"वोटर वेरिफिकेशन का फॉर्म मेरे घर पर है, सारे डॉक्यूमेंट्स मेरे पास हैं, न बूथ लेवल ऑफिसर (BLO) को मैंने फॉर्म वापस किया, न मैंने अपना मोबाइल नंबर दिया, लेकिन मेरे फॉर्म के जमा होने का मैसेज आ गया. मुझे समझ नहीं आ रहा ये कैसे हुआ? कल को इसी बात को आधार बनाकर मेरा नाम वोटर लिस्ट से हटाया जा सकता है और कहा जा सकता है कि मैं भारत का नागरिक नहीं हूं, मुझे वोट देने का अधिकार नहीं है, फिर मैं क्या करूंगा?"
बिहार में चुनाव आयोग द्वारा चलाए जा रहे विशेष पुनरीक्षण अभियान (Special Intensive Revision - SIR) के फॉर्म को लेकर दरभंगा के रहने वाले सामाजिक कार्यकर्ता फकीह खान चिंता जाहिर करते हैं. दरअसल, फकीह ने जब अपने मतदाता पहचान पत्र का एपिक नंबर चुनाव आयोग की वेबसाइट पर डालकर ऑनलाइन फॉर्म भरने की कोशिश की तो उनके मोबाइल पर मैसेज फ्लैश हुआ-
"आपका गणना प्रपत्र जमा हो गया है. आपका नाम 01.08.2025 को प्रकाशित होने वाली प्रारूप निर्वाचक सूची में दिखाई देगा. यदि आपने अभी तक अपना दस्तावेज जमा नहीं किया है, तो कृपया अपने बीएलओ से सम्पर्क करें."
फकीह की तरह ही मुंगेर के रहने वाले क्विंट के पत्रकरा माज हसन को भी इसी तरह का मैसेज मिला है. माज दिल्ली में रहते हैं और उनका परिवार मुंगेर में. माज ऑनलाइन अपना एन्युमरेशन फॉर्म भरकर जमा करना चाहते थे, लेकिन वो ऐसा नहीं कर सके. उन्हें भी चुनाव आयोग की वेबसाइट पर वही संदेश मिला कि उनका फॉर्म जमा हो चुका है. हालांकि माज ने अपने वोटर होने के दावे को पक्का करने के लिए फिर अपने परिवार से और बीएलओ से संपर्क करके ऑफलाइन फॉर्म जमा करवाया.
बता दें कि बिहार में मतदाता सूची का ‘विशेष गहन पुनरीक्षण’ 25 जून से शुरू है और 26 जुलाई तक चलेगा.
इसके तहत जिन भी लोगों का नाम मतदाता सूची में शामिल है, उन्हें एन्युमरेशन फॉर्म भरना होगा, साथ में फोटो और 11 जरूरी डॉक्यूमेंट में से कोई एक जमा कराना होगा. वहीं चुनाव आयोग के मुताबिक जिन मतदाताओं के नाम साल 2003 की वोटर लिस्ट में शामिल हैं, उन्हें सिर्फ एन्युमरेशन फॉर्म भरकर जमा करना है.
वोटर वेरिफिकेशन के इस प्रोसेस पर लगातार सवाल उठ रहे हैं, और ऐसे ही सवाल के लिए हमने पहले बीएलओ और फिर अलग-अलग जिले के जिला अधिकारी से बात की.
दरभंगा के वार्ड नंबर 33 के बीएलओ बिरेंद्र से जब हमने इस बारे में पूछा तो उन्होंने कहा- "ऐसा हमें भी सुनने में आ रहा है, लेकिन हमको खुद समझ नहीं आ रहा है कि जब पेपर मेरे पास ही है तो सबमिट कैसे हो गया. कई जगह पेपर लोगों के घर में है, मतदाता ने मुझे भरकर दिया भी नहीं है लेकिन वो सबमिट दिखा रहा है. लोग हमसे कह रहे हैं कि ये सब क्या हो रहा है. हमको भी बहुत आश्चर्य लग रहा है. "
"मेरे पास 939 वोटर हैं, हमने उसमें से 600-650 फॉर्म लोगों को बांट दिया है. करीब 500 लोगों ने फॉर्म भरकर वापस कर दिया है. हमने सब डीएम ऑफिस में जमा करा दिया है."
बीएलओ और आम लोगों की परेशानी को लेकर क्विंट ने दरभंगा के डीएम कौशल कुमार से बात की. कौशल कुमार कहते हैं- "आप हमें स्पेसिफिक नंबर बताइए, हम देखकर जांच कराते हैं."
