सोमवार (15 दिसंबर) की दोपहर मुख्यमंत्री सचिवालय में 1283 नवनियुक्त आयुष चिकित्सकों को नियुक्ति पत्र देने का कार्यक्रम चल रहा था. कार्यक्रम के मुख्य अतिथि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) चिकित्सकों को नियुक्ति पत्र बांट रहे थे. ये कार्यक्रम सूचना व जनसंपर्क विभाग के फेसबुक पेज पर भी लाइव चल रहा था कि अचानक लाइव रिकॉर्डिंग कर रहे कैमरामैन ने कैमरा मुख्य कार्यक्रम से दूसरी तरफ घुमा दिया और लाइव भी आनन-फानन में खत्म कर दिया गया. लेकिन, तब तक काफी देर हो चुकी थी.
दरअसल, नीतीश कुमार ने एक मुस्लिम महिला आयुष चिकित्सक को नियुक्त पत्र देते वक्त उनका हिजाब खींच दिया और ये वीडियो सूचना व जनसंपर्क विभाग के फेसबुक पेज पर चल रहा था. सूचना व जनसंपर्क विभाग से जुड़े सूत्रों ने बताया कि लाइव कटने के चार मिनट बाद तक वह वीडियो फेसबुक पेज पर मौजूद था. इसके बाद उसे हटाया गया और बाद में फेसबुक पेज पर रिकॉर्डेड वीडियो डाला गया जिसमें हिजाब हटाने वाला हिस्सा काटा जा चुका था. लेकिन तब तक उक्त वीडियो का विवादित हिस्सा फेसबुक से लेकर अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों पर छा चुका था.
वायरल वीडियो में वह महिला से क्या पूछते दिख रहे हैं?
वायरल वीडियो में वह महिला से पूछते दिख रहे हैं- यह क्या है जी? इसको हटाइए. और फिर वह अपने हाथ से हिजाब खींचने लगते हैं. उनकी बाईं तरफ डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी हैं, जो इस घटनाक्रम से असहज दिख रहे हैं, जबकि सीएम की दाहिनी तरफ खड़े स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय मुस्कुराते हुए नजर आ रहे हैं.
15 दिसंबर की घटना के बाद सूचना व जनसंपर्क विभाग ने अतिरिक्त सावधानी बरतना शुरू कर दिया है. विभाग ने नीतीश कुमार की मौजूदगी वाले सरकारी कार्यक्रमों की फेसबुक पर लाइव स्ट्रीमिंग भी बंद कर दी है. अब रिकॉर्डेड वीडियो अपलोड किये जा रहे हैं.
उक्त कार्यक्रम में शामिल नवनियुक्त आयुष चिकित्सकों में से एक ने द क्विंट के साथ बातचीत में कहा, “लगभग डेढ़ दर्जन नवनियुक्त चिकित्सकों का चयन मंच पर जाकर नियुक्ति पत्र लेने के लिए हुआ था. इनमें से आधा दर्जन चिकित्सकों को मुख्यमंत्री ने नियुक्ति पत्र दिये.” उक्त चिकित्सक ने नाम नहीं छापने की शर्त पर कहा-
“हिजाब प्रकरण के चलते वहां कुछ देर के लिए गहमागहमी बढ़ गई थी, लेकिन फिर भी मुख्यमंत्री ने दो-तीन और चिकित्सकों को नियुक्ति पत्र दिया. बाकी चिकित्सकों को सम्राट चौधरी और मंगल पांडेय ने नियुक्ति पत्र सौंपा और आनन-फानन में जल्दी-जल्दी कार्यक्रम खत्म किया गया,”
पीड़ित महिला चिकित्सक लगभग 100 साल पुराने गवर्मेंट तिब्बी कॉलेज व हॉस्पिटल में यूनानी मेडिसिन में पोस्ट ग्रेजुएट की पढ़ाई कर रही हैं. गवर्मेंट तिब्बी कॉलेज और हॉस्पिटल युनानी मेडिसिन की शिक्षा देने वाला देश का पहला मेडिकल कॉलेज है.
एक अन्य चिकित्सक, जिनका पीड़ित महिला चिकित्सक से संपर्क है, ने नाम नहीं छापने की शर्त पर कहा, “ऐसा नहीं है कि वह कार्यक्रम में हिस्सा लेने हिजाब में गई थी. कॉलेज में भी वह हिजाब में ही रहती हैं. ये उसका नॉर्मल ड्रेस है, इसलिए नियुक्ति पत्र वितरण कार्यक्रम में भी हिजाब में गई थीं.”
