“जब मैं अजान (प्रार्थना के लिए आह्वान" या "बुलावा) देने के बाद मस्जिद से बाहर आया, तो कुछ पुलिसवाले वहां मौजूद थे. उन्होंने मुझसे पूछा कि अजान देने की अनुमति किसने दी है. मैंने परमिशन लेटर दिखाते हुए कहा कि 'यह रही अनुमति', जिसे उन्होंने फाड़ दिया. इसके बाद कच्ची सड़क चौकी के इंचार्ज विनोद चौधरी ने मेरा गिरेबान पकड़ लिया और मुझे मारते-पीटते रहे. उन्होंने गाली-गलौज भी की और कहा- 'अजान देनी है तो पाकिस्तान जाओ'.”
यह कहना है मुजफ्फरनगर के सिविल लाइन थाना क्षेत्र के मदीना चौक स्थित मदीना मस्जिद के मुअज्जिन इरफान का. दरअसल, उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में माइक पर अजान देने को लेकर यूपी पुलिस द्वारा मस्जिद के मुअज्जिन के साथ मारपीट किए जाने का आरोप लगा है.
मारपीट का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है. वीडियो में एक पुलिसकर्मी कथित तौर पर मुअज्जिन इरफान के साथ हाथापाई करता दिखाई दे रहा है. आरोप है कि पुलिसकर्मी ने लाउडस्पीकर पर अजान देने को लेकर मुअज्जिन (मस्जिद में अजान देने वाला) के साथ मारपीट की, अभद्र भाषा में बात की और कथित तौर पर धार्मिक भावनाओं को आहत करने वाली टिप्पणी भी की.
हालांकि इस मामले में मुअज्जिन पर भी पुलिस को धमकी देने का आरोप लगा है.
"चार माइक की थी परमिशन, सिर्फ एक माइक इस्तेमाल हो रहा है”
मुअज्जिन और उनके भाई दानिश ने इस घटना को पूरी तरह अपमानजनक और अस्वीकार्य बताया है. इरफान ने द क्विंट से कहा,
"मैं यहां कई साल से मुअज्जिन हूं, लेकिन ऐसा पहली बार हुआ है कि पुलिस ने मस्जिद में आकर इस तरह दखलअंदाजी और मारपीट की है."
दानिश के मुताबिक, पुलिसकर्मियों ने मौके पर पहुंचकर अजान को लेकर सवाल किए. इरफान ने उन्हें बताया कि "मस्जिद के पास चार माइक की अनुमति थी, जिनमें से तीन पहले ही हटा दिए गए हैं और फिलहाल केवल एक माइक इस्तेमाल किया जा रहा है, जिसकी अनुमति मौजूद है. इसके बाद दरोगा ने आपत्तिजनक शब्दों का इस्तेमाल करते हुए इरफान से कहा कि थाने चलो. इरफान ने कहा कि इस समय मस्जिद नहीं छोड़ सकता. इसी बात को लेकर वहां हाथापाई हो गई.”
मुअज्जिन इरफान बताते है,
"मैंने कहा, थोड़ा रुक जाइए, मैं इमाम साहब को बुला रहा हूं लेकिन विनोद चौधरी ने मेरा गिरेबान पकड़ लिया और मारते-पीटते रहे. अगर कोई व्यक्ति किसी के घर आकर इस तरह का बर्ताव करे, तो जलालत महसूस होती है. हम कानून पर चलने वाले लोग हैं. ऐसा नहीं है कि हम कानून की बात नहीं मानते. हम आज तक मानते आए हैं और आगे भी मानेंगे."
मस्जिद के इमाम ने क्या कहा?
मस्जिद के इमाम मोहम्मद मोमिन, जो पिछले 11 साल से यहां सेवा में हैं. उन्होंने द क्विंट से कहा "पुलिस अधिकारी विनोद चौधरी हमारे यहां एक जिम्मेदार पद पर हैं, लेकिन फिर भी उन्होंने ऐसी हरकत की, जो नहीं करनी चाहिए थी." वह आगे कहते हैं,
"ऐसी सोच रखने वाले लोग अगर प्रशासन में रहेंगे, तो प्रशासन का नाम बदनाम होगा, शहर का माहौल खराब होगा और हमारे बड़े अधिकारियों की छवि पर भी असर पड़ेगा. जिनकी मानसिकता और सोच ठीक नहीं है, चाहे वे प्रशासन में हों या आम लोग, उन्हें जिम्मेदार कहना सही नहीं है."
दरोगा को धमकाने पर मुअज्जिन के खिलाफ FIR दर्ज
घटना के बाद अब मोहम्मद इरफान का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है. इसमें वे मीडिया से अपनी आपबीती बता रहे थे, लेकिन इसी दौरान उन्होंने कच्ची सड़क चौकी इंचार्ज विनोद चौधरी को धमकी दे दी. इसके बाद पुलिस ने तुरंत मुअज्जिन मोहम्मद इरफान के खिलाफ सिविल लाइन थाने में FIR दर्ज कर ली और उनकी गिरफ्तारी की कोशिशें शुरू कर दीं.
इस मामले में सीओ सिटी सिद्धार्थ के. मिश्रा ने बताया, "वायरल वीडियो में एक व्यक्ति पुलिसकर्मी को जान से मारने की धमकी देता हुआ दिख रहा है. इस आधार पर मुकदमा दर्ज कर आगे की कानूनी कार्रवाई शुरू कर दी गई है."
