बीबीसी (BBC) हिंदी पर छपी एक रिपोर्ट सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है जिसे शेयर कर कुछ यूजर्स इसे पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले में हुई हालिया हिंसा से जोड़ रहे हैं.
रिपोर्ट में क्या कहा गया?: हिंदी में लिखी हेडलाइन कुछ यह है कि - 'टोपी लुंगी पहन कर संघ के लोग बरसा रहे थे ट्रेन पर पत्थर' : प्रेस रिव्यू
एक सोशल मीडिया पोस्ट में यह भी आरोप लगाया गया है कि मुर्शिदाबाद में हुई हिंसा के दौरान लोग मुस्लिमों का वेश धारण कर अपराध को अंजाम दे रहे हैं.
सच क्या है?: असल में यह रिपोर्ट 2019 की है, जिसमें कथित तौर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) से जुड़े लोगों के बारे में बात की गई थी, जो नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) के विरोध में टोपी और लुंगी पहने हुए देखे गए थे.
इसके अलावा असल रिपोर्ट में वायरल दावे में देखी गई तस्वीरें नहीं थीं.
हमने सच का पता कैसे लगाया ?: हमने वायरल तस्वीर में दिख रही हेडलाइन का इस्तेमाल करके गूगल पर सर्च किया जिसमें हमें 21 दिसंबर 2019 को छपी BBC की यह रिपोर्ट मिली.
रिपोर्ट में कहा गया है कि The Telegraph के मुताबिक पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में ट्रेन पर टोपी और लुंगी पहने छह लोगों को पत्थर फेंकते देखा गया था. हालांकि, कथित तौर पर वे सभी RSS से जुड़े थे.
उनमें से दो को पांच दिन की पुलिस हिरासत में भेज दिया गया.
रिपोर्ट में वायरल दावे में दिख रहे दो दृश्य नहीं थे.
ये तस्वीरें कहां की हैं?: पहली तस्वीर को अलग करके उस पर रिवर्स इमेज सर्च करने पर हमें The Print की छपी इस रिपोर्ट में यही वीडियो मिला.
इसके कैप्शन में लिखा है कि, "पश्चिम बंगाल के हावड़ा जिले के संमत्रागाछी में नागरिकता संशोधन विधेयक (CAB) के पारित होने के खिलाफ आंदोलन करता एक प्रदर्शनकारी."
यह रिपोर्ट 15 दिसंबर 2019 को शेयर की गई थी.
वेबकूफ टीम ने दूसरी तस्वीर पर भी रिवर्स इमेज सर्च ऑप्शन का इस्तेमाल किया जिसमें हमें The Statesman की यह रिपोर्ट मिली जिसमें यही दृश्य था.
रिपोर्ट में पश्चिम बंगाल में CAA के खिलाफ भड़की हिंसा के बारे में बताया गया था, जहां लोगों ने रेलवे स्टेशनों पर तोड़फोड़ और आगजनी की थी. इसी वजह से कुछ ट्रेन सेवाएं बाधित हुईं थी.
निष्कर्ष: यह साफ है कि इस घटना की असली रिपोर्ट और यह दृश्य पुराने हैं और इनका मुर्शिदाबाद में हुई हालिया हिंसा से इनका कोई संबंध नहीं हैं.
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