आपकी जान की कीमत क्या है? 6 लाख रुपये? सरकारों को यही लगता है. हर बार जब भारत में कोई पुल गिरता है, कोई ट्रेन पटरी से उतरती है या सड़क पर मौतें होती हैं — सरकारें मुआवजे की घोषणा करती हैं. मृतकों के लिए कुछ लाख, घायलों के लिए थोड़ा कम. और यह प्रक्रिया इतनी सामान्य हो चुकी है कि अब किसी को हैरानी नहीं होती.
गुजरात के वडोदरा जिले में हाल ही में जो हादसा हुआ, वह भी ऐसी ही सरकारी सोच को उजागर करता है. महिसागर नदी पर बना मुजपुर-गंभीरा पुल अचानक टूट गया. करीब 15 लोगों की मौत हुई. इसके बाद मृतक के परिवार को गुजरात सरकार ने 4 लाख रुपये और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पीएम नेशनल रिलीफ फंड से 2 लाख रुपये अतिरिक्त देने की घोषणा की.
गुजरता में पिछले कुछ सालों में पुल टूटने की कई घटनाएं सामने आई हैं. और हर बार मुआवजा, आरोप, अधिकारियों के सस्पेंशन, कंपनी ब्लैकलिस्ट, और फिर हादसे का सिलसिला चलता जा रहा है. चलिए आपको हम बताते हैं कि पिछले कुछ सालों में पीएम मोदी के गुजरात में पुलों का स्ट्रक्चर फेलियर कैसे सामने आया.
जिससे यह सवाल और भी गहरा हो जाता है— क्या गुजरात में सार्वजनिक संरचनाओं की सुरक्षा पर कोई स्थायी जवाबदेही है भी या नहीं?
दिसंबर 2021 - अहमदाबाद के पॉश साउथ बोपल इलाके के मुमतपुरा क्षेत्र में एक निर्माणाधीन फ्लाईओवर का हिस्सा गिर गया.
30 अक्टूबर 2022 - गुजरात के मोरबी में मच्छू नदी पर बना सस्पेंशन ब्रिज अचानक ढह गया, जिसमें करीब 135 लोगों की मौत हो गई.
जून 2023 - गुजरात के तापी जिले में मिंधोला नदी पर बना एक नवनिर्मित पुल उद्घाटन से पहले ही बीच से टूट गया.
जून 2023 - सूरत की तापी नदी पर बने वरियाव पुल में दरारें आ गईं, जबकि इसका वर्चुअल उद्घाटन मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने महज 40 दिन पहले किया था. यह पुल 118 करोड़ रुपये की लागत से तैयार हुआ था. प्रशासन ने दरारों की वजह बारिश को बताया, लेकिन निर्माण की गुणवत्ता पर सवाल उठने लगे हैं.
सितंबर 2023 - गुजरात के सुरेंद्रनगर जिले के वस्ताडी इलाके में एक पुराना पुल ढह गया, जिससे एक डंपर, एक मोटरसाइकिल और कई अन्य वाहन नदी में गिर गए. करीब 10 लोग नदी में गिर पड़े, हालांकि राहत की बात यह रही कि सभी को सुरक्षित बचा लिया गया.
23 अक्टूबर 2023 - गुजरात के बनासकांठा जिले के पालनपुर में एक निर्माणाधीन पुल का एक हिस्सा ढह गया, जिससे दो लोगों की मौत हो गई.
जुलाई 2024 - सूरत के सारोली क्षेत्र में मेट्रो पुल के एक हिस्से में दरार आ गई थी. एहतियात के तौर पर ट्रैफिक को डायवर्ट कर दिया गया. सोचिए, अगर यह पुल गिर जाता, तो क्या तब भी केवल मुआवजे से जवाबदेही खत्म मानी जाती?
गुजरात के आणंद जिले में बुलेट ट्रेन परियोजना के तहत बनाए जा रहे ट्रैक का एक पुल गिर गया, जिसमें तीन मजदूरों की मौत हो गई.
गुजरात के बोटाद जिले के जनाडा गांव में पटलिया नदी पर बना एक पुल भारी बारिश के चलते ढह गया. यह पुल मात्र तीन साल पहले लाखों रुपये की लागत से बनाया गया था.
9 जुलाई 2025 - गुजरात में महिसागर नदी पर बना वह पुल टूट गया जो वडोदरा और आणंद (सौराष्ट्र) को जोड़ता था. हादसे के वक्त पुल पर गाड़ियां चल रही थीं. पुल के गिरने से दो ट्रक, दो कार और एक ऑटो रिक्शा नदी में जा गिरे. एक टैंकर पुल के टूटे सिरे पर फंसा रह गया. इस हादसे में करीब 15 लोगों की जान चली गई.
महिसागर नदी पुल हादसे ने कई गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं. करीब 40 साल पहले बने इस पुल को लेकर लगभग तीन साल पहले ही गुजरात के सड़क एवं भवन विभाग (R&B) के वडोदरा डिवीजन के अधिकारियों को एक पत्र के जरिए "असामान्य कंपन" (unusual vibrations) की जानकारी दी गई थी. पत्र में साफ तौर पर कहा गया था कि पुल “खतरनाक स्थिति” में है.
ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यह है कि — जब पुल की स्थिति के बारे में अधिकारियों को पहले ही चेताया गया था, तो समय रहते कोई कार्रवाई क्यों नहीं की गई? क्या यह सीधी लापरवाही नहीं है? और क्या ऐसी लापरवाह व्यवस्था को सिर्फ मुआवजे से माफ किया जा सकता है?