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'आई लव मोहम्मद' विवाद क्या है, देशभर में क्यों हो रहे विरोध-प्रदर्शन?

यूपी और उत्तराखंड में 'आई लव मोहम्मद' के बैनर के साथ जुलूस के दौरान पुलिस और प्रदर्शनकारियों में झड़प हुई.

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उत्तर प्रदेश के कानपुर में बारावफात (ईद मिलाद-उन-नबी) के मौके पर 'आई लव मोहम्मद' का बैनर लगाने को लेकर विवाद हुआ था. इस मामले में पुलिस ने मुस्लिम समुदाय के लोगों के खिलाफ ही FIR दर्ज की थी. जिसके बाद कुछ नेताओं और सोशल मीडिया पर लोगों ने पुलिस की कार्रवाई पर सवाल उठाए थे.

अब इसको लेकर यूपी, उत्तराखंड, गुजरात सहित देश के अलग-अलग राज्यों में विरोध-प्रदर्शन हो रहे हैं. रविवार, 21 सितंबर को यूपी के उन्नाव और उत्तराखंड के काशीपुर में 'आई लव मोहम्मद' के बैनर के साथ जुलूस के दौरान पुलिस और प्रदर्शनकारियों में झड़प हुई.

उन्नाव में पुलिस ने 5 लोगों को गिरफ्तार किया है, जबकि उत्तराखंड में 8 लोगों को अरेस्ट किया गया है.

चलिए अब आपको बताते हैं कि 'आई लव मोहम्मद' विवाद क्या है और इसको लेकर अलग-अलग शहरों में क्यों विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं?

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कानपुर: 4-5 सितंबर की घटना, 10 को FIR

कानपुर के रावतपुर थाना क्षेत्र के सैयद नगर में 4 सितंबर को बारावफात (ईद मिलाद-उन-नबी) की तैयारियां चल रही थी. FIR के मुताबिक, "बारावफात की रोशनी के कार्यक्रम में सजावट के लिए आई लव मोहम्मद का लाइट बोर्ड सजाए गए गेट के सामने रास्ते पर लगाया गया था. जो पिछले सालों में रोशनी कार्यक्रम में कभी नहीं लगा."

FIR में कहा गया है कि "कार्यक्रम के आयोजकों द्वारा जानबूझकर नई परंपरा की शुरुआत की गई. स्थानीय लोगों ने इसका विरोध करते हुए अवगत कराया कि मुस्लिम समुदाय द्वारा यह एक नई परंपरा की शुरुआत है, जो सैय्यद नगर में पहले कभी नहीं हुई इसलिए इसका इस वर्ष भी होना उचित नहीं है."

FIR के मुताबिक, 5 सितंबर को बारावफात जुलूस के दौरान मुस्लिम समुदाय के कुछ अज्ञात युवकों ने रास्ते में लगे हिंदू समुदाय के धार्मिक पोस्टर को फाड़ दिया था.

इसके अलावा FIR में कहा गया है कि रावतपुर गांव में कुन्नू कबाड़ी के यहां भी जानबूझकर आई लव मोहम्मद का बैनर लगाकर नई परंपरा शुरू करने की कोशिश की, जिस कारण सांप्रदायिक टकराव और तनाव की स्थिति उत्पन्न हुई.

पुलिस ने इस मामले में रावतपुर थाने में 10 सितंबर को FIR दर्ज की. भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 196 और 299 के तहत दर्ज की गई FIR में दो समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देने और धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के आरोप लगाए गए हैं. FIR में जुलूस के आयोजकों समेत 8 लोगों को नामजद किया गया है.

"आई लव मोहम्मद लिखने या बैनर लगाने पर FIR नहीं"

कानपुर के डीसीपी वेस्ट दिनेश त्रिपाठी ने एक बयान में कहा, "थानाक्षेत्र रावतपुर में बारावफात का परंपरागत जुलूस निकलना था. मोहल्ले के लोगों ने परंपरागत स्थान से हटकर एक टेंट और आई लव मोहम्मद का बैनर लगा दिया. एक पक्ष ने इसका विरोध किया. बाद में दोनों पक्षों में आपसी सहमति से बैनर को परंपरागत स्थान पर लगवा दिया गया था."

