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दिल्ली चुनाव: BJP ने इन 5 फैक्टर से दिल्ली में तोड़ा 'केजरी-वॉल'

बीजेपी को करीब 46 फीसदी वोट मिले हैं, वहीं 'आप' को करीब 44 फीसदी.

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"ये बीजेपी वाले हमको काम नहीं करने दे रहे हैं जी. एलजी हमारे बिल को अटकाकर रखते हैं. हमारे नेताओं को जेल में डाल रहे हैं." जब भी दिल्ली में सड़क, पानी, कूड़ा को लेकर कोई सवाल होता तो ऐसे ही जवाब आम आदमी पार्टी के लगभग सभी नेताओं के मुंह से निकलते. और ऐसे ही बयान के बाद बीजेपी कहती कि दिल्ली को डबल इंजन सरकार चाहिए. यही बात कहीं न कहीं मिडिल क्लास और फ्लोटिंग वोटरों (मुद्दों और विकास के वादों पर वोट करने वाले) के मन में बैठ गई. वोटर को काम चाहिए, सड़क, पानी, सफाई चाहिए. और ये एक अहम वजह है जो दिल्ली में 'आप' साफ हुई और बीजेपी की 27 साल बाद वापसी.

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BJP की जीत की 5 बड़ी वजह

2020 विधानसभा चुनाव में बीजेपी को 70 में से सिर्फ 8 सीटें आई थीं, लेकिन इस बार बीजेपी ने दिल्ली की सत्ता के रास्ते में रुकावट बनी केजरीवाल नाम की 'वॉल' यानी दीवार को तोड़ दिया. बीजेपी को करीब 46 फीसदी वोट मिले हैं. वहीं 'आप' को करीब 44 फीसदी, लेकिन सीट के मामले बीजेपी आप से डबल है- 70 में से 48 और 'आप' को सिर्फ 22 सीटें. लेकिन बीजेपी की इस जीत के पीछे कई और फैक्टर भी हैं, जिसका जिक्र हम इस आर्टिकल में आगे करेंगे.

1. मिडिल क्लास

बीजेपी की जीत में सबसे बड़ा योगदान मिडिल क्लास वोटर का माना जा सकता है. पीपुल रिसर्च ऑन इंडियाज कंज्यूमर इकोनॉमी की 2022 की रिपोर्ट के मुताबिक, दिल्ली की आबादी में 67% मिडिल क्लास हैं. ये वो मिडिल क्लास है जिसने भ्रष्टाचार (कॉमनवेल्थ गेम से लेकर बिजली की टैरिफ) के सिर्फ आरोपों पर ही कांग्रेस की शीला दीक्षित की 15 साल की सरकार को बदल दिया था और केजरीवाल के वादों पर यकीन किया था.

बीजेपी ने भी आम आदमी पार्टी का ही दाव चला, शीला दीक्षित की तरह ही केजरीवाल की छवि पर भी सवाल उठे. शराब नीति को लेकर आम आदमी पार्टी के सबसे बड़े नेता केजरीवाल से लेकर मनीष सिसोदिया जेल गए. सत्येंद्र जैन को भी मनी लॉन्ड्रिंग मामले में करीब ढाई साल जेल में रहना पड़ा. पीएम मोदी से लेकर बीजेपी के लगभग हर नेताओं ने अपने प्रचार में केजरीवाल और पार्टी को भ्रष्ट कहा. भ्रष्टाचार के आरोपों ने आम आदमी पार्टी की छवि को गंभीर नुकसान पहुंचाया.

इसके अलावा बीजेपी ने मिडिल क्लास वोटरों के बीच में केजरीवाल के पुराने बंगला-बड़ी गाड़ी न लेने जैसे वादों को याद दिलाकर सीएम हाउस को शीशमहल बताकर प्रचार किया. जिससे AAP के 10 साल के शासन के खिलाफ वोटर में असंतोष बढ़ा.

इन सबके बीच 5 फरवरी 2025 को दिल्ली के चुनाव से पहले 2 फरवरी को देश का बजट आया. इस बजट में मोदी सरकार ने मिडिल क्लास को लुभाने का ब्रह्मास्त्र चला- टैक्स छूट का ऐलान. इनकम टैक्स में छूट सीमा को ₹7 लाख से बढ़ाकर ₹12 लाख करने की घोषणा ने मिडिल क्लास वोटर को बीजेपी की ओर आकर्षित किया.

2. सड़क-पानी और कूड़ा

दिल्ली की सड़कें, सीवर की खराब स्थिति, कूड़े का ढ़ेर- ये एक वजह है जिसपर आम आदमी पार्टी बैकफुट पर नजर आई. पहले सफाई के मुद्दे पर आम आदमी पार्टी एमसीडी में कम सीटों का हवाला देती थी, लेकिन 2022 से आम आदमी पार्टी एमसीडी में सत्ता में है. इसका मतलब यह है कि अब सफाई के मुद्दे पर बीजेपी पर जिम्मेदारी नहीं डाला जा सकता.

