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विक्रम मिसरी की बेटी से लेकर हिमांशी नरवाल: ट्रोल के खिलाफ ऑपरेशन 'सिंदूर' कब?

पहलगाम हमले में मारे गए लेफ्टिनेंट विनय नरवाल की पत्नी हिमांशी नरवाल को सोशल मीडिया पर ट्रोल किया गया.

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आपने पिछले कुछ दिनों में तीन नाम सुने होंगें. विक्रम मिसरी, हिमांशी नरवाल और शैला नेगी. इन तीनों की तस्वीर और वीडियो भी कहीं न कहीं आपने अखबार, टीवी, सोशल मीडिया पर पिछले कुछ दिनों में देखी होगी. नहीं देखी है तो यहां जानिए कि हम क्यों उनकी चर्चा कर रहे हैं. दरअसल, ये तीनों प्रोफेशन से लेकर रहन-सहन, जगह कई मामलों में अलग हैं. लेकिन इन तीनों में एक बात कॉमन है- तीनों नफरत के शिकार हुए हैं. तीनों को सोशल मीडिया पर भद्दी गालियां दी गईं, देशद्रोही तक कहा गया. और इन तीनों का गुनाह बस इतना था कि इन तीनों ने भारत की असली तस्वीर दिखाने की कोशिश की. तीनों आतंक और नफरत के खिलाफ जंग में आवाज उठाने वालों की लिस्ट में पहली पंक्ति में दिखे.

लेकिन सवाल ये है कि कब तक hate और communal syndrom से ग्रस्त ट्रोल, नकली प्रोफाइल फोटो के पीछे छिपकर महिलाओं पर, इंसानियत, शांती और एकता की बात करने वालों पर अटैक करते रहेंगे और कबतक इनका सही 'इलाज' नहीं होगा?

इस आर्टिकल में हम आपको विक्रम मिसरी, हिमांशी नरवाल, शैली नेगी के साथ क्या हुआ है इसकी कहानी बताएंगे, साथ ही ऐसे कुछ सोशल मीडिया ट्रेंड के बारे में भी बताएंगे जो लगातार महिलाओं के कैरेक्टर पर सवाल उठाने और उन्हें डिमीन करने के लिए चलाए गए हैं, साथ ही कौन लोग हैं जिन्हें इंसानियत की बात पर मिर्ची लगती है? इन कैंपेन के पीछे कौन लोग हैं, कैसे ये कैंपेन काम करता है, और इसका मकसद क्या है?

भारत के विदेश सचिव विक्रम मिसरी के खिलाफ सोशल मीडिया पर जो अटैक हुआ उसकी कहानी जानने से पहले ये बयान देखिए-

“हमले का मकसद था कि कश्मीर के विकास और प्रगति को नुकसान पहुंचाकर पिछड़ा बनाए रखा जाए. पलगाम हमले का यह तरीका जम्मू-कश्मीर समेत देश के बाकी हिस्सों में सांप्रदायिक दंगे भड़काने के उद्देश्य से प्रेरित था.”

ऐसा बयान देने वाले विक्रम मिसरी को चार दिन बाद अपने एक्स अकाउंट को प्रोटेक्ट करना पड़ा, मतलब आम लोग के लिए बंद करना पड़ा, जिससे सोशल मीडिया के आतंकियों उनकी पोस्ट पर भद्दे कमेंट न कर सके.

दरअसल, 10 मई को विक्रम मिसरी ने भारत-पाकिस्तान के बीच चल रहे सैन्य कार्रवाई को रोकने के समझौते के फैसले का ऐलान किया था जिसके बाद सोशल मीडिया पर बैठे नफरत की दुकान चलाने वाले टूट पड़े. कई यूजर्स उनके पोस्‍ट्स पर ऑनलाइन एब्‍यूज करने लगे.

विक्रम मिसरी पर अपमानजनक टिप्पणियों की गई, उन्हें "देशद्रोही" और "गद्दार" कहा गया, उन पर "देश को बेचने" का आरोप लगाया गया. ऑनलाइन अटैक में उनके परिवार को भी घिनौनी गालियां दी गईं, खास तौर पर उनकी बेटी के लिए आपत्तिजनक टिप्पणियां की गईं, जिसका उनके आधिकारिक कामों से कोई संबंध नहीं है. विक्रम मिसरी ने भी देश के खिलाफ कुछ भी नहीं कहा न किया. फिर भी वो निशाने पर हैं.

