ADVERTISEMENTREMOVE AD

राम राज्य का वादा कर ‘राम भरोसे’ क्यों छोड़ दिया?

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा, ‘राज्य का पूरा मेडिकल सिस्टम ही राम भरोसे है.’

Aa
Aa
Small
Aa
Medium
Aa
Large

वीडियो एडिटर- आशुतोष भारद्वाज/ शुभम खुराना

ADVERTISEMENTREMOVE AD

“झूठई लेना, झूठई देना, झूठई भोजन, झूठ चबेना”. अर्थात कुछ लोग झूठ ही स्वीकार करते हैं, झूठ ही दूसरो को देते हैं, झूठ का ही भोजन करते हैं और झूठ ही चबाते हैं. ये रामचरित मानस की एक चौपाई है. कलियुग में मानव के चरित्र का गोस्वामी तुलसीदास कुछ इस तरह वर्णन करते हैं,  इन बातों को मेरे मुख से सुनकर चिंतित न होइए. मैं कोई साधू नहीं हूं, सिर्फ सत्य से आपको अवगत करा रहा हूं.. नारद की तरह. पत्रकार भी तो नारद होता है न.

दरअसल, राम मंदिर, राम राज्य, राम भक्त, जय श्री राम की कॉपी राइट वाले उत्तर प्रदेश की योगी सरकार को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 'राम भरोसे सिस्टम' बताया है. इसलिए अब हम राम का नाम लेकर बिना NSA, गुंडा एक्ट और गिरफ्तारी से बिना डरे पूछ रहे हैं, जनाब ऐसे कैसे?

उत्तर प्रदेश में कोविड मैनेजमेंट और स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर इलाहबाद हाई कोर्ट ने योगी आदित्यनाथ सरकार को शर्मिंदा करने वाली टिप्पणी की है. गांवों और छोटे शहरों में हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर पर बात करते हुए हाई कोर्ट ने कहा कि 'राज्य का पूरा मेडिकल सिस्टम ही राम भरोसे है.'

जस्टिस सिद्धार्थ वर्मा और जस्टिस अजित कुमार की बेंच ने उत्तर प्रदेश में कोविड मरीजों की बेहतर देखभाल की मांग करती याचिका पर सुनवाई की. मेरठ शहर के जिला अस्पताल में एक मरीज का शव अज्ञात मानकर मामला खत्म किया गया था. इस केस का जिक्र करते हुए कोर्ट ने कहा,

“अगर ये हाल मेरठ जैसे शहर के मेडिकल कॉलेज का है, तो छोटे शहरों और गांवों में राज्य का पूरा मेडिकल सिस्टम राम भरोसे ही समझा जा सकता है.”
ADVERTISEMENTREMOVE AD

कोर्ट ने कहा, "जब ये सिस्टम आम दिनों में हमारे लोगों की मेडिकल जरूरत को पूरा नहीं कर पता तो इसे मौजूदा महामारी के दौरान ढहना ही था."

कोर्ट ने सुनवाई के दौरान पश्चिमी यूपी के बिजनौर का जिक्र करते हुए कहा, 'हमें हैरानी है कि बिजनौर जिले में लेवल-3 का कोई अस्पताल नहीं है. तीन सरकारी अस्पतालों में केवल 150 बेड हैं, जहां BIPAP मशीन केवल पांच हैं और Nasal Cannula की संख्या सिर्फ 2 है.'

एक बात और इस सुनवाई में सामने आई. कोर्ट ने कहा,

“अगर हम बिजनौर के ग्रामीण क्षेत्रों की आबादी 32 लाख मानते हैं तो वहां केवल 10 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र या सीएचसी हैं. ऐसे में 3 लाख लोगों पर एक स्वास्थ्य केंद्र है. वहीं, 3 लाख लोगों के लिए केवल 30 बेड हैं. इसका मतलब है, एक सीएचसी सिर्फ 0.01 फीसदी आबादी की स्वास्थ्य देखभाल की जरूरत को पूरा कर सकता है.”
ADVERTISEMENTREMOVE AD

राम राज्य का क्या हुआ?