ऐसे में उफनती नालियां, गड्ढों वाली सड़कें और कचरे के ढ़ेर ने दिल्ली के वोटर को नाराज किया. इस मुद्दे का फायदा बीजेपी को हुआ. यमुना नदी की सफाई और एयर पॉल्यूशन को रोकने में भी केजरीवाल सरकार सवालों के घेरे में रही. बीजेपी ने इसे चुनावी मुद्दा बनाया और इसका फायदा भी हुआ.

3. बीजेपी के वादे आप से आगे?

बीजेपी ने जब अपना चुनावी घोषणा पत्र जारी किया तब एक ही सवाल था कि क्या फ्रीबीज दिल्ली में बंद हो जाएंगे? लेकिन बीजेपी ने एक कदम आगे बढ़ते हुए कहा- दिल्ली में जारी कल्याणकारी योजनाएं जैसे चल रही हैं वैसे ही चलेंगी. मतलब दिल्ली में बिजली-पानी और महिलाओं के लिए बस यात्रा फ्री रहेंगी, साथ ही कई कैश स्कीम का फायदा भी मिलेगा.

बीजेपी ने महिलाओं को लिए आम आदमी पार्टी के 2100 रुपए वाली योजना के सामने 2500 रुपए का वादा कर दिया. बीजेपी ने इस बात को भी मुद्दा बनाया कि आम आदमी पार्टी ने पहले महिलाओं को 1000 रुपए देने का वादा किया था, जब वो ही पूरा नहीं हुआ तो 2100 रुपए कैसे देंगे.

इसके अलावा बीजेपी ने गरीब परिवारों को एलपीजी सिलेंडर पर 500 रुपये की सब्सिडी का ऐलान किया और होली-दिवाली में एक-एक गैस सिलेंडर फ्री देने का वादा किया. साथ ही 60 साल की उम्र से ऊपर के बुजुर्गों, विधवाओं, दिव्यांगों की पेंशन 2,500 से बढ़ाकर 3,000 रुपये करने का वादा किया.

झुग्गी-झोपड़ियों और अनाधिकृत कॉलोनियों के लोगों को टार्गेट किया. दिल्ली में 3 जनवरी 2025 को अशोक विहार में झुग्गी-बस्ती में रहने वाले 1600 से ज्यादा परिवारों को 'स्वाभिमान फ्लैट्स' की चाबी सौंपी. इन फ्लैट्स को झुग्गी-बस्ती के स्थान पर ही बनाया गया है.

4. एलजी-आप की लड़ाई का फायदा बीजेपी को

पिछले कुछ सालों में दिल्ली सरकार और एलजी, जिनके पास राष्ट्रीय राजधानी में महत्वपूर्ण शक्ति है, के बीच तकरार देखी गई है. जिसका असर दिल्ली के विकास पर पड़ता दिखा. बीजेपी भी ये कहती रही कि दिल्ली से सटे यूपी और हरियाणा में डबल इंजान सरकार बेहतर ढंग से चल रही है, ऐसे में वोटर के मन में ये भी एक प्वाइंट था कि केंद्र द्वारा नियुक्त एलजी के साथ बीजेपी की सरकार ज्यादा सुचारू रूप से काम कर सकती है.

5. पूर्वांचल वोट और बीजेपी का मैनेजमेंट

ऐसे तो कोई आधिकारिक सरकारी डेटा नहीं है, लेकिन एक अनुमान के हिसाब से दिल्ली में तकरीबन 20-25% पूर्वांचली वोटर हैं. दिल्ली की करीब 14 सीटों पर पूर्वांचल वोटर की पकड़ है. पूर्वांचल मतलब उत्तर प्रदेश का पूर्वी हिस्सा और उससे लगे बिहार के हिस्से में रहने वाले लोग. और इस बार बीजेपी ने इन्हीं वोटरों को अपने पाले में लाने का काम किया है. जिन 14 सीटों पर पूर्वांचल के लोगों की पकड़ है उनमें से 11 पर बीजेपी को जीत हासिल हुई है.

भारतीय जनता पार्टी द्वारका, लक्ष्मी नगर, करावल नगर, पटपड़गंज, राजिंदर नगर, संगम विहार, शालीमार जैसी सीटों पर जीत हासिल की है.

बीजेपी ने यूपी और बिहार के वोटर्स को अपने पाले में लाने के लिए यूपी और बिहार के करीब 100 से ज्यादा सांसद-विधायक को कैंपेन के लिए उतारा था. और ये भी एक अहम वजह है कि बीजेपी ने दिल्ली की सल्तन्त पर 27 साल बाद कब्जा कर लिया.

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