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Fact Check : 2016 में लापता हुई बच्ची की फोटो हाल की बताकर वायरल

वायरल तस्वीर 2016 से इंटरनेट पर मौजूद है और अलग अलग दावों के साथ इंटरनेट पर वायरल है.

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इंटरनेट पर एक बच्ची की फोटो वायरल हो रही है. फोटो के साथ शेयर हो रहा कैप्शन है, "ये बिटिया मुंबई से आने वाली ट्रैन में बरेली में मिली है, इसका नाम सोनल पटेल है. कृपया अपनी बेटी समझ कर plz आगे शेयर करें. जिस किसी की बच्ची है उसको ये मिल जाये."

(ऐसे ही दावे करने वाले अन्य पोस्ट के अर्काइव यहां, यहां और यहां देख सकते हैं.)

क्या यह दावा सही है?: नहीं, यह दावा भ्रामक है. यह फोटो भी पुरानी है.

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वायरल फोटो का सच क्या है ?: फोटो 2016 से इंटरनेट पर मौजूद है और अलग अलग दावों के साथ शेयर की जाती रही है.

  • वायरल फोटो में मौजूद लड़की का नाम अवनी है.

  • यह बच्ची बरेली रेलवे स्टेशन पर नहीं बल्कि नागपुर रेलवे स्टेशन पर खड़ी है.

  • लड़की अपने परिवार के साथ नागपुर से भोपाल जा रही थी. स्टेशन पर भीड़ के चलते अवनी अपने परिवार के सदस्यों से बिछड़ गई.

  • बच्ची की फोटो वायरल होते ही 20 मिनट के अंदर वह अपने परिवार से दोबारा मिल गई थी.

हमनें सच का पता कैसे लगाया? : हमनें इस फोटो को Google Lens पर इमेज सर्च ऑप्शन में अपलोड किया. इस फोटो से जुड़े तमाम रिजल्ट्स हमें नजर आने लगे. सर्च में हमने पाया की यही फोटो 2016 में भी अपलोड की गई थी.

इस पोस्ट में लड़की का नाम अवनी बताया गया था. और लड़की को नागपुर रेलवे स्टेशन पर बताया गया था. यहां से अंदाजा लेकर हमने इससे मिलते-जुलते कीवर्ड्स गूगल पर ढूंढे.

इन कीवर्ड्स की मदद से हमें Indian Express की एक न्यूज रिपोर्ट मिली. इस रिपोर्ट का टाइटल था - 'सोशल मीडिया बना वरदान: अवनि की लापता तस्वीर वायरल, और 20 मिनट में उसे उसकी मां वापस मिल गई.'

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न्यूज रिपोर्ट से हमें क्या पता चला: इस न्यूज रिपोर्ट से हमें ये जानकारी मिली -

  • बच्ची की वायरल फोटो नागपुर रेलवे स्टेशन की है, ना कि बरेली की.

  • यह घटना साल 2016 के मई महीने में घटी थी. रेलवे पुलिस ने सोशल मीडिया की मदद से इस बच्ची को 20 मिनट में ही उसके परिवार वालों से मिलवा दिया था.

  • इस रिपोर्ट की मदद से हम सुरेश प्रभु के X अकाउंट पर पहुंचे, जो साल 2016 में रेल मंत्री थे.

सुरेश प्रभु ने 11 मई को इस कैप्शन के साथ इस फोटो को अपलोड किया था, "अवनी को उसके माता-पिता के साथ देखना हमारे लिए खुशी का पल है. हम भागे हुए, लापता बच्चों के लिए कड़ी मेहनत करते हैं.MR खुद मॉनिटरिंग करते हैं."

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हमें कुछ अन्य मीडिया रिपोर्ट्स भी मिलीं, जो इंडियन एक्सप्रेस में छपी खबर की पुष्टि कर रही थीं.

  • इसके साथ ही हमारी पड़ताल के दौरान हमें कुछ साल पहले की कुछ ऐसी फैक्ट-चेक रिपोर्ट्स भी मिलीं, जो इस वायरल तस्वीर का सच बयान कर चुकी थीं.

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निष्कर्ष: हमारी पड़ताल में यह साफ हो गया है कि यह तस्वीर हालिया नहीं 2016 की है. और यह घटना बरेली नहीं बल्कि नागपुर में घटी थी. बच्ची भी अपने परिवार के लोगों के पास उसी दिन वापिस लौट गई थी.

(अगर आपके पास भी ऐसी कोई जानकारी आती है, जिसके सच होने पर आपको शक है, तो पड़ताल के लिए हमारे वॉट्सऐप नंबर 9540511818 या फिर मेल आइडी webqoof@thequint.com पर भेजें. सच हम आपको बताएंगे. हमारी बाकी फैक्ट चेक स्टोरीज आप यहां पढ़ सकते हैं)

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