Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Hindi Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019News Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019कई बरी, सुनवाई में देरी: दिल्ली आतंकी मामलों का असमान ट्रैक रिकॉर्ड

कई बरी, सुनवाई में देरी: दिल्ली आतंकी मामलों का असमान ट्रैक रिकॉर्ड

दिल्ली ब्लास्ट मामले में पुलिस ने आतंकवाद विरोधी कानून, UAPA और विस्फोटक अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया है.

आदित्य मेनन
न्यूज
Published:
<div class="paragraphs"><p>10 नवंबर की शाम को दिल्ली के लाल किले के बाहर हुए विस्फोट में कम से कम 12 लोग मारे गए. </p></div>
i

10 नवंबर की शाम को दिल्ली के लाल किले के बाहर हुए विस्फोट में कम से कम 12 लोग मारे गए.

(फोटो: स्क्रीनशॉट)

advertisement

10 नवंबर की शाम को दिल्ली के लाल किले के बाहर हुए विस्फोट में कम से कम 12 लोग मारे गए. दिल्ली पुलिस ने आतंकवाद विरोधी कानून, गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) की धारा 16 और 18 के साथ-साथ विस्फोटक अधिनियम की धाराओं के तहत मामला दर्ज किया है. अब इस मामले को एक आतंकवादी हमले को तौर पर देखा जा रहा है. हालांकि, इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है.

हालांकि, पुलिस ने अभी तक विस्फोट के कारणों की पुष्टि नहीं की है या संदिग्ध व्यक्तियों और संगठनों के नाम नहीं बताए हैं. यूएपीए लागू होने का मतलब है कि वे संभावित आतंकवादी पहलू की जांच कर रहे हैं.

ऐसे में जब राष्ट्रीय जांच एजेंसी और दिल्ली पुलिस लाल किले विस्फोट की जांच में जुटी है. तब यह देखना जरूरी है कि इससे पहले दिल्ली में हुए आतंकवादी हमले और उसके बाद के मुकदमों का क्या हुआ?

साल 2000- लाल किला हमला

22 दिसंबर 2000 को दो बंदूकधारियों ने लाल किला परिसर में गोलीबारी की, जिसमें एक नागरिक और राजपूताना राइफल्स से संबंधित दो सैनिक मारे गए.

पाकिस्तानी नागरिक और लश्कर-ए-तैयबा के सदस्य मोहम्मद आरिफ उर्फ अशफाक को इस मामले में दोषी ठहराया गया और मौत की सजा सुनाई गई. सुप्रीम कोर्ट ने उनकी फांसी की सजा को बरकरार रखा, और 2024 में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उनकी दया याचिका खारिज कर दी.

साल 2001- संसद हमला

13 दिसंबर 2001 को पांच आतंकवादियों ने संसद भवन पर हमला किया, जिसमें नौ लोग मारे गए और 17 अन्य घायल हुए. हमले में शामिल पांचों आतंकवादी भी मारे गए. बीएसएफ ने 2003 में इस हमले के कथित मास्टरमाइंड गाजी बाबा को मुठभेड़ में मार गिराया.

एक विशेष अदालत ने 2001 में अफजल गुरु, शौकत हुसैन गुरु और प्रो. एस.ए.आर. गीलानी को दोषी ठहराया था. एक अन्य आरोपी, नवजोत संधू उर्फ अफसान गुरु को एक आरोप को छोड़कर सभी आरोपों से बरी कर दिया गया. हालांकि, दिल्ली हाई कोर्ट ने प्रोफेसर गीलानी की सजा को रद्द करते हुए उन्हें बरी कर दिया. हाई कोर्ट ने अफजल गुरु और शौकत हुसैन की मौत की सजा को बरकरार रखा. बाद में सुप्रीम कोर्ट ने शौकत की सजा को घटाकर 10 साल की कैद में बदल दिया. अच्छे व्यवहार के कारण उन्हें 2010 में अपनी सजा पूरी होने से नौ महीने पहले रिहा कर दिया गया.

अफजल गुरु को 2013 में फांसी दी गई.

2005 लिबर्टी-सत्यम ब्लास्ट

मई 2005 में दक्षिण-पश्चिम दिल्ली के लिबर्टी और सत्यम सिनेमा हॉल में हुए ब्लास्ट में एक व्यक्ति की मौत हो गई थी और 50 लोग घायल हुए थे. दोनों हॉल में सनी देओल अभिनीत फिल्म 'जो बोले सो निहाल' चल रही थी. दिल्ली पुलिस ने बब्बर खालसा इंटरनेशनल पर इसमें शामिल होने का आरोप लगाया था.

इस मामले में 2012 में जगतार सिंह हवारा, बलविंदर सिंह, जसपाल सिंह, विकास सहगल और जगन्नाथ यादव को दोषी ठहराया गया, क्योंकि उन्होंने अदालत में अपराध स्वीकार कर लिया था.

हालांकि, एक अन्य आरोपी तरलोचन सिंह को 2022 में बरी कर दिया गया. अदालत ने कहा कि अन्य आरोपियों के अपराध स्वीकार करने को उसके खिलाफ सबूत के रूप में इस्तेमाल नहीं किया जा सकता.

ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

2005 सीरियल ब्लास्ट

29 अक्टूबर 2005 को पहाड़गंज, सरोजिनी नगर और गोविंदपुरी जैसे कई स्थानों पर धमाके हुए, जिसमें कम से कम 62 लोगों की मौत हुई. इसे दिल्ली में अब तक का सबसे बड़ा आतंकी हमला माना जाता है.

12 साल तक चली सुनवाई के बाद, 2017 में सेशन कोर्ट ने सबूतों के अभाव में तीन आरोपियों में से दो- मोहम्मद रफीक शाह और मोहम्मद हुसैन फाजली को बरी कर दिया. तीसरे आरोपी, तारिक अहमद डार को आतंकवादी संगठन (लश्कर-ए-तैयबा) की मदद और समर्थन करने के आरोप में दोषी ठहराया गया, लेकिन अदालत ने यह भी माना कि हमले में उसकी प्रत्यक्ष संलिप्तता के पर्याप्त सबूत नहीं हैं. उसे पहले से जेल में बिताई गई अवधि को ध्यान में रखते हुए रिहा कर दिया गया.

2008 सीरियल ब्लास्ट

13 सितंबर, 2008 को दक्षिण दिल्ली के कनॉट प्लेस, करोल बाग के गफ्फार मार्केट और ग्रेटर कैलाश-I के एम-ब्लॉक मार्केट में 45 मिनट के अंतराल पर हुए पांच सिलसिलेवार धमाकों में कम से कम 25 लोग मारे गए और 100 से ज्यादा घायल हुए थे.

जांच एजेंसियों ने इस हमले में 'इंडियन मुजाहिदीन' का हाथ होने का आरोप लगाया. निचली अदालत में मुकदमा अभी भी चल रहा है और आरोपियों को न तो दोषी ठहराया गया है और न ही बरी किया गया है.

दो हफ्ते बाद 27 सितंबर को महरौली के पास एक और विस्फोट हुआ, जिसमें तीन लोग मारे गए थे.

पुलिस ने महरौली विस्फोट में ‘इंडियन मुजाहिदीन’ की संलिप्तता से यह कहते हुए इनकार किया कि यह उनके मोडस ऑपरेंडी से मेल नहीं खाता.

2010 जामा मस्जिद फायरिंग

19 सितंबर 2010 को पुरानी दिल्ली में जामा मस्जिद के गेट नंबर 3 के पास मोटरसाइकिल सवार दो बंदूकधारियों ने एक पर्यटक बस पर गोलीबारी की, जिसमें दो ताइवानी पर्यटक घायल हुए. इस हमले का आरोप भी ‘इंडियन मुजाहिदीन’ पर लगा. हालांकि, आरोपी अजाज सईद शेख को 2024 में अदालत ने बरी कर दिया.

2011 दिल्ली हाईकोर्ट ब्लास्ट

7 सितंबर 2011 को दिल्ली हाईकोर्ट के बाहर एक 'सूटकेस बम' धमाके में 15 लोग मारे गए और 70 से ज्यादा घायल हुए. जांच एजेंसियों ने इसमें आतंकवादी संगठन हरकत-उल-जिहाद-ए-इस्लामी (हूजी) का हाथ होने का आरोप लगाया. इस मामले में निचली अदालत में अभी भी मुकदमा चल रहा है.

2012 में इजराइली राजनयिक की कार पर हमला

13 फरवरी 2012 को दिल्ली में औरंगजेब रोड पर इजराइली दूतावास की कार में लगे चुंबकीय उपकरण के फटने से विस्फोट हुआ. इस विस्फोट में इजराइली रक्षा अताशे की पत्नी ताल येहोशुआ (40) सहित चार लोग घायल हुए थे.

इस मामले में अब तक किसी को न तो दोषी ठहराया गया है और न ही बरी किया गया है. दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल द्वारा हमले में शामिल होने के आरोप में गिरफ्तार भारतीय पत्रकार सैयद मोहम्मद काजमी को उसी साल जमानत पर रिहा कर दिया गया था.

Published: undefined

ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT