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उत्तरप्रदेश : चोरी की अफवाहों से गांवों में दहशत और हिंसा, वजह क्या ?

रायबरेली में हुई दलित शख्स की हत्या से लेकर यूपी के गांवों में हो रही बेकसूर लोगों से मारपीट की कहानी

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रायबरेली के ऊंचाहार में 1-2 अक्टूबर की दरमियानी रात दलित शख्स हरिओम वाल्मीकि की भीड़ ने हत्या कर दी. वजह थी ये अफवाह कि वो चोर हैं. कुछ दिन पहले बरेली में मानसिक रूप से विक्षिप्त एक शख्स की चोरी की अफवाह के चलते हत्या हुई. पर ये मामला सिर्फ बरेली या राय बरेली तक सीमित नहीं.

ऐसी अफवाहों के चलते उत्तरप्रदेश के कई ग्रामीण इलाकों से ऐसी ही घटनाएं सामने आ रही हैं. और इन हिंसक घटनाओं की जड़ में हैं अफवाहें और कॉन्सपिरेसी थ्योरीज. ये घटनाएं इस बात का जीता-जागता उदाहरण हैं कि अफवाहें अब सिर्फ सोशल मीडिया की समस्या नहीं, बल्कि इनका असर लोगों की जिंदगी पर पड़ रहा है.

हमारी इस खास रिपोर्ट में हमने इन घटनाओं की जड़ तक जाने की कोशिश की है. जब हम ग्राउंड पर पहुंचे तो हमें UP के गांवों में दिखी ड्रोन की दहशत, नेपाल के Gen Z प्रोटेस्ट से जुड़ी कॉन्सपिरेसी थ्योरी, लाठी-डंडों के साथ पहरेदारी करते ग्रामीण और हिंसा से पीड़ित लोग.

इस रिपोर्ट में तीन सवालों के जवाब तलाशने की कोशिश करेंगे.

  • अफवाहों को फैलाने वाले कौन हैं?

  • इन्हें रोकने के लिए प्रशासन क्या कर रहा है?

  • और अफवाहों का असर कौन लोग झेल रहे हैं?

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अफवाहों के बीच गांवों में दहशत का आलम 

यूपी के गांवों में किस तरह की दहशत है ये समझने के लिए हम अयोध्या जिले के खिरौनी गांव पहुंचे. रात के वक्त लाठी-डंडों के साथ पहरा देते हुए लोग दिखे.

वजह पूछने पर ग्रामीणों ने दावा किया कि रोज ड्रोन आता है, ड्रोन से रैकी की जाती है. हमने पूछा कि क्या हमें वो कोई ड्रोन दिखा सकते हैं ? जो रैकी कर रहा हो? जवाब मिला कि आज आप आए हैं शायद इस वजह से कोई ड्रोन नहीं दिख रहा वर्ना रोज दिखता है. इस गांव से आगे बढ़े तो कालीपुरवा गांव आया. यहां पुरुषों के साथ महिलाएं भी पहरा देती दिखीं. उन्होंने दावा किया कि कैमरे उड़ते हुए देखे गए हैं.

पर एक बात हर गांव में हमें कॉमन मिली.

क्या आपने खुद किसी चोर को देखा है चोरी करते हुए?

इस सवाल का हर ग्रामीण के पास एक ही जवाब है, ''नहीं मैंने खुद नहीं देखा, किसी और से सुना जरूर है.''

रात के 11 बजे जब हम पिरखौली गांव पहुंचे, तो लोगों का झुंड हमारी तरफ दौड़ता हुआ आया. हमारे हाथ में माइक देखकर वो आश्वस्त हुए कि हम मीडिया से हैं. गांव की पहरेदारी कर रहे रामनारायण ने बताया कि अगर हम मीडिया से नहीं होते तो हमें भी घेर लिया जाता.

पर कहानी यहां भी वही है, रामनारायण ने भी किसी चोर को खुद की आंखों से नहीं देखा.

अफवाहों के शिकार कौन ? 

यूपी के गांवों में अफवाहों के चलते फैल रही दहशत को देखने के बाद अब बारी थी उन लोगों से मिलने की, जो अफवाहों के शिकार हुए. यानी वो लोग जिन्हें चोर समझकर भीड़ ने हिंसा का शिकार बनाया. हम अंजरौली गांव पहुंचे, जहां एक ही परिवार के दो सदस्यों को चोर समझकर पीटा गया.

