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नेहरू ने पत्नी को आखिरी वक्त में अकेला छोड़ा ? वायरल दावे का सच यहां है

सरकारी रिकॉर्ड बताते हैं कि मृत्यू के वक्त जवाहरलाल नेहरू अपनी पत्नी कमला नेहरू के साथ थे.

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सोशल मीडिया यूजर्स ऐसे पोस्ट शेयर कर रहे हैं, जिसमें कथित तौर पर भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू (Jawaharlal Nehru) और उनकी पत्नी, कमला नेहरू (Kamla Nehru) की कहानी बताई गई है.

यही दावा करते अन्य पोस्ट्स के अर्काइव यहां और यहां देखें.

वायरल पोस्ट में क्या कहा गया है ? : इसमें कहा गया है कि कमला नेहरू ट्यूबरकुलोसिस (TB) से पीड़ित थीं, जिसकी वजह से पूर्व प्रधानमंत्री ने अपनी पत्नी को प्राग, यूगोस्लाविया (आज चेक रिपब्लिक) के एक अस्पताल में भर्ती कराया था.

  • इसमें दावा किया गया है कि कमला अस्पताल में दस साल तक "मौत का इंताजर करती रहीं", लेकिन "नेहरू ने दिल्ली में एडविना बेटन से संबध जारी रखे." इसमें साथ ही लिखा है कि नेहरू इन दस सालों में कई बार ब्रिटेन गए, लेकिन "वो एक बार भी अपनी पत्नी का हाल-चाल लेने के लिए प्राग नहीं गए."

  • पोस्ट में आगे लिखा है कि जब नेताजी सुभाष चंद्र बोस को कमला नेहरू की बीमारी के बारे में पता चला, तो वो उनसे मिलने के लिए प्राग गए, और उसके बाद उनके डॉक्टर्स की सलाह पर उन्हें "स्विट्जरलैंड के बुसान में एक मॉडर्न टीबी अस्पातल में भर्ती कराया."

  • इसके बाद बोस ने कथित तौर पर स्विस अस्पताल में उन्हें भर्ती कराने के लिए 70,000 रुपये इकट्ठे किए. इसके बावजूद, पोस्ट में कहा गया है कि कमला दुखी थीं, क्योंकि उनके पति दस सालों में एक बार भी उनसे मिलने नहीं आए थे और अनजान लोग उनकी देखभाल कर रहे थे.

  • "बुसान में दो महीने भर्ती रहने के बाद, 28 फरवरी 1936 को बुसान में ही कमला नेहरू की मृत्यु हो गई," जिसके दस दिन पहले ही बोस ने नेहरू को उनकी स्थिति के बारे में बताया था. उनका दावा है कि अपनी पत्नी की मौत की खबर जानने के बाद भी वो नहीं आए और बोस ने उनका अंतिम संस्कार किया.

(सोशल मीडिया पर इसी तरह के दावों के दूसरे आर्काइव्स को यहांयहां और यहां देखा जा सकता है.)

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इस रिपोर्ट में, हम इस वायरल कहानी में किए गए दावों पर नजर डालेंगे.

ये सच है कि कमला नेहरू ट्यूबरकुलोसिस से पीड़ित थीं, और अंतिम सालों में उनकी सेहत काफी खराब थी. बीमारी के कारण 1936 में स्विट्जरलैंड में उनकी मौत हो गई थी.

ये स्थापित तथ्य है, जो कई ऐतिहासिक दस्तावेजों के साथ-साथ न्यूज रिपोर्ट्स में भी मिलता है, जैसा कि इंडिया टुडे की इस रिपोर्ट में.

जब हमने कमला नेहरू की सेहत से जुड़े पुराने रिकॉर्ड्स देखे, तो हमें भारतीय जनता पार्टी के ई-लाइब्रेरी वेबपेज पर वेटरन जर्नलिस्ट और एडिटर, फ्रैंक मोरायस की जवाहरलाल नेहरू पर बायोग्राफी मिली.

किताब के पेज नंबर 106 पर, इसमें लिखा है कि 1925 में कमला "कुछ समय से ट्यूबरकुलोसिस इंफेक्शन से पीड़ित थीं" और बिना किसी सुधार के उत्तर प्रदेश के लखनऊ के एक अस्पताल में महीनों तक भर्ती थीं.

एक पुराने दोस्त की सलाह पर, उन्हें मार्च 1926 में इलाज के लिए शिप से यूरोप ले जाया गया. उनके साथ उनके पति और आठ साल की बेटी, इंदिरा गांधी थीं. उन्हें इटली के वेनिस ले जाया गया.

किताब में आगे लिखा है कि यूरोप की अधिकांश यात्रा के दौरान परिवार स्विट्जरलैंड में रहा, जहां कमला मोंटाना के एक अस्पताल में भर्ती थीं.

इस घटनाक्रम की पुष्टि नेहरू की ऑटोबायोग्राफी से भी होती है, जिसमें उन्होंने कहा है कि कमला के "आगे के इलाज के लिए स्विट्जरलैंड की सलाह दी गई थी."

इससे साफ होता है कि उनका परिवार उन्हें यूरोप लेकर गया और उनके इलाज के दौरान स्विट्जरलैंड में रहा.

ये साबित करने के लिए ऐसा कोई ऐतिहासिक रिकॉर्ड नहीं हैं कि कमला नेहरू को प्राग के अस्पताल में भर्ती कराया गया था, न ही ये साबित होता है कि वो एक दशक तक स्विट्जरलैंड में थीं.

सेहत में सुधार होने के बाद, कमला वापस भारत आयीं. हालांकि, हमें ये पता नहीं चल पाया कि वो किस साल भारत लौटीं, लेकिन ये दिसंबर 1928 से पहले था, किताब में लिखा है कि जब वो "फिर से बीमार पड़ गयी थीं."

आगे आने वाले सालों में, जवाहरलाल नेहरू का समय जेल के अंदर और बाहर बीता. जेल में उनके समय और टाइमलाइन को संस्कृति मंत्रालय की माइक्रोसाइट 'नेहरू पोर्टल' पर देखा जा सकता है.

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मोरायस की किताब के मुताबिक, कमला को भी 1931 में गिरफ्तार किया गया था, जो दिखाता है कि वो उस दौरान भारत में ही थीं.

इसमें ये भी लिखा है कि परिवार के मुखिया, मोतीलाल नेहरू इससे "परेशान" थे, क्योंकि "कमला की सेहत ठीक नहीं थी, और जेल में रहने से उनकी बीमारी और बढ़ सकती थी."

1934 में, नेहरू की ऑटोबायोग्राफी में लिखा है कि उन्हें दो साल के लिए जेल की सजा हुयी थी, जो 16 फरवरी से शुरू थी. ये उनका सातवां कारावास था.

उन्होंने लिखा कि इस दौरान जिस बात ने उन्हें सबसे ज्यादा परेशान किया, वो थी "कमला की खराब सेहत."

मोरायस ने लिखा कि 1934 के दौरान उनका स्वास्थ्य लगातार बिगड़ता गया. इसकी वजह से, नेहरू को उनसे मिलने के लिए "अस्थायी रूप से रिहा" किया गया और वो 11 दिनों तक आजाद थे.

गिरफ्तारी के एक महीने बाद, जेल अधिकारियों ने नेहरू को कमला की "गंभीर" हालत के कारण हफ्ते में दो बार घर जाने की अनुमति दी.

इसी दौरान, "ये तय किया गया कि कमला को भोवाली नाम की एक जगह पर पहाड़ों में एक अस्पताल में ले जाया जाएगा," और नेहरू को उनके पास रहने के लिए नैनी से अल्मोड़ा ट्रांसफर किया गया.

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मोरायस ने लिखा है कि अल्मोड़ा जेल में एक महीने रहने के बाद, नेहरू को भोवाली में अपनी पत्नी से मिलने के लिए ले जाया गया. ये शहर नैनीताल से 11 किलोमीटर दूर था. मई 1935 तक, जब वो इलाज के लिए यूरोप चली गई थीं, नेहरू को तीन हफ्तों में एक बार पत्नी से मिलने की अनुमति दी गई थी.

द टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक, कमला मार्च और मई 1935 के बीच दो महीने अस्पताल में रहीं, जिस दौरान नेहरू उनसे छह बार मिलने आए.

इसमें ये भी कहा गया है कि भोवाली में इलाज के दौरान, उनकी "सेहत में इतना सुधार हो गया कि वो स्विट्जरलैंड सफर करने में सक्षम हो गयीं

नेहरू ने भी इसी तरह की टाइमलाइन का जिक्र किया है. 25 अक्टूबर 1935 के एक सेक्शन में, जर्मनी के Schwarzland में Badenweiler जगह का जिक्र है, और लिखा है कि कमला मई 1935 में यूरोप के लिए रवाना हुईं, जबकि वो अल्मोड़ा की जेल में ही थे.

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हालांकि, सितंबर 1935 में, नेहरू को Badenweiler में पत्नी कमला से मिलने के लिए, जो कि "फिर गंभीर रूप से बीमार" थीं, उनकी सजा पूरी होने से साढ़े पांच महीने पहले ही रिहा कर दिया गया.

जब नेहरू उनके साथ थे, तो उन्होंने "Badenweiler से दूर जाने की इच्छा व्यक्त की", जिसके बाद उन्हें जनवरी 1936 में स्विट्जरलैंड के Lausanne ले जाया गया.

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मोरायस की किताब और नेहरू की ऑटोबायोग्राफी, दोनों के मुताबिक कमला की मौत के दौरान नेहरू Lausanne में थे.

लेखक लिखते हैं कि, "उनके अंतिम दिनों में... जवाहरलाल उनके बिस्तर के पास बैठकर उन्हें देख रहे थे..."

28 फरवरी 1936 को उनकी मृत्यु के दिन, मोरायस लिखते हैं कि कमला की मौत के दौरान जवाहरलाल नेहरू, इंदिरा गांधी और उनके डॉक्टर उनके पास थे.

अपनी किताब में, नेहरू लिखते हैं, "मैं अपनी पत्नी के साथ था जब 28 फरवरी, 1936 को उनकी Lausanne में मृत्यु हो गई."

निष्कर्ष: सोशल मीडिया पर वायरल हो रही कहानी फर्जी है. जवाहरलाल नेहरू ने पत्नी के अंतिम दिनों में उनके साथ काफी वक्त गुजारा, और कमला नेहरू स्विट्जरलैंड में अकेले दस साल नहीं रहीं.

(अगर आपके पास भी ऐसी कोई जानकारी आती है, जिसके सच होने पर आपको शक है, तो पड़ताल के लिए हमारे वॉट्सऐप नंबर  9540511818 या फिर मेल आइडी webqoof@thequint.com पर भेजें. सच हम आपको बताएंगे. हमारी बाकी फैक्ट चेक स्टोरीज आप यहां पढ़ सकते हैं.)

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