बिहार में हुए स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन का ड्राफ्ट आ चुका है. 24 जून 2025 तक बिहार में कुल 7.89 करोड़ मतदाता थे, जिनमें से 7.24 करोड़ लोगों को ड्राफ्ट में शामिल किया गया है. 65.6 लाख (8%) मतदाता ड्राफ्ट सूची से बाहर हैं. अगर समय रहते ये मतदाता आपत्ति दर्ज नहीं कराते हैं तो इन्हें फाइनल सूची से बाहर कर दिया जाएगा. जुलाई 2025 में हुए स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन का पूरा विश्लेषण करते हैं.
गोपालगंज सबसे ज्यादा 'प्रभावित', टॉप 3 जिलों में से सीमांचल के 2 जिले
बिहार में हुए स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन के बाद गोपालगंज सबसे ज्यादा 'प्रभावित' जिला दिखा, यहां से करीब 15.10% मतदाताओं को ड्राफ्ट में शामिल नहीं किया गया. इसके बाद नंबर दो और नंबर तीन पर जो जिले हैं वो सीमांचल में आते हैं. नंबर दो पर पूर्णिया और तीन पर किशनगंज हैं. इन जिलों में क्रमश: 12.08% और किशनगंज 11.82% मतदाता ड्राफ्ट सूची से बाहर हैं.
सीमांचल में चार जिले अररिया, किशनगंज, पूर्णिया और कटिहार आते हैं. अगर चारों जिलों की बात करें तो पूर्णिया में 12.08%, किशनगंज में 11.82%, कटिहार में 8.27% और अररिया में 7.59% मतदाता ड्राफ्ट सूची से बाहर हुए हैं. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, सीमांचल के इन चार जिलों में अन्य जिलों की तुलना में मुस्लिम आबादी ज्यादा मानी जाती है.
'SIR' से शेखपुरा, नालंदा सबसे कम 'प्रभावित' जिले
स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन में सबसे कम प्रभावित जिलों की बात करें तो शेखपुरा में सबसे कम 5.13% मतदाता ड्राफ्ट से बाहर हुए हैं. इसके बाद अरवल और फिर नालंदा जिले आते हैं जहां पर क्रमश: 5.57% और 6% मतदाता ड्राफ्ट से बाहर हैं. बिहार की राजधानी पटना में 7.84% मतदाता ड्राफ्ट लिस्ट में शामिल नहीं किए गए.
लालू प्रसाद यादव का गृह जिला गोपालगंज, नीतीश का नालंदा
बिहार के दो प्रमुख नेताओं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव के गृह जिलों को देखें तो नीतीश कुमार का गृह जिला नालंदा है, जहां विधानसभा की कुल 7 सीटें हैं. ये जिला स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन से सबसे कम प्रभाव जिलों में तीसरे नंबर पर है. नालंदा में 6% मतदाता ड्राफ्ट से बाहर हुए हैं.
लालू प्रसाद यादव का गृह जिला गोपालगंज है, जिसमें 6 विधानसभा सीटें शामिल हैं. यहां कुल 38 जिलों में से सबसे ज्यादा 15.10% मतदाता ड्राफ्ट में शामिल नहीं किए गए.
इन दोनों जिलों में दोनों नेताओं ने अपने-अपने कार्यकाल के दौरान विकास और राजनीतिक पकड़ को मजबूत किया. नतीजतन, चुनावों में अक्सर नीतीश या लालू के नाम और प्रभाव की झलक देखने को मिलती है. इन जिलों की सभी सीटों पर या तो जेडीयू, आरजेडी या फिर उनके गठबंधन के उम्मीदवार ही चुनावी मुकाबले में नजर आते हैं.
बिहार के कुल 38 जिलों में स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन के बाद 22,34,501 मतदाता मृत पाए गए. इसके अलावा 36,28,210 मतदाता माइग्रेट मिले. 7,01,364 मतदाता ऐसे थे जिनका एक से अधिक जगहों पर नाम था इसलिए इनके नाम भी हटाए जाएंगे.