इरफान ने द क्विंट को बताया कि मुकदमा दर्ज होने के बाद उन्होंने अपनी गिरफ्तारी दी, और अब उन्हें जमानत मिल गई है. हालांकि मोहम्मद इरफान ने एक वीडियो जारी कर माफी मांगी है. उन्होंने कहा कि वे अपने शब्द वापस लेते हैं और शासन-प्रशासन का सम्मान करते हैं.
मुअज्जिन से अभद्रता करने के आरोप पर मुजफ्फरनगर पुलिस ने क्या कहा?
वहीं कच्ची सड़क चौकी इंचार्ज विनोद चौधरी पर मुअज्जिन से अभद्र भाषा में बात करने और कथित तौर पर धार्मिक भावनाएं आहत करने वाली टिप्पणी के आरोपों पर द क्विंट ने मुजफ्फरनगर पुलिस की मीडिया सेल से बात की.
सब-इंस्पेक्टर अभिषेक ने कहा,
“विनोद चौधरी पर लगे आरोपों की जांच के विषय में जानकारी नहीं है. फिलहाल विनोद चौधरी का दूसरी जगह ट्रांसफर कर दिया गया है.”
“धार्मिक स्थल पर रात में पुलिस की दखल चिंता की बात”
मुजफ्फरनगर में जमीयत उलेमा-ए-हिंद के नेता मौलाना मुकर्रम ने मीडिया से बातचीत में बताया कि जिले की पुलिस द्वारा देर रात तक मस्जिद के इमाम और मुअज्जिन को परेशान किए जाने की शिकायतें लगातार मिल रही हैं. उन्होंने मुजफ्फरनगर में घटी हालिया घटना का भी जिक्र करते हुए कहा,
"जो भी अधिकारी किसी को पाकिस्तान जाने की बात कह रहा है, वह इस मुल्क को बांटने की कोशिश कर रहा है और मुजफ्फरनगर का माहौल खराब करना चाहता है. हम ऐसे अधिकारियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की मांग करते हैं."
इमाम मोहम्मद मोमिन ने देर रात धार्मिक स्थलों में पुलिस की दखलअंदाजी को लेकर चिंता जाहिर की. उन्होंने द क्विंट से कहा, "अगर मस्जिद के इमाम या मुअज्जिन को रात के वक्त इस तरह परेशान किया जाएगा, तो यह बिल्कुल गलत है. अगर प्रशासन को हमसे कुछ पूछना है या किसी चीज में सहयोग चाहिए, तो वे दिन में आएं. जहां बुलाएंगे, हम वहां चले जाएंगे हमें कोई दिक्कत नहीं."
मोमिन ने पुष्टि की कि उन्होंने पहले भी हर तरह से प्रशासन का पूरा सहयोग किया है. उन्होंने कहा,
"हमने पहले भी हर तरह से प्रशासन का सहयोग किया है. सिविल लाइंस या दूसरी चौकियों से पुलिस चौकी इंचार्ज का फोन अक्सर मेरे पास आता था. जब भी वे बुलाते थे, मैं मीटिंग में चला जाता था—चाहे मामला माइक का हो, चुनाव के दौरान लोगों को समझाने का हो या किसी मजहबी कार्यक्रम का. हमारे यहां से कांवड़ भी गुजरती है, इसलिए कांवड़ मार्ग के प्रबंधन के लिए भी हमें बुलाया जाता था, और हम हमेशा पूरी तरह सहयोग करते थे."
पुलिस कार्रवाई पर धार्मिक भेदभाव का आरोप
अपनी जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष स्वामी प्रसाद मौर्य ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर यह मामला उठाते हुए इसे धार्मिक भेदभाव बताया और इस पर तत्काल रोक लगाने की मांग की है.
अपने पोस्ट में उन्होंने कहा, "बिना किसी सूचना, नोटिस, आदेश व घोषणा के जनपद मुजफ्फरनगर शहर, बुढ़ाना, खतौली, पुरकाजी, जानसठ व चरथावल कस्बों में पूर्व से निर्धारित ध्वनि – सीमा के अनुसार मस्जिदों में लगाये गये लाउडस्पीकरों को स्थानीय पुलिस प्रशासन द्वारा बलपूर्वक हटाये जाने एवं मस्जिदों के इमामों, मुतवल्लियों व मुस्लिम समाज के साथ बदसलूकी किए जाने की घटना अत्यंत निंदनीय है, धार्मिक आधार पर हो रहे भेदभावपूर्ण पुलिसिया कृत्य पर तत्काल रोक लगाये जाने की मांग करता हूं."
मौर्य के पोस्ट पर रिप्लाई करते हुए मुजफ्फरनगर पुलिस ने कहा, "उच्चतम न्यायालय ने ध्वनि प्रदूषण को नियंत्रित करने के उद्देश्य से ध्वनि विस्तारक यंत्रों के मानक निर्धारित किये हैं व नियम विरुद्ध ध्वनि विस्तारकों को हटाने हेतु निर्देशित किया गया है, इसी क्रम में पुलिस द्वारा मानक से अधिक ध्वनि वाले लाउडस्पीकर को नियमानुसार हटवाया गया है."