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सीमांचल का 'सुल्तान'- ओवैसी? 5 सीटों पर AIMIM जीती, 4 पर तेजस्वी का खेल बिगाड़ा

AIMIM ने 25 उम्मीदवारों को टिकट दिया था. जिसमें ढ़ाका से एक हिंदू कैंडिडेट राणा रंजीत को चुनावी मैदान में उतारा था.

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जिसे तेजस्वी यादव ने कट्टरपंथी कहकर अपने गठबंधन में लेने से इनकार कर दिया, जिसे ज्यादातर विपक्षी पार्टियां वोट कटवा और बीजेपी की बी टीम कहती रही, जिसे विश्लेषक बाहरी बताते रहे उस असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) ने बिहार चुनाव में अपना बदला ले लिया. हां बदला.

फिल्म गैंग्स ऑफ वसेपुर का डायलॉग है न- सबका बदला लेगा रे तेरा फैजल.. वैसे ही असुद्दीन ओवैसी ने महागठबंधन से अपना बदला ले लिया. और एक बार फिर बिहार की उन सभी 5 सीटों पर कब्जा कर लिया जिसे 2020 के विधानसभा चुनाव में जीता था, लेकिन 2022 में 5 से 4 विधायक आरजेडी के पाले में चले गए थे. तीन साल बाद ओवैसी ने फिर से खुद को सीमांचल का सुल्तान साबित कर दिया है.

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महागठबंधन को कितना नुकसान

AIMIM ने 25 उम्मीदवारों को टिकट दिया था. जिसमें ढ़ाका से एक हिंदू कैंडिडेट राणा रंजीत को चुनावी मैदान में उतारा था. हालांकि उन्हें सिर्फ 5 हजार के करीब वोट मिले और वो चौथे नंबर पर हैं. वहीं ओवर ऑल की बात करें तो AIMIM को 5 पर जीत हासिल हुई, दो सीट पर दूसरे नंबर पर, 12 सीटों पर तीसरे नंबर पर और 5 सीटों पर चौथे नंबर पर AIMIM के कैंडिडेट रहे.

वहीं चार सीट- केवटी, कसबा, शेर घाटी और दरभंगा ग्रामीण- ऐसी है जहां AIMIM ने महागठबंधन को नुकसान पहुंचाया है. अगर इसे पलट दें तो दो सीट-ठाकुरगंज और बलरामपुर में ये लॉजिक लगाया जा सकता है कि महागठबंधन की वजह से AIMIM को नुकसान हुआ है.

AIMIM की जीत के पीछे क्या फैक्टर?

एआईएमआईएम ने इस बार फिर सीमांचल पर फोकस किया. पिछली बार 2020 में एआईएमआईएम ने अमौर, बहादुरगंज, बायसी, जोकीहाट और कोचाधामन सीटें जीती थी.

AIMIM का वोट बैंक सीमांचल के मुस्लिम समाज की विभिन्न उप-समुदायों में फैला हुआ है, पार्टी ने कुलहैया-बहुल जोकीहाट और सुरजापुरी-बहुल अमौर दोनों सीटों से जीत दर्ज की है.

किन सीटों पर AIMIM जीती

जोकीहाट: AIMIM के मोहम्मद मुर्शिद आलम ने JD-U के मंजर आलम को 29,000 वोटों से हराया. AIMIM के ही पूर्व विधायक शाहनवाज आलम, जो RJD में शामिल हो गए थे, चौथे नंबर पर रहे. शाहनवाज, सीमांचल के पुराने बाहुबली मोहम्मद तस्लीमुद्दीन के बेटे हैं. उनके भाई सरफराज आलम जन सुराज के टिकट पर लड़कर तीसरे नबर पर रहे.

अमौर: AIMIM के बिहार अध्यक्ष अख्तरुल इमान ने अपनी सीट अमौर पर बड़ी ही आसानी से जीत हासिल की और JD-U की सबा जफर को लगभग 39,000 वोटों से हराया. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व MLA अब्दुल जलील मस्तान तीसरे नंबर पर रहे.

ऐसे तो अख्तरुल इमान कोचाधामन के हैं, लेकिन 2020 में अमौर शिफ्ट हुए थे और तब भी अब्दुल जलील मस्तान को हराया था.

कोचाधामन: मोहम्मद सरवर आलम ने मास्टर मुजाहिद आलम को 23,000 वोटों से हराया. महागठबंधन को इस सीट से उम्मीद थी कि ये उनके पक्ष में जा सकती है, क्योंकि मुजाहिद आलम JDU छोड़कर आरजेडी में आ गए थे. लेकिन ये सीट फिर से AIMIM के खाते में गई.

बहादुरगंज: AIMIM के मोहम्मद तौसीफ आलम ने कांग्रेस के मुसव्विर आलम को 28726 वोटों से हराया है.

बायसी: AIMIM के गुलाम सरवर ने BJP के विनोद कुमार को 27000 वोटों से हराया है. यह मुस्लिम-बहुल सीट इसलिए रोचक हो गई थी क्योंकि AIMIM के सरवर और RJD के अब्दुस सुब्हान के बीच वोट बंट गए थे, जिससे BJP भी मुकाबले में आ गई थी. हालांकि इसके बाद भी गुलाम सरवर जीत गए.

करीबी हार

बलरामपुर: यहां AIMIM के आदिल हसन सिर्फ 389 वोट से चुनाव हार गए. आदिल हसन को 80000 हजार से ज्यादा वोट मिले हैं. यहां एलजेपी की (राम विलास) की संगीता देवी ने जीत हासिल की है.

ठाकुरगंज: AIMIM के गुलाम हसनैन दूसरे स्थान पर रहे और JD-U उम्मीदवार से 8,800 वोटों से हार गए.

किशनगंज: AIMIM के शम्स आगाज ने 50,000 से अधिक वोट हासिल किए, लेकिन कांग्रेस और BJP के पीछे तीसरे स्थान पर रहे. यह सीट अंततः कांग्रेस के मोहम्मद कमरुल होदा ने जीती. अररिया में AIMIM का प्रदर्शन भी इसी तरह का रहा.

कसबा (पूर्णिया): AIMIM को 35,000 से अधिक वोट मिले, लेकिन वे तीसरे स्थान पर रहे.

प्राणपुर (कटिहार): AIMIM के अफताब आलम को 25,000 से अधिक वोट मिले. यह सीट दिलचस्प इसलिए रही क्योंकि यहां AIMIM के दो दोस्त — अफताब आलम और कंचन दास — को संयुक्त उम्मीदवार की तरह देखा जा रहा था, हालांकि आधिकारिक उम्मीदवार अफताब ही थे.

शेरघाटी (गया): यहां भले ही एमआईआएम चौथे नंबर पर रही हो लेकिन महागठबंधन के उम्मीदवार को बड़ा नुकसान कर गई. लोक जन शक्ति पार्टी (राम विलास) के उम्मीदवार ने आरजेडी को 13500 के करीब वोटों से हरा दिया है. जब्कि AIMIM के उम्मीदवार शान-ए-अली खान को 14700 वोट मिले हैं. इस सीट पर जन सुराज के उम्मीदवार को भी 18982 वोट मिले हैं.

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कुल मिलाकर AIMIM ने अपने आलोचकों को कुछ हद तक गलत साबित किया और अपनी सीटें बरकरार रखी.

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