सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो में पुलिसकर्मी एक शख्स को बेरहमी से डंडों से पीटता दिख रहा है. वीडियो को बंगाल (West Bengal) का बताकर दावा किया जा रहा है कि ये शख्स हनुमान जयंती पर प्रभात फेरी निकालना चाहता था, सिर्फ इसलिए मुस्लिम पुलिस अधिकारी ने इसे पीटा.
यही दावा करते अन्य पोस्ट के अर्काइव यहां, यहां और यहां देखें.
क्या ये सच है ? : ये वीडियो साल 2014 से इंटरनेट पर मौजूद है. जाहिर है इसका हाल में यानी 2025 में बंगाल के मुर्शिदाबाद में हुई हिंसा से कोई संबंध नहीं है.
हमने ये सच कैसे पता लगाया ? : वायरल वीडियो को इनविड एक्सटेंशन की मदद से की-फ्रेम में बांटकर हमने गूगल लेंस के जरिए सर्च किया.
हमें अप्रैल 2017 की एक फेसबुक पोस्ट पर यही वीडियो मिला. इस पोस्ट में भी वीडियो को बंगाल का बताकर ये दावा किया गया था कि इसमें मुस्लिम पुलिस अधिकारी हिंदू शख्स को पीटता दिख रहा है.
इस पोस्ट में किए गए दावे की हम पुष्टि नहीं करते. पर इससे ये साफ हो गया कि वीडियो साल 2017 से ही इंटरनेट पर है. तो जाहिर है ये बंगाल में चल रहे हालिया विवाद से जुड़ा वीडियो नहीं है.
यही वीडियो हमें एक यूट्यूब चैनल पर भी मिला. हालांकि, इसके डिस्क्रिप्शन में लोकेशन की या फिर घटना के पूरे संदर्भ से जुड़ी कोई जानकारी नहीं दी गई है. ये वीडियो 30 सितंबर 2014 को अपलोड किया गया था.
अपनी पड़ताल में हम इस वीडियो का ओरिजनल सोर्स नहीं पता लगा सके. पर ये स्पष्ट है कि ये वीडियो 2014 से ही इंटरनेट पर है.
मुर्शिदाबाद हिंसा : मुर्शिदाबाद के धूलियन नगर में वक्फ (संशोधन) बिल के खिलाफ 11 अप्रैल को मुस्लिम संगठनों द्वारा निकाले गए विरोध मार्च ने अचानक हिंसक रूप ले लिया.
विरोध प्रदर्शन TMC नेता और मंत्री सिद्दीकुल्ला चौधरी की अगुवाई में शुरू हुए, जिन्होंने कई सामाजिक और धार्मिक समूहों को एकजुट किया. कोलकाता में उनकी रैली के बाद विवाद तब बढ़ा जब कथित तौर पर एक वीडियो में कुछ प्रदर्शनकारियों को बस से हिंदू देवता हनुमान का झंडा हटवाते देखा गया. इसके जवाब में कुछ लोगों ने पूरे राज्य में बसों और टैक्सियों पर राम और हनुमान के झंडे लगाने का अभियान शुरू कर दिया.
इस हिंसा में तीन लोगों की मौत हो चुकी है.। 11 अप्रैल को सूटी में एक मुस्लिम व्यक्ति की पुलिस फायरिंग में मौत हो गई. वहीं12 अप्रैल को जाफराबाद में एक अज्ञात भीड़ ने एक हिंदू पिता-पुत्र की घर में घुसकर हत्या कर दी.
निष्कर्ष : न तो वीडियो का 2025 में हुई मुर्शिदाबाद हिंसा से कोई संबंध है न ही हनुमान जयंती से. वीडियो 11 साल से इंटरनेट पर मौजूद है. इसे हाल की घटना का बताकर भ्रामक सांप्रदायिक दावे के साथ शेयर किया जा रहा है.
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