बीजेपी के वरिष्ठ नेता और पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली का शनिवार 24 अगस्त को दिल्ली के एम्स में निधन हो गया. वे कई दिनों से अस्पताल में भर्ती थे.
एम्स की ओर से जारी प्रेस रिलीज के मुताबिक जेटली का निधन 24 अगस्त को दिन में 12 बजकर 7 मिनट पर हुआ.
सांस लेने में दिक्कत और बेचैनी की शिकायत के बाद जेटली को 9 अगस्त को एम्स में भर्ती कराया गया था. सीनियर डॉक्टरों की एक मल्टीडिसिप्लिनरी टीम जेटली का ट्रीटमेंट कर रही थी.
डायबिटीज और हाई ब्लड प्रेशर से पीड़ित थे जेटली
पूर्व वित्त मंत्री लंबे समय से डायबिटीज और हाई ब्लड प्रेशर से पीड़ित थे. वह किडनी की बीमारियों से भी जूझ रहे थे.
मेयो क्लिनिक की रिपोर्ट है कि डायबिटिक लोगों में करीब 40 प्रतिशत लोग किडनी की बीमारियों का शिकार होते हैं.
पिछले साल अप्रैल में जेटली ने ट्वीट कर किडनी की समस्याओं और कुछ इंफेक्शन होने के कारण घर से काम करने की जानकारी दी थी.
किडनी ट्रांसप्लांट, हार्ट और बेरियेट्रिक सर्जरी
हालांकि, मई 2018 में किडनी ट्रांसप्लांट के बाद जेटली की तबीयत खराब होती गई.
जेटली लंबे समय तक सेहत से जुड़ी दिक्कतों से परेशान रहे. केवल 52 वर्ष की उम्र में उन्हें ट्रिपल बाईपास हार्ट सर्जरी करानी पड़ी थी.
2014 के सितंबर महीने में उन्होंने अपना वजन घटाने के लिए बेरियेट्रिक सर्जरी कराई थी.
एक दुर्लभ किस्म का कैंसर
इसी साल ये खबरें आई थीं कि अरुण जेटली एक दुर्लभ किस्म के कैंसर, सॉफ्ट सेल सरकोमा का इलाज करा रहे थे. ये कैंसर शरीर के कोमल ऊतकों, जैसे वसा, मांसपेशियों और रक्त वाहिकाओं को प्रभावित करता है.
उनके कैंसर ट्रीटमेंट में कठिनाई आई क्योंकि उनकी बॉडी किडनी ट्रांसप्लांट के बाद पूरी तरह से उबर नहीं पाई थी.
एक्सपर्ट्स के मुताबिक एक साथ सेहत से जुड़ी कई समस्याओं के कारण पेशेंट का इलाज मुश्किल होता है क्योंकि कई बीमारियों के एक साथ इलाज से ड्रग इंटरैक्शन और साइड इफेक्ट्स बढ़ने का खतरा होता है.
(At The Quint, we are answerable only to our audience. Play an active role in shaping our journalism by becoming a member. Because the truth is worth it.)