दिनेश त्रिपाठी ने दावा किया कि FIR 'आई लव मोहम्मद' के लिखने या बैनर को लेकर नहीं की गई है, बल्कि परंपरागत स्थान से हटकर टेंट लगाने और जुलूस के दौरान एक पक्ष की ओर से दूसरे पक्ष के पोस्टर फाड़ने को लेकर हुई है.

"न तो टेंट लगा और न ही धार्मिक पोस्टर फाड़ा गया"

द क्विंट से बातचीत में इमाम शबनूर आलम ने पुलिस के दावों को खारिज करते हुए कहा, "न तो वहां टेंट लगाया गया और न ही कोई धार्मिक पोस्टर फाड़ा गया. ये FIR बिल्कुल बेबुनियाद और फर्जी है."

इसके साथ ही वे कहते हैं, "हर इंसान को अपने-अपने धर्म को मानने का अधिकार है. संविधान भी इसकी इजाजत देता है. कानून के दायरे में रहते हुए हमने सजावट की थी. इसकी बकायदा हमारे पास अनुमति भी थी. लेकिन इसके बावजूद पुलिस हमारे खिलाफ एफआईआर करती है."

इमाम शबनूर ने एफआईआर रद्द करने की मांग की है.

सामाजिक कार्यकर्ता डॉक्टर निसार अहमद कहते हैं, "हम गवाह हैं इस चीज के. उसी क्षेत्र में रहते हैं. मेरे सामने की बात है. ऐसा है कि वहां कुछ शरारती तत्व हैं जो हर बार माहौल बिगाड़ने की कोशिश करते हैं. कोई त्योहार हो या फिर आयोजन, मोहित वाजपेयी नाम का शख्स है, जो उसमें अड़ंगा लगाने की कोशिश करता है."

पुलिस के दावे पर डॉ. निसार कहते हैं, "पहली बात तो है कि आई लव मोहम्मद कहीं भी लिखा जा सकता है. इसमें सही और गलत जगह क्या है. दूसरी बात कही जा रही है कि धार्मिक पोस्टर फाड़ दिया गया. जबकि उसमें सत्यता यह है कि लोग किसी दूसरी गली में गए ही नहीं. एक किलोमीटर के क्षेत्र में ही रहे. न गाड़ियां शामिल हुई और न ही वे लोग शामिल हुए."

डॉ. निसार के मुताबिक इस मामले में पुलिस ने अभी तक कोई गिरफ्तारी नहीं की है. वहीं सर्वधर्म महासभा की ओर से राज्यपाल के नाम जिलाधिकारी को एक ज्ञापन सौंपा गया है. जिसमें मामले की SIT से जांच करवाने की मांग की गई है.

इस मामले को लेकर AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने 15 सितंबर को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा था, "आई लव मोहम्मद, कानपुर पुलिस ये जुर्म नहीं है. अगर है तो इसकी हर सजा मंजूर है."

उन्नाव में जुलूस, 5 लोग गिरफ्तार

कथित रूप से कानपुर 'आई लव मोहम्मद' मामले के समर्थन में रविवार, 21 सितंबर को उन्नाव में मुस्लिम समुदाय के लोगों ने जुलूस निकाला था. ये जुलूस गंगाघाट कोतवाली क्षेत्र के मनोहर नगर में निकाला गया था. इस दौरान पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़प भी हुई.

जुलूस में शामिल लोगों पर पथराव करने के आरोप लगे हैं. FIR में कहा गया है, "भीड़ ने पुलिस के काम में बाधा डालते हुए गाली गलौज और जान से मारने की धमकी दी. साथ ही पत्थरबाजी भी की."

