कैमरा: अभिषेक रंजन
क्रिएटिव प्रोड्यूसर एंड एडिटर: पुनीत भाटिया
वॉयस ओवर: बादशाह रे
प्रोड्यूसर: अमृता गांधी
बॉस से अपनी सैलरी बढ़ाने की बात कहने गए रोहित को उसके बॉस ने सैलरी की बजाए प्रोडक्टिविटी बढ़ाने की नसीहत दी है.
मेहनत और उम्मीदों के बीच फंसे और भी इंडियन इम्प्लॉइज हैं, जिन्हें लगता है कि उनके काम, मेहनत और ऑफिस में दिए गए एक्स्ट्रा वक्त को सराहा नहीं जाता है.
इम्प्लॉइज की प्रोडक्टिविटी बढ़ाने के लिए दुनिया भर की नसीहतें पड़ी हैं.
भले ही इंटरनेट पर मौजूद तमाम टिप्स आपके काम न आएं, लेकिन लेखक Cal Newport अपनी किताब Deep Work के जरिए ये जरूर समझाते हैं कि आप अपने दिमाग को अपने काम में बेहतर कैसे बना सकते हैं.
उनके बताए सिद्धांत योग और ध्यान गुरुओं के बताए माइंडफुलनेस से कुछ ज्यादा अलग नहीं हैं. इसके लिए आपको अपने दिमाग और शरीर को एक चीज पर फोकस करना होगा, एक साथ कई काम करने की बजाए किसी एक काम पर आपका पूरा ध्यान क्रिएटिव सोच को बढ़ाता है.
Deep Work की बात करें तो यहां आप अपने जोन में होते हैं और पूरे फोकस के साथ काम करते हैं, किसी चीज के बारे में गहराई से सोचते हैं और आपको बता दें कि ऐसा बिल्कुल मुमकिन है.
Shallow Work, जिसे 'मल्टीटास्किंग' कहते हैं, असल में आपको Deep Work करने से दूर ले जाता है. अगर आप किसी काम में गहराई से लगे हुए हैं, तो बीच में स्विच करना आसान नहीं होता. इसीलिए Deep Work के दौरान आपके लिए तुरंत ईमेल्स का जवाब देना आसान नहीं होता और एक बार ध्यान हटा तो दोबारा फोकस करने में कठिनाई आती है.
आलस भी एक अच्छी चीज है. तुम्हारा सोफा भी तुम्हारा दोस्त है, दोस्त. लेकिन इस दौरान फोन का इस्तेमाल आपके दिमाग के आराम में खलल डाल सकता है.
भले ही कई स्टडीज में बताया गया हो कि किसी शख्स की प्रोडक्टिविटी एक दिन में सिर्फ 4 घंटे ही अपने चरम पर होती है. इसके बावजूद हम एचआर पॉलिसी को 6 घंटे के वर्किंग वक्त में बदलने की उम्मीद नहीं कर सकते हैं.
लेकिन एक बात बिल्कुल साफ है कि आपका जो भी शेड्यूल हो, बेहतर आइडियाज का कोई शेड्यूल नहीं होता. ये कभी भी और कहीं भी आ सकते हैं.
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