ADVERTISEMENTREMOVE AD

धर्म के नाम पर वोट मांग सकते हैं क्या, फिर चुनाव आयोग खामोश क्यों? जनाब ऐसे कैसे?

चुनाव आयोग हैदराबाद की बीजेपी उम्मीदवार माधवी लता के चलाए अदृश्य तीर की तरह शायद अदृश्य हो गया है

Published
Aa
Aa
Small
Aa
Medium
Aa
Large
  • क्या चुनाव में धर्म के नाम पर वोट मांग सकते हैं?

  • क्या चुनाव आयोग निष्पक्ष है?

  • क्या चुनाव में आचार संहिता का उल्लंघन हो रहा है?

सवाल है कि क्या चुनावी कैंपेन (Lok sabha election 2024) में अभी लीमिट क्रॉस नहीं हुई है? और कितनी लीमिट क्रॉस होनी बाकी है, जिसपर चुनाव आयोग (Election commission of india) एक्शन ले सके.. धार्मिक नारे, पोस्टर, धर्म के नाम पर वोट बदस्तूर जारी हैं.. लेकिन चुनाव आयोग हैदराबाद की बीजेपी उम्मीदवार माधवी लता (Madhavi Latha) के चलाए अदृश्य तीर की तरह शायद अदृश्य हो गया है. इसलिए हम पूछ रहे हैं जनाब ऐसे कैसे?

ADVERTISEMENTREMOVE AD

तेलंगाना के हैदराबाद में राम नवमी के मौके पर बीजेपी की कैंडिडेट माधवी लता ने एक काल्पनिक तीर चलाया.. जब वो ऐसा कर रही थीं, तब ये सब कैमरे पर रिकॉर्ड हो रहा था.. जैसे ही उन्होंने धनुष चलाने का एक्शन किया कैमरा घुमता है.. सामने मस्जिद है..

अब माधवी लता तर्क दे रही हैं कि यह एक अधूरा वीडियो है और ऐसे वीडियो के कारण भी अगर किसी की भावनाएं आहत होती हैं, तो मैं माफी मांगना चाहूंगी क्योंकि मैं सभी का सम्मान करती हूं.

उन्होंने एक न्यूज एजेंसी से बातचीत में पहले तर्क दिया कि मैंने रामनवमी के मौके पर आसमान की ओर तीर चलाया था. मैंने एक बिल्डिंग की ओर इशारा करके तीर छोड़ा था. फिर इसमें मस्जिद कहां से आ गई.

अब माधवी लता पर धार्मिक भावनाएं आहत करने के आरोप में पुलिस ने एफआईआर दर्ज की है, जिसके बाद माधवी लता ने कहा है

"यह एक त्योहार का माहौल था, मेरे मोबाइल और बाकियों के मोबाइल में भी ये रिकॉर्ड हुआ है लेकिन उस फ्रेम में मस्जिद नहीं थी... यह हास्यास्पद है कि अगर मैं मुसलमानों के खिलाफ होती तो मैं रमजान में हुए हजरत अली साहब के जुलूस में भाग क्यों लेती. मैंने अपने हाथों से कई लोगों को खाना बांटा है. कुछ लोग अपने गंदे सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए मुझे निशाना बनाना चाहते हैं."

खैर माधवी लता और उनकी पार्टी धर्म के नाम पर कैसे वोट मांग रही है, उसपर आगे बात करेंगे. लेकिन पहले सवाल चुनाव आयोग से.. क्या चुनाव आयोग के संज्ञान में ये वीडियो नहीं आया है? क्या ये मॉडल कोड ओफ कंडक्ट का उल्लंघन नहीं है?

जिन्हें नहीं पता उन्हें बता दें कि स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव के लिए चुनाव आयोग ने कुछ नियम बनाए हैं. इन नियमों को ही आचार संहिता यानी मॉडल कोड ऑफ कंडक्ट कहा जाता है.

अगर कोई राजनीतिक दल या उम्मीदवार आचार संहिता के उल्लंघन का दोषी पाया जाता है तो चुनाव आयोग उनके खिलाफ नियमानुसार कार्रवाई कर सकता है. इनमें दोषी के चुनाव लड़ने पर पाबंदी तक लग सकता है, चुनाव आयोग आपराधिक मुकदमा दर्ज करवा सकती है.

क्या हैं चुनाव आयोग के नियम?

  • कोई भी पार्टी या उम्मीदवार किसी भी ऐसी गतिविधि में शामिल नहीं होगा जो मौजूदा मतभेदों को बढ़ा सकती है या आपसी नफरत पैदा करा सकती है या अलग-अलग जातियों और समुदायों, धार्मिक या भाषा बोलने वालों के बीच तनाव पैदा कर सकती है

  • वोट हासिल करने के लिए जाति या संप्रदाय की भावनाओं के आधार पर कोई अपील नहीं की जाएगी. मस्जिदों, चर्चों, मंदिरों और पूजा के अन्य स्थानों का चुनाव प्रचार के मंच के रूप में इस्तेमाल नहीं किया जाएगा.

अब कुछ सोशल मीडिया पोस्ट पर नजर डालें

  • "वोट देने जा रहे हैं, तो ये जरूर याद रखियेगा, रामलला का मंदिर किसने बनवाया!"

  • "अररिया में सनातन का परचम लहराता रहे, इसलिए सांसद श्री प्रदीप कुमार सिंह जी को चुनें!"

  • "रामलला नवनिर्मित भव्य व दिव्य मंदिर में विराजे, अब अयोध्या को विश्वभर में आस्था के केंद्र के रूप में विकसित करेंगे। #PhirEkBaarModiSarkar"

इसके अलावा गृह मंत्री अमित शाह ने अपनी रैली में हिंदुओं के आराध्य राम की तस्वीर दिखाई थी. वहीं प्रधानमंत्री असम में अपनी रैली में जय श्रीराम और राम लक्षमण जानकी, जय बोलो हनुमान की का नारा लगाते हैं..

सवाल है कि क्या राम मंदिर किसी राजनीतिक दल ने बनवाया है? या हिंदुओं के चंदे से बना है? राम मंदिर पर फैसला बीजेपी के कहने पर आया है या सुप्रीम कोर्ट ने दिया है?

ADVERTISEMENTREMOVE AD

एक तस्वीर में पीएम मोदी के बैकग्राउंड में केदारनाथ मंदिर की तस्वीर है. क्या ये चुनाव में धर्म का इस्तेमाल नहीं है?

कुछ लोग कहेंगे कि राम मंदिर बीजेपी के घोषणापत्र का हिस्सा था.. तो ऐसे लोग जान लें कि साल 2017 में पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव से ठीक पहले सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम फैसला दिया था. जिसमें कहा गया था कि देशभर में कहीं भी धर्म, नस्ल, जाति, समुदाय या भाषा के आधार पर वोट नहीं मांग सकते हैं. अगर इन आधारों पर वोट मांगने के लिए अपील की जाती है तो उस उम्मीदवार का चुनाव रद्द कर दिया जाएगा. 4-3 के बहुमत से सात-जजों की संविधान पीठ ने ये फैसला दिया था.

यही नहीं लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 123 के मुताबिक, "भ्रष्ट आचरण" वह है जिसमें एक उम्मीदवार चुनाव जीतने की अपनी संभावनाओं को बेहतर बनाने के लिये कुछ इस प्रकार की गतिविधियों में शामिल हो जाते हैं, जिसके अंतर्गत रिश्वत, अनुचित प्रभाव, झूठी जानकारी, और धर्म, नस्ल, जाति, समुदाय या भाषा के आधार पर भारतीय नागरिकों के विभिन्न वर्गों के बीच घृणा, "दुश्मनी की भावनाओं को बढ़ावा देना और ऐसी कोशिश में शामिल हो."

फिर बार-बार रैलियों में, सभाओं में धार्मिक नारे कैसे लग रहे हैं और चुनाव आयोग इसपर खामोश क्यों है..

ADVERTISEMENTREMOVE AD

169 मामलों में चुनाव आयोग ने की कार्रवाई

ऐसा नहीं है कि चुनाव आयोग ने कोई एक्शन नहीं लिया है.. चुनाव आयोग का दावा है कि मॉडल कोड की पिछली एक महीने की अवधि के दौरान अलग-अलग राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों ने लगभग 200 शिकायतें दर्ज कराई थीं, जिनमें से 169 मामलों में कार्रवाई की गयी है.

  • चुनाव आयोग ने बताया है कि बीजेपी की शिकायत पर कांग्रेस की प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत को नोटिस भेजा है, साथ ही चुनाव आयोग (ईसी) ने हेमा मालिनी पर टिप्पणी के लिए कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला पर 48 घंटे का प्रचार प्रतिबंध लगाया.

  • इसके अलावा बीजेपी के नेताओं पर भी एक्शन हुआ है. जैसे कि डीएमके की शिकायत पर बीजेपी मंत्री शोभा करंदलाजे के खिलाफ रामेश्वर ब्लास्ट कैफे पर झूठे आरोपों के लिए एफआईआर दर्ज की गई. ममता बनर्जी पर आपत्तिजनक टिप्पणी के लिए टीएमसी की शिकायत पर बीजेपी नेता दिलीप घोष को नोटिस भेजा गया

लेकिन अबतक ये नहीं पता चला न दिखा कि धर्म के नाम पर वोट मांगने पर क्या एक्शन हुआ.. धार्मकि स्थलों की फोटो का इस्तेमाल चुनावी कैंपेन, मंच और प्रचार में धड़ल्ले से हो रहा है उसपर चुनाव आयोग का क्या कहना है?

जब हमने धर्म के आधार पर चुनाव में वोट मांगने को लेकर पूर्व चुनाव आयुक्त एसवाई कुरैशी से बात की तो उन्होंने साफ कहा कि धर्म और जाति के नाम पर वोट मांगना मॉडल कोड ऑफ कंडक्ट और रिप्रेजेंटेशन ऑफ पीपल्स एक्ट का उल्लंघन है..

सवाल वही है कि अगर राजनीतिक दलों ने काम किया है तो फिर उन्हें धर्म का कार्ड खेलने की आखिर क्यों जरूरत है? और अगर वो ऐसा कर ही रहे हैं तो चुनाव आयोग क्या कर रहा है? इसलिए हम पूछ रहे हैं जनाब ऐसे कैसे?

Speaking truth to power requires allies like you.
Become a Member
Monthly
6-Monthly
Annual
Check Member Benefits
×
×