पुलिस ने 8 नामजद सहित 25-30 अज्ञात लोगों के खिलाफ BNS की धारा 191(2), 191(3), 352, 351(3), 132, 125, 126(2), 221, 109 और आपराधिक कानून (संशोधन) अधिनियम 7 के तहत मामला दर्ज किया है.

अपर पुलिस अधीक्षक अखिलेश सिंह ने कहा, "उन्नाव में भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा 163 लागू है. इसमें किसी भी जुलूस या आयोजन के लिए अनुमति लेनी पड़ती है. बिना अनुमति के इस तरह के जुलूस या आयोजन नहीं किए जा सकते हैं."

"जुलूस की सूचना पर पुलिस पहुंची थी. इस दौरान कुछ महिलाओं और पुरुषों द्वारा सरकारी कार्य में बाधा डालने का प्रयास किया गया. इस संबंध में पांच लोगों को हिरासत में लिया गया और मुकदमा दर्ज करके गिरफ्तार किया गया."
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उत्तराखंड में हिंसा और FIR

उधम सिंह नगर जिले के काशीपुर में भी 21 सितंबर की शाम को मुस्लिम समुदाय के लोगों ने जुलूस निकाला. इस मामले में पुलिस ने 3 लोगों को नामजद किया है.

FIR के मुताबिक, "अल्ली खां (चौक) की तरफ करीब चार-पांच सौ लोगों का एक झुंड जुलूस के रूप में वाल्मीकि बस्ती की तरफ आ रहा था. कुछ लोगों के हाथ में लाठी-डंडे भी थे. जो पुलिसवालों से उलझ पड़े और धक्का-मुक्की करने लगे. भीड़ ने पुलिसवालों को घेर लिया और गाली-गलौज करते हुए मारपीट शुरू कर दी."

जुलूस में शामिल लोगों पर सरकारी काम में बाधा डालने. एक पुलिसकर्मी की वर्दी में लगे स्टार के फ्लैप को फाड़ने और पुलिस वाहन में तोड़फोड़ का भी आरोप लगा है. पुलिस ने BNS की धारा 191(2), 191(3), 121(1), 132, 221, 352, 351(2), 324(3), 190 के तहत मामला दर्ज किया है.

उधम सिंह नगर के एसएसपी मणिकांत मिश्रा ने कहा, "काशीपुर में बिना अनुमति जुलूस निकाला गया जिसमें करीब 400 लोग शामिल थे. जिससे यातयात और कानून-व्यवस्था की समस्या उत्पन्न होने लगी. पुलिस ने स्थिति को नियंत्रण में लाने और कानून का पालन कराने के लिए निर्देश दिया...

...लेकिन भीड़ ने पुलिस पर हमला किया और सरकारी वाहन को क्षतिग्रस्त किया. पुलिस ने घटना के मास्टरमाइंड नदीम अख्तर और सात अन्य को गिरफ्तार किया गया है. वहीं 10 अन्य को हिरासत में लिया है."

एसएसपी ने कहा, "नदीम से पूछताछ की जा रही है कि इस धार्मिक उन्माद को फैलाने के पीछे और कौन लोग शामिल हैं."

समाजवादी पार्टी से जुड़े थे नामजद आरोपी

नामजद आरोपी नदीम अख्तर, हनीफ गांधी और दानिश चौधरी समाजवादी पार्टी से जुड़े थे. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, नदीम एसपी उम्मीदवार के रूप में नगर निकाय का चुनाव लड़ चुका है. FIR होने के बाद तीनों आरोपियों को पार्टी से निष्कासित कर दिया गया है.

जिला अध्यक्ष रवि छाबड़ा की ओर से जारी लेटर में कहा गया है, "समाजवादी पार्टी धार्मिक उन्माद फैलाने वाले नदीम अख्तर, दानिश चौधरी और हनीफ गांधी को तत्काल प्रभाव से पार्टी से निष्कासित करती है."