“इस प्रकरण से उसे बहुत दुख पहुंचा है और वह बहुत डिस्टर्ब है. वह नहीं चाहती है कि ये मामला मीडिया में और उछले इसलिए वह कोई टिप्पणी नहीं करना चाहती है.”उक्त चिकित्सक ने द क्विंट से कहा
राज्य की मुख्य विपक्षी पार्टी राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी ) ने घटना का वीडियो अपने सोशल मीडिया हैंडल पर साझा कर नीतीश कुमार की तीखी आलोचना की है. अपने फेसबुक पेज पर आरजेडी ने लिखा – यह क्या हो गया है नीतीश जी को? मानसिक स्थिति बिल्कुल ही अब दयनीय स्थिति में पहुंच चुकी है या नीतीश बाबू सचमुच अब 100 प्रतिशत संघी हो चुके हैं?
कांग्रेस ने अपने सोशल मीडिया हैंडल एक्स पर उक्त वीडियो को शेयर करते हुए लिखा, “ये बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार हैं. इनकी बेशर्मी देखिए. एक महिला डॉक्टर जब अपना नियुक्ति पत्र लेने आई, तो नीतीश कुमार ने उनका हिजाब खींच दिया.”
उधर, समाजवादी पार्टी के नेता सुमैया राणा ने इस घटना को लेकर उत्तर प्रदेश के कैसरबाग थाने में नीतीश कुमार के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है. मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा, “संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति द्वारा ऐसा करने का मतलब है कि वह अपने अन्य कार्यकर्ताओं को भी ऐसा ही करने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं.”
बचाव की मुद्रा में JDU
हालांकि, बिहार सरकार या जनता दल (यूनाइटेड), जिसके मुखिया नीतीश कुमार हैं, की तरफ से इस मामले को लेकर कोई आधिकारिक स्पष्टीकरण नहीं आया है.
विपक्षी पार्टियों की आलोचना के सवाल पर JDU प्रवक्ता नीरज कुमार ने द क्विंट से कहा, “आरजेडी के नेता सोशल मीडिया से राजनीति करते हैं, लेकिन जमीन पर नदारद हैं. वे नीतीश कुमार पर व्यक्तिगत टिप्पणी कर रहे हैं, जिनका जवाब देने का कोई औचित्य नहीं है.”
हिजाब खींचने की घटना को लेकर पूछे गये सवाल पर नीरज कुमार ने कहा,
“इस एक छोटी घटना को बहस का केंद्र बना दिया गया है, लेकिन नीतीश कुमार ने जो बड़े काम किये, उस पर बात नहीं हो रही है. आयुष चिकित्सक के बारे में पहले कोई जानता नहीं था, लेकिन नीतीशजी ने उनके लिए जो काम किया, उसकी चर्चा नहीं हो रही है.”
वहीं, नीतीश कुमार की मानसिक सेहत के सवाल पर उन्होंने कहा, “जो नीतीश कुमार की मानसिक सेहत पर सवाल उठा रहे हैं, उन्हें ये देख लेना चाहिए कि इसी नीतीश कुमार ने उनकी राजनीतिक सेहत को कहां पहुंचा दिया है.”
बिहार सरकार में JDU के कोटे से इकलौते मुस्लिम मंत्री जमा खां ने नीतीश कुमार का बचाव करते हुए कहा, “नीतीश कुमार संभवतः उक्त महिला के पिता की उम्र से भी बड़े हैं. मेरी एक बेटी है अतः मैंने उनके द्वारा व्यक्त किए गए स्नेह को महसूस किया.”
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की बिहार इकाई के सचिव डॉ संतोष कुमार सिंह ने भी नीतीश कुमार का बचाव किया. उन्होंने कहा,
“इसको सामान्य घटना की तरह ही देखा जाना चाहिए. इसमें कोई छिपा हुआ मोटिव नहीं दिखा. नीतीश कुमार व्यवहार सामान्य ही था. अगर वो गलत इरादे से किये होते, दूसरी बात थी.”
दो वर्षों से असामान्य व्यवहार कर रहे नीतीश
पिछले दो वर्षों से सार्वजनिक कार्यक्रमों में यदाकदा नीतीश कुमार की गतिविधियों में असामान्य व्यवहार देखा जा रहा है.