क्विंट ने डीएम कौशल कुमार से कहा कि ये कई लोगों की परेशानी है, कई लोग हमें कॉल कर रहे हैं, तो डीएम ने कहा आप उन लोगों का नंबर डावर्ट कीजिए, उनसे बात करते हैं. जब क्विंट ने डीएम को बताया कि इस तरह की दिक्कत की शिकायत कई बीएलओ ने भी की है तो उन्होंने कहा कि हो सकता है कोई टेकनिकल दिक्कत होगी. आप हमारे पास भेजिए हम जिनका भी टेक्निकल एरर होगा देख लेंगे.
क्विंट ने डीएम कौशल कुमार को एक वोटर का एपिक नंबर भी वॉट्सएप पर भेजा था लेकिन उनकी तरफ से कोई जवाब नहीं आया. क्विंट ने डीएम कौशल कुमार से दोबारा संपर्क करने की भी कोशिश की लेकिन उनसे बात नहीं हो सकी. बात होने पर उनका पक्ष अपडेट किया जाएगा.
मुंगेर के डीएम और बीएलओ को मैसेज की नहीं है जानकारी?
क्विंट ने पत्रकार माज हसन और कई लोगों की शिकायत को देखते हुए दिलावरपुर, मुंगेर के बीएलओ शारिक से बात की. बीएलओ ने इस बात से साफ ही इनकार कर दिया कि उनके वॉर्ड में ऐसी कोई परेशानी लोगों को हुई है.
बीएलओ ने कहा- "हमें ऐसी कोई शिकायत नहीं मिली है. हम घर-घर जाकर लोगों से फॉर्म ले रहे हैं, तो इसमें किसी को पहले मैसेज आने का सवाल नहीं उठता है."
इसी शिकायत को लेकर क्विंट ने मुंगेर के डीएम अरविन्द कुमार वर्मा से भी बात की. उन्होंने कहा, "नहीं ऐसी कोई शिकायत हमें नहीं मिली है. कौन लोग ऐसा कह रहे हैं?"
जब हमने डीएम से कहा कि लोग डरे हुए हैं कि कहीं शिकायत करने पर ही उनका नाम न काट दिया जाए या उन्हें किसी मामले में फंसा न दिया जाए, तो डीएम ने कहा ऐसी कोई शिकायत नहीं आई है. लेकिन अगर इस जिले में ऐसा कहीं हुआ है तो हमें बताइएगा.
अररिया, बेगुसराय, पटना में भी लोगों ने की शिकायत
सीमांचल इलाके के अररिया जिले के रहने वाले एक वोटर ने नाम ना छापने की शर्त पर बताया कि न कोई फॉर्म भरा हमने अभी तक और न ही अभी तक किसी बीएलओ ने संपर्क किया, लेकिन इसके बावजूद हमारे मोबाइल पर फॉर्म जमा होने का मैसेज आ गया. "हम लोग क्या करें? फिर यही लोग कहेंगे कि सीमांचल में घुसपैठिए रहते हैं, और हमें बदनाम करेंगे."
हमें इसी तरह का मैसेज और भी कई जिलों के लोगों ने भेजा है. सभी को यही डर है कि जब फॉर्म और 11 जरूरी प्रूफ में से कुछ भी उन लोगों ने जमा नहीं किया था तो फिर क्या उनका नाम वोटर लिस्ट से हटा दिया जाएगा. हालांकि हमारी बात जिन लोगों से हुई है, वो लोग अब बीएलओ के पास जाकर ऑफलाइन फॉर्म और डॉक्यूमेंट्स जमा करा रहे हैं ताकि उनका नाम वोटर लिस्ट से बाहर न हो जाए.
बिहार एसआईआर: 95.92 प्रतिशत मतदाता ड्राफ्ट लिस्ट में शामिल
भले ही बहुत से लोग इस प्रोसेस को लेकर सवाल उठा रहे हों, लेकिन चुनाव आयोग अपने दावों को लेकर काफी उत्साहित है. चुनाव आयोग की माने तो बिहार में एसआईआर प्रोसेस के तहत 21 जुलाई तक 95.92 प्रतिशत मतदाता ड्राफ्ट लिस्ट में शामिल हो गए हैं.
24 जून 2025 तक बिहार में कुल 7,89,69,844 मतदाता थे, जिनमें से 7,16,03,218 यानी की 90.67% का गणना प्रपत्र प्राप्त हो गया है. जिसमें से 7,08,59,670 यानी 89.73% का एन्युमरेशन फॉर्म डिजिटाइज्ड भी हो गया है.
अब सवाल यही तो है कि जब दरभंगा से लेकर पटना, अररिया में कई लोगों ने फॉर्म भरा ही नहीं तो उनका फॉर्म किसके कहने पर किसने भर दिया? जब वोटर के पास बीएलओ गए ही नहीं तो फिर चुनाव आयोग एक महीने के अंदर ही 90 फीसदी फॉर्म जमा होने का दावा किस आधार पर कर रहा है?