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ओडिशा: नेपाली छात्रा की मौत, यूनिवर्सिटी प्रशासन पर स्टूडेंट्स- परिजनों के आरोप

छात्रों ने आरोप लगाया कि प्रकृति के बैच का ही भारतीय छात्र उसे प्रताड़ित कर रहा था.

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(अगर आपके मन में भी खुदकुशी का ख्याल आ रहा है या आपके जानने वालों में कोई इस तरह की बातें कर रहा हो तो लोकल इमरजेंसी सेवाओं, हेल्पलाइन और मेंटल हेल्थ NGOs के इन नंबरों पर कॉल करें)

"पहले नेपाली छात्रों की पिटाई की गई. फिर कहा गया कि 30 मिनट में सामान पैक कर कैंपस छोड़ दो. सिक्योरिटी गार्ड और जिम ट्रेनर्स ने मारपीट कर हमें जबरन बस में बैठाया और अलग-अलग जगहों पर छोड़ दिया. हमारे पास न पैसे थे, न टिकट. अब हम खुद से इंतजाम कर नेपाल वापस जा रहे हैं."

ये कहना है कलिंगा इंस्टिट्यूट ऑफ इंडस्ट्रियल टेक्नोलॉजी (KIIT) में बीटेक सेकेंड ईयर में पढ़ाई कर रहे नेपाली स्टूडेंट विनोद (बदला हुआ नाम) का, जिन्हें 17 फरवरी की सुबह कथित तौर पर मारपीट के बाद कैंपस छोड़ने पर मजबूर किया गया. 

16 फरवरी को हॉस्टल में एक नेपाली छात्रा की मौत के बाद स्टूडेंट्स ने विरोध किया तो यूनिवर्सिटी ने उन्हें कैंपस खाली करने का नोटिस पकड़ा दिया.

आरोप है कि स्टूडेंट्स से मारपीट की गई. नेपाली स्टूडेंट्स को लेकर आपत्तिजनक बयान दिए गए. हालांकि विवाद बढ़ा तो यूनिवर्सिटी ने अपनी गलती मानी और स्टूडेंट्स से मारपीट करने और आपत्तिजनक बयान देने के आरोप में एक प्रोफेसर सहित 7 कर्मचारियों को इंक्वायरी होने तक सस्पेंड कर दिया.        

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नेपाल की छात्रा की मौत के बाद शुरू हुआ विवाद

ओडिशा के भुवनेश्वर स्थित KIIT में नेपाल की छात्रा प्रकृति लामसाल (21वर्षीय) की 16 फरवरी की शाम संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई.

पुलिस के मुताबिक, कथित तौर पर आत्महत्या से मौत हुई. शव हॉस्टल के QC-4 में मिला. प्रकृति बीटेक कम्प्यूटर साइंस थर्ड ईयर की स्टूडेंट थी.

मृतक स्टूडेंट के चचेरे भाई ने 16 फरवरी को FIR दर्ज कराई, जिसके मुताबिक, एक भारतीय छात्र ने प्रकृति लामसाल को ब्लैकमेल किया, जिसके कारण उसने ऐसा कदम उठाया.

आरोपी छात्र पर बीएनएस की धारा 108 (आत्महत्या के लिए उकसाना) के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है.

आरोपी स्टूडेंट अद्विक श्रीवास्तव को 17 फरवरी को गिरफ्तार कर लिया गया. पुलिस आयुक्त सुरेश देव दत्ता सिंह ने कहा,

"शुरुआती साक्ष्यों के आधार पर लगता है कि मृतका को प्रताड़ित किया गया है, जिसके बाद उसने यह कदम उठाया होगा. फिलहाल पड़ताल जारी है."

घटना के बाद कैंपस में नेपाल के छात्र-छात्राओं ने यूनिवर्सिटी प्रशासन के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया. उनका आरोप था कि यूनिवर्सिटी प्रशासन समय रहते कार्रवाई करता तो प्रकृति लामसाल जिंदा होती. परिजनों और स्टूडेंट्स के आरोप...

1. बेटी को ब्लैकमेल किया जा रहा था

मृतिका के पिता सुनील लामसाल ने कहा, "16 फरवरी की दोपहर 2:51 बजे प्रकृति की उसके मां से बात हुई थी. वह बिल्कुल ठीक थी. बोली कि फेस्ट में जा रही हूं. उधर नेटवर्क नहीं होगा तो आने के बाद कॉल करूंगी."

उन्होंने आगे कहा, "हमें केवल इतना पता है कि जांच चल रही है. पोस्टमार्टम रिपोर्ट जल्द ही आने वाली है. हमें जानकारी मिली है कि उसे परेशान किया गया और भावनात्मक रूप से ब्लैकमेल किया गया, जिसके कारण उसने आत्महत्या कर ली."

