सोशल मीडिया पर तीन तस्वीरें वायरल हैं, जिनमें जहाज पर कुछ लोग दिख रहे हैं. दावा किया जा रहा है कि ये रोहिंग्या शरणार्थी हैं, जो सऊदी अरब से शरण के लिए गए थे. लेकिन, सऊदी ने इन्हें शरण देने से इनकार कर दिया.
क्या ये दावा सच है ? : ये सच है कि वायरल तस्वीरों में दिख रहे लोग रोहिंग्या शरणार्थी हैं. इनमें से कुछ लोग बांग्लादेशी शरणार्थी भी हैं. पर ये दावा सच नहीं है कि ये सऊदी अरब से शरण लेने पहुंचे थे. तस्वीरें साल 2015 की हैं.
थाइलैंड में मानव तस्करी के खिलाफ सरकार के एक्शन के बाद तस्करों ने इन मजदूरों को बीच समुद्र में ही छोड़ दिया था. रोहिंग्या समुदाय को म्यांमार में हिंसा और भेदभाव का सामना करना पड़ रहा था. वहीं बांग्लादेशी प्रवासी अत्यधिक गरीबी और रोज़गार की कमी के कारण इन तस्करों के जाल में फंस गए थे. जब तस्करों ने इन्हें समुद्र में छोड़ दिया, तो ये जान जोखिम में डालकर समुद्री रास्ते से शरण के लिए निकले थे.
नावों में सवार होकर ये शरणार्थी मलेशिया और इंडोनेशिया में शरण के लिए गए थे. कई नावें थाईलैंड के समुद्री क्षेत्र से होकर गुज़रीं, जहां कुछ को रोका गया और कुछ को वापस समुद्र में जाने को विवश किया गया.
वायरल हो रही तीनों तस्वीरों का सच बताएंगे, पर उससे पहले समझ लेते हैं 2015 का वो शरणार्थी संकट, जिससे जुड़ी ये तस्वीरें हैं.
2015 का शरणार्थी संकट
रायटर्स पर 11 मई 2015 में छपी रिपोर्ट के मुताबिक, लगभग 2,036 शरणार्थी मलेशिया और इंडोनेशिया के तटों पर पहुंचे. इनमें 463 रोहिंग्या और 555 बांग्लादेशी शामिल थे, जिन्हें मलेशियाई अधिकारियों ने हिरासत में लिया, जबकि लगभग 600 शरणार्थी इंडोनेशिया के आचे प्रांत में मछुआरों द्वारा बचाए गए. यह प्रवासी समूह म्यांमार और बांग्लादेश से निकले हुए थे, ईधन और खाने की कमी के बीच ये समुद्र में भटकते पाए गए. थाईलैंड सरकार ने मानव तस्करी के खिलाफ कार्रवाई की थी, जिस कारण तस्करों ने इन्हें बीच समुद्र में छोड़ दिया, जिससे यह मानवीय संकट पैदा हुआ.
संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी UNHCR के मुताबिक, 2015 के पहले तीन महीनों में म्यांमार के रोहिंग्या मुसलमानों और बांग्लादेशी नागरिकों समेत करीब 25,000 लोग तस्करों की जर्जर नावों से समुद्री सफर पर निकले, जो 2014 की इसी अवधि से दोगुना था. इनमें से ज़्यादातर लोग थाईलैंड पहुंचे, जहाँ तस्करों ने उन्हें जंगलों में बने अवैध शिविरों में बंधक बनाकर रखा और परिजनों से फिरौती वसूली.