साल 2023 के नवम्बर महीने में विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दौरान उन्होंने गर्भनिरोधन में पढ़ी लिखी महिलाओं की भूमिका की चर्चा करते हुए विवादित बयान दिया था. उस वक्त भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) विपक्ष में थी. बीजेपी ने इस बयान की कड़ी निंदा करते हुए माफी की मांग की थी.
राष्ट्रीय महिला आयोग ने भी इस पर संज्ञान लिया था. बाद में नीतीश कुमार ने विधानसभा में माफी मांगते हुए कहा था,
“अगर मेरी बातों से कोई आहत हुआ है तो मैं इसके लिए माफी मांगता हूं. मेरा उद्देश्य किसी को ठेस पहुंचाना नहीं था. हमारा शुरू से विश्वास रहा है कि जनसंख्या नियंत्रण के लिए शिक्षा बहुत जरूरी है. मैंने महिलाओं के सशक्तिकरण और विकास की वकालत की है.”
वो संभवतः पहली घटना थी, जिससे नीतीश कुमार के असामान्य व्यवहार को नोटिस किया गया था. इसके बाद से कई मौकों पर उनका कार्य व्यवहार असामान्य रहा.
पिछले साल लोकसभा चुनाव के दौरान उन्होंने एक चुनावी कार्यक्रम में कह दिया था कि लालू प्रसाद यादव ने अपने शासनकाल के दौरान केवल बच्चे पैदा किये. उसी साल जून में नई दिल्ली में एनडीए की बैठक के दौरान नीतीश कुमार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पैर छूने की कोशिश की थी. पिछले साल नवम्बर में दरभंगा में एक अन्य कार्यक्रम के दौरान उन्होंने दूसरी बार पीएम मोदी के पैर छूने की कोशिश की थी.
इस साल मार्च में खेलकूद से जुड़े एक कार्यक्रम में पहुंचे सीएम नीतीश कुमार, राष्ट्रीय गीत चलने के दौरान पास खड़े अधिकारी से बात करते और हंसते देखे गये थे.
मार्च में ही पटना के बापू सभागार में केंद्र और राज्य सरकार की 800 करोड़ रुपये की योजनाओं के शुभारंभ कार्यक्रम में कुछ लाभार्थियों को डमी चेक दिये गये थे. इन लाभार्थियों में एक महिला भी शामिल थी. केंद्रीय मंत्री अमित शाह से डमी चेक लेने वह महिला मंच पर चढ़ी और अमित शाह के हाथों से चेक लिया, लेकिन वह कैमरे की पोजिशन को समझ नहीं पाईं, जिससे फोटो नहीं ली जा सकी, तो नीतीश कुमार ने उनकी बांह पकड़ ली थी और कैमरे की तरफ देखने का इशारा किया था.
इस साल मई में एक सरकारी कार्यक्रम के दौरान नीतीश कुमार को गमले में लगा एक पौधा भेंट किया गया था, तो उन्होंने वो गमला लेकर आईएएस अफसर एस. सिद्धार्थ के सिर पर रख दिया था.
नीतीश के स्वास्थ्य पर सवाल
नीतीश कुमार की इन असामान्य हरकतों को उनकी ढलती उम्र जनित दिक्कतों और मानसिक स्वास्थ्य से जोड़कर देखा जा रहा है. चुनावी रणनीतिकार से राजनीतिज्ञ बने प्रशांत किशोर नीतीश कुमार के मानसिक व शारीरिक स्वास्थ्य पर सवाल उठा चुके हैं. उन्होंने सार्वजनिक कार्यक्रमों में कई बार कहा कि नीतीश कुमार बिहार को चलाने के लिए मानसिक और शारीरिक तौर पर स्वस्थ नहीं हैं.
प्रशांत किशोर से भी पहले JDU की सहयोगी पार्टी भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) नीतीश कुमार के स्वास्थ्य पर सवाल उठा चुकी है. बिहार विधानसभा में गर्भनिरोधन और फिर जीतनराम मांझी को मुख्यमंत्री बनाने को लेकर नीतीश कुमार की टिप्पणी पर प्रतिक्रिया देते हुए नवम्बर 2023 में बीजेपी के वरिष्ठ नेता दिवंगत सुशील मोदी ने कहा था,
“नीतीश कुमार के अब जाने का समय हो गया है. 18 साल बहुत होता है, उन्हें सत्ता किसी और को सौंप कर आराम करना चाहिए. उनका मानसिक स्वास्थ्य भी ठीक नहीं है और यही कारण है कि कभी महिलाओं के बारे में भरी सदन में अपशब्द बोल रहे हैं तो कभी पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी को तुम ताम कर रहे हैं. इतना ही नहीं महावीर प्रसाद के कार्यक्रम अशोक चौधरी के माथे पर पुष्प अर्पित कर रहे हैं.”
