नेपाल में तख्तापलट हो चुका है प्रदर्शनकारियों के सामने पूरी सरकार झुक गई है पीएम ओली सत्ता छोड़ चुके हैं. लेकिन क्यों? इसे समझना है तो थोड़ा फ्लैश बैक में जाना होगा, क्योंकि यहां सब कुछ इतना ब्लैक एंड व्हाइट नहीं है.
मार्च 2024 में एक खबर आई- रूस-यूक्रेन वॉर में रूस के सात नेपाली जवान की मौत. रूस-युक्रेन की लड़ाई में नेपाली जवान? हां, 2000 डॉलर पर मंथ की सैलरी के लिए नेपाल के 15000 से ज्यादा लोग रूस-युक्रेन बॉर्डर पर अपनी जान की बाजी लगा रहे थे.
ठीक एक साल बाद मार्च 2025 में एक और खबर आई..-'नारायणहिटी खाली गर, हाम्रो राजा आउंदै छन,' यानी कि राजा का महल खाली करो, हमारे राजा आ रहे हैं.' ये नारा लोकतंत्र के स्कूल में फ्रेशर कहे जाने वाले नेपाल में राजशाही के प्रतीक और पूर्व राजा ज्ञानेंद्र शाह के लिए और हिंदू राष्ट्र की चाहत में लगाए जा रहे थे.
ठीक 6 महीने बाद सितंबर 2025. एक और खबर आई. नेपाल में फेसबुक, इंस्टा, WhatsApp जैसे 26 सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर बैन. बैन ने भ्रष्टाचार, बेरोजगारी और माइग्रेशन की आग में धधक रहे नेपाल के लिए चिंगारी का काम किया और नेपाल में हुआ विद्रोह...
आप कहेंगे ये तीन अलग-अलग घटनाओं से क्या साबित होता है? इन तीन घटनाओं में क्या कनेक्शन है? बहुत कुछ. और इसी बहुत कुछ के बीच सवाल है-
क्या नेपाल में सिर्फ सोशल मीडिया बैन की वजह से सत्ता परिवर्तन आंदोलन हो गया?
क्या नेपाल में हिंदू राष्ट्र की मांग को लेकर ये विरोध प्रदर्शन हुआ?
क्या नेपाल में मोनार्क यानी राजशाही की वापसी की चाहत में 'जेन ज़ी' सड़कों पर आए?
नेपाल में 250 साल के राजशाही के बाद डेमोक्रेटिक सेटअप को शुरू हुए अभी सिर्फ 17 साल ही हुए हैं. संविधान को लागू हुए 10 साल भी पूरे नहीं हुए है. इस दौरान नेपाल में 13 सरकारें बदलीं, 8 प्रधानमंत्री बने. 2015 के बाद से नेपाल में प्रधानमंत्री की कुर्सी नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (एकीकृत मार्क्सवादी-लेनिनवादी) के केपी शर्मा ओली, नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी सेंटर) के पुष्प कमल दाहाल यानी प्रचंड और नेपाली कांग्रेस के शेर बहादुर देऊबा के बीच घूमती रही है. लेकिन इस बार कुर्सी पर शायद इनमें से कोई न बैठ पाए.
ऐसे में सवाल है कि ऐसी नौबत क्यों आई? इसके पीछे कोई एक वजह नहीं है. बल्कि इसके पीछे कई थ्योरी हैं जिससे हम पर्दा उठाएंगे.
दरअसल, करीब 3 करोड़ आबादी वाले नेपाल में लगभग डेढ़ करोड़ लोग सोशल मीडिया से जुड़े हुए हैं. वो भी 20 फीसदी के करीब जेन ज़ी. मतलब 1996 से लेकर 2010 के बीच पैदा होने वाली जेनेरेशन. ये जेनरेशन पिछले कुछ वक्त से नेपाल के नेताओं और ब्यूरोक्रेट्स के परिवार की लग्ज़री कारें, ब्रैंडेड कपड़े, महंगी घड़ियां और विदेश यात्राओं के वीडियो और फोटो देख रही थी. जिसके बाद नेताओं के बच्चे और परिवार के खिलाफ सोशल मीडिया पर हैशटैग नेपोकिड के जरिए विरोध शुरू हुआ. लेकिन इसी बीच सरकार ने सोशल मीडिया कंपनियों को नेपाल में बिजनेस करने के लिए रेगुलराइज करने की कोशिश का हवाला देकर बैन लगा दिया.
