सुप्रीम कोर्ट ने 19 मई 2025 (सोमवार) को अशोका यूनिवर्सिटी के राजनीति विज्ञान विभाग के हेड प्रोफेसर अली खान महमूदाबाद की हरियाणा पुलिस द्वारा की गई गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करने पर सहमति जताई है.
अली खान महमूदाबाद को 18 मई को हरियाणा पुलिस ने ऑपरेशन सिंदूर पर कथित तौर पर भारतीय सशस्त्र बलों में महिला अधिकारियों का 'अपमान' करने और 'सांप्रदायिक विद्वेष' को बढ़ावा देने के आरोप में गिरफ्तार किया है. जिसके बाद अली खान को दो दिन की पुलिस रिमांड पर भेज दिया गया.
सीनियर वकील कपिल सिब्बल ने दो जजों की बेंच की अध्यक्षता कर रहे चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया बी आर गवई से कहा, “अशोका यूनिवर्सिटी के एक प्रोफेसर पर पूरी तरह से देशभक्ति से भरे बयान के लिए कार्रवाई की गई है.” सिब्बल ने अदालत से आग्रह किया कि अगर संभव हो तो इस मामले पर 21 मई को सुनवाई की जाए, वहीं जस्टिस गवई ने इस पर जल्द सुनवाई करने पर सहमति जताई, हालांकि सुनवाई की तारीख अभी साफ नहीं हो सकी है.
क्या है पूरा मामला?
दरअसल, अली खान महमूदाबाद ने पहलगाम हमले के जवाब में भारतीय सशस्त्र बलों के ऑपरेशन सिंदूर पर सोशल मीडिया पोस्ट लिखा था, जिसपर हरियाणा राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष रेणु भाटिया ने पहले आपत्ति जताते हुए 12 मई को स्वत: संज्ञान लिया और अली खान तो नोटिस भेजा. कारण बताओ नोटिस में अली खान को आयोग के समक्ष उपस्थित होने के लिए भी बुलाया गया था.
आयोग ने अपने नोटिस में अली खान महमूदाबाद के सोशल मीडिया पोस्ट को "राष्ट्रीय सैन्य कार्रवाइयों को बदनाम करने की कोशिश" के रूप में बताया था. वहीं 14 मई को मीडिया को दिए गए एक बयान में महमूदाबाद ने कहा था कि उनकी टिप्पणियों को "पूरी तरह से गलत समझा गया" और दावा किया कि आयोग के पास इस मामले में "कोई अधिकार क्षेत्र नहीं है".
अली खान महमूदाबाद के खिलाफ दो FIR दर्ज
अली खान महमूदाबाद के खिलाफ हरियाणा के सोनिपत में दो एफआईआर दर्ज हुए हैं. पहला हरियाणा राज्य महिला आयोग की शिकायत पर राय थाना ने अली खान महमूदाबाद के खिलाफ एफआईआर दर्ज की. इसके अलावा हरियाणा बीजेपी युवा मोर्चा के महासचिव और जठेरी गांव के सरपंच योगेश जठेरी की शिकायत पर भी पुलिस ने एफआईआर दर्ज किया है.
जठेरी की शिकायत के आधार पर भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 196(1)बी (धर्म के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना), 197(1)सी (राष्ट्रीय एकता के लिए हानिकारक दावे), 152 (भारत की संप्रभुता, एकता और अखंडता को खतरे में डालने वाला कृत्य) और 299 (धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के इरादे से दुर्भावनापूर्ण कृत्य) के तहत एफआईआर दर्ज की गई है. दूसरी एफआईआर बीएनएस की धारा 353 (सार्वजनिक शरारत के लिए उकसाने वाले बयान), 79 (किसी महिला की गरिमा को ठेस पहुंचाने के इरादे से शब्द, इशारा या कृत्य) और 152 (भारत की संप्रभुता, एकता और अखंडता को खतरे में डालने वाला कृत्य) के तहत दर्ज की गई है.
अली खान को दो मामलों में से एक में दो दिन की पुलिस हिरासत में भेज दिया गया है. वहीं जठेरी द्वारा दायर दूसरे मामले में उन्हें न्यायिक हिरासत में भेजा गया है.
अली खान महमूदाबाद ने सोशल मीडिया पोस्ट में क्या लिखा था?
8 मई 2025 को प्रोफेसर अली खान महमूदाबाद ने फेसबुक पर ऑपरेशन सिंदूर के जरिए भारत के सैन्य प्रयासों की प्रशंसा करते हुए लिखा था, "संदेश स्पष्ट है: अगर आप (पाकिस्तान) अपनी आतंकवाद की समस्या से नहीं निपटेंगे तो हम निपट लेंगे!" अली खान ने लिखा,
रणनीतिक रूप से, भारत ने वास्तव में एक नए चरण की शुरुआत की है, जिसमें पाकिस्तान में सैन्य और आतंकवादियों (गैर-राज्य तत्वों) के बीच के अंतर को समाप्त कर दिया गया है. वास्तव में किसी भी आतंकवादी गतिविधि की प्रतिक्रिया एक पारंपरिक प्रतिक्रिया को आमंत्रित करेगी और इसलिए यह सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी पाकिस्तानी सेना पर है कि वह आतंकवादियों और गैर-राज्य अभिनेताओं के पीछे छिपने की कोशिश न करे. किसी भी स्थिति में, पाकिस्तानी सेना ने लंबे समय तक क्षेत्र को अस्थिर करने के लिए सैन्यीकृत गैर-राज्य तत्वों का उपयोग किया है, जबकि अंतरराष्ट्रीय मंच पर खुद को पीड़ित के रूप में पेश किया है.
अली खान आगे लिखते हैं- ऑपरेशन सिंदूर ने भारत-पाक संबंधों की सभी धारणाओं को फिर से स्थापित किया है क्योंकि आतंकवादी हमलों का जवाब सैन्य जवाब से दिया जाएगा और दोनों के बीच किसी भी तरह के शब्दार्थ भेद को खत्म कर दिया है. इस बदलाव के बावजूद, भारतीय सशस्त्र बलों ने यह सुनिश्चित किया है कि सैन्य या नागरिक स्थलों या बुनियादी ढांचे को निशाना न बनाया जाए, ताकि कोई भी अनावश्यक तनाव न बढ़े.
साथ ही उन्होंने अपनी पोस्ट में युद्ध की वकालत करने वालों के खिलाफ भी लिखा है. उन्होंने भारत की तरफ से ऑपरेशन सिंदूर पर मीडिया ब्रीफिंग करने वाली कर्नल सोफिया कुरैशी की सराहना भी की है, हालांकि उनके पोस्ट में भीड़ और बुलडोजर एक्शन पर भी सवाल उठाए गए थे.
उन्होंने लिखा, "ऐसे लोग भी हैं जो बिना सोचे-समझे युद्ध की वकालत कर रहे हैं, लेकिन उन्होंने कभी युद्ध नहीं देखा, संघर्ष क्षेत्र में रहना या जाना तो दूर की बात है. सिविल डिफेंस मॉक ड्रिल का हिस्सा बनने से आप सैनिक नहीं बन जाते और न ही आप कभी किसी ऐसे व्यक्ति का दर्द जान पाएंगे जो संघर्ष के कारण नुकसान उठाता है. युद्ध क्रूर है. गरीब लोग असमान रूप से पीड़ित हैं और केवल राजनेता और रक्षा कंपनियां ही फायदे में रहती हैं. जबकि युद्ध अपरिहार्य है क्योंकि राजनीति मुख्य रूप से हिंसा में निहित है - कम से कम मानव इतिहास हमें यह सिखाता है - हमें यह समझना होगा कि राजनीतिक संघर्षों को कभी भी सैन्य रूप से हल नहीं किया गया है."