पूर्व में नीतीश कुमार किसी भी सरकारी कार्यक्रम के उत्तरार्द्ध में मीडिया से रूबरू होते थे और हर मुद्दे पर अपनी राय देते थे, लेकिन पिछले दो-ढाई सालों से उन्होंने मीडिया को कोई बाइट नहीं दिया है.
सरकारी कार्यक्रमों में वह सुरक्षा कर्मचारियों और नेताओं के घेरे में रहते हैं और मीडिया को उनसे पर्याप्त दूर रखा जाता है. नीतीश कुमार को कवर करने वाले एक पत्रकार ने कहा,
“दो ढाई साल पहले तक नीतीश कुमार किसी भी सरकारी कार्यक्रम में जाते थे, तो कार्यक्रम के बाद मीडियाकर्मियों से बातचीत करते थे. मीडिया की भीड़ देखकर वह खुद हमलोगों के पास आ जाते थे और कम से कम 5-6 मिनट तक की बाइट तो देते ही थे.”
“वह असहज सवाल भी लेते थे, भले ही उसका जवाब देने के बजाय उसे टाल देते थे. लेकिन दो ढाई वर्षों से हमलोग देख रहे हैं कि सुरक्षाकर्मी मीडियाकर्मियों को नीतीश कुमार से काफी दूर रखते हैं. कार्यक्रम खत्म होने वाला होता है, तो सुरक्षाकर्मी हम लोगों को काफी दूर कर देते हैं, ताकि हमलोग नीतीश कुमार से बात न कर पाएं,” उक्त पत्रकार ने कहा.
लेकिन, जेडीयू इस मुद्दे पर हमेशा से बचाव मुद्रा में रहा है. जेडीयू के वरिष्ठ नेताओं से जब भी नीतीश कुमार के मानसिक स्वास्थ्य को लेकर सवाल पूछे गये, उनका जवाब यही निकला कि नीतीश कुमार बिल्कुल स्वस्थ हैं.
मनीष वर्मा ने एक इंटरव्यू के दौरान नीतीश के स्वास्थ्य को लेकर पूछे गये सवाल को विपक्ष का प्रॉपगेंडा बता दिया.
चार दिन पहले मधुबनी में एक कार्यक्रम में पहुंचे जेडीयू के कार्यकारी राष्ट्रीय अध्यक्ष संजय झा से जब मीडिया ने नीतीश कुमार के स्वास्थ्य को लेकर सवाल पूछा तो उन्होंने कहा कि विपक्षी दुष्प्रचार कर रहे हैं कि नीतीश कुमार बीमार हैं. जबकि ये पूरी तरह गलत है. चुनाव में सीएम ने दो दिन में 650 किलोमीटर की सड़क यात्रा की. इस बात ने साबित कर दिया कि सीएम विरोधी दल के नेता से ज्यादा फिट हैं.
जानकारों का मानना है कि नीतीश की तबीयत को लेकर जेडीयू नेतृत्व को अपने शुतुरमुर्गी व्यवहार से बचना चाहिए और ये स्वीकार करना चाहिए नीतीश कुमार उस हालत में नहीं हैं कि अब सार्वजनिक कार्यक्रमों में शिरकत कर सकें.
टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज (मुंबई) में सामाजिक कार्य के प्रोफेसर रहे पुष्पेंद्र ने द क्विंट से कहा, “नीतीश कुमार की कुछ हरकतों के चलते ही उनके मानसिक स्वास्थ्य को लेकर सवाल उठ रहे हैं, मगर जेडीयू की तरफ से लगातार इससे इनकार किया किया जा रहा है, वहीं, नीतीश कुमार अपनी हरकतों के कारण हंसी का पात्र बन रहे हैं. ऐसे में उचित ये है कि उनके स्वास्थ्य की जांच के लिए एक मेडिकल टीम बने और जांच के बाद एक मेडिकल बुलेटिन जारी किया जाए, ताकि अफवाहों पर विराम लग सके.”