किरण नाथ ने कहा,

"हमने कभी इस तरह के धार्मिक आयोजन के लिए आधिकारिक अनुमति नहीं दी है. लेकिन अगर कोई कर लेता है तो हम उसमें दखलअंदाजी भी नहीं करते हैं, क्योंकि वह मैटर ऑफ फेथ है. उन लोगों ने भी पहले इफ्तार का आयोजन किया था. हमने केवल आधिकारिक अनुमति देने से इनकार किया है, ताकि नियमों का पालन किया जा सके. हालांकि, अगर कोई इस तरह का आयोजन करते हैं तो वे अपने जोखिम पर कर सकते हैं, लेकिन उन्हें कानून-व्यवस्था की जिम्मेदारी खुद उठानी होगी."

कैंपस में प्री-होली सेलिब्रेशन पर प्रदोष किरण ने द क्विंट को बताया, "होली एक त्योहार है, पूजा नहीं. जबकि इफ्तार धार्मिक कार्यक्रम है."

यूनिवर्सिटी में 7 साल तक पढ़ाई कर चुके एक पूर्व छात्र ने बताया, "यहां होली, दिवाली, गणेश पूजा, सरस्वती पूजा और इफ्तार समेत सभी तरह के आयोजन होते रहे हैं, जिसमें सभी समुदाय के छात्र शामिल होते थे और किसी तरह का कोई विवाद नहीं होता था. हालांकि, जब से एबीवीपी ने छात्र संघ का चुनाव जीता है, वे लोग प्रभावी हो गए हैं. पिछले साल पहली बार कैंपस में रामनवमी का आयोजन हुआ था, जिसमें रजिस्ट्रार खुद शामिल हुए थे."

यूनिवर्सिटी से एलएलएम की पढ़ाई कर चुके पूर्व छात्र रजत रॉय कहते हैं, "हमारे संविधान में लिखा है कि किसी भी शैक्षणिक संस्थान में धार्मिक कार्यक्रम नहीं करवाए जा सकते हैं. अगर यहां का प्रशासन यही चाहता है तो फिर सभी धर्म के लोगों के लिए यह लागू होनी चाहिए. यह यूनिवर्सिटी केंद्र सरकार के अधीन आती है और यहां सभी धर्म और समुदाय के लोग पढ़ते हैं. ऐसे में अगर आप एक धर्म के लोगों को अनुमति देते हैं, तो सभी धर्म के लोगों को देनी चाहिए. हमारी यही मांग है."

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स्कूल में इफ्तार पार्टी की अनुमति देने पर प्रिंसिपल सस्पेंड

उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर के एक प्राथमिक स्कूल में इफ्तार पार्टी का आयोजन करने पर स्कूल की प्रिंसिपल इरफाना नकवी को निलंबित कर दिया गया है. उन पर आरोप है कि उन्होंने बिना किसी अनुमति के स्कूल परिसर में इफ्तार पार्टी करने की अनुमति दी थी. जब किसी ने इफ्तार पार्टी का वीडियो सोशल मीडिया पर अपलोड कर दिया, तो वीडियो वायरल होने के बाद बेसिक शिक्षा अधिकारी ने स्कूल की प्रिंसिपल पर कार्रवाई करते हुए उन्हें निलंबित कर दिया.

दरअसल, यह मामला प्राथमिक विद्यालय इस्लामिया शिकारपुर का है, जहां 19 मार्च को स्कूल बंद होने के बाद शाम 5 बजे इफ्तार पार्टी का आयोजन किया गया था. इसमें आसपास के लोग शामिल हुए थे. बेसिक शिक्षा अधिकारी की तरफ से जारी निलंबन नोटिस के अनुसार, इफ्तार पार्टी का आयोजन स्थानीय निवासी मोहम्मद शानू ने किया था. .