एनआरबी रिपोर्ट: 3.53 अरब रुपये सोशल मीडिया से अर्जित
दरअसल, नेपाल राष्ट्र बैंक (एनआरबी) के मुताबिक, वित्तीय वर्ष 2024/25 के दौरान नेपालियों ने यूट्यूब, टिकटॉक और फेसबुक जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर वीडियो बनाकर और पोस्ट करके 3.53 अरब रुपये से अधिक की कमाई की है. और पिछले कुछ वक्त में कंटेंट क्रिएटर्स की संख्या में काफी बढ़ोतरी भी हुई है. कई लोग सोशल मीडिया के लिए वीडियो बनाकर हज़ारों रुपये कमा रहे हैं.
ऐसे में सोशल मीडिया पर बैन युवाओं में फ्रीडम ऑफ स्पीच के साथ-साथ रोजगार पर भी अटैक माना गया. फिर जेन ज़ी का गुस्सा उबाल मारने लगा और युवा सड़कों पर आ गए.
नेपाल में Gen Z के विद्रोह के पीछे भ्रष्टाचार भी बड़ी वजह
नेपाल में जेनरेशन-ज़ी की अगुवाई में हो रहे विद्रोह की एक अहम जड़ भ्रष्टाचार है. पिछले एक दशक में नेपाल कई बड़े घोटालों से हिल चुका है. ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल की 2024 की रैंकिंग में नेपाल 180 देशों में 108वें स्थान पर है.
चर्चित घोटाले
1. ललिता निवास लैंड ग्रैब स्कैम
सरकारी जमीन को निजी व्यक्तियों को बेचने का मामला. इस केस में दो पूर्व प्रधानमंत्रियों तक के नाम सामने आए। 2024 में आए एक फैसले में कई अधिकारियों को सज़ा सुनाई गई.
2. टैक्स सेटलमेंट कमीशन घोटाला
आरोप था कि सरकार ने टैक्स चोरी करने वाली कंपनियों को कम टैक्स चुकाने की अनुमति दी.
3. वाइड-बॉडी एयरक्राफ्ट खरीद घोटाला
नेपाल का सबसे चर्चित और कुख्यात स्कैम. संसद की 2019 की रिपोर्ट के मुताबिक, नेपाल एयरलाइंस ने दो एयरबस विमानों के लिए कम से कम 40 मिलियन डॉलर ज्यादा चुकाए. सीधे एयरबस से डील करने की बजाय बिचौलियों के जरिए सौदा किया गया, जिससे भ्रष्टाचार की आशंका साबित हुई.
4. कोविड मेडिकल इक्विपमेंट घोटाला
आरोप था कि प्रधानमंत्री के.पी. शर्मा ओली के आईटी विशेषज्ञ, उप-प्रधानमंत्री ईश्वर पोखरेल के बेटे और पीएम के राजनीतिक सलाहकार बिष्णु रिमल ने हेल्थ मिनिस्ट्री पर दबाव डालकर मेडिकल उपकरण मार्केट रेट से अधिक दाम पर खरीदवाए। इस स्कैम से जुड़ी कई रिपोर्ट्स कथित तौर पर सरकारी दबाव में मीडिया वेबसाइटों से हटा दी गईं.
5. सिक्योरिटी प्रिंटिंग प्रेस घोटाला
कोर्ट ने पाया कि हाई डिजिटल प्रिंट प्रोडक्शन सिस्टम की खरीद में 407 मिलियन रुपए का भ्रष्टाचार हुआ.
हाल के बड़े घोटाले
2021: गिरि बंधु भूमि स्वैप घोटाला (₹54,600 करोड़)
2023: ओरिएंटल कॉरपोरेटिव घोटाला (₹13,600 करोड़)
2023: रिफ्यूजी घोटाला
2024: कॉरपोरेटिव घोटाला (₹69,600 करोड़)। इसी मामले में पूर्व गृह मंत्री और राष्ट्रीय स्वतंत्र पार्टी के नेता रबी लामिछाने को जेल हुई.