अली खान ने आगे लिखा हैं,
अंत में, मैं कर्नल सोफिया कुरैशी की प्रशंसा करते हुए बहुत से दक्षिणपंथी टिप्पणीकारों को देखकर बहुत खुश हूं, लेकिन शायद वे उतनी ही जोर से यह भी मांग कर सकते हैं कि भीड़ द्वारा हत्या, मनमाने ढंग से बुलडोजर चलाने और बीजेपी के नफरत फैलाने के शिकार लोगों को भारतीय नागरिक के रूप में सुरक्षा दी जाए. दो महिला सैनिकों द्वारा अपने निष्कर्ष को पेश करने का दृश्य महत्वपूर्ण है, लेकिन यह दृश्य तभी मायने रखता है जब यह जमीनी हकीकत में बदल जाए, अन्यथा यह केवल पाखंड है. जब एक प्रमुख मुस्लिम राजनेता ने "पाकिस्तान मुर्दाबाद" कहा और ऐसा करने के लिए पाकिस्तानियों द्वारा उसे ट्रोल किया गया - भारतीय दक्षिणपंथी टिप्पणीकारों ने यह कहकर उसका बचाव किया कि "वह हमारा मुल्ला है." बेशक यह मजाकिया है, लेकिन यह इस बात की ओर भी इशारा करता है कि सांप्रदायिकता भारतीय राजनीति में कितनी गहरी पैठ बना चुकी है.
महिला आयोग की आपत्ति और नोटिस
11 मई को प्रोफेसर अली खान महमूदाबाद ने युद्ध और विदेश सचिव विक्रम मिसरी को ट्रोल करने वालों के खिलाफ एक और सोशल मीडिया पोस्ट लिखा था.
इसी बीच 12 मई को हरियाणा महिला आयोग ने अली खान को नोटिस भेजा.
14 मई को, उन्होंने HSWC द्वारा जारी समन के जवाब में एक आधिकारिक सार्वजनिक बयान जारी किया था. उन्होंने बताया कि ये समन इस बात को उजागर करने में विफल रहे कि उनका पोस्ट महिलाओं के अधिकारों या कानूनों के खिलाफ कैसे था.
इसके अलावा, उन्होंने कहा कि उनके वकीलों ने इन समन का विस्तृत जवाब दिया है और आयोग के समक्ष उनका प्रतिनिधित्व भी किया है.
उन्होंने लिखा: "आरोपों के उलट, मेरी पोस्ट में इस तथ्य की सराहना की गई है कि सशस्त्र बलों ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के लिए कर्नल सोफिया कुरैशी और विंग कमांडर व्योमिका सिंह को चुना ताकि इस तथ्य को उजागर किया जा सके कि हमारे गणतंत्र के संस्थापकों का सपना, एक ऐसे भारत का जो अपनी विविधता में एकजुट है, अभी भी बहुत जीवित है. मैंने कर्नल कुरैशी का समर्थन करने वाले दक्षिणपंथी सदस्यों की भी सराहना की और उन्हें आम भारतीय मुसलमानों के लिए भी ऐसा ही रवैया अपनाने के लिए आमंत्रित किया, जो रोजाना हैवानियत और उत्पीड़न का सामना करते हैं."
अली खान महमूदाबाद के समर्थन में उतरे नेता से लेकर शिक्षा जगत के लोग
प्रोफेसर की गिरफ्तारी के बाद मीडिया को दिए गए बयान में अशोका यूनिवर्सिटी ने कहा कि वह जांच में पुलिस और स्थानीय अधिकारियों के साथ पूरा सहयोग करना जारी रखेगी.
वहीं कई विपक्षी नेताओं ने भी अली खान महमूदाबाद के समर्थन में पोस्ट लिखा है.
हालांकि, अशोका यूनिवर्सिटी के फैकल्टी एसोसिएशन ने "निराधार और बेबुनियाद आरोपों" पर गिरफ्तारी की कड़ी निंदा की. एसोसिएशन की ओर से जारी बयान में कहा गय कि वह अपने सहकर्मी के पूरी तरह से समर्थन में है. "विश्वविद्यालय समुदाय का एक अमूल्य सदस्य, अपने छात्रों के लिए एक प्रिय और सम्मानित शिक्षक और मित्र, और एक अत्यंत जिम्मेदार नागरिक है, जो सांप्रदायिक सद्भाव और व्यापक भलाई को बढ़ावा देने के लिए अपनी सारी ऊर्जा और सीख लगाता है."