देश में स्वास्थ्य सेवाओं पर बढ़ते खर्च के बावजूद जानकारी के अभाव में 85 फीसदी ग्रामीण आबादी स्वास्थ्य बीमा कवर से महरूम है. ये बात एक रिपोर्ट में कही गई है.
मिलीमैन नामक एक प्रमुख एक्चुरियल एवं कंसल्टिंग फर्म की एक रिपोर्ट के अनुसार,
रिपोर्ट के अनुसार ग्रामीण भारत की 85 फीसदी आबादी स्वास्थ्य बीमा कवर से महरूम है, जबकि 80 फीसदी शहरी आबादी इसका लाभ उठा रही है.
मिलीमैन की रिपोर्ट के अनुसार, भारत का हेल्थ केयर सिस्टम दुनिया के 190 देशों में से 112वें नंबर पर आता है. अधिकांश भारतीय मुख्य रूप से इलाज के खर्चो के लिए घरेलू आय और बचत पर निर्भर करते हैं या जरूरत पड़ने पर अस्पताल के बिलों का भुगतान करने के लिए दोस्तों और रिश्तेदारों से पैसे उधार लेते हैं. नतीजतन, इलाज के महंगे खर्च के कारण अत्यधिक कर्ज के चलते हर साल हजारों लोग गरीबी की मार से जूझते हैं.
पॉलिसीबाजार डॉट कॉम के हेल्थ इंश्योरेंस प्रमुख अमित छावड़ा बताते हैं,
पॉलिसीबाजार डॉट कॉम के हेल्थ इंश्योरेंस प्रमुख अमित छावड़ा ने कहा, "सच्चाई ये है कि हमारे देश में बहुत से लोग हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी के महत्व और इसकी आवश्यकता को समझते ही नहीं हैं."
छावड़ा ने कहा, "देश के अधिकांश हिस्सों में 7-10 लाख रुपये की हेल्थ इंश्योरेंस फ्लोटर पॉलिसी पर्याप्त है. हालांकि, अगर पॉलिसीधारक को किसी गंभीर बीमारी का पता चलता है, तो एक आम क्षतिपूर्ति पॉलिसी ज्यादा काम नहीं आती है. ऐसे मामलों के लिए, एक क्रिटिकल इलनेस पॉलिसी अधिक उपयोगी है. क्रिटिकल इलनेस पॉलिसी की कीमत ज्यादा होती है और यह विशिष्ट बीमारियों को कवर करती है. कौन सी पॉलिसी खरीदना ठीक होगा, यह बात आपके परिवार की जरूरतों को ध्यान में रखकर तय की जानी चाहिए. पॉलिसी की पहचान करने के लिए सबसे महत्वपूर्ण चीज परिवार के सदस्यों की संख्या और उनकी उम्र होती है."
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