थाईलैंड के तत्कालीन प्रधानमंत्री प्रयुथ चान-ओचा ने मानव तस्करों के ठिकानों पर कार्रवाई का आदेश तब दिया था, जब मलेशिया सीमा के पास दक्षिणी थाईलैंड में 33 लोगों के शव मिले. सरकार का दावा था कि ये लोग म्यांमार और बांग्लादेश से आए प्रवासी थे. वहीं इंडोनेशिया के तट के पास बचाए गए शरणार्थियों में से करीब 50 लोगों को अस्पताल ले जाया गया. ज़्यादातर लोग कई दिनों से भूखे थे और बेहद कमजोर हालत में पाए गए
Reuters पर छपी 21 मई 2015 की रिपोर्ट के मुताबिक, अंतरराष्ट्रीय दबाव के बाद इंडोनेशिया और मलेशिया ने हज़ारों शरणार्थियों को अस्थायी तौर पर किनारे पर उतरने की अनुमति दी. दोनों देशों ने उन्हें रहने की जगह और ज़रूरी मदद दी. लेकिन संकट की शुरुआत में कई नावों को वापस भी भेज दिया गया था.
UNHCR और IOM जैसी संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों ने खाना, इलाज और पंजीकरण में सहायता की. वहीं थाईलैंड ने समुद्र में कुछ मदद दी.
सऊदी अरब से मांगी गई थी शरण ? : जैसा कि हमने 2015 की रिपोर्ट्स के हवाले से बताया ये शरणार्थी इंडोनेशिया और मलेशिया में मदद के लिए पहुंचे थे. इस मामले का सऊदी अरब से कोई संबंध नहीं. संयुक्त राष्ट्र की एजेंसियों ने इस दौरान इंडोनेशिया, थाइलैंड और मलेशिया जैसे दक्षिण पूर्वी एशिया के देशों से ही मदद करने की अपील की थी. न कि खाड़ी के देशों से.
हमें ऐसी कोई रिपोर्ट नहीं मिली जिससे पुष्टि होती हो कि 2015 के इस शरणार्थी संकट में सऊदी अरब किसी भी तौर पर शामिल था.
तीनों वायरल तस्वीरों का सच
पहली तस्वीर -
गूगल लेंस के जरिए सर्च करने पर ये तस्वीर हमें एसोसिएट फ्रांट प्रेस (AFP) की वेबसाइट पर मिली. ये 2015 के शरणार्थी संकट से जुड़ी है. फोटो के कैप्शन में बताया गया है कि, 14 मई 2015 को थाईलैंड के कोह लिपे द्वीप के पास अंडमान सागर में रोहिंग्या शरणार्थियों से भरी एक नाव भटकती हुई मिली. नाव पर कई छोटे बच्चे भी थे और यात्रियों ने बताया कि पिछले कुछ दिनों में कई लोगों की मौत हो चुकी थी. AFP के मुताबिक, नाव पर सवार दर्जनों लोग बेहद कमजोर हालत में दिख रहे थे.
दूसरी तस्वीर -
दूसरी तस्वीर हमें फोटो स्टॉक वेबसाइट Getty Images पर मिली. यहां दी गई जानकारी से पुष्टि होती है कि ये तस्वीर 14 मई 2015 की है. कैप्शन के मुताबिक, थाईलैंड के कोह लिपे द्वीप के पास अंडमान सागर में भटक रही एक नाव पर सवार रोहिंग्या शरणार्थी, थाई सेना के हेलीकॉप्टर से गिराई गई खाद्य सामग्री लेने के लिए समुद्र में कूदते दिखे. नाव पर कई छोटे बच्चे भी मौजूद थे. यात्रियों ने बताया कि पिछले कुछ दिनों में कई लोगों की मौत हो चुकी थी.
तीसरी तस्वीर -
ये तस्वीर भी हमें Getty Images पर मिली. कैप्शन में बताया गया है कि ये तस्वीर भी 14 मई 2015 को थाइलैंड सरकार की तरफ से भेजी गई खाद्य सामग्री को समुद्र में कूदकर बटोरते शरणार्थियों की है.
निष्कर्ष : 2015 में शरण के लिए थाइलैंड और मलेशिया पहुंचे रोहिंग्या और बांग्लादेशियों की तस्वीर को सऊदी अरब से जोड़कर भ्रामक दावे से शेयर किया जा रहा है.
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