पार्टी ने तीनों आरोपियों द्वारा आयोजित जुलूस से भी पल्ला झाड़ लिया है. पार्टी की ओर से कहा गया है, "इन व्यक्तियों द्वारा आयोजित कार्यक्रम और जुलूस से समाजवादी पार्टी का कोई सरोकार नहीं है. ये इन तीनों का निजी कार्यक्रम था."

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा, "ये बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि इस तरह से लोगों को भड़काना और दंगा कराना. एक वर्ग विशेष के लोगों को इसके लिए उकसाना और माहौल खराब करना. उत्तराखंड में इसे कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा."

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"मीडिया को बाइट देने पर पुलिस ने मेरे बेटे को गिरफ्तार किया"

काशीपुर बवाल के बाद एक शख्स ने आरोप लगाते हुए कहा कि मीडिया में बाइट देने पर पुलिस ने उनके बेटे को गिरफ्तार किया है.

द क्विंट से बातचीत में शकील अहमद ने कहा, "अल्ली खां चौक पर मेरा बेटा मौजूद था. वहां पत्रकार भी खड़े थे. पत्रकार ने उससे कुछ कहने को कहा तो उसने 'आई लव मोहम्मद' वाली बात कही. उसका ये वीडियो देखने के बाद रात दो बजे पुलिस हमारे घर आई थी. लेकिन मेरा लड़का उस समय घर पर नहीं था."

शकील अहमद बताते हैं कि उनका बेटा मो. फैसल एक दुकान पर काम करता है. सोमवार को जब वह दुकान पर गया तब उसे पुलिस चौकी से फोन आया था. उसने मुझे फोन कर इसकी जानकारी दी थी. इसके बाद वो चौकी गया, जहां पुलिस ने उसे बैठा लिया.

वे आगे बताते हैं,

"1 बजे पुलिसवाले फैसल को गिरेबान से पकड़कर घर में लेकर आए और डंडों से पीटने लगे. फिर उसे मारते हुए अपनी गाड़ी तक लेकर गए. वे ये दिखाना चाह रहे थे कि उन्होंने फैसल को घर से गिरफ्तार किया है."

काशीपुर में हुए बवाल के बाद प्रशासन एक्शन मोड में है. मंगलवार, 23 सितंबर को अल्ली खां इलाके में अवैध निर्माण पर बुलडोजर चला और अवैध बिजली कनेक्शन काटे गए.

जिला अधिकारी नितिन भदोरिया ने कहा, "अतिक्रमण के खिलाफ कार्रवाई इस हिसाब से करवाई जा रही है कि वहां पर लोगों के लिए सुविधा हो. साथ ही चिन्हिकरण के मुताबिक रोड हो."

लखनऊ में विधानसभा के बाहर प्रदर्शन

इससे पहले 20 सितंबर को लखनऊ में विधानसभा के गेट नंबर तीन के बाहर एसपी नेता और दिवंगत शायर मुनव्वर राणा की बेटी सुमैया राणा के नेतृत्व में कई महिलाओं ने 'आई लव मोहम्मद' के बैनर के साथ प्रदर्शन किया.

द क्विंट से बातचीत में सुमैया राणा ने कहा कि एक समुदाय को बिना वजह टारगेट किया जा रहा है. "आई लव मोहम्मद को लेकर कानपुर में जो हुआ था, उसको लेकर हमने एक मांग पत्र जैसा बनाया था. इसी को लेकर हम विधानसभा के बाहर पहुंचे थे," उन्होंने कहा.

सुमैया ने पुलिस पर "बदतमीजी और हाथापाई" का आरोप भी लगाया है. उन्होंने कहा कि "पुलिस ने महिलाओं को जबरन वैन में डाला. 10 और 11 साल की दो बच्चियां भी थी. उनको भी पुलिस हमारे साथ ले गई. सोचिए कि बच्चों के दिमाग पर क्या असर पड़ेगा."

