Google पर Hairfall treatment सर्च करते ही कोई 100 दिन में बालों का झड़ना रुकवा रहा है तो कोई 8 दिन में. साल 2024 तक भारत में हेयरफॉल रोकने से जुड़े प्रोडक्ट्स का बाजार 282.41 मिलियन डॉलर का रहा. जाहिर है इन हजारों प्रोडक्ट्स में सभी वैज्ञानिक तौर पर प्रमाणिक नहीं हैं.
ऊपरी तौर पर देखने में यही लगता है कि प्रोडक्ट कैसा भी हो, ट्राई करने में क्या जाता है? पर सच्चाई ये है कि फेक न्यूज की दुनिया में अगर कुछ सबसे ज्यादा खतरनाक है तो वो हैं स्वास्थ्य से जुड़े भ्रामक दावे. इसका जीता जागता उदाहरण है हाल में पंजाब के संगरूर की ये घटना.
मार्च 2025 में सोशल मीडिया पर हेयरफॉल के इलाज का दावा करते हुए एक तेल का जोरों शोरों से प्रचार किया गया. प्रचार में पंजाब के लोकल सेलिब्रिटीज भी शामिल थे. हजारों लोग इस कैम्प में शामिल हुए. पर सिर पर तेल लगवाने के बाद लोग जब अपने घर पहुंचे तो उन्हें अपनी आंख और स्किन पर जलन महसूस हुई. धीरे-धीरे ये जलन या यूं कहें कि साइड इफेक्ट इतना बढ़ने लगा कि बरदाश्त से बाहर हो गया. शहर में अफरा तफरी का माहौल हो गया. 200 से ज्यादा लोगों को इस भीषण आई इंफेक्शन का सामना करना पड़ा.
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द क्विंट की फैक्ट चेकिंग टीम वेबकूफ पंजाब के संगरूर पहुंची. ये पता लगाने कि जिस तेल की वजह से लोगों को इंफेक्शन झेलना पड़ा, उसका प्रचार कहां से किया गया ?
ये भी जानेंगे कि सोशल मीडिया का इसमें क्या योगदान रहा ? अफवाह का असर कितना खतरनाक हो सकता था ? और संगरूर के प्रशासन ने वक्त रहते एक्शन क्यों नहीं लिया ?
कहां से फैली अफवाह ?
पीड़ितों ने बताया कि अफवाह 9X0 Style नाम के फेसबुक पेज से फैलाई गई. इस पेज पर जाने से पता चलता है कि ये कंपनी लगातार ऐसे कैम्प आयोजित करती है, जिसमें लोगों के सिर पर एक तेल लगाया जाता है. संगरूर में 16 मार्च 2025 को लगाए गए कैम्प का प्रचार भी यहीं से हुआ.
अफवाह का असर संगरूर के लोगों पर क्या हुआ ?
संगरूर के लोगों को अफवाह का असर सिर्फ आंखों के इंफेक्शन के रूप में नहीं झेलना पड़ा. जब ये खबर मीडिया में आई, तो कैम्प में शामिल लोगों ने शर्मिंदगी भी झेली. यही वजह है कि कुछ गिनती के लोगों को छोड़ दें, तो ज्यादातर इस मामले पर बात करने को ही तैयार नहीं थे. उनका कहना था कि हमारा पहले ही काफी मजाक उड़ाया जा चुका है अब कैमरे पर आकर कुछ और कहना संभव नहीं.
एक गिफ्ट शॉप चलाने वाले संजीव कुमार से हमारी बात हुई, जो इस कैम्प में शामिल हुए थे. उन्होंने बताया कि कैम्प में दावा किया गया था कि तेल लगाने के अगले दिन से ही असर दिखना शुरू हो जाएगा.
बालों के वापस आने का तो पता नहीं पर तेल की वजह से मुझे काफी तकलीफ हुई. आंखों में इतनी ज्यादा सूजन और जलन थी कि बरदाश्त करना मुश्किल था. 2-3 घंटे तो सहन किया, पर फिर अस्पताल जाना पड़ा. समय पर इलाज हो गया, जिसके कुछ घंटों बाद राहत हुई. सिर्फ मेरा नहीं कई लोगों का उस दिन यही हाल था.संजीव कुमार, पीड़ित
आंखों में इंफेक्शन से पीड़ित लोगों का जमावड़ा इतना बड़ा था कि संगरूर में एक प्राइवेट क्लीनिक चलाने वाले डॉ. वैभव मित्तल ने अपनी क्लीनिक पर लोगों का मुफ्त इलाज करना शुरू किया. वो बताते हैं कि
कैम्प के कुछ घंटों बाद ही पूरे शहर में अफरा-तफरी का माहौल था. सबसे बड़ी समस्या थी लोगों को हो रहा असहनीय दर्द. समय पर इलाज नहीं होता तो नतीजे काफी खतरनाक हो सकते थे.डॉ वैभव मित्तल, नेत्र रोग विशेषज्ञ, संगरूर
एक्सपर्ट्स की मानें तो तेल में मौजूद पदार्थ इतना खतरनाक था कि इसे किसी भी सूरत में सिर पर या स्किन पर नहीं लगाया जा सकता.
जो पदार्थ लोगों के सिर पर लगाया गया वो कोई दवा नहीं था, वह एक उत्तेजक पदार्थ था. इससे इरिटेंट कॉन्टैक्ट डर्मेटाइटिस नाम की स्थिति पैदा हो गई. जब यह उत्तेजक पदार्थ त्वचा के संपर्क में आया, तो इससे त्वचा में सूजन आ गई और छाले हो गए. सूजन इतनी गंभीर थी कि यह आंखों तक पहुंच गई. तेल में मौजूद पदार्थ बहुत ज़्यादा तेज था और कि इसे सिर पर लगाना या अपनी स्किन पर लगाना बिल्कुल सुरक्षित नहीं था.डॉ. नवदीप, चर्म रोग विशेषज्ञ संगरूर
तेल का प्रचार करने वालों पर क्या एक्शन हुआ ?
संगरूर के प्रशासन का कहना है कि कैम्प बिना अनुमति के लगाया गया था. कैम्प का आयोजन करने वाले तेजिंदरपाल सिंह और अमनदीप सिंह के खिलाफ पुलिस ने FIR दर्ज कर ली है. FIR भ्रामक दवाइयों का प्रचार करने से जुड़ी धाराओं में दर्ज हुई है. घटना के 2 महीने बाद आरोपी अमनदीप सिंह की अग्रिम जमानत याचिका को खारिज करते हुए पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट ने कहा कि ये मामला पब्लिक हेल्थ से जुड़ा है और गंभीर है.
हालांकि, बड़ा सवाल ये है कि एक्शन अफवाह का असर सामने आने के बाद क्यों हुआ ? जिस वक्त बिना साइंटिफिक एविडेंस वाले तेल का प्रचार किया जा रहा था क्या उस वक्त उसे रोका नहीं जाना चाहिए था ? हजारों की संख्या में लोग जिस कैम्प में शामिल हो रहे हों, उसकी संगरूर प्रशासन को भनक तक नहीं लगी, क्या ये संभव है ?
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