ADVERTISEMENTREMOVE AD

महाकुंभ: "सरकारी एंबुलेंस नहीं मिली, 40 हजार रु लगाए तब भाई का शव घर ले आ पाया"

महाकुंभ में मौनी अमावस्या के दिन भगदड़ मची थी जिसमें सरकार के हिसाब से 30 लोगों की मौत हो गई थी

story-hero-img
i
Aa
Aa
Small
Aa
Medium
Aa
Large

''तीन बार एम्बुलेंस बदलकर भैया की बॉडी घर लेकर आए हैं हम. अपनी जेब से 40 हजार रुपए दिए हैं. न यूपी सरकार से और न ही एमपी सरकार से कोई सहायता नहीं मिली. हमें खुद ही सब कुछ अरेंज करना पड़ा."

क्विंट हिंदी से यह बात अनिल सराठे ने कही जिन्होंने अपने भाई उमेश सराठे को हमेशा के लिए खो दिया है. उमेश सराठे की मौत प्रयागराज महाकुंभ में मची भगदड़ में हो गई थी.

प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ में मौनी अमावस्या के अवसर होने वाले 'अमृत स्नान' के दौरान भगदड़ मची थी. भगदड़ सिर्फ संगम नोज के पास नहीं बल्कि झूंसी में भी मची. सरकारी आंकड़ा कहता है कि इसमें 30 लोगों की मौत हुई है.

इस हादसे में अपनों को खोने वालों की दर्दभरी कहानियां सामने आ रही हैं. अकेले बिहार में कम से कम 11, एमपी से 5, पश्चिम बंगाल से 2 तो तेलंगाना के 4 श्रद्धालुओं की मौत हुई है.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

"भाई की बॉडी लाने के लिए खुद से 40 हजार रुपए देने पड़े"

जान गंवाने वालों के परिवारों के लिए, भगदड़ कम होने के बाद भी त्रासदी खत्म नहीं हुई. उनके लिए अपनों के पार्थिव शरीर को घर लाना एक कठिन परीक्षा बन गयी. खास बात है कि सरकार की तरफ से मृतकों के परिजनों को 25-25 लाख रुपए की सहायता देने की बात कही गई है लेकिन कई ऐसे परिजन हैं जो यह दावा कर रहे हैं कि मृतकों की बॉडी वापस लाने के लिए उन्हें खुद से सब इंतजाम करना पड़ा.

मध्यप्रदेश के नर्मदापुरम से उमेश सराठे भी अपने साले पप्पू सराठे के साथ मौनी अमावस्या के दिन 'अमृत स्नान' करने के लिए महाकुंभ पहुंचे थे. लेकिन भगदड़ में उमेश सराठे की मौत हो गई. उनके रिश्तेदारों का कहना है कि उमेश मौनी अमावस्या की रात करीब 1:30 बजे भगदड़ में फंस गए थे.

पप्पू सराठे ने क्विंट हिंदी से बातचीत में बताया कि वहां अचानक लोग भागने लगे थे. उस वजह से उमेश गिर गए. हमने उनके चारों ओर घेरा बनाने की कोशिश की, लेकिन भीड़ बहुत ज्यादा थी.

उमेश के भाई अनिल सराठे ने बताया कि उन्हें अपने भाई की बॉडी को प्रयागराज से नर्मदापुरम लाने के लिए तीन बार एम्बुलेंस बदलने पड़े और इन सब के लिए अपनी जेब से 40,000 रुपये खर्च करने पड़े. उन्होंने दावा किया, ''हमें न यूपी सरकार से और न ही एमपी सरकार से कोई सहायता नहीं मिली. हमें खुद ही सब कुछ अरेंज करना पड़ा."

"शरीर बेच के पैसे दूं क्या?"

कुछ ऐसा ही कहना है गायत्री देवी का, जो अपने पति और कुछ रिश्तेदारों के साथ बिहार के गया से प्रयागराज आई थीं. कुंभ में जब उस रात भगदड़ मची तो उनके पति की मौत हो गई और उनका सारा पैसा-सामान गायब हो गया. सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे वीडियो में दिख रहा है कि बिना पैसों के कोई एंबुलेंस वाला उनके पति की बॉडी को गया ले जाने को तैयार नहीं हो रहा था और गायत्री देवी कॉल लगाकर बिहार से पैसा मंगवा रहीं हैं.

"अब आप जान खाइएगा क्या? आपको तो हमारी मदद करनी चाहिए. मेरा तो परिवार चला गया. सरकार की तरफ से कोई मदद नहीं. खुद एम्बुलेंस करो तो बॉडी ले जाओ. एक तो वो मर भी गए और आपको पैसा भी चाहिए. मजबूरी का फायदा उठाने का भी हद होता है. कोई 600 रुपए मांग रहा है तो कोई 1000 रुपए मांग रहा है. शरीर बेच के पैसे दूं क्या? बिहार से पैसे मंगा रही हूं. हम लोग गरीब नहीं है."
गायत्री देवी

"60-70 साल की उम्र में हमें घर लौटने के लिए 60 किमी पैदल चलना पड़ा"

एमपी के सतना जिले के 70 साल के बलिकरण सिंह अपनी 60 साल की पत्नी गंगा देवी सिंह के साथ महाकुंभ स्पेशल बस में बैठकर प्रयागराज गए थे. मौनी अमावस्या में स्नान के दौरान संगम में मची भगदड़ में दोनों तो सुरक्षित रहे लेकिन उसमें उनका सामान और कपड़े, सब गुम गया.

क्विंट हिंदी से बातचीत में उन्होंने बताया कि किसी तरह रात गुजरने के बाद वो वापस सतना आना चाहते थे लेकिन प्रशासन ने सारे रास्ते बंद कर दिए थे. उनका कहना है कि दोनों एक दूसरे का हाथ पकड़कर पैदल 50 से 60 किलोमीटर चलने के बाद फूलपुर पहुंचे. वहां से सरकारी बस से चाकघाट पहुंचे. बार्डर बंद होने की वजह से एक ढाबे में पड़े रहे. 24 घंटे बाद बार्डर खुलने पर घर के लिए बस ले पाए.

"36 घंटे से हमारी गाड़ी रुकी हैं, हम भी इंसान हैं-जानवर नहीं"

इस बीच उन लोगों की भी आवाज सामने आई हैं जो दावा कर रहे हैं कि वो 30 घंटे जाम खड़े रहे. वाराणसी-प्रयागराज रूट पर 20 किमी तक का जाम देखने को मिला, मिर्जापुर से प्रयागराज आने वाले वाहनों को भी लौटाया जा रहा है या फिर सरकारी जमीन पर पार्क कराया जा रहा है, भदोही-प्रयागराज रूट पर भी चप्पे-चप्पे पर पुलिस ने बैरिकेडिंग कर रखी है.

30 जनवरी को दुबई से आए एक व्यक्ति का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ. इसमें वो कह रहे हैं कि वह 36 घंटे से प्रयागराज के पास हाईवे पर फंसे हुए हैं. उनका कहना है कि लगभग 10 हजार बसें जाम में फंसी हैं.

"हम प्रयागराज-कानपुर हाइवे पर 36 घंटे से यहां फंसे हैं. न हम इधर जा सकते हैं और न उधर. हमारे साथ ही 170 लोग हैं और बाकि तो 10 हजार बसें यहां फंसी हैं. कम से कम रोड खोल देतें या फिर ट्रैफिक पुलिस को मैनेजमेंट के लिए लगा देतें. न हमारे पास टॉयलेट की व्यवस्था है और न ही खाने को कुछ है. लोग यहां बीमार हैं. अगर कोई मर गया तो कौन जिम्मेदार होगा. जो भी यह वीडियो देख रहा है प्लीज इसको वायरल करे और हमारी मदद करे. हम जानवर नहीं हैं, हम भी इंसान ही हैं.

हादसे के बाद से प्रशासन पर ये भी आरोप लग रहे हैं कि मृतकों के डेथ सर्टिफिकेट जारी नहीं किए जा रहे हैं. कुछ ऐसा ही आरोप यूपी के आजमगढ़ के महेन्द्र मिश्रा का है जिनकी पत्नी रविकला की भगदड़ में जान चली गई. परिवार का कहना है कि प्रयागराज प्रशासन ने डेथ सर्टिफिकेट नहीं जारी किया. मृतका के नाम का जिक्र केवल दो कागज पर हैं- पहला तो पोस्टमार्टम के बाद मॉर्चरी से बॉडी हैंडओवर का कागज और दूसरा एक रजिस्टर पर एंट्री.

इसके अलावा तीसरा कागज आजमगढ़ के स्थानीय थाने से मिला है जिसमें लिखा है कि मृतका रविकला प्रयागराज महाकुंभ में स्नान करने गई थीं और भगदड़ में उनकी मृत्यु हो गई. पोस्टमार्टम के बाद मृतका का शव उनके पति महेन्द्र मिश्रा को पुलिस द्वारा सौंप दिया गया.

भीड़ को मैनेज करने के प्रयासों को मजबूत करने के लिए, राज्य सरकार ने आईएएस अधिकारी आशीष गोयल और भानु गोस्वामी को प्रयागराज भेजा है. दोनों अधिकारियों के पास बड़े पैमाने के आयोजनों के मैनेजमेंट का अनुभव है, उन्होंने 2019 अर्ध कुंभ के प्रबंधन में भूमिका निभाई है. उनके साथ सामूहिक आयोजनों को संभालने का अनुभव रखने वाले पांच विशेष सचिव स्तर के अधिकारी भी शामिल होंगे.

इन सबके बीच महाकुंभ भगदड़ के बाद न्यायिक आयोग की टीम जांच के लिए घटनास्थल पहुंच चुकी है. इस तीन सदस्यीय न्यायिक आयोग की अध्यक्षता जस्टिस हर्ष कुमार करेंगे जबकि इसकी बाकि के सदस्य पूर्व डीजी वीके गुप्ता और रिटायर्ड आईएएस डीके सिंह हैं.

Speaking truth to power requires allies like you.
Become a Member
Monthly
6-Monthly
Annual
Check Member Benefits
×
×