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काली पट्टी, BJP-नीतीश निशाने पर..पटना में वक्फ कानून के खिलाफ रैली में क्या हुआ?

इमारत-ए-शरीयत के बैनर तले पटना में 'वक्फ बचाओ, संविधान बचाओ कॉन्फ्रेंस' का आयोजन.

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29 जून को पटना के गांधी मैदान में वक्फ संशोधन अधिनियम, 2025 के खिलाफ एक बड़ी रैली का आयोजन किया गया. इमारत-ए-शरीयत के बैनर तले आयोजित 'वक्फ बचाओ, संविधान बचाओ कॉन्फ्रेंस' में राज्य भर के विभिन्न जिलों से लोग शामिल हुए.

यह रैली बिहार, झारखंड, ओडिशा और पश्चिम बंगाल समेत कई राज्यों में आयोजित विरोध सभाओं के बाद हुई थी. इमारत-ए-शरीयत ने इस कानून को असंवैधानिक और समाज विरोधी बताते हुए इसे वापस लेने की मांग की है.

गौरतलब है कि अप्रैल में संसद द्वारा पारित इस कानून की संवैधानिक वैधता को लेकर मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है. संगठन का कहना है कि यह कानून न केवल संविधान के कई प्रावधानों के खिलाफ है, बल्कि यह देश में सांप्रदायिक सौहार्द को भी कमजोर करता है.

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रैली में शामिल हुए कई विपक्षी नेता

रैली में विपक्ष के कई प्रमुख नेताओं ने काली पट्टी बांधकर अपना विरोध दर्ज कराया. बिहार विधानसभा में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव, सीपीआई (एमएल) लिबरेशन के दीपांकर भट्टाचार्य, राज्यसभा सदस्य इमरान प्रतापगढ़ी और लोकसभा सदस्य पप्पू यादव के अलावा इंडिया गठबंधन के अन्य सांसद और विधायक भी मौजूद रहे. कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष राजेश कुमार ने लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी और पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे का समर्थन संदेश भी पढा.

इमारत-ए-शरिया के प्रमुख मौलाना फैसल रहमानी ने इस रैली को "आंदोलन का मील का पत्थर" बताया और कहा कि यह विरोध यहीं समाप्त नहीं होगा. उन्होंने कहा,

"यह कानून असंवैधानिक और अल्पसंख्यक विरोधी है. यह हमारे धार्मिक स्थलों और विरासत भवनों को छीनने का प्रयास है. जब तक केंद्र सरकार वक्फ का यह काला कानून वापस नहीं लेती, तब तक यह संघर्ष जारी रहेगा.
फैसल रहमानी, इमारत-ए-शरिया के प्रमुख

"वक्फ संशोधन कानून को कूड़ेदान में फेंक देंगे"

वक्फ कानून विरोधी रैली को संबोधित करते हुए आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने केंद्र सरकार पर जमकर निशाना साधा. उन्होंने कहा, "जब 2025 में वक्फ संशोधन विधेयक संसद में लाया गया, तो हमने इसका दोनों सदनों में कड़ा विरोध किया. इसे जॉइंट पार्लियामेंट्री कमेटी और सुप्रीम कोर्ट में भी चुनौती दी गई है. यह लड़ाई संसद से लेकर सड़क और अदालत तक जारी रहेगी."

तेजस्वी ने आगे कहा, "आपकी जमीन छीनी जा रही है और अब वे अल्पसंख्यक समुदायों के गरीबों, पिछड़ों, दलितों और अति पिछड़ों के मताधिकार को भी छीनने की कोशिश कर रहे हैं. जो लोग आज सत्ता में हैं, वे जल्दी ही जाने वाले हैं. जब गरीबों की सरकार सत्ता में आएगी, तो बिहार इस कानून को कूड़ेदान में फेंक देगा."

लोकसभा सांसद पप्पू यादव ने भी कानून को लेकर सरकार की आलोचना की. उन्होंने कहा,

"वक्फ की जमीन किसी मुसलमान की नहीं, बल्कि अल्लाह की है. कोई मुसलमान किसी की जमीन नहीं छीनता, बल्कि जमीन का सबसे बड़ा सौदागर बीजेपी है. यह जमीन हथियाने की साजिश नहीं चलेगी."