कई सोशल मीडिया पोस्ट और कमेंट्स इतने भद्दे हैं कि हम आपको वो दिखा नहीं सकते.

इन सबके बीच विपक्षी नेताओं से लेकर आइएएस असोसिएशन से लेकर महिला आयोग ने विरोध जताया.

लेकिन सवाल यही है कि ये सब पहली बार नहीं हुआ है. ये सब बार-बार हो रहा है और इन नफरत फैलाने वालों के खिलाफ कोई कड़ा एक्शन नहीं होता है.

पहलगाम हमले के पीड़ित पर अभद्र टिप्पणी

विक्रम मिसरी से पहले पहलगाम हमले में मारे गए लेफ्टिनेंट विनय नरवाल की पत्नी का कैरेक्टर असैसिनेशन हुआ. वजह थी कि हिमांशी आतंकियों को सजा की मांग के साथ-साथ देश में शांति की अपील कर रही थीं.

सोचिए शादी को सिर्फ 6 दिन हुए थे कि आतंकियों ने हिमांशी के साथी को गोली मार दी, पति की मौत को 10 दीन बीते भी नहीं थे कि हिमांशी नरवाल को सोशल मीडिया पर सबसे घिनौनी और दुर्भावनापूर्ण टिप्पणियों का सामना करना पड़ा. क्यों? क्योंकि वो नफरत के खिलाफ खड़ी थीं. आप कुछ कमेंट्स पढ़िए-

-"वह अपने ससुराल वालों की संपत्ति और सरकार द्वारा दिया जाने वाला पैसा हड़प लेगी"

-"ऐसा लगता है कि उसने अपने मुस्लिम आतंकवादी प्रेमी की मदद से अपने पति की हत्या करवा दी है."

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अभिषेक सिंह नाम का एक यूजर लिखता है- सबको लाइम लाइट चाहिए, हसबेंड मर गया, क्या हुआ, कंपनसेशन, सर्विस बेनिफिट सब मिलेगा."

कई नफरत के स्पलायर हिमांशी को इसलिए निशाना बनाने लगे क्योंकि उन्होंने जेएनयू से पढ़ाई की है. Hindutva Knight नाम के हैंडल ने लिखा- She was a big time secular, pro-pak and islam apologist.

इसके अलावा चिराग पासवान की पार्टी एलजेपी के पटना यूनिट का हेड होने का दावा करने वाले अभिषेक का ट्वीट देखिए

कमाल देखिए, जब क्विंट ने अभिषेक सिंह से संपर्क किया और पूछा कि क्या उन्होंने वाकई हिमांशी नरवाल के बारे में पोस्ट लिखी है तो वो कहते हैं,

"हां, यह मेरा हैंडल है और मैंने ही ट्वीट पोस्ट किया है. कई लोगों ने इसके बारे में लिखा है, तो मेरे ट्वीट को क्यों निशाना बनाया जा रहा है? मैंने कुछ भी आपत्तिजनक नहीं कहा है."

वाह क्या सोच है. उम्मीद है चिराग पासवान ऐसे बयानों वाले नेता जी से पूछेंगे कि ऐसा क्यों लिखा.

सोचिए ये भीड़ किसकी है? ये महिलाओं के लिए कैसे शब्द इस्तेमाल करती है? ये हिम्मत कहां से आ रही है? हिम्मत इसलिए हो रही है क्योंकि कोई एक्शन नहीं हुआ.

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नैनीताल में अकेले भीड़ से भिड़ गई शैली नेगी

हमने शुरुआत में एक एक और नाम लिया था- शैली नेगी की. 30 अप्रैल को नैनीताल पुलिस को एक नाबालिग लड़की के साथ कथित यौन शोषण की जानकारी मिली, जिसके बाद नैनीताल में तनाव फैल गया.  जिसके बाद हिंदू संगठनों ने थाने के बाहर प्रदर्शन किया और धीरे-धीरे यह प्रदर्शन हिंसक हो गया. हिंदू संगठनों के लोगों ने मुस्लिम समुदाय की दुकानों में तोड़फोड़ की, पत्थर फेंके, लोगों को पीटा. इसी बीच सोशल मीडिया पर एक महिला शैली नेगी का वीडियो वायरल हुआ जिसमें वो भीड़ के बीच खड़ी होकर हिंसा करने वालों का विरोध करती नजर आईं.