2. समय पर कार्रवाई होती तो वह बच जाती

थर्ड ईयर की एक छात्रा ने बताया, "पीड़िता ने ब्लैकमेलिंग के खिलाफ कॉलेज की ही कमेटी अंतरराष्ट्रीय संबंध कार्यालय (IRO) में कई शिकायतें की थीं. लेकिन अधिकारियों ने कोई ठोस कार्रवाई नहीं की. उन्होंने पीड़ित और आरोपी से साइन करवा लिए और आगे कोई कार्रवाई नहीं की गई. अगर समय पर उचित कार्रवाई की जाती, तो उसे बचाया जा सकता था."

इन आरोपों के बाद 18 फरवरी को KIIT ने इंक्वायरी होने तक अंतरराष्ट्रीय संबंध कार्यालय (IRO) सस्पेंड कर दिया है.        

3. प्रकृति को समय रहते हॉस्पिटल नहीं ले जाया गया

फाइनल ईयर के एक स्टूडेंट ने बताया कि यह घटना 16 फरवरी को करीब 4 बजे की है. उस समय KIIT फेस्ट का आयोजन क्रिकेट स्टेडियम में चल रहा था, जिसमें सिंगर बादशाह का प्रोग्राम था. इसी वजह से अधिकांश छात्र उसी में व्यस्त थे. मृतका ने कुछ लोगों से संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन जैमर लगे होने के कारण नेटवर्क में समस्या आ रही थी, जिससे संपर्क नहीं हो सका.  

एक छात्र ने द क्विंट को बताया, "जब पीड़ित का शव कमरे से बाहर निकाला जाने वाला था, तो QC-4 के एक वार्डन ने पीड़ित को बचाने के बजाय उसका वीडियो रिकॉर्ड करने को प्राथमिकता दी, जबकि उसकी सांसें चल रही थीं"

4. सबूतों को सील और सुरक्षित रखने की मांग

एक छात्र ने पुलिस प्रशासन पर आरोप लगाते हुए कहा, "हमने सबूतों को सील और सुरक्षित रखने की मांग की थी. पहले पुलिस ने हमें बताया कि कमरे को सील कर दिया गया है और कमरे में फोन और लैपटॉप हैं, लेकिन जब हम उसी वक्त कमरे पर गए, तो वहां कोई सरकारी सील नहीं थी. हालांकि हंगामें के बाद सील किया गया.

कॉल रिकॉर्ड में छात्र और छात्रा के बीच बातचीत का दावा

यूनिवर्सिटी के स्टूडेंट्स के बीच एक ऑडियो वायरल है, जिसमें किसी लड़की और लड़के की बातचीत है. दोनों के बीच किसी बात को लेकर बहस हो रही है. लड़का लड़की को लगातार गालियां दे रहा है और उससे माफी मांगने के लिए कहता है. इस पर लड़की लड़के से माफी मांग लेती है. दोनों के बीच लंबी बहस के बाद लड़की रोने लगती है.

द क्विंट से बात करते हुए मृतिका के चचेरे भाई सिद्धांत सिगडेल ने दावा किया कि, 'यह कॉल रिकॉर्डिंग प्रकृति और आरोपी छात्र के बीच हुई बातचीत की है.'

"विरोध करने पर प्रशासन ने हमें लाठियों से पिटवाया"

प्रकृति की मौत पर यूनिवर्सिटी प्रशासन के खिलाफ नेपाल के स्टूडेंट्स ने विरोध प्रदर्शन किया. आरोप है कि विरोध करने पर यूनिवर्सिटी प्रशासन ने उन्हें बुरी तरह से पिटवाया और कैंपस खाली करने का नोटिस थमा दिया.  

थर्ड ईयर की छात्रा ने बताया, "16 फरवरी को पूरी रात विरोध प्रदर्शन चला. KIIT यूनिवर्सिटी के वीसी और अन्य अधिकारियों ने नेपाली छात्रों की न्याय की मांगों पर सहमति जताई. लेकिन बाद में जब संस्थापक वहां पहुंचे तो स्थिति और अधिक अफरा-तफरी में बदल गई. सुबह करीब 5 बजे छात्रों पर लाठीचार्ज किया गया, जिसके बाद सभी छात्रों को हॉस्टल में भेज दिया गया."

यूनिवर्सिटी प्रशासन की तरफ से 17 फरवरी की सुबह एक नोटिस जारी किया गया, जिसमें लिखा था, "नेपाल से आने वाले सभी अंतरराष्ट्रीय छात्रों के लिए यूनिवर्सिटी अनिश्चित काल के लिए बंद है. उन्हें आज, 17 फरवरी, 2025 को तत्काल विश्वविद्यालय परिसर खाली करने का निर्देश दिया जाता है."

स्टूडेंट्स को हॉस्टल खाली करने के सवाल पर यूनिवर्सिटी प्रशासन के एक अधिकारी ने कहा, "यह फैसला छात्रों की सुरक्षा सुनिश्चित करने और परिसर में शांति बहाल करने के लिए लिया गया था."

फाइनल ईयर के स्टूडेंट ने बताया,

"हमें आधे घंटे में हॉस्टल खाली करने को कहा गया. उससे पहले हमारे फोन छीनकर फोटो और वीडियो डिलीट करवाए गए. फिर सिक्योरिटी गार्ड और जिम ट्रेनर को बुलाकर जबरन मारपीट की गई और हमें बस में बैठाया गया. उसके बाद कुछ छात्रों को कटक तो कुछ को भुवनेश्वर जैसे अलग-अलग स्थानों पर छोड़ा गया, ताकि हम फिर से कोई प्रदर्शन न कर पाएं."