पप्पू यादव ने आगे कहा कि संसद में 243 सांसदों ने वक्फ के विरोध में वोट दिया था और जब तक संसद और सुप्रीम कोर्ट है, तब तक वक्फ को कोई छू भी नहीं सकता.

AIMIM नेता अख्तरुल ईमान ने कहा कि मोदी सरकार जब से सत्ता में आई है, तब से मुसलमानों को निशाना बनाया जा रहा है. उन्होंने आरोप लगाया कि पहले तीन तलाक और एनआरसी के जरिए मुसलमानों को टारगेट किया गया, और अब वक्फ संशोधन अधिनियम के जरिए उनके धार्मिक स्थलों को उजाड़ने की कोशिश हो रही है.

उन्होंने कहा, "यह काला कानून सिर्फ मुसलमानों के खिलाफ नहीं है, बल्कि इस्लाम की जड़ों को उखाड़ने की साजिश है. हम अपनी गर्दन कटा सकते हैं, लेकिन खुदा के घरों को उजड़ने नहीं देंगे."

कांग्रेस सांसद इमरान प्रतापगढ़ी ने रैली को संबोधित करते हुए कहा, "यह मुल्क नरेंद्र मोदी जी की जागीर नहीं है. यह मुल्क हिंदुस्तानियों का है, और हम अपने आबा-ओ-अजदाद (पूर्वज) की जमीनों को बचाने के लिए जो भी कुर्बानी जरूरी होगी, वह देंगे."

'वक्फ बचाओ, संविधान बचाओ कॉन्फ्रेंस' पर बीजेपी ने दी प्रतिक्रिया

बीजेपी सांसद सुधांशु त्रिवेदी ने 30 जून को प्रेस कॉन्फ्रेंस में इंडिया गठबंधन और आरजेडी नेता तेजस्वी यादव पर निशाना साधा. उन्होंने वक्फ संशोधन अधिनियम पर तेजस्वी के बयान की आलोचना करते हुए कहा, "संसद के कानून को कूड़ेदान में फेंकने की बात करना न तो संसद का सम्मान है और न ही न्यायपालिका का."

त्रिवेदी ने विपक्षी दलों पर तंज कसते हुए कहा, समाजवाद का 'वस्त्र' ओढ़े हुए आरजेडी और समाजवादी पार्टी सहित कई दल 'उत्पीड़ित' मुसलमानों के अधिकारों के लिए नहीं लड़ रहे हैं. इन दलों के समाजवाद को अगर "नमाजवाद" कहा जाए तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी.

त्रिवेदी ने विपक्ष पर आरोप लगाते हुए कहा, "अगर इनकी सरकार बनी तो, इंडिया गठबंधन शरिया कानून लागू करने की कोशिश करेगा."

वक्फ कानून क्या है?

वक्फ संशोधन पर नया कानून, 1995 के वक्फ एक्ट को संशोधित करने के लिए लाया गया है. सरकार की माने तो इस कानून का उद्देश्य वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन और नियंत्रण से जुड़ी समस्याओं का समाधान करना है. इस बिल का नाम यूनाइटेड वक्फ मैनेजमेंट एम्पॉवरमेंट, एफिशिएंसी एंड डेवलपमेंट एक्ट-1995 यानी उम्मीद है.

इस कानून में प्रावधान किया गया है कि यदि कोई व्यक्ति अपनी जमीन वक्फ करना चाहता है तो उसमें विधवा या तलाश शुदा महिला या यतीम बच्चों के अधिकार वाली संपत्ति को वक्फ नहीं किया जा सकेगा. वहीं कोई व्यक्ति अपनी संपत्ति तभी वक्फ को दान कर सकता है, जब वह कम से कम पांच साल तक इस्लाम का पालन कर रहा हो.

सरकार का दावा है कि इस कानून के द्वारा वक्फ संपत्तियों के उचित प्रबंधन से इनका बेहतर उपयोग सुनिश्चित होगा और इनसे प्राप्त होने वाले लाभ समाज के विकास के लिए उपयोग किए जा सकेंगे. हालांकि, इस कानून को लेकर मुस्लिम समुदाय में व्यापक असंतोष है.

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