सुप्रीम कोर्ट ने 18 सितंबर को सुदर्शन न्यूज के एडिटर सुरेश चव्हाणके से एक हलफनामा दायर करने को कहा, जिसमें वो बताएंगे कि उनके शो 'UPSC जिहाद' पर जताई गई चिंताओं को वो कैसे एड्रेस करेंगे. इसके बाद कोर्ट देखेगा कि शो के ब्रॉडकास्ट पर लगे स्टे को हटाना है या नहीं.
सुदर्शन न्यूज की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ वकील श्याम दीवान ने स्टे हटाने और अभी तक ब्रॉडकास्ट हो चुके चार एपिसोड के कंटेंट के बचाव को लेकर कई तर्क दिए.
जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, इंदु मल्होत्रा और केएम जोसफ ने चैनल से शो के कंटेंट को लेकर कई कड़े सवाल पूछे. कंटेंट पर कई दिक्कतें जाहिर करने के बाद जस्टिस जोसफ ने कहा, “बात ये है कि आप पूरे समुदाय की छवि खराब कर रहे हैं.”
कोर्ट वकील फिरोज इकबाल की शो के ब्रॉडकास्ट के खिलाफ दायर की गई याचिका पर सुनवाई कर रहा था. इसके अलावा जामिया के छात्रों और कई रिटायर्ड सिविल सर्वेन्ट्स ने भी इंटरवेंशन एप्लीकेशन दायर की हैं.
15 सितंबर को हुई सुनवाई के दौरान इसी बेंच ने ब्रॉडकास्ट पर अगले आदेश तक रोक लगा दी थी. अब मामले की अगली सुनवाई 21 सितंबर दोपहर 2 बजे होगी.
सुदर्शन न्यूज और चव्हाणके के तर्क
चैनल के वकील श्याम दीवान ने कहा कि चव्हाणके को लगता है कि उनका शो तथ्यों के मामले में 'बहुत सॉलिड' है और उन्होंने जकात फाउंडेशन ऑफ इंडिया समेत शो से जुड़ी सभी पार्टियों से टिप्पणी के लिए संपर्क किया, लेकिन सबने मना कर दिया.
वकील ने कहा कि चव्हाणके ने अपने हलफनामे में कहा है कि सुदर्शन न्यूज 15 सालों से चल रहा है और अब तक उस पर किसी भी नियम के उल्लंघन का आरोप नहीं लगा. वकील श्याम दीवान ने कहा कि चव्हाणके ने अपने शो का 'इंवेस्टिगेटिव जर्नलिज्म' के तौर पर बचाव किया है और ये एक कोशिश है जिससे कि जनता और सरकार को 'एंटी-नेशनल और एंटी-सोशल गतिविधियों' और 'मोडस ऑपरेंडी' के बारे में बताया जाए.
दीवान ने उन डॉक्युमेंट्स के बारे में भी बताया, जो चैनल को लगता है कि जकात फाउंडेशन के अधिकारी और आतंकी संगठनों से जुड़े लोगों के बीच का कनेक्शन साबित करते हैं.
वकील का कहना था कि शो ‘तथ्यों पर आधारित जर्नलिज्म’ है. श्याम दीवान ने कहा, “शो में जरूरी तथ्य और मुद्दे उठाए गए, जिनके बारे में लोगों का जानना जरूरी है. अगर ये शो न होता, तो ये जरूरी जानकारी लोगों तक नहीं पहुंच पाती.”
कोर्ट ने क्या कहा?
जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि सुदर्शन न्यूज को शो और जकात फाउंडेशन की तथ्य-आधारित जांच करने का अधिकार है. हालांकि, उन्होंने कहा कि वकील श्याम दीवान ने शो में चव्हाणके की 'भाषा पर ध्यान नहीं दिया."
याचिकाकर्ताओं ने जो सामग्री दायर की थी, उसको देखने के बाद जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि चैनल ने मुस्लिम नेताओं की बातचीत के दौरान बैकग्राउंड में आग की लपटें दिखाई और टोपी लगाए हुए आदमी दिखाए, जिन्होंने हरी शर्ट पहनी हुई थीं और उनकी आंखे बाहर आ रही थीं.
जस्टिस चंद्रचूड़ का कहना था कि चव्हाणके ने जो भाषा इस्तेमाल की, समुदाय के बारे में जो कहा, उससे समस्या है.
आपको जकात फाउंडेशन की जांच करनी है करिए, लेकिन ये कहना कि पूरा समुदाय इसमें शामिल है ठीक नहीं है और ये समस्या है. इससे ये लगता है कि सभी यंग मुस्लिमों का सिविल सर्विस में जाना एक साजिश है सिविल सर्विस पर कब्जा करने की.जस्टिस चंद्रचूड़
जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा, "पूरे समुदाय की छवि खराब करना बोलने की आजादी से नफरत की ओर जाता है. आप ये कह सकते हैं कि एक विदेशी संगठन है जिसकी फंडिंग में दिक्कत है. लेकिन समुदाय के हर सदस्य को ब्रांड कर देना, ये समस्या है."
जस्टिस इंदु मल्होत्रा ने कहा कि ऐसा शो दिखाते समय लपटें और 'तकलीफ पहुंचाने वाली' स्टीरियोटिपिकल तस्वीरें इस्तेमाल नहीं होनी चाहिए.
भाषा, ग्राफिक्स और टोन को देखिए और ये तथ्य कि शो में इस बात की आलोचना हो रही है कि जो मुस्लिम जनसंख्या के करीब 15 प्रतिशत हैं, उनका सिविल सर्विस में प्रतिनिधित्व बढ़ रहा है. उनका प्रतिनिधित्व कम ही है वहां. आप क्या बताना चाह रहे हैं? जब चार एपिसोड ब्रॉडकास्ट हो चुके हैं तो क्या आप अपना भाषण जारी रखेंगे? आखिरी बात यही है कि आप एक समुदाय की छवि खराब कर रहे हैं.जस्टिस केएम जोसफ
जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि कोर्ट का ये संवैधानिक दायित्व है कि वो मानव गरिमा की हिफाजत करे, जो कि बोलने की आजादी जितना ही जरूरी है. इस दौरान चव्हाणके ने हलफनामा जल्द से जल्द दायर करने की बात कही.