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बिहार चुनाव: NDA में बेटा, बहू, दामाद, समधन को टिकट, ‘परिवारवाद’ चेहरा बेनकाब!

BJP बार-बार परिवारवाद को लेकर RJD और कांग्रेस पर हमला करती है, लेकिन उसकी कथनी और करनी में भी फर्क नजर आता है.

शादाब मोइज़ी
जनाब ऐसे कैसे
Published:
<div class="paragraphs"><p>बिहार चुनाव में BJP का ' परिवारवाद' कहां है?&nbsp;पीएम मोदी ने भी कहा है कि अगर कोई परिवार पार्टी चलाता है तो परिवारवाद है.</p></div>
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बिहार चुनाव में BJP का ' परिवारवाद' कहां है? पीएम मोदी ने भी कहा है कि अगर कोई परिवार पार्टी चलाता है तो परिवारवाद है.

(फोटो: द क्विंट)

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बिहार चुनाव में BJP का ' परिवारवाद' कहां है?

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी कहा है कि अगर कोई परिवार पार्टी चलाता है तो परिवारवाद है. पीएम मोदी ने बिहार दौरे के दौरान बीजेपी नेताओं को परिवारवाद और जमींदारी प्रथा खत्म करने की सख्त नसीहत देते हुए कहा था कि राजनीति में भी जमींदारी प्रथा खत्म होनी चाहिए. ऐसा न हो कि आप नहीं तो आपके पुत्र-पुत्री को टिकट मिले.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बताई “परिवारवाद” की परिभाषा बिहार चुनाव में जमीन पर नजर नहीं आ रही है. उम्मीदवारों की लिस्ट बताती हैं कि BJP, JDU और LJP (R) वंशवाद की राजनीति से अछूती नहीं है.

बिहार विधानसभा चुनाव में एनडीए कैंडिडेट की लिस्ट में करीब 30 उम्मीदवार ऐसे हैं जो किसी न किसी राजनीतिक परिवार से ताल्लुक रखते हैं यानी कुल उम्मीदवारों का लगभग 15 फीसदी.

'जनाब ऐसे कैसे' के इस एपिसोड में बताएंगे कि परिवारवाद पर लालू यादव की आरजेडी और कांग्रेस को घेरने वाली बीजेपी ने बिहार चुनाव में खुद कितने राजनीतिक परिवार वालों को टिकट दिया है? साथ ही बताएंगे कि एनडीए की सहयोगी पार्टियों में परिवारवाद का क्या हाल है?

BJP ने किन नेताओं के रिश्तेदारों को दिया टिकट?

BJP में पहले से ही राजनातिक परिवार से आने वाले कई विधायक हैं, जिन्हें इसबार भी टिकट मिला है. इसके अलावा इस बार के चुनाव में भी रिश्तेदारों की एंट्री हुई है. लिस्ट देखिए,

  • बीजेपी ने गौरा बौराम सीट से पूर्व आईआरएस सुजीत कुमार सिंह को टिकट दिया है. पूर्व आईआरएस सुजीत सिंह की पत्नी स्वर्णा सिंह पहले से विधायक हैं. सुजीत वीआरएस लेकर अक्टूबर में ही BJP में शामिल हुए.

  • रमा निषाद- बीजेपी के पूर्व सासंद अजय निषाद की पत्नी रमा निषाद को औराई से टिकट दिया है. रमा निषाद पहली बार विधानसभा चुनाव लड़ रही हैं,

  • तीसरा नाम है औरंगाबाद सदर सीट से त्रिविक्रम नारायण सिंह. ये पूर्व BJP सांसद गोपाल नारायण सिंह के बेटे हैं और यह उनका पहला चुनाव है.

  • सम्राट चौधरी- बीजेपी नेता और बिहार के डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी- तारापुर सीट से बीजेपी ने टिकट दिया है. पिता शकुनी चौधरी कई बार विधायक रहे, सांसद भी रहे. मां पार्वती देवी भी विधायक रह चुकी हैं.

  • पांच बार विधायक और उप वित्तमंत्री रहे अंबिका शरण सिंह के बेटे राघवेंद्र प्रताप सिंह बरहरा के विधायक हैं इन्हें यहीं से दोबारा टिकट मिला है।

  • पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्रा के बेटे नीतीश मिश्रा झंझारपुर से विधायक हैं इसी सीट से इन्हें टिकट मिला है।

  • पूर्व विधायक बृज किशोर सिंह के बेटे अरुण कुमार सिंह बरुराज से विधायक हैं और यहीं से इन्हें टिकट मिला है, इनके दादा भी विधायक थे।

  • पूर्व विधायक स्वर्गीय नवीन किशोर सिन्हा के बेटे नितिन नबीन बांकीपुर से विधायक हैं और यहीं से उन्हें टिकट मिला है।

  • पूर्व विधायक और सिक्किम के राज्यपाल गंगा प्रसाद चौरसिया के बेटे संजीव चौरसिया दीघा से विधायक हैं और यहीं से इन्हें टिकट मिला है।

  • पूर्व विधायक भूवेंद्र नारायण सिंह के बेटे देवेश कांत सिंह गोरेयाकोठी से विधायक हैं और इन्हें इसी सीट से टिकट मिला है, इनके दादा कृष्णा कांत सिंह भी विधायक थे।

  • जमुई से श्रेयसी सिंह दोबारा चुनाव लड़ रही हैं। उनके पिता दिग्विजय सिंह पूर्व केंद्रीय मंत्री रहे हैं.

  • छातापुर से नीरज कुमार बबलू दोबारा मैदान में हैं, जिनके भाई हरि नारायण सिंह पूर्व सांसद और केंद्रीय मंत्री रह चुके हैं.

  • प्राणपुर से निशा सिंह को दोबारा टिकट मिला है. वे पूर्व मंत्री विनोद कुमार सिंह की पत्नी हैं.

  • परिहार से गायत्री देवी तीसरी बार चुनाव लड़ रही हैं, जिनके पति राम नरेश यादव पूर्व विधायक रहे हैं.

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JDU के टिकट बंटवारे में भी परिवारवाद!

अब बात जेडीयू के परिवार पॉलिटिक्स की. नीतीश कुमार के बेटे भले ही राजनीति में नहीं हैं, लेकिन जेडीयू ने भी राजनीतिक परिवार से आने वालों को टिकट दिया है.

  • मुजफ्फरपुर शेल्टर होम मामले से सुर्खियों में आई और समाज कल्याण मंत्री पद से इस्तीफा देने वाली मंजू वर्मा के बेटे अभिषेक कुमार को जेडीयू ने चेरिया बरियारपुर विधानसभा से टिकट दिया है.

  • चेतन आनंद- नबीनगर सीट- बाहुबली आनंद मोहन के बेटे हैं.

  • रुहेल रंजन- इस्लामपुर- दिवंगत विधायक राजीव रंजन के पुत्र हैं.

  • कोमल सिंह- गायघाट सीट- विधान पार्षद दिनेश सिंह और एलजेपी(आर) सांसद वीणा देवी की बेटी हैं.

  • अतिरेक कुमार- कुशेश्वरस्थान- कांग्रेस के पूर्व मंत्री डॉ अशोक राम के बेटे.

  • ऋतुराज कुमार- घोसी सीट- जहानाबाद के पूर्व MP अरुण कुमार के बेटे.

  • डॉ. मांजरिक मृणाल- समस्तीपुर की वारिसनगर विधानसभा सीट से टिकट, विधायक अशोक कुमार मुन्ना के पुत्र हैं.

  • रवीना कुशवाहा - विभूतिपुर सीट- रवीना पूर्व विधायक राम बालक कुशवाहा की दूसरी पत्नी हैं.

बहू, दामाद, समधन को टिकट

जीतन राम मांझी के नेतृत्व वाली हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (HAM) की सबसे अधिक आलोचना हो रही है. HAM के छह उम्मीदवारों में से 3 उनके परिवार से हैं और 2 राजनीतिक परिवार से हैं.

  • दीपा मांझी - इमामगंज सीट- जीतन राम मांझी की बहू हैं.

  • ज्योति देवी - बाराचट्टी सीट- जीतन राम मांझी की समधन हैं.

  • प्रफुल्ल कुमार मांझी - सिकंदरा - जीतन राम मांझी के दामाद हैं.

  • रोमित कुमार- अतरी सीट - वर्तमान विधायक अनिल कुमार के भतीजे हैं.

  • अनिल कुमार - टिकरी सीट -- पूर्व सांसद अरुण कुमार के रिश्तेदार हैं.

जीतन राम मांझी पहले ही गया (एससी) लोकसभा क्षेत्र से सांसद हैं, जबकि उनके बेटे संतोष कुमार सुमन बिहार सरकार में मंत्री और विधान परिषद सदस्य हैं.

इसी तरह, लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) की बात करें तो पीएम मोदी के हनुमान होने का दावा करने वाले चिराग पासवान ने अपने भांजे सीमांत मृणाल और JD(U) के विधायक अशोक कुमार मुन्ना के बेटे मृणाल मंजरिक को गरखा विधानसभा सीट से टिकट दिया है.

चिराग पासवान के जीजा अरुण भारती पहले से सांसद हैं.

चिराग पासवान ने अपने भांजे सीमांत मृणाल को गरखा विधानसभा सीट से टिकट दिया है.

फोटो सोर्स- fb/Simant Mrinal 

एनडीए के एक और साथी हैं उपेंद्र कुशवाहा- इन्हें एनडीए में 6 सीट मिली. जिसमें से एक पर उपेंद्र कुशवाहा ने अपनी पत्नी स्नेहलता को उम्मीदवार बनाया है. स्नेहलता सासाराम विधानसभा सीट से चुनाव लड़ रही हैं.

राष्ट्रीय लोक मोर्चा पार्टी को एनडीए में 6 सीट मिली. जिसमें से एक पर उपेंद्र कुशवाहा ने अपनी पत्नी स्नेहलता को उम्मीदवार बनाया है.

फोटो सोर्स- X/Rashtriya Lok Morcha

आप कहेंगे आरजेडी और कांग्रेस के परिवारवाद का हम जिक्र क्यों नहीं हम कर रहे हैं, ऐसा इसलिए क्योंकि इन पार्टियों में राजनीतिक परिवार से जुड़े लोगों को टिकट मिलता है और वो अपने तर्क के साथ इस बात को स्वीकार भी करते हैं. लेकिन जो बीजेपी बार-बार परिवारवाद पर अटैक करती है उसके कथनी और करनी में फर्क नजर आता है.

एक डायलोग है, "जिनके खुद के घर शीशे के होते हैं, वो दूसरे के घरों पर पत्थर नहीं फेंका करते जानी," नहीं तो जनता पूछेगी, जनाब ऐसे कैसे?

(इनपुट- नौशाद मलूक)

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