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"धमकियां मिल रही थी", उत्तराखंड के पत्रकार की मौत, परिवार ने जताई हत्या की आशंका

पत्रकार राजीव प्रताप 18 सितंबर से लापता थे, इस मामले में उनके परिवार ने एक रिपोर्ट भी दर्ज करवाई थी.

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राजीव प्रताप (Rajeev Pratap) उत्तराखंड (Uttarakhand) के पत्रकार थे. 'दिल्ली उत्तराखंड लाइव' नाम से एक यूट्यूब (YouTube) चैनल चलाते थे. 18 सितंबर, 2025 की रात से वे लापता थे. उत्तरकाशी में आखिरी बार जिस कार में उन्हें देखा गया था, वो अगले दिन एक नदी में मिली. उसके 12 दिन बाद उनका शव मिला. पुलिस इसे एक सड़क हादसा मान रही है, लेकिन राजीव का परिवार इसे हत्या बता रहा है.

राजीव की पत्नी मुस्कान ने द क्विंट से बात करते हुए बताया कि दोनों की आखिरी बार बातचीत 18 सितंबर को रात करीब सवा 11 बजे हुई थी. वे कहती हैं, "जब हमारी आखिरी बातचीत हुई थी, उस टाइम तो वो नॉर्मल लग रहे थे. अच्छे से बातचीत कर रहे थे."

इसके बाद मुस्कान की फिर राजीव से बात नहीं हुई. 19 सितंबर को परिवार ने थाने में जाकर गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज करवाई. बाद में परिवार वालों ने अपहरण का शक जताया, जिसपर उत्तरकाशी कोतवाली थाने में बीएनएस की धारा 140(3) के तहत मामला दर्ज किया गया था.

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"जान से मारने तक की धमकी मिल रही थी"

FIR में राजीव के चाचा कृपाल सिंह ने आरोप लगाया था कि उनके कई दुश्मन भी थे. इसपर वे कहते हैं, "वो लोकल मुद्दे उठाता था. उत्तरकाशी एक छोटा जिला है, यहां अगर किसी के बारे में कोई कुछ छापेगा तो उसे बुरा लगेगा ही."

मुस्कान के मुताबिक, "राजीव पंचायत चुनाव शुरू होने के बाद से बहुत परेशान चल रहे थे." वे कहती हैं,

"उत्तरकाशी में हॉस्पिटल की, कुछ स्कूल की, मंदिर समिति का वीडियो अपने यूट्यूब चैनल पर पोस्ट करने के बाद से उन्हें बहुत धमकियां मिल रही थी. जान से मारने तक की धमकी मिल रही थी. उन्हें लोग कॉल करके वीडियो डिलीट करने के लिए कह रहे थे. वीडियो डिलीट नहीं करने पर जान से मारने और घर से उठाने की धमकी दे रहे थे."

कृपाल सिंह ने राजीव के साले के हवाले से बताया कि फोन पर कोई व्यक्ति राजीव से कोई वीडियो डिलीट करने के लिए कह रहा था, लेकिन उन्होंने मना कर दिया था.

लापता होने से ठीक दो दिन पहले राजीव ने अपने यूट्यूब चैनल पर उत्तरकाशी जिला अस्पताल में अव्यवस्थाओं और गंदगी को लेकर एक वीडियो पोस्ट किया था और स्वास्थ्य व्यवस्था पर सवाल उठाए थे.

राजीव को कौन धमकी दे रहा था, क्या उन्हें किसी का नाम पता है? इसपर मुस्कान कहती हैं कि राजीव ने कभी उन्हें किसी का नाम नहीं बताया.

पुलिस से शिकायत नहीं करने पर वे कहती हैं, "मैंने उन्हें बोला था कि हमें थोड़ा एक्शन लेना चाहिए, बहुत ज्यादा धमकियां आ रही हैं. तो वे मेरी बात यह कहते हुए टाल देते थे कि 'मैं पत्रकार हूं और पत्रकारों को धमकियां तो मिलती रहती है.' उन्हें ये अंदाजा नहीं था कि वो जनहित की बात करते हुए अपनी जिंदगी ही गंवा देंगे."

परिवार के आरोपों पर उत्तरकाशी एसपी सरिता डोभाल ने द क्विंट से कहा, "घरवाले जो भी आरोप लगा रहे हैं या उनकी जो भी शंकाएं हैं, उन सभी फैक्ट्स को हम चेक कर रहे हैं. हमारी जांच अभी जारी है."

18 तारीख को क्या हुआ था?

मुस्कान ने राजीव के दोस्त सोबन सिंह और मनवीर कलुड़ा पर शक जताते हुए कहा कि इन दोनों से कड़ाई से पूछताछ होनी चाहिए. इन दोनों ने मेरा घर-परिवार बर्बाद कर दिया.

पुलिस के मुताबिक, राजीव को आखिरी बार सोबन सिंह की कार ड्राइव करते हुए देखा गया था. सोबन सिंह पुलिस विभाग में है और जिला मुख्यालय में तैनात है.

मुस्कान ने बताया कि 18 तारीख की शाम को मनवीर कलुड़ा रूम पर आया था. "मेरे पति सो रहे थे. शाम साढ़े 6-7 बजे के करीब मनवीर कलुड़ा रूम पर आया और बाहर घूमने की बात कहकर अपने साथ ले गया था. मेरे पति ने मना भी किया था, लेकिन वो जबरदस्ती राजीव को अपने साथ लेकर गया था," वे आगे बताती हैं.

राजीव उत्तरकाशी के ज्ञानसू इलाके में अपने साले के साथ रहते थे. वे अपने पीछे गर्भवती पत्नी और बुजुर्ग माता-पिता को छोड़ गए हैं.

"सोबन सिंह ने इन्फॉर्म करना तक जरूरी नहीं समझा"

मुस्कान का दावा है कि आखिरी बार जब उनकी राजीव से बात हुई थी, तब सोबन सिंह भी साथ था. वे कहती हैं, "आखिरी (रात सवा 11 बजे) बार जब मेरी राजीव से वीडियो कॉल पर बात हुई थी, तब दोनों (राजीव और सोबन) साथ ही थे."

राजीव की कोई खोज-खबर नहीं मिलने पर अगले दिन मुस्कान ने सोबन सिंह को कॉल किया था और अपने पति के बारे में पूछा था. हालांकि, सोबन ने उनकी बात को ज्यादा तब्बजो नहीं दिया.

"सोबन सिंह ने मुझे इन्फॉर्म करना तक जरूरी नहीं समझा. अगले दिन तीन बजे हम मिसिंग रिपोर्ट लिखवाने थाने गए थे. इतना समय बीत जाने के बाद भी उन्होंने हमसे संपर्क करना और राजीव के बारे में बताना जरूरी नहीं समझा. पुलिस में होने के बावजूद उन्होंने थाने में कोई रिपोर्ट नहीं करवाई."
मुस्कान

मुस्कान कहती हैं कि राजीव उनकी (सोबन) गाड़ी लेकर गए थे, लेकिन उन्हें नहीं पता था कि राजीव कहां हैं. ये सोचने वाली बात है.

एसपी डोभाल ने कहा, "सोबन सिंह से पूछताछ हुई है. शाम को राजीव उन्हीं के साथ थे. उन्हीं की गाड़ी लेकर गए थे. सीसीटीवी फुटेज में हमें साफ-साफ दिख रहा है कि राजीव सोबन की गाड़ी लेकर गए थे. हमारे पास एक फुटेज है, जिसमें सोबन कह रहे हैं कि मेरी गाड़ी दे दो, लेकिन वे कह रहे हैं कि मैं अभी आ रहा हूं. राजीव अकेले थे, ये चीज वैरिफाई हो गई है."

साथ ही उन्होंने कहा, "अभी तक हमारी जांच में कोई foul play नजर नहीं आया है."

FIR के मुताबिक, राजीव सोबन सिंह की गाड़ी लेकर गंगौरी-भटवाड़ी की तरफ गए थे और लापता हो गए.

कृपाल सिंह कहते हैं कि रात के समय भटवाड़ी रोड पर अकेले जाने का मुझे कोई उद्देश्य नहीं समझ आता. उस तरफ हमारे कोई रिश्तेदार भी नहीं रहते हैं. कृपाल सिंह ने बताया कि मेन उत्तरकाशी से 7 किलोमीटर दूर घटना हुई है. वो एक सुनसान इलाका है.

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हादसा या हत्या?

एसपी डोभाल ने कहा, "जांच में हमें आखिरी सीसीटीवी फुजेट रात 11:39 की मिली है. जोकि घटना स्थल से 600 मीटर पहले की है. सीसीटीवी में राजीव अकेले गाड़ी चलाते दिख रहे हैं. वे राइट साइड पर गाड़ी चला रहे हैं और राइट साइड पर ही नदी भी है."

19 तारीख को भागीरथी नदी किनारे क्षतिग्रस्त कार मिली थी. पुलिस के मुताबित, कार में राजीव की चप्पल थी. 10 दिन की लंबी खोजबीन के बाद 28 तारीख को राजीव का शव जोशियाड़ा बैराज से बरामद हुआ.

एसपी डोभाल ने कहा, "पोस्टमार्टम रिपोर्ट में राजीव की मौत छाती और पेट में गंभीर चोटों के कारण होना बताया गया है. डॉक्टर ने इसे एक्सीडेंटल इंजरी बताया है."

हालांकि, कृपाल सिंह ने हत्या की आशंका जताते हुए कहा, "डॉक्टरों की जो रिपोर्ट आई है, उसमें उनका ये कहना है कि डूबने से मौत नहीं हुई है. अंदरूनी चोटों की बात सामने आई है."

"पोस्टमॉर्टम के बाद डॉक्टर के पैनल से जब मेरी बात हुई थी तो मैंने पूछा था कि क्या मौत डूबने से हुई है? उनका कहना था कि डूबने से मौत नहीं हुई है. इस वजह से हमें लग रहा है कि मर्डर हुआ है. अब हो सकता है कि उसके पास कोई वीडियो रहा हो, जो सार्वजनिक न हो पाई हो."
कृपाल सिंह

राजीव का उत्तरकाशी जिला अस्पताल में पोस्टमॉर्टम करवाया गया था. परिवार को खबर लिखे जाने तक पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट नहीं मिली है.

पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट से जुड़ी जानकारियों के लिए द क्विंट ने CMS प्रेम सिंह पोखरियाल से भी संपर्क किया था. हालांकि, उन्होंने मामले में कोई टिप्पणी करने से मना कर दिया.

मुस्कान ने पूरे मामले को लेकर पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए हैं. उन्होंने कहा, "राजीव पिछले 13 दिनों से लापता थे. लेकिन पुलिस आज तक इस कन्क्लूजन पर नहीं पहुंच पाई है कि आखिर राजीव वहां (गंगौरी-भटवाड़ी की तरफ) क्यों गए थे. मेरे पति अगर रात के सवा 11 बजे वहां गए हैं तो उसका कोई कारण रहा होगा. बिना किसी कारण के कोई ऐसे कहीं तो नहीं जाएगा."

"मुझे उत्तरकाशी पुलिस पर से कोई उम्मीद नहीं है. पुलिस पिछले 12 दिनों में ये पता नहीं कर पाई कि आखिर राजीव वहां क्यों गए थे. इतनी तकनीक होने के बावजूद वे ये पता नहीं लगा पाए."
मुस्कान

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मामले की जांच के निर्देश दिए हैं. मुख्यमंत्री कार्यालय की तरफ से सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर एक पोस्ट में कहा गया, "मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने वरिष्ठ पत्रकार राजीव प्रताप जी के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया है. उन्होंने शोक संतप्त परिजनों के प्रति संवेदनाएं प्रकट करते हुए ईश्वर से दिवंगत आत्मा की शांति की प्रार्थना की है. मुख्यमंत्री ने घटना की गहन एवं निष्पक्ष जांच के भी निर्देश दिए हैं."

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