"वापस नहीं जाना चाहते, हमारी सुरक्षा की गारंटी कौन लेगा"

बीरगंज लौट रहे सेकंड ईयर के एक अन्य स्टूडेंट ने बताया, "हमें स्टेशन लाकर छोड़ दिया गया, लेकिन हमारे पास वापस लौटने के लिए पैसे तक नहीं थे. मैं ट्रेन की जनरल टिकट लेकर वापस लौट रहा हूं. जिस तरह से मारपीट करके निकाला गया है, उससे मैं काफी डर गया हूं. अब हम वापस नहीं आना चाहते. हमारी सुरक्षा की गारंटी कौन लेगा?"

कई स्टूडेंट्स ने द क्विंट को कई तस्वीरें और वीडियो भेजे.
  • छात्रों के साथ कथित मारपीट की तस्वीरें

    द क्विंट द्वारा प्राप्त किया गया. 

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प्रोफेसर का विवादित बयान, फिर मांगी माफी

सोशल मीडिया पर KIIT की दो महिला कर्मचारियों का बयान वायरल हो रहा है, जिसमें वे कथित तौर पर विरोध प्रदर्शन कर रहे छात्रों के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी कर रही हैं. वायरल वीडियो में, प्रोफेसर मंजूषा पांडे को यह कहते हुए सुना गया, "हम 40,000 से अधिक छात्रों को मुफ्त में खाना खिला रहे हैं और पढ़ा रहे हैं." एक अन्य महिला कर्मचारी जयंती नाथ को नेपाल के छात्रों पर चिल्लाते हुए सुना गया, उन्होंने कहा- "यह आपके देश के बजट के बराबर है."

वायरल वीडियो पर KIIT के एक स्टूडेंट ने द क्विंट से बात करते हुए कहा, "किसी देश के बारे में ऐसा बोलना अपमानजनक है. हम लोग फीस देकर पढ़ते हैं. अगर स्कॉलरशिप मिली भी है तो हमारी काबिलियत की वजह से मिली है. इस यूनिवर्सिटी में पढ़कर हम गर्व महसूस करते हैं. ऐसा बोलना उचित नहीं है."

वीडियो वायरल होने के बाद दोनों महिला कर्मचारियों, मंजूषा पांडेय और जयंती नाथ ने वीडियो जारी कर माफी मांगी.

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17 जनवरी को स्टूडेंट्स को कैंपस में वापस लौटने को कहा गया

मामला बढ़ते देख 17 जनवरी की शाम यूनिवर्सिटी ने बयान जारी कर छात्रों को कैंपस और कक्षाओं में लौटने को कहा.

नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट करके जानकारी दी कि, "भारत में नेपाली दूतावास के दो अधिकारियों को नेपाली छात्रों की मदद के लिए ओडिशा भेजा गया है. इसके अतिरिक्त, यह सुनिश्चित करने की व्यवस्था की गई है कि छात्रों के पास अपनी पसंद के आधार पर छात्रावास में रहने या घर वापस लौटने का विकल्प हो."

वाइस चांसलर ने जारी किया माफीनामा पत्र  

KIIT यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर सरनजीत सिंह ने एक पत्र जारी कर स्टूडेंट्स से माफी मांगी. उन्होंने लिखा, "हममें से कुछ लोगों ने आंदोलनकारी छात्रों के साथ जो व्यवहार किया, उसके लिए हमें खेद है. हम अपने छात्रों से प्यार करते हैं और हमने कभी उनका अपमान नहीं किया. हमारे दो अधिकारियों द्वारा की गई टिप्पणी बेहद गैर-जिम्मेदाराना थी. हमने उन्हें सेवा से हटा दिया है. उन्होंने भी अपने व्यवहार के लिए माफी मांगी है. हम भी जो कुछ हुआ, उसके लिए माफी मांगते हैं और नेपाल के सभी छात्रों और लोगों के प्रति अपना प्यार और स्नेह प्रकट करते हैं."

हालांकि, कई छात्रों ने दावा किया है कि यूनिवर्सिटी वापस लौटने पर एक अंडरटेकिंग फॉर्म मांग रही है, जिसमें यह लिखा है कि वे भविष्य में किसी भी अनुशासनहीनता में शामिल नहीं होंगे, ऐसी गतिविधियों को नहीं दोहराएंगे, और यूनिवर्सिटी/हॉस्टल में रहने की अनुमति दें.

(द क्विंट ने छात्रों के आरोपों और कुछ महत्वपूर्ण सवालों को लेकर KIIT की वेबसाइट पर दिए गए नंबरों पर संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन संपर्क स्थापित नहीं हो सका. हमने ईमेल भी भेजा है. प्रतिक्रिया मिलने पर रिपोर्ट को अपडेट किया जाएगा.)

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