ADVERTISEMENTREMOVE AD

किसान आंदोलन का नहीं है शरजील की रिहाई की मांग वाला ये पोस्टर

सोशल मीडिया पर गलत दावे के साथ शेयर की जा रही है तस्वीर

Updated
story-hero-img
i
Aa
Aa
Small
Aa
Medium
Aa
Large

सोशल मीडिया पर एक्टिविस्ट और एंटी-CAA प्रोटेस्टर शरजील इमाम की रिहाई की मांग वाले एक पोस्टर की तस्वीर इस दावे के साथ शेयर की जा रही है कि यह मौजूदा किसान आंदोलन से जुड़ी है.

हालांकि, क्विंट ने पाया है कि यह तस्वीर वेलफेयर पार्टी ऑफ इंडिया की ओर से फरवरी 2020 में केरल में आयोजित एक प्रदर्शन की है.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

दावा

फेसबुक और ट्विटर पर यह तस्वीर इस दावे के साथ शेयर की जा रही है कि प्रदर्शनकारी किसानों ने इमाम की रिहाई की मांग की. कई यूजर चुटकी लेते हुए कह रहे हैं कि इमाम भी किसान हैं.

इमाम पर एंटी-CAA प्रदर्शन के दौरान भड़काऊ भाषण देने के आरोप थे. उन्होंने जनवरी में दिल्ली पुलिस के सामने सरेंडर कर दिया था.

यह तस्वीर इंडियन डिफेंस रिसर्च विंग वेबसाइट के एक आर्टिकल में भी इस्तेमाल की गई, जिसका शीर्षक था- ''लेफ्ट-विंग एक्सट्रीमिस्ट्स ने किसानों के प्रदर्शन को हाईजैक कर लिया है.''

हमें क्या पता चला?

हमने वायरल तस्वीर को रिवर्स सर्च किया और हमें अप्रैल 2020 का एक ट्वीट मिला, जिसमें यही तस्वीर थी. हालांकि इस ट्वीट में तस्वीर की जगह और उसके खींचने की तारीख के बारे में कोई साफ संकेत नहीं था. मगर हमें इतना पता चल गया कि यह तस्वीर मौजूदा किसान आंदोलन शुरू होने से पहले की है.

इसके बाद हमने तस्वीर को बारीकी से देखा और हमें इसमें दिख रहे बैनर के दायीं ओर ऊपर की तरफ 'वेलफेयर पार्टी ऑफ इंडिया' लिखा मिला. हमें तस्वीर में मलयालम में पोस्टर और वेलफेयर पार्टी का झंडा भी दिखा.

फिर हमने वेयरफेयर पार्टी की केरल विंग के स्टेट सेक्रेटरी साजिद खालिद से संपर्क किया. उन्होंने इस बात की पुष्टि की कि यह तस्वीर फरवरी में पार्टी की ओर से आयोजित किए गए एक प्रदर्शन की है.

यह तस्वीर 25 और 26 फरवरी को एंटी-CAA प्रदर्शनकारियों के समर्थन में वेलफेयर पार्टी ऑफ इंडिया की ओर से आयोजित ऑक्यूपाई राजभवन मार्च से है.
साजिद खालिद, वेलफेयर पार्टी ऑफ इंडिया

हमने 'ऑक्यूपाई राजभवन' मार्च पर न्यूज रिपोर्ट्स तलाशीं और हमें टाइम्स ऑफ इंडिया और द हिंदू के आर्टिकल मिले.

हालांकि, यह ध्यान में रखा जाना चाहिए कि किसानों ने 10 दिसंबर को टीकरी बॉर्डर पर उमर खालिद और भीमा कोरेगांव के एक्टिविस्ट्स सहित बाकी एक्टिविस्ट्स के पोस्टर लगाए थे.

BKU के एक प्रतिनिधि ने क्विंट को बताया कि वह इस बात से सहमत हैं कि कई एक्टिविस्ट्स को बिना आरोपों के सलाखों के पीछे डाल दिया गया, लेकिन उनकी मांगें तीन नए कृषि कानूनों को वापस लिए जाने की हैं.

ऐसे में साफ है कि एक पुरानी तस्वीर को गलत दावे के साथ मौजूदा किसान आंदोलन का बताया जा रहा है.

Published: 
Speaking truth to power requires allies like you.
Become a Member
Monthly
6-Monthly
Annual
Check Member Benefits
×
×