उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने पेपर लीक (UKSSSC Paper Leak) मामले की जांच केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) से कराने की घोषणा की है. सोमवार, 29 सितंबर को सीएम धामी ने देहरादूर में आंदोलन कर रहे अभ्यर्थियों से मुलाकात की. इस दौरान उन्होंने कहा,
"एक भर्ती में जो प्रकरण आया है, उसके लिए आप सबकी तरफ से कहा गया कि भर्ती प्रक्रियाओं की जांच सीबीआई से होनी चाहिए. यहां मैं आप सबके सामने कह रहा हूं कि आपके मन में किसी प्रकार का कोई संदेह न रहे. कोई अविश्वास न रहे. हम इसकी सीबीआई से जांच की सिफारिश करते हैं."
इसके साथ ही उन्होंने कहा कि "SIT जांच में कोई बात सामने आती है तो सरकार की तरफ से किसी भी अगले कदम के लिए कहीं कोई रुकावट नहीं है." मुख्यमंत्री धामी ने प्रदेश के आंदोलनकारी छात्रों पर दर्ज मुकदमें वापस लेने का भी ऐलान किया है.
रविवार, 21 सितंबर को उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (UKSSSC) द्वारा विभिन्न विभागों में ग्रेजुएट स्तर की नौकरी के लिए आयोजित परीक्षा का पेपर लीक होने के आरोपों के बाद देहरादून, हल्द्वानी सहित प्रदेश के कई जिलों में अभ्यर्थियों ने विरोध-प्रदर्शन शुरू कर दिया था. देहरादून के परेड ग्राउंड ग्राउंड में छात्र पिछले 8 दिनों से विरोध-प्रदर्शन कर रहे थे. बीते गुरुवार को हल्द्वानी में कुछ अभ्यर्थियों ने भूख हड़ताल भी शुरू कर दी थी.
पटवारी, लेखपाल, ग्राम विकास अधिकारी और स्नातक स्तर के छह अन्य पदों के लिए कुल 416 पदों के लिए परीक्षा हुई थी. जिसमें 1 लाख से ज्यादा अभ्यर्थियों ने हिस्सा लिया था.
वहीं परीक्षा निरस्त करने की मांग पर सीएम ने कहा कि इस पर आयोग, SIT और जस्टिस ध्यानी काम कर रहे हैं, जैसे ही उनकी ओर से सिफारिश आएगी, उसके अनुसार कार्रवाई होगी.
सीएम की घोषणा के बाद अभ्यर्थियों ने 10 अक्टूबर तक विरोध-प्रदर्शन स्थगित करने का फैसला किया है.
"परीक्षा से पहले सेंटर में मोबाइल छुपाया"
इस मामले में पुलिस ने 22 सितंबर को दर्ज FIR में दो नामजद आरोपियों को गिरफ्तार किया है. पेपर लीक के मास्टरमाइंड खालिद मलिक को 24 सितंबर को गिरफ्तार किया गया था और उसकी बहन साबिया को एक दिन पहले अरेस्ट किया गया था.
जांच में सामने आया है कि प्रश्न पत्र हरिद्वार जिले के आदर्श बाल सदन इंटर कॉलेज बहादुरपुर जट से लीक हुआ था. स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (SIT) की अध्यक्ष एसपी (ग्रामीण), देहरादून जया बलूनी ने द क्विंट को बताया कि मोबाइल फोन के जरिए पेपर लीक किया गया था. परीक्षा से एक रात पहले खालिद ने एग्जाम सेंटर में मोबाइल फोन छुपाया था.
एक बयान में उन्होंने कहा,
"परीक्षा से एक रात पहले, शाम के करीब साढ़े सात बजे खालिद गन्ने के खेतों से होता हुआ, सेंटर की पीछे की दीवार कूद कर अंदर घुसता है और एक छोटा फोन अखबार में लपेटकर झाड़ियों में छुपा देता है. अगले दिन वो परीक्षा देने के लिए सेंटर पर पहुंचता है. टहलने के बहाने से वो उस स्थान पर जाता है, जहां उसने फोन छुपाया था. इसके बाद विंड चिटर में फोन छुपाकर वो क्लासरूम में पहुंच जाता है. मौका मिलते ही वो प्रश्न पत्रों की तीन तस्वीरें लेता है और फिर बाथरूम में जाकर अपनी बहन साबिया को तस्वीरें भेजता है. फिर साबिया ये तस्वीरें सुमन को भेजती है."जया बलूनी
हालांकि, खालिद वो अंसर देख नहीं पाता है, जो सुमन के जरिए साबिया ने भेजा था. क्योंकि इनविजिलेटर खालिद को दोबारा बाथरूम जाने की इजाजत नहीं देते हैं.
जांच में ये भी बात सामने आई है कि खालिद कई बार आयोग द्वारा आयोजित परीक्षा में बैठ चुका था, लेकिन कुछ नंबर से उसका सिलेक्शन रह जाता था. जिसके बाद उसने पेपर लीक की पूरी साजिश रची.
देहरादून के रायपुर पुलिस स्टेशन के इंचार्ज गिरीश नेगी की शिकायत पर 22 सितंबर को उत्तराखंड प्रतियोगी परीक्षा (भर्ती में अनुचित तरीकों पर नियंत्रण और रोकथाम के उपाय) अधिनियम, 2023 के तहत सुमन, खालिद, साबिया, हिना और अज्ञात के खिलाफ एक FIR दर्ज की गई थी.
छात्रों का आंदोलन तेज होता देख सरकार ने 24 सितंबर को एसपी बलूनी के नेतृत्व में 5 सदस्यीय SIT का गठन किया था. वहीं सरकार ने मामले की निगरानी की जिम्मेदारी हाईकोर्ट के पूर्व जज जस्टिस यूसी ध्यानी को दी है.
11 बजे से परीक्षा, साढ़े 11 बजे पेपर आउट
दरअसल, 21 सितंबर को सुबह 11 बजे लिखित परीक्षा शुरू हुई, जो दोपहर 1 बजे समाप्त होनी थी. लेकिन इससे पहले ही प्रश्न पत्र के तीन पन्नों की तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हो गई.
उत्तराखंड स्वाभिमान मोर्चा के अध्यक्ष बॉबी पंवार ने फेसबुक पर कथित तौर पर लीक पेपर की तस्वीरें शेयर करते हुए आरोप लगाया कि परीक्षा शुरू होने के आधे घंटे बाद ही पेपर लीक हो गया. इस पोस्ट के बाद प्रदेश में हड़कंप मच गया. पुलिस एक्शन में आई और पंवार से एसओजी ऑफिस में पूछताछ की गई.
परीक्षा सेंटर्स पर गड़बड़ियों के आरोप भी लगे. देवभूमि युवा संगठन के अध्यक्ष आशीष नौटियाल ने द क्विंट से कहा, "21 तारीख को परीक्षा सुबह 11 बजे से शुरू होनी थी. लेकिन हमें सूचना मिली कि कुछ जगहों पर परीक्षा सुबह साढ़े 10 बजे ही शुरू हो गई. हमें ये भी शिकायत मिली कि परीक्षा शुरू होने के करीब आधे घंटे बाद ही पेपर की तीन फोटो बाहर आ गई. कई जगह से हमें ये सूचना मिली की सेंटर्स पर लगे कैमरे पर पन्नी चढ़ी थी."
WhatsApp पर भेजे गए फोटो, FIR में और क्या?
मामले में UKSSSC की ओर से प्रार्थना पत्र मिलने के बाद देहरादून के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक ने 21 सितंबर को एक SIT गठित कर मामले के जांच के निर्देश दिए. FIR के मुताबिक,
"टिहरी गढ़वाल के अमरोड़ा डिग्री कॉलेज में असिस्टेंट प्रोफेसर सुमन को सुबह 7:55 बजे खालिद मलिक के मोबाइल से व्हाट्सएप मैसेज आया. उसमें लिखा था कि उसकी बहन का पेपर है और मदद करनी है."
"इस पर सुबह 8:02 बजे सुमन ने "ओके" लिखकर जवाब दिया."
"सुबह 11:34 बजे खालिद की बहनें, साबिया और हिना, ने सुमन को व्हाट्सएप कॉल किया. फिर 11:35 बजे सुमन के मोबाइल पर प्रश्नपत्र के 3 पन्नों की फोटो आई, जिसमें कुल 12 सवाल थे."
"इसके 10 मिनट बाद सुमन ने हाथों से जवाब लिखकर खालिद के मोबाइल पर सेंड कर दिया."
"खालिद के नंबर पर मैसेज भेजने के बाद सुमन को शक हुआ कि कहीं कोई पेपर तो नहीं है. इसके बारे में उसने अपनी बहन से पूछा तो उसने बॉबी पंवार का नंबर दिया."
"सुमन ने 12:28 बजे बॉबी पंवार से बात की और तीनों पेज की तस्वीर के साथ हाथ से लिखे उत्तर व्हाट्सएप पर भेजे."
"12:32 बजे सुमन ने दोबारा बॉबी पंवार को कॉल किया. बॉबी ने किसी को इस बारे में बताने से मना किया. दोपहर 12:42 और 12:43 पर फिर कॉल की गई."
“दोपहर 1:30 बजे पंवार ने यह सामग्री सोशल मीडिया पर शेयर कर दी थी, जिसका मकसद सनसनी फैलाना और परीक्षा की विश्वसनीयता को खराब करना था.”
