सोशल मीडिया पर एक तस्वीर वायरल हो रही है जिसमें सेना के दो जवान एक व्यक्ति को पकड़े हुए हैं. इस तस्वीर में दावा किया जा रहा है कि हाल ही में कश्मीर में पकड़े गए एक आतंकवादी ने कहा है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) ने उन्हें हथियार मुहैया कराए हैं.
क्या कहा है यूजर्स ने?: इस तस्वीर को शेयर करने वालों ने इसे हिंदी में कैप्शन के साथ अपलोड किया है, जिसका मोटे तौर पर मतलब है, "पकड़े गए जिंदा कश्मीरी आतंकी ने पूछताछ के दौरान कहा कि आरएसएस (RSS) हमें हथियार और पैसा मुहैया कराती है और हिंदुओं को मारने के लिए कहती है ताकि हिंदुओं के दिमाग में मुसलमानों के लिए नफरत भरी जा सके."
सच क्या हैं?: इस तस्वीर को गलत संदर्भ के साथ शेयर किया जा रहा है.
वीडियो को असल में अब्दुल कयूम नाम का एक पाकिस्तानी नागरिक दिखाया गया है, जिसे सीमा सुरक्षा बल (BSF) ने उस समय पकड़ा था, जब वह अंतरराष्ट्रीय सीमा पार करने की कोशिश कर रहा था.
हमने सच का पता कैसे लगाया ?: रिवर्स इमेज सर्च ऑप्शन इस्तेमाल करने पर, हमें सितंबर 2016 में Daily Excelsior में छपी एक रिपोर्ट मिली, जिसमें यही तस्वीर शामिल थी.
इसमें बताया गया था कि अब्दुल कयूम नाम के एक पाकिस्तानी आतंकवादी को BSF ने तब पकड़ा था, जब वह भारतीय क्षेत्र में घुसने की कोशिश कर रहा था.
BSF के उप महानिरीक्षक (DIG) धर्मेंद्र पारीक द्वारा शेयर किए गए एक आधिकारिक हैंडआउट के मुताबिक अब्दुल कयूम ने कहा कि उसने आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा (LIT) के साथ आतंकवाद की ट्रेनिंग की थी.
रिपोर्ट में RSS या इस संगठन द्वारा हथियारों की सप्लाई का कोई जिक्र नहीं था.
अन्य न्यूज रिपोर्ट: NDTV की इस रिपोर्ट में कहा गया है कि 32 वर्षीय कयूम को भारत में घुसने के बाद जम्मू के अखनूर सेक्टर में गिरफ्तार किया गया.
रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि उसे पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में लश्कर के एक कैंप से ट्रेनिंग मिली थी.
इसमें आगे बताया गया है कि 2016 (अक्टूबर तक) में 17 घुसपैठ की कोशिशों को नाकाम किया गया था और 31 घुसपैठियों को मार गिराया गया था.
InKhabar Official ने अपने आधिकारिक यूट्यूब चैनल पर गिरफ्तारी पर एक वीडियो रिपोर्ट अपलोड की थी.
इसका टाइटल था, "BSF के जवानों ने LOC पार करने की कोशिश कर रहे एक पाकिस्तानी नागरिक को गिरफ्तार कर बताया कि वह लश्कर का एक्टिविस्ट है. "
पहले भी वायरल हुए था वीडियो: टीम वेबकूफ ने पहले भी इसी तरह के दावे को खारिज किया था, जब यह जुलाई 2018 में इंटरनेट पर वायरल हुआ था. आप हमारी पुरानी फैक्ट-चेक रिपोर्ट यहां पढ़ सकते हैं.
निष्कर्ष: यह साफ है कि वायरल तस्वीर पुरानी है और इसे गलत संदर्भ के साथ इंटरनेट पर शेयर किया जा रहा है.
(अगर आपके पास भी ऐसी कोई जानकारी आती है, जिसके सच होने पर आपको शक है, तो पड़ताल के लिए हमारे वॉट्सऐप नंबर 9540511818 या फिर मेल आइडी webqoof@thequint.com पर भेजें. सच हम आपको बताएंगे. हमारी बाकी फैक्ट चेक स्टोरीज आप यहां पढ़ सकते हैं.)