साल 2017 में उत्तर प्रदेश में बीजेपी सत्ता में आई थी, तब सीएम बने आदित्यनाथ ने अयोध्या में कहा था, राम राज्य का सपना उत्तर प्रदेश में 2019 तक पूरा हो जाएगा. लेकिन 2 साल बाद हजारों लोगों का 'राम नाम सत्य' हो रहा है. और तो और राम भक्तों को हिंदू रीति रिवाज से अंतिम संस्कार तक नसीब नहीं हुआ.

यूपी के बलिया में पुलिस ने टायर और पेट्रोल से शव जला दिए. गाजीपुर से लेकर उन्नाव में गंगा नदी में दर्जनों शव उतराते मिले हैं तो कहीं नदी किनारे कई शव रेत में दफन कर दिए गए. इन शवों का हाल ऐसा कि इंसानियत शरमा जाए.

अधिकारी कह रहे हैं कि ये नई बात नहीं है, यूपी और बिहार के इलाके में कुछ लोग शव नहीं जलाते बल्कि नदी के पास रेत में दफन कर देते हैं. लेकिन कोई इन लोगों से पूछे कि कोरोना के अलावा ऐसा क्या हो गया कि लाशें नदियों और नदियो के किनारे नजर आने लगीं.

बार-बार लोग ऑक्सीजन की कमी, अस्पतालों की बदहाली, टेस्टिंग में देरी के लिए आवाज उठा रहे हैं, लेकिन सरकार है कि 'धमकी' मोड में है. ये हम नहीं कह रहे, खुद सरकार के विधायक कह रहे हैं. सीतापुर सदर से बीजेपी विधायक राकेश राठौड़ की सुनिए. वो कह रहे हैं,

‘हम विधायकों की हैसियत क्या है, हम ज्यादा बोलेंगे तो देशद्रोह, राजद्रोह हम पर भी लगेगा.’

ऐसे बदइंतजामी पर एक नहीं कई विधायक से लेकर मंत्री बोल चुके हैं, चिट्ठियां लिख चुके हैं.

8 मई 2021 को केंद्रीय मंत्री संतोष गंगवार ने अपने संसदीय क्षेत्र बरेली में कई चीजों की कमी को लेकर शिकायत की, जिसमें ऑक्सीजन की कमी का भी जिक्र था. इससे पहले 7 मई को बीजेपी विधायक लोकेंद्र प्रताप सिंह ने सीएम योगी आदित्यनाथ को लेटर लिखा कि उनके विधानसभा क्षेत्र में ऑक्सीजन की कमी के कारण कई लोगों की जान चली गई है.

  • मेरठ-हापुड़ के सांसद राजेंद्र अग्रवाल
  • राज्यमंत्री, सुनील भराला
  • लखनऊ से बीजेपी सांसद कौशल किशोर, सबने शिकायत की.

अब अगले चुनाव या आने वाले दिनों में इन आवाज उठाने वालों के साथ क्या होगा वो राम जी जानें, लेकिन रेत में दफन शव, श्मशान में जलती चिताएं, नदी में बहती लाशें बोल रही हैं और अब इनपर कोई NSA लग नहीं सकता है.

अब भी वक्त है सच का सामना करें, जहां गलती हुई है उसे स्वीकार कर ठीक करें.

एक श्लोक है- 'सत्यहीना वृथा पूजा सत्यहीनो वृथा जपः । सत्यहीनं तपो व्यर्थमूषरे वपनं यथा ॥' अर्थात- बंजर जमीन में बीज बोना जैसे व्यर्थ है, वैसे ही बिना सत्य की पूजा, जप और तप भी व्यर्थ है. और हम हर असत्य पर पूछेंगे जनाब ऐसे कैसे?

Speaking truth to power requires allies like you.
Become a Member
Monthly
6-Monthly
Annual
Check Member Benefits
×
×