प्रिंसिपल पर उत्तर प्रदेश सरकारी सेवक आचरण नियमावली, 1956 का उल्लंघन करने का आरोप है. निलंबन नोटिस में लिखा है, "प्रथम दृष्टया संबंधित प्रधानाध्यापिका द्वारा अत्यधिक लापरवाही बरती गई है और विद्यालयी कार्य संचालन/नियमों के विपरीत कार्य किया गया है. अतः संबंधित प्रधानाध्यापिका के नियम विरुद्ध कार्य करने, स्वेच्छाचारिता अपनाने, कर्मचारी आचरण नियमावली, 1956 का घोर उल्लंघन करने, अनुमति देने से पूर्व उच्चाधिकारियों को सूचित न करने के क्रम में निलंबित की जाती है."

बेसिक शिक्षा अधिकारी डॉ. लक्ष्मीकांत पांडेय ने द क्विंट को बताया, "सरकार का आदेश है कि स्कूल परिसर में कोई भी सार्वजनिक कार्यक्रम नहीं किया जाएगा. प्रिंसिपल को इस तरह के कार्यक्रम के लिए अनुमति नहीं देनी चाहिए थी. उन्हें निलंबित कर विकास क्षेत्र-शिकारपुर के प्राथमिक विद्यालय पहाड़पुर हवेली से संबद्ध किया गया है. बाकी इस पूरे प्रकरण की जांच की जा रही है."

वहीं, इस मामले को लेकर मीडिया से बात करते हुए शिकारपुर के खंड शिक्षा अधिकारी अमन गुप्ता ने बताया कि प्रिंसिपल इरफाना नकवी को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है.

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मेरठ की IIMT यूनिवर्सिटी में नमाज पढ़ने पर छात्र की गिरफ्तारी

उत्तर प्रदेश के मेरठ की एक प्राइवेट यूनिवर्सिटी में खुले कैंपस में नमाज पढ़ने को लेकर 16 मार्च को पुलिस ने एक छात्र को गिरफ्तार कर लिया.

दरअसल, मेरठ की IIMT यूनिवर्सिटी में 13 मार्च को लगभग 50 लोगों ने खुले में नमाज अदा की, जिसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ. इस घटना के बाद हिंदू संगठनों ने विरोध प्रदर्शन किया और कार्तिक हिंदू नामक व्यक्ति ने खालिद मेवाती और IIMT यूनिवर्सिटी प्रबंधन के खिलाफ गंगानगर थाने में 14 मार्च को एफआईआर दर्ज करवाई.

एफआईआर में लिखा है, "यूनिवर्सिटी कैंपस के अंदर खुले मैदान में 50-60 मुस्लिम युवकों द्वारा नमाज़ अदा की गई, और इन नमाजियों में से एक युवक खालिद मेवाती ने जानबूझकर हिंदुओं के त्योहार होली पर यह वीडियो सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने के उद्देश्य से वायरल किया है. इस वीडियो को देखकर प्रार्थी की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंची है. और इस वीडियो के वायरल होने से अन्य धर्म के लोगों पर गलत प्रभाव पड़ा है, जिससे माहौल बिगड़ने की स्थिति बनी."

मेरठ के एसपी देहात राकेश मिश्रा ने बताया, "थाना गंगानगर क्षेत्र स्थित एक निजी विश्वविद्यालय में सामूहिक रूप से नमाज पढ़ने से जुड़ा एक वीडियो प्रकाश में आया था. इस संबंध में मुकदमा दर्ज किया गया है और एक व्यक्ति जिसने यह वीडियो अपलोड किया था, उसे गिरफ्तार किया जा चुका है."

वहीं, इस मामले में यूनिवर्सिटी प्रशासन ने खालिद प्रधान और तीन सुरक्षाकर्मियों को निलंबित कर दिया. IIMT के मीडिया प्रभारी सुनील शर्मा ने बताया, "इसकी जांच के लिए गठित कमेटी ने पाया कि यूनिवर्सिटी परिसर में इस प्रकार नमाज़ पढ़ने के लिए विश्वविद्यालय से अनुमति नहीं ली गई थी. मुख्य अभियुक्त को अपना पक्ष रखने के लिए जांच समिति ने बुलाया था, मगर वह उपस्थित नहीं हुआ. पुलिस और स्थानीय प्रशासन से उनके खिलाफ उचित कानूनी कार्रवाई करने की अपील की गई है."

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