न्यूजलॉन्ड्री को दिए इंटरव्यू में नेगी ने कहा कि उन्हें सोशल मीडिया पर धमकियां मिल रही हैं.

कमाल देखिए कि कथित रेप के खिलाफ विरोध करने वाली भीड़ मुस्लिम महिलाओं के लिए अपशब्द बोल रही थी. महिला विरोधी नारे लग रहे थे.

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AI की मदद से मुस्लिम महिलाओं की सॉफ्ट पोर्न इमेज बनाने वाले कौन?

बता दें कि एआई इमेज जनरेटर के सहारे मुस्लिम महिलाओं की semi-pornographic images बनाई जा रही हैं, और ऐसा करने वाले ज्यादातर pro-Hindutva pages हैं.

सोशल एक्टिविस्ट नाबिया से मिलिए, इन्हें ऐसे पेजेस से धमकियां मिली हैं. नाबिया कहती हैं- "जब से मेरे फॉलोअर्स की संख्या बढ़नी शुरू हुई है, तब से मुझे अपने ट्विटर डीएम में हिजाबी महिलाओं की अश्लील तस्वीरें मिल रही हैं. ये मैसेज भेजने वाले लोग मुझे धमकी देते हैं कि वे चाहें तो मेरी तस्वीरों के साथ छेड़छाड़ भी कर सकते हैं."

क्विंट ने पाया कि इंस्टाग्राम पर कम से कम 250 ऐसे पेज हैं, जिनमें से कई मुस्लिम महिलाओं की सॉफ्ट पोर्न इमेज बनाने के लिए AI टूल का इस्तेमाल करते हैं.

ये पहली बार नहीं है, इससे पहले एक सुल्ली डील नाम से एक एप सामने आया था. सुल्ली डील्स ऐप जुलाई 2021 में गिटहब प्लेटफॉर्म पर बनाया गया था. जिसमें मुस्लिम महिलाओं के लिए अपमानजनक भाषा के साथ नीलामी के लिए बोली लगाई जाती थी. इसमें उन महिलाओं को रखा गया था, जो सोशल मीडिया पर एक्टिव रहती थीं. जो हिजाब, सीएए-एनआरसी, महिला सुरक्षा, जैसे सोशल मुद्दों पर काफी वोकल हैं.

'सुल्ली' मुस्लिम महिलाओं के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला एक अपमानजनक शब्द है.

यही नहीं इस देश में एक खास ट्रेंड चल रहा है, इंसानियत, शांति, यूनिटी, ह्यूमैनिटी की बात करने वाले निशाने पर आते हैं. वजह है कि सरकार और बड़े नेताओं की तरफ से नफरत फैलाने वालों के खिलाफ कोई लाउड एंड क्लियर वॉर्निंग मैसेज नहीं आता है.

महिलाओं के नाम पर गालियों पर रोक लगानी होगी, इसे सजा के दायरे में लाना चाहिए. इस देश में कोर्स करेक्शन की जरूरत है. स्कूल से लेकर कॉलेज में पीस, यूनिटी, महिलाओं का सम्मान, दूसरे धर्म के लोगों से नफरत नहीं करना, जाति-धर्म-जगह के आधार पर भेद भाव नहीं करना जैसे कोर्स को कंपल्सरी करने की जरूरत है. और जो स्कूल से निकल गए हैं उन्हें भी बताना होगा कि लाइन क्रॉस किया तो एक्शन होगा. इन सोशल मीडियो के zomby, अभद्र भाषा बोलने वालों के जुबान और सोशल मीडिया अकाउंट पर स्ट्राइक की जरूरत है. तब ही देश की महिलाएं और हर इंसान शांति से जी सकेगा, सुरक्षित महसूस कर सकेगा. 

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