बेरोजगारी और पलायन ने भड़काई चिंगारी
National Statistics Office के मुताबिक, नेपाल में बेरोजगारी दर 11.4% है, लेकिन युवा बेरोजगारी दर इससे कहीं अधिक है. मतलब है कि हर 100 लोगों में से लगभग 11 लोगों के पास नौकरी नहीं है. यही वजह है कि करीब 40 लाख नेपाली दुनिया के अलग-अलग देशों में काम कर रहे हैं. यही वजह है कि 15,000 से ज्यादा नेपाली 2000 डॉलर महीने की नौकरी के लिए रूस-यूक्रेन बॉर्डर पर लड़ रहे हैं. लड़ाई किसी और की लड़ कोई और रहा.
एक और अहम बात नेपाल की अर्थव्यवस्था की रीढ़ परदेस से आने वाला पैसा यानी रेमिटेंस है.
नेपाली मीडिया के मुताबिक, विदेशों में काम करने वाले नेपाली हर दिन 4.72 अरब रुपये घर भेजते हैं. 2023 में नेपाल को विदेश से 11 अरब डॉलर रेमिटेंस मिला था, जोकि GDP का लगभग 26.6% है.
लेकिन क्या ये विद्रोह, ये हिंसा, ये आगजनी सिर्फ बेरोजगारी और पलायन की वजह से है? क्या इसके पीछे कोई और है?
राजशाही और हिंदू राष्ट्र
सितंबर 2015 में नेपाल ने अपना नया संविधान लागू किया और हिंदू राष्ट्र से नेपाल सेक्युलर स्टेट बना. इससे पहले 2008 तक राजशाही थी. करीब 16 साल के माओवादी जनयुद्ध के बाद राजा ज्ञानेंद्र और उनकी फैमली की राजशाही खत्म हो सकी और लोकतंत्र बना.
वीडियो की शुरुआत में हमने एक नारा पढ़ा था- राजा का महल खाली करो, हमारे राजा आ रहे हैं.' ये नारा पूर्व राजा ज्ञानेंद्र शाह के लिए था. साल 2008 में ज्ञानेंद्र शाह को लोकतंत्र के सामने घुटने टेकने पड़े थे. लेकिन एक बार फिर राजा की वापसी का रास्ता बनाया जा रहा है. साथ में हिंदू राष्ट्र की पैरवी भी शुरू है. नेपाल में राष्ट्रीय प्रजातांत्रिक पार्टी ज्ञानेंद्र शाह को समर्थन कर रही है. इस पार्टी की मांग शुरू से हिंदू राष्ट्र और राजा की वापसी की रही है.
हालांकि अब नेपाल में Gen-Z प्रदर्शनकारियों ने सुशीला कार्की को देश का अंतरिम पीएम चुना लिया है. नेपाल के इतिहास में पहली महिला पीएम. लेकिन शर्त है कि 6 महीने से एक साल के अंदर चुनाव कराना होगा. सुशीला नेपाल सुप्रीम कोर्ट की पहली महिला चीफ जस्टिस भी रह चुकी हैं. वे भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त रवैए के लिए जानी जाती रही हैं. शायद यही वजह है कि भ्रष्टाचार की मार झेल रहे नेपाल को सुशीला कार्की में उम्मीद की किरण नजर आई.
ये भी सच है कि नए लोकतंत्र वाले नेपाल की जेन ज़ी ने राजशाही नहीं देखी है, और ये भी सच है कि नेपाल की जिस मकसद से राजशाही से लोकतंत्र का संघर्ष नेपाल ने किया था वहां के नेता विकास से ज्यादा भ्रष्टाचार और सत्ता के लिए तिकड़मबाजी में उलझे रह गए.
इसलिए यही कहूंगा, भारत का किसान आंदोलन हो या बांग्लादेश का सत्ता परिवर्तन आंदोलन, या फिर नेपाल. हुकमरानों को याद रखना चाहिए जनता देश की मालिक है और सरकारें नौकर.