लखनऊ के डीसीपी सेंट्रल आशीष श्रीवास्तव ने द क्विंट को बताया कि इस मामले लेकर कोई एफआईआर दर्ज नहीं की गई है."

उन्होंने कहा, "जैसे दिल्ली में जंतर-मंतर है, वैसे ही लखनऊ में ईको गार्डन है. ये स्थान धरना प्रदर्शन के लिए चिन्हित किया हुआ है. अगर कोई कहीं और धरना-प्रदर्शन करता है तो उसे फ्री कैब सर्विस देकर ईको गार्डन भेज दिया जाता है. वही इस मामले में भी हुआ है."

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बागपत में 150 लोगों पर मुकदमा दर्ज

बागपत जिले के रटौल गांव में भी बीते रविवार को 'आई लव मोहम्मद' के बैनर के साथ जुलूस निकला. पुलिस के मुताबिक, जुलूस में करीब 150 लोग शामिल थे, जो हाथों में पोस्टर लिए धार्मिक नारेबाजी कर रहे थे. आरोप है कि बिना अनुमति जुलूस निकाला जा रहा था.

पुलिस ने इस संबंध में खेड़का थाने में दो नामजद और 150 अज्ञात लोगों पर बीएनएस की धारा 223 (लोकसेवक के विधिवत आदेश का उल्लंघन) के तहत मुकदमा दर्ज किया है. साथ ही जुलूस का नेतृत्व कर रहे हाजी यूनुस, हैदर समेत चार आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है.

गोधरा पुलिस स्टेशन पर पथराव, 24 गिरफ्तार

गुजरात के गोधरा में 19 सितंबर को भीड़ ने पुलिस थाने और वाहनों पर पथराव किया. जिसके बाद पुलिस ने जवाबी कार्रवाई करते हुए लाठीचार्ज किया. दरअसल, पूरा विवाद सोशल मीडिया इंफ्लुएंसर जाकिर जभा से जुड़ा है.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, पुलिस अधीक्षक हरेश दुधात ने बताया कि जांच में पता चला है कि जभा ने “अफवाह फैलाई” कि पुलिस ने उसके साथ मारपीट की है.

"पुलिस ने उसे (जभा) सिर्फ यह समझाने के लिए बुलाया था कि वो त्योहारों के समय सोशल मीडिया पर कोई भड़काऊ पोस्ट न डाले. लेकिन उसने यह अफवाह फैलाई कि उसे थाने बुलाकर इसलिए प्रताड़ित किया गया क्योंकि उसने अपने धर्म की प्रशंसा में पोस्ट किया था. यह पूरी तरह झूठ है… उसने भीड़ को हिंसा के लिए भड़काया और फिलहाल वह फरार है. उसे पकड़ने के लिए पुलिस ने तलाश अभियान शुरू कर दिया है."
हरेश दुधात, एसपी

दरअसल, 18 सितंबर को जभा ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म फेसबुक और इंस्टाग्राम पर 'आई लव मोहम्मद' के पोस्टर के साथ एक रील शेयर की थी. इंस्टाग्राम पर इसे 3 लाख से ज्यादा लोग देख चुके हैं.

थाने पर पथराव और तोड़फोड़ के मामले में पुलिस ने 88 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया है. अब तक 24 लोगों को गिरफ्तार किया गया है. पुलिस ने इस मामले में जाकिर जभा को मुख्य आरोपी बनाया है.

इस बीच, कानपुर 'आई लव मोहम्मद' विवाद को लेकर महाराष्ट्र, तेलंगाना, बिहार सहित देश के अन्य राज्यों में भी मुस्लिम समुदाय के लोग सड़क से लेकर सोशल मीडिया तक अपनी आवाज उठा रहे हैं.

(इनपुट- उत्तराखंड से अबूबकर, उन्नाव से जितेंद्र मिश्रा और लखनऊ से अशहर असरार)

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