हिंसा का शिकार हुए गोविंद ने बताया कि उनके परिवार के दो सदस्यों के साथ पास के गांव में लोगों ने चोर समझकर मारपीट की. जब गोविंद उन्हें बचाने पहुंचे तो भीड़ ने गोविंद को भी चोर कहकर मारपीट शुरू कर दी. नीचे गोविंद के परिवार के सदस्यों की तस्वीर देखी जा सकती है, जिसमें वो बेहोश हालत में हैं. तस्वीर हिंसा के बाद कुछ ग्रामीणों ने ली थी.

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अयोध्या जिले में ही शुक्लापुर गांव के रहने वाले एक स्थानीय कलाकार के साथ अफवाह के चलते हिंसा हुई. करन आसपास के समारोहों में बैंजो बजाने का काम करते हैं. हम करन के घर शुक्लापुर पहुंचे. पड़ौसियों ने बताया कि पुलिस मौके पर ना पहुंचती तो हिंसा इतनी बेरहमी से हुई कि करन की जान जा सकती थी.

करन ने बताया कि जब शादी - समारोह नहीं होते, तब वो मजदूरी कर अपना परिवार पालते हैं. पर हिंसा में इतनी गंभीर चोटें आईं कि अब कुछ वक्त मजदूरी भी नहीं कर सकते. परिवार पालना एक चुनौती बन चुका है.

हिंसा के वक्त करन के सिर पर गंभीर चोटें आईं, वो बेहोश हो गए. उन्हें ये भी याद नहीं कि अफवाह फैलाने वाले कौन थे. सिर्फ ये याद है कि भीड़ ने खंभे से बांधकर बुरी तरह पीटा. पुलिस ने पहुंचकर उनकी जान बचाई. करन की पीठ पर चोट के गंभीर निशान देखे जा सकते हैं.

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अफवाहों का सच

अफवाहों का सच भी हमें उन गांवों में ही मिला, जहां अफवाहों के चलते हिंसा हो रही है. कुछ लोग ड्रोन की थ्योरी को खारिज करते नजर आ रहे हैं. साथ ही ग्रामीणों को जागरुक भी कर रहे हैं कि ऐसी किसी अफवाह के झांसे में ना आएं. खिरौनी गांव के लालबहादुर सिंह कहते हैं.

पहले जब चोरियां हुआ करती थीं, तब एक घटना के बाद चोर महीनों नहीं आते थे. इस डर से कि पकड़े जाएंगे. ये मामला तो अजब है कि रोज कथित तौर पर चोरी का हल्ला होता है, और रोज फिर चोर आ जाते हैं. ऐसा होना बिल्कुल असंभव है. कुछ लोग मनोरंजन के लिए मेले से ड्रोन खरीद लाए होंगे, जिसकी वजह से ये अफवाहें उड़ गईं.
लालबहादुर सिंह

एक अन्य ग्रामीण दुर्गेश सिंह का कहना है कि अकसर गांवों में ऐसी अफवाहें तब फैलती हैं जब लोग खेत में काम नहीं कर रहे होते और उनके पास कोई खास काम नहीं होता. वो आगे ये भी कहते हैं कि जिन गांवों को लेकर खबर आती है कि वहां चोरी हो गई, जब किसी परिचित को कॉल कर पूछते हैं तो पता चलता है कुछ नहीं हुआ.

अयोध्या इंटरनेशनल एयरपोर्ट है. रात में कई विमान निकलते हैं, जिनकी लाइट देखकर लोगों को भ्रम हो रहा है. कुछ दिनों में ही फसल की कटाई का काम शुरू हो जाएगा, आप तब आकर देखेंगे तो पाएंगे कि कोई अफवाह नहीं है. जब लोग फ्री होते हैं, तभी ऐसी अफवाहें फैलती हैं.
दुर्गेश सिंह

अलग-अलग जिलों की स्थानीय पुलिस लगातार लोगों से अपील कर रही है कि अफवाहों पर ध्यान न दें.

रायबरेली पुलिस ने ड्रोन के जरिए दहशत फैलाने के आरोप में 2 युवाओं को गिरफ्तार भी किया है. पर अब तक मिली जानकारी के मुताबिक, पुलिस की जांच में कहीं भी ये साबित नहीं हुआ है कि ड्रोन के जरिए चोरों का कोई गैंग रैकी कर रहा है.

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(द क्विंट की इस खास सीरीज में हम अफवाहों से जुड़ी वो कहानियां आप तक पहुंचा रहे हैं. जहां अफवाहों का असर लोगों की जिंदगी पर पड़ा. इस काम में आप हमारी मदद कर सकते हैं, हमारे मेंबर बनकर.)

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