ADVERTISEMENTREMOVE AD

दिल्ली: रोहिंग्या रिफ्यूजी कैंप में अचानक आग, 230 लोगों का घर छिना

इस हादसे में किसी के भी हताहत होने की खबर नहीं है, लेकिन माली नुकसान हुआ है.

Updated
Aa
Aa
Small
Aa
Medium
Aa
Large
ADVERTISEMENTREMOVE AD

वीडियो एडिटर: कनिष्क दांगी

दिल्ली के कालिंदी कुंज के नजदीक रोहिंग्या रिफ्यूजी कैंप में भीषण आग लग गई, जिसमें करीब 55 झोपड़ियां जलकर खाक हो गईं. ये आग 13 जून की रात 11.30 के करीब लगी थी.

कैंप में रहने वाले हुसैन बताते हैं, “यहां हम लोग करीब 230 लोग रहते हैं, हम लोग 2012 में म्यंमार से आये थे, तब से इसी इलाके में रह रहे हैं, लेकिन अब हमारे रहने की जगह पूरी तरह से जल गई है. रात में करीब साढ़े 11 बजे लोगों ने हंगामा किया कि आग लग गई है, जब तक हम लोग सामान उठा पाते आग की लपटें हमारी झोपड़ी तक आ गई. आग की लपटें इतनी तेज थीं कि एक घंटे में सब जल गया. इतना वक्त नहीं मिला कि हम अपने सामान बचा पाते. घर मे मौजूद हर एक सामान जल गया.”

अपने जले हुए सामानों को देखते हुए, यासिर बताते हैं,

“मैं और मेरी अम्मी इस झोपड़ी में रहते थे, आग लगने के वक्त हम लोग सो रहे थे, किसी तरह जल्दी से अम्मी को लेकर बाहर आए, सिर्फ एक बैग बाहर ला सके, अभी पता नहीं है कि हमारा रिफ्यूजी कार्ड बचा है या नहीं.”

बता दें कि इस हादसे में किसी के भी हताहत होने की खबर नहीं है, लेकिन माली नुकसान हुआ है.

घटनास्थल पर रात में ही दमकल की गाड़ियां पहुंच गई थीं, और देर रात करीब तीन बजे आग पर काबू पा लिया गया.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

2018 में भी लगी थी आग

रोहिंग्या रिफ्यूजी अली जौहर बताते हैं कि साल 2018 में भी रिफ्यूजी कैंप में आग लगी थी, जिसके बाद पास के जमीन पर ही कैंप को शिफ्ट किया गया था. लेकिन एक बार फिर इस आग ने लोगों का सब कुछ छीन लिया.

अली जौहर कहते हैं, “आखिर कब तक हम लोगों के साथ इस तरह होता रहेगा? हम लोगों के पास UNHRC की तरफ से रिफ्यूजी कार्ड मिला हुआ है, बहुत लोगों का वो कार्ड भी जल गया है. इसके अलावा जो म्यांमार का आइडेंटिटी प्रूफ है वो भी जल गया.”

  • 01/04
    (फोटो: क्विंट हिंदी)
  • 02/04
    (फोटो: क्विंट हिंदी)
  • 03/04
    (फोटो: क्विंट हिंदी)
  • 04/04
    (फोटो: क्विंट हिंदी)

पहले कोरोना की मार, अब सर छिपाने को छत भी नहीं

रिफ्यूजी कैंप में मौजूद कुछ लोग अपने जले हुए सामानों की राख समेट रहे थे. महिलाएं और बच्चे पास में एक दीवार के सहारे प्लास्टिक के शेड में मायूस बैठे थे. इसी भीड़ में मौजूद एक रोहिंग्या रिफ्यूजी अपना दर्द बयान करते हुए कहती हैं, “यहां के बच्चों की पढ़ाई, सेहत, नौकरी, हर दिन का गुजारा करना मुश्किल होता है ऊपर से ये सब. यहां पर रहने वाले लोग मजदूरी या सब्जी बेचने का काम करते हैं. लेकिन कोरोना की वजह से लगभग सभी लोग बेरोजगार हैं.”

Published: 
Speaking truth to power requires allies like you.
Become a Member
Monthly
6-Monthly
Annual
Check Member Benefits
×
×