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बरेली: 10 FIR- 73 गिरफ्तारी और 38 दुकानें सील, परिवार ने कहा- मेरा बेटा निर्दोष

Bareilly Clashes: डीआईजी अजय साहनी ने कहा, इस घटना में बंगाल और बिहार के मुल्जिम भी शामिल थे.उनकी गिरफ्तारी की गई है

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"जुमे वाले दिन बेटा घर पर ही था. शाम 8 बजे दूध लेने बाहर गया तभी उसे पुलिस उठा ले गई. 4 दिन हो गए. पुलिस उससे मिलने तक नहीं दे रहे हैं. मेरा बेटा निर्दोष है."

ये बोलते हुए एक मां रो पड़ती है. फिर आंसू पोंछते हुए कहती हैं, मैं खुद बीमार हूं. सांस की बीमारी है लेकिन चार दिन से हर सुबह 6 बजे यहां (कोतवाली) आती हूं फिर रात 12 बजे वापस घर जाती हूं. पूरे दिन इंतजार करती हूं कि कोई तो मेरे बेटे की खोज खबर दे. बरेली में शहर कोतवाली के बाहर ऐसे कई परिवार मिले, जिन्होंने आरोप लगाया कि पुलिस ने उनके परिजनों को उठा लिया और अब उनसे मिलने नहीं दे रही है. बरेली में जो हुआ उसमें उनके परिजनों का कोई दोष नहीं है. एसएसपी अनुराग आर्या ने बताया, बरेली में हुए बवाल में 30 नवंबर तक 10 एकआईआर दर्ज कर 73 आरोपियों को अरेस्ट कर जेल भेजा जा चुका है.

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"पुलिस रोज कहती हैं आज छोड़ देंगे लेकिन छोड़ती नहीं"

सरफराज का आरोप है कि उनके 17 साल के बेटे को भी पुलिस उठाकर ले गई. 4-5 दिन से कोतवाली में रखा है, लेकिन उससे मिलने नहीं दे रहे हैं. उन्होंने कहा, "बेटे ने कुछ किया होता और उसे पकड़ते तो समझ में आता कि चलो बच्चे ने गलत काम किया, लेकिन मेरे बेटे ने कुछ नहीं किया. वह शाम 5 बजे घर पर आटा देकर बाहर गया, तभी पुलिस ने उसे उठा लिया. पुलिस रोज कहती है कि आज छोड़ देंगे कल छोड़ देंगे लेकिन नहीं छोड़ नहीं रही. जिस वक्त घटना हुई उस वक्त मेरा बेटा घर पर था."

बरेली के ही रहने वाले आशू ने कहा, मेरे ताऊ का लड़का है. 19 साल का है. वेल्डिंग का काम करता है. उसे पुलिस बाजार से उठा ले गई. 4-5 दिन हो गए. पुलिस उससे मिलने नहीं दे रही है. "उसे जेल भेजना है तो जेल भेज दें हम जमानत करवाने की कोशिश करेंगे. लेकिन पुलिस उसे जेल भी नहीं भेज रही और कुछ बता भी नहीं रही."

बरेली के डीएम अविनाश सिंह ने बताया, प्रशासन उन्हीं लोगों के खिलाफ कार्रवाई कर रहा है जिन्होंने उस दिन उपद्रव किया. उस दिन के शरारती तत्व थे. जिन्होंने माहौल के बिगाड़ने की कोशिश किया है. जिनका पिछले काफी समय से ट्रेक रिकॉर्ड बहुत ही खराब है.

क्रॉस का लाल निशान लगाकर 38 दुकानें सील

बरेली विवाद के बाद पुलिस ने नवेल्टी चौक पर क्लॉक टावर के पास की करीब 38 दुकानों को सील कर दिया. स्थानीय पत्रकार संजय शर्मा के मुताबिक, यहां कुल 54 दुकानें हैं जो मुख्य रूप से अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों की हैं. मुख्य काम रेडीमेड कपड़ों और जूते-चप्पलों का है. नगर निगम की टीम ने इन्हें अवैध कब्जा बताकर खाली कर दिया.

"बिना नोटिस 3 घंटे में दुकाने खाली करने का आदेश"

स्थानीय दुकानदारों ने आरोप लगाया कि नगर निगन ने बिना नोटिस दिए 3 घंटे में ही दुकानों को खाली करने को कह दिया. दुकाने वक्फ बोर्ड की जमीन पर बनी हैं. नगर निगम से जमीन के स्वामित्व को लेकर केस किया था, लेकिन हमारे पास कोर्ट से स्टे ऑर्डर है.

बरेली नगर आयुक्त संजीव कुमार मौर्य ने कहा, नाले के ऊपर अतिक्रमण कर बहुत सारी बहुमंजिला दुकानें बनाई गई थीं, जिसे लेकर पूर्व में नोटिस दिया गया था और उनके द्वारा दुकानों को खाली न करने के बाद नगर निगम की टीम ने कार्रवाई की. दुकानों के बीच आईएमसी का भी ऑफिस है. वह वक्फ की प्रॉपर्टी नहीं है क्योंकि पूर्व में भी ये मामला नगर निगम में आया था. उसको निस्तारित भी किया जा चुका है. वह अवैध प्रॉपर्टी है और नाले और सड़क के साइड पर बनी हुई है.

पूर्व आईपीएस अधिकारी अमिताभ ठाकुर ने कहा, आजाद अधिकार सेना के एक प्रतिनिधिमंडल ने बरेली जाकर वहां घटना के संबंध में महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त की, जिसके आधार पर यूपी सीएम को पत्र लिखकर समुचित कार्रवाई की मांग की है. उन्होंने लिखा,

  • मौके पर जितने भी लोगों से प्रतिनिधिमंडल ने बात की वे डरे हुए और भयभीत दिखे. उनकी बातचीत से साफ था कि उन्हें पुलिस प्रशासन ने काफी भयाक्रांत करके रखा हुआ है, जिसके कारण वे अभी खुल कर पूरी सत्यता नहीं बता रहे हैं.

  • मौके पर यह स्पष्ट दिखता है कि जितनी आवश्यकता है, उससे कई गुना बढ़कर पुलिस बल को लगाया गया है, जिसका प्रथम और मुख्य उद्देश्य स्थानीय लोगों को भयभीत रखना दिख रहा है.

  • घटना के समय से ही बरेली में लगातार इंटरनेट बंद होने के कारण आम जन को काफी परेशानियां हो रही हैं और पूरे बरेली शहर के व्यापार सहित आम जनजीवन बेहद कुप्रभावित हो रहा है.

  • इंटरनेट की सुविधा बंद होने के कारण तमाम लोग इस घटना से संबंधित अपने तथ्यों को सामने नहीं ला पा रहे हैं, जिसके कारण घटना की पूरी सत्यता सामने नहीं आ पा रही है.

  • घटनास्थल के आसपास के तमाम व्यापारियों ने यह बताया कि उन्हें घटना होने के पूर्व ही स्थानीय पुलिस प्रशासन द्वारा दुकान बंद कर लेने के निर्देश दिए गए थे, जो निश्चित रूप से प्रशासन की मंशा के संबंध में गंभीर संदेह उत्पन्न करता है.

इनपुट- संजय शर्मा

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