Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Campaigns Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Bol Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019क़लम के इस्तेमाल से जिंदा होने का एहसास ही आज़ादी है 

क़लम के इस्तेमाल से जिंदा होने का एहसास ही आज़ादी है 

हां! यह मेरे क़लम की दुनिया है. जो मुझे मेरे होने का एहसास दिलाती है…
The Quint
BOL
Published:
कुछ बातें हैं संसार की. कुछ बातें हैं बेकार की.
|
(Photo: Erum Gour/The Quint)
कुछ बातें हैं संसार की. कुछ बातें हैं बेकार की.
ADVERTISEMENT

मेरी क़लम की दुनिया

कुछ बातें हैं संसार की
कुछ बातें हैं बेकार की.

कुछ फूलों के रंग हैं इसमें
कुछ तितलियों के पंख हैं इसमें.

कुछ अनकही सी बातें हैं
कुछ भूली हुई सी यादें हैं.
यह मेरे क़लम की दुनिया है

जो मुझे मेरे होने का एहसास दिलाती है.

ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

अगर अंधेरा भी है तो मंज़ूर है मुझे
यह जुगनुओं के चमकने का एहसास दिलाती है.

ढ़लती रैना भी समझो तो भी है अज़ीज़ मुझे
यह सूरज के फिर उगने का एहसास दिलाती है.

कोई छीने ना इसे मुझ से
बस यही तो मांगा है दुनिया से.

एक यही तो आसरा है
जो समाज को बदलने का हौसला दिलाती है.

हां! यह मेरे क़लम की दुनिया है
जो मुझे मेरे होने का एहसास दिलाती है…

Afshan Khan’s ‘Bol’

(At The Quint, we are answerable only to our audience. Play an active role in shaping our journalism by becoming a member. Because the truth is worth it.)

Published: undefined

ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT