श्री कृष्ण का जन्मोत्सव यानी जन्माष्टमी इस बार 23 अगस्त और 24 अगस्त को मनाई जाएगी. हिंदू धर्म की मान्यता के अनुसार भगवान कृष्ण को माखन खाना बहुत पसंद था, इतना कि वो उसकी चोरी तक करते और उन्हें माखन चोर तक कहा गया. कितनी ही कहानियां हैं श्री कृष्ण के माखन चोरी की, इसीलिए जन्माष्टमी के मौके पर मक्खन का भोग जरूर लगाया जाता है.
मक्खन एक डेयरी प्रोडक्ट है, जो हाई कैलोरी और हाई फैट फूड आइटम है. इसके हाई सैचुरेटेड फैट के कारण कुछ दशकों तक मक्खन खाने से हार्ट डिजीज का खतरा बताया गया, हालांकि अब इसका संतुलित सेवन हेल्दी माना जाता है.
न्यूट्रिशनिस्ट कविता देवगन कहती हैं कि मक्खन इतना बुरा भी नहीं है, जितना इसे समझा गया.
यूपी के देवरिया में वैद्य और ईस्टर्न साइंटिस्ट जर्नल के चीफ एडिटर डॉ आर अचल बताते हैं कि मक्खन को आयुर्वेद में नवनीत कहा गया है. वो कहते हैं कि गाय के दूध और भैंस के दूध से तैयार मक्खन के अलग-अलग गुण भी बताए गए हैं.
जैसे, गाय के दूध से तैयार किया गया मक्खन हल्का होता है और आसानी से पच जाता है. वहीं भैंस के दूध का मक्खन भारी होता है यानी देर से पचता है, इसलिए इसे कम खाना चाहिए.
वे ताजे मक्खन ये फायदे बताते हैं:
न्यूट्रिशनिस्ट कविता देवगन और डॉ आर अचल दोनों ही मानते हैं कि मार्केट में मिलने वाला मक्खन खाने से अच्छा है कि आप घर पर खुद मक्खन तैयार करें.
कविता देवगन कहती हैं कि घर पर तैयार मक्खन से आप नमक और दूसरे प्रीजर्वेटिव कंज्यूम करने से बच जाएंगे.
जी हां, आप चाहें तो घर पर खुद ही मक्खन निकाल सकते हैं.
कविता देवगन कहती हैं, “संतुलित मात्रा में मक्खन कोई हर कोई खा सकता है, हालांकि जिन्हें हार्ट इश्यूज हैं या ट्राई ग्लिसराइड्स ज्यादा है, डायबिटीज है, हाई बीपी है या जो लोग वजन कम करना चाहते हैं, उन्हें बटर नहीं लेना चाहिए क्योंकि मक्खन में हाई फैट होता है.”
इसके अलावा जिन लोगों को मिल्क एलर्जी है, उन्हें मक्खन नहीं लेना चाहिए, लैक्टोज इंटॉलरेंट वाले लोगों को भी ध्यान रखना चाहिए.
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