बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन की शुरुआत हो चुकी है. चुनाव आयोग के मुताबिक, वोटर की पात्रता की पुष्टि के लिए विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) कराया जा रहा है. INDIA ब्लॉक ने इसे 'वोटबंदी' का नाम देकर कड़ा विरोध जताया है. विपक्ष ने करीब 2 करोड़ वोटरों के नाम कटने की आशंका जाहिर की है. ऐसे में कुछ आंकड़ों के जरिए बताते हैं..
बिहार में साल 2003 में स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन में क्या हुआ था?
बिहार में सबसे ज्यादा वोटर कब जुड़े और किस चुनाव में वोटरों की संख्या कम हुई?
बिहार के किस जिले से सबसे ज्यादा माइग्रेटेड मतदाता हैं?
बिहार में 2003 में हुआ था स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन
साल 2003 में हुए स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन को समझने से पहले इसके बैकग्राउंड का जानना जरूरी है. बिहार में साल 2000 में 12 से 22 फरवरी तक विधानसभा के चुनाव हुए. तब कुल 6,00,91,029 वोटर थे.
फिर तारीख आई 15 नवंबर 2000. बिहार के दक्षिणी भाग को विभाजित करके झारखंड बनाया गया. फिर साल 2003 में स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन हुआ. इसके बाद साल 2004 में लोकसभा के चुनाव घोषित हो गए. स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन की नतीजे इस चुनाव में दिखे.
बिहार से झारखंड के अलग होने और स्पेशल इंटेंसिव रिवीज के बाद हुए पहले चुनाव में बिहार में मतदाताओं की संख्या 5,05,59,672 और झारखंड में 1,68,12,339 थी. दोनों प्रदेशों को मिलाकर देखें तो साल 2004 में कुल वोटर 6,73,72,011 हो गए. यानि 4 साल में दोनों राज्यों को मिलाकर देखें तो 72,80,982 बढ़ गए.
लेकिन अकेले बिहार में वोटरों की संख्या देखी जाए तो साल 2000 में 6,00,91,029 से 4 साल में 5,05,59,672 पर पहुंच गई. यानी 9,53,1357 वोटर घट गए. जाहिर है इसकी एक बड़ी वजह बिहार से झारखंड का अलग होना है.
साल 2014 में सबसे ज्यादा वोटर जोड़े गए
साल 2000 में बिहार विधानसभा चुनाव में 6,00,91,029 वोटर थे. बिहार राज्य को वापस ये संख्या पाने के लिए करीब 14 साल लग गए. साल 2014 में हुए लोकसभा के चुनाव में बिहार में 6,37,27,353 वोटर थे. वहीं 4 साल पहले यानि 2010 के विधानसभा चुनाव में बिहार में 5,51,20,656 वोटर थे. यानि 4 साल में 86,06,697 वोटर जुड़े थे.
साल 2024 में माइग्रेटेड मतदाताओं की संख्या करीब 8 लाख
अब आते हैं माइग्रेटेड मतदाताओं (migrated electors) के सवाल पर. साल 2024 में लोकसभा चुनाव के दौरान चुनाव आयोग ने एक डाटा जारी किया था. बीएलओ (Booth Level Officer) सर्वे में यह पाया गया कि कुल 8,09,948 मतदाता बिहार से अन्य जगहों पर चले गए.
रिपोर्ट के अनुसार, इन स्थानांतरित मतदाताओं में कोई भी परिवार सहित स्थानांतरित नहीं हुआ था, सभी वोटरों को व्यक्तिगत रूप से स्थानांतरित पाया गया. इसका मतलब यह है कि घर के अन्य सदस्य उसी स्थान पर मौजूद हैं, लेकिन कुछ सदस्य बाहर चले गए हैं.
सबसे अधिक स्थानांतरित वोटर वाले जिले
चुनाव आयोग के 2024 के आंकड़ों के अनुसार, पटना (42,660), समस्तीपुर (35,684) और गोपालगंज (33,973) सबसे अधिक माइग्रेशन वाले जिले हैं. विधानसभा स्तर पर नवादा के वारिसलीगंज से सर्वाधिक 8,399 मतदाता माइग्रेट हुए हैं. इसके बाद कुचायकोट (7,685) और भोरे (7,680) विधानसभा सीटों का नंबर आता है. नवादा जिले से तीन विधानसभा क्षेत्रों से बड़ी संख्या में मतदाता बाहर गए.