FIR में आगे कहा गया है कि "सुमन ने बॉबी पंवार को सिर्फ प्रश्नपत्र ही नहीं, बल्कि उसके उत्तर भी भेजे. अगर उसका उद्देश्य सिर्फ परीक्षा के बारे में पता लगाना था, तो वह केवल प्रश्नपत्र भेजती, उत्तर नहीं. इसी वजह से इस मामले में दोनों की संदिग्धता प्रतीत होती है."
नेगी द्वारा दर्ज कराई गई FIR के मुताबिक, अगर बॉबी पंवार ने समय रहते किसी अधिकृत विभाग को सूचित कर दिया होता, तो तुरंत कार्रवाई की जा सकती थी और इसकी जानकारी एसएसपी को दी जा सकती थी.
"किसी संगठित गिरोह का हाथ नहीं"
एसएसपी अजय सिंह ने एक बयान में कहा, "खालिद से सुमन का परिचय था. उसकी बहन ने अंसर जानने के लिए प्रश्न पत्र भेजे थे. जब सुमन को शक हुआ तो उन्होंने पूछा भी कि ये प्रश्न पत्र कहां से आया. तस्वीरों में ओएमआर शीट भी दिखाई दे रही थी. जिसका उन्होंने स्क्रीनशॉट भी ले लिया था."
उन्होंने आगे बताया कि "सुमन ने मामले को लेकर कुछ लोगों से बात की और पुलिस से शिकायत की बात कही. क्योंकि उन्हें शक हो गया था कि कहीं न कहीं कुछ गड़बड़ है. लेकिन कुछ संगठनों द्वारा उन्हें कहा गया कि वे अब ये मामला देख रहे हैं, ऐसे में उनके द्वारा पुलिस में शिकायत नहीं की गई."
क्या सुमन को भी गिरफ्तार किया जाएगा? इस पर द क्विंट से एसपी बलूनी ने कहा, "फिलहाल तो सुमन नामजद आरोपी है. लेकिन अभी वो गवाह के तौर पर भी है. अगर आगे हमें ऐसा कोई सबूत मिलता है, जिससे उनकी संलिप्तता का पता चलता है, तो वो पूरी तरह से हमारी आरोपी बन जाएगी."
उच्च शिक्षा विभाग ने 25 सितंबर को सुमन को सस्पेंड कर दिया.
मामले में किसी संगठित गिरोह के शामिल होने की बात से एसएसपी सिंह और एसपी बलूनी ने फिलहाल इनकार किया है. एक बयान में एसपी बलूनी ने कहा, "अभी तक जो बातें सामने आई है, उसमें किसी संगठित गिरोह के बारें में पता नहीं चला है. लेकिन जांच जारी है, अगर ऐसी कोई बात सामने आती है, तो निश्चित रूप से कार्रवाई की जाएगी."
परीक्षा से एक दिन पहले पुलिस ने नकल माफिया हाकम सिंह और उसके सहयोगी पंकज गौड़ को गिरफ्तार किया था. उनपर परीक्षा पास करवाने के बदले अभ्यर्थियों से 12-15 लाख रुपये लेने का आरोप है. हालांकि, वे किसी अभ्यर्थी से पैसे एंठते उससे पहली ही पुलिस ने उन्हें पकड़ लिया था.
क्या SIT हाकम सिंह के एंगल की भी जांच कर रही है? इस पर एसपी बलूनी ने कहा कि ये एक अलग मामला है, जो अलग थाने में दर्ज है. अभी तक की जांच में ये लोग किसी के संपर्क में नहीं दिखे हैं. इस मामले से इनका कोई डायरेक्ट लिंक नहीं है."
"लीक में अभी तक हिना का रोल नहीं"
FIR में आरोपी खालिद की दूसरी बहन हिना का भी नाम है. पेपर लीक में हिना का कितना रोल था? इसपर एसपी बलूनी ने बताया कि "हिना भी कैंडिडेट थी, लेकिन उसने एग्जाम नहीं दिया था. उसके द्वारा बताया गया कि उसकी तबीयत खराब थी."
"लेकिन अभी तक जो हमारे पास फैक्ट आए हैं उसके मुताबिक, साबिया को इसकी पूरी जानकारी थी और वो इसमें पूरी तरह से मदद भी कर रही थी. हमें सुमन के फोन से वीडियो क्लिप मिली है, उसमें साबिया बात कर रही है, उसे पता है कि उसका भाई एग्जाम सेंटर में बैठा है. लेकिन अभी तक हिना का कोई रोल नहीं आया है."जया बलूनी
शनिवार, 27 अप्रैल को एसआईटी की टीम ने हरिद्वार के सुल्तानपुर स्थित मुख्य आरोपी खालिद के घर पर दबिश दी थी. टीम ने परिजनों से पूछताछ की और जरूरी दस्तावेज जब्त किए हैं.
एसपी बलूनी ने कॉलेज प्रबंधन की संलिप्तता से भी इनकार किया है. द क्विंट से उन्होंने कहा, "अभी तक उनकी कोई संलिप्तता नहीं लग रही है. जहां तक बात है वहां की व्यवस्थाओं की तो ओवरऑल व्यवस्थाएं अच्छी थी. वहां सीसीटीवी कैमरे लगे थे. सही तरीके से छात्रों की फ्रीस्किंग चेकिंग हो रही थी."
साथ ही उन्होंने कहा कि इसे हम सुरक्षा में चूक नहीं कह सकते. क्योंकि खालिद ने एक दिन पहले ही मोबाइल छुपा दिया था. परीक्षा के दिन वो पूरी चेकिंग के बाद सेंटर में गया था. तब उसके पास मोबाइल नहीं था.
हालांकि, सरकार ने परीक्षा के दौरान लापरवाही बरतने के आरोप में सरकार ने हरिद्वार ग्राम्य विकास प्राधिकरण के परियोजना निदेशक केएन तिवारी, हरिद्वार जिले में तैनात सब-इंस्पेक्टर रोहित कुमार और कांस्टेबल ब्रह्मदत्त जोशी को निलंबित किया है.
"लगता है पढ़ना ही बेकार है"
पेपर लीक होने की वजह से सरकारी नौकरी की राह देख रहे अभ्यर्थियों में निराशा भी है. द क्विंट से बातचीत में उत्तरकाशी निवासी 24 वर्षीय लक्ष्मण सिंह महंत ने कहा, "मेरी फैमिली बैकग्राउंड अच्छी नहीं है. मेरे पिता नहीं है. मेरी मां गांव में खेती करके पैसा भेजती हैं. मैंने बड़ी मुश्किल से कर्ज लेकर कोचिंग की थी. इस बार मुझे उम्मीद थी कि मेरा सिलेक्शन हो जाएगा. लेकिन पेपर देकर बाहर निकला तो पता चला कि पेपर लीक हो गया है. ये सुनकर इतना बड़ा झटका लगा कि मैं बता नहीं सकता."
वे कहते हैं,
"मेरे पास इस बार अधिकारी बनने का मौका था. लेकिन क्या बताऊं मैं. रोने का मन करता है. लगता है पढ़ना ही बेकार है. आत्महत्या कर लूं."
लक्ष्मण का पिछली बार 1 नंबर से सिलेक्शन नहीं हुआ था. "उत्तरकाशी जिले का मेरिट 73 नंबर गया था, मेरे 72 नंबर थे. मैं एक नंबर से बाहर हो गया था. मुझे पता है कि एक सवाल का क्या महत्व है. जब एक नंबर से किसी का सिलेक्शन नहीं होता है, उसपर क्या बीतती है वो कोई नहीं समझ सकता."
28 वर्षीय विनोद कांत पाल पिछले चार सालों से परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं. वे कहते हैं, "हमारा क्या है, हमें तो तैयारी करनी ही है. हमने चार साल दिया है. इसके लिए सरकार को सोचना चाहिए कि परीक्षा सुव्यवस्थित ढंग से करवाए."
"पेपर लीक होने से छात्र डिप्रेश हो जाते हैं. हर जगह से सुनने को मिलता है. घर वाले भी बोलते हैं कि 'चलो अब पढ़ाई छोड़ो और कहीं नौकरी कर लो.' हमारे संघर्ष को वही समझ सकता है, जो तैयारी कर रहा है. पेपर लीक होने से फर्क तो पड़ता ही है. जो मेहनत नहीं कर रहा, उसे क्या ही फर्क पड़ेगा."
विभोर का भी कुछ ऐसा ही हाल है. उनके घर वाले भी प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी छोड़कर प्राइवेट नौकरी करने के लिए कह रहे हैं. "अब पापा प्राइवेट जॉब के लिए कह रहे हैं. लेकिन प्राइवेट जॉब में सैलरी कम है. 10-12 हजार में आज के वक्त में क्या ही होता है. पापा लोग कह रहे हैं कि वे कब तक वे हमारी फीस देंगे. हमें भी अब अपना देखना चाहिए. हम भी घर वालों को कब तक समझाएंगे. दो-तीन साल हो गए और अब कितना वक्त मांगे. घर वालों को तो ये भी नहीं समझा सकते हैं कि बार-बार पेपर लीक हो रहा है. उनका भी मनोबल टूटता है."
(इनपुट- उत्